Author Topic: Hindi Film 'Daayen Ya Baayen By' Bela Negi on UK subject - "दायें या बाएँ" फिल्म  (Read 34028 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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राज्य में 14 को रिलीज होगी ‘दाएं या बाएं’

राज्य में 14 को रिलीज होगी ‘दाएं या बाएं’
  फिल्म की पहले राजभवन में 12 जनवरी को होगी स्क्रीनिंग  जनकवि स्व. गिरीश तिवारी गिर्दा, दीपक डोबरियाल आदि का है अभिनय
 देहरादून (एसएनबी)। उत्तराखंड की पहली महिला फिल्म निर्देशक बेला नेगी की पहली बहुर्चचित हिन्दी फिल्म ‘दाएं या बाएं ’ से उत्तराखंड के र्दशक 14 जनवरी को रूबरू होंगे। इसके पहले 12 जनवरी को राजभवन में फिल्म की स्क्रीनिंग की जाएगी, जिसके बाद यह देहरादून के सिनेमाघरों में प्र्रदशित की जाएगी। उत्तराखंड की बेटी बेला नेगी की यह फिल्म उत्तराखंडी महिला निर्देशक द्वारा बनाई गई पहली हिन्दी फिल्म है। फिल्म के निर्देशन, कहानी, पटकथा, संपादन और सिनेमोटोग्राफी आदि पर अब तक जो टिप्पणियां आयी हैं उनसे साफ है कि हिंदी फिल्मों और खासकर उत्तराखंड की फिल्मों के इतिहास में यह मील का पत्थर साबित होगी। वैसे यह फिल्म अक्टूबर में दिल्ली और मुंबई में रिलीज हो चुकी थी और इसने काफी नाम कमाया था। बेला नेगी मूलत: नैनीताल की हैं। उनकी शिक्षा-दीक्षा नैनीताल, दिल्ली विश्वविद्यालय और पूना स्थित फिल्म इंस्टीटय़ूट में हुई है। सबसे बड़ी बात यह है कि बेला नेगी ने ही फिल्म की कहानी, पटकथा, संवाद लिखे हैं और फिल्म में ज्यादातर कलाकार उत्तराखंड के हैं। फिल्म के नायक हैं फिल्म फेयर पुरस्कार प्राप्त दीपक डोबरियाल तो भारती भट्ट, प्रत्यूष डुकलान, जनकवि स्व.गिरीश तिवारी गिर्दा ने भी अपनी सशक्त भूमिकाएं निभाई है। फिल्म में रंर्गकमी मानव कौल, बदरुल इस्लाम आदि ने भी जोरदार अभिनय किया है। खास बात यह है कि फिल्म की शूटिंग पिथौरागढ़, चौकुड़ी, बागेश्वर, ताकुला और कालाढूंगी में हुई है। इसमें गांव के स्थानीय लोगों से भी अभिनय कराया गया है। बेला नेगी ने बताया कि फिल्म सीधे कुछ नहीं कहती लेकिन लोगों को गुदगुदाते हुए चुपके से पहाड़ के विकास की अवधारणा पर भी सवाल खड़े करती है। फिल्म की कहानी शहर से गांव लौटे एक सीधे-सादे पहाड़ी युवक रमेश माजिला, उसके परिवार और गांव के इर्द-गिर्द घूमती है। रमेश गांव की तकदीर बदलना चाहता है। उसे लगता है कि गांव को उसकी ज्यादा जरूरत है। वह गांव के स्कूल में टीचर बन कर वहीं रहने लगता है। कुछ अप्रत्याशित घटनाओं के क्रम में उसे एक टेलीविजन प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का मौका मिलता है, जिसमें उसे एक लग्जरी कार इनाम में मिलती है। उसकी यह जीत उसे गांव का हीरो बना देती है लेकिन कई लोग उससे खार भी खाने लगते हैं। अब उसकी जिंदगी में कई दिलचस्प घटनाएं होने लगती हैं क्योंकि एक ओर वह अपनी कार की देखभाल भी करना चाहता है तो दूसरी ओर गौशाला की भी। इस सब में उसके बच्चे भी उसकी खिल्ली उड़ाने लगते हैं। कहानी में तब नया मोड़ आता है जब रमेश की कार चोरी हो जाती है तो जाकर उसका कार का मोह खत्म होता है और उसका खोया हुआ सम्मान पाने का सफर शुरू होता है। फिल्म अमनदत्ता की सिनेमोटोग्राफी शानदार है। फिल्म का संगीत विवेक मलिक ने दिया है जो काफी प्रभावशाली है। फिल्म की लेखिका निर्देशिका व संवाद लेखिका बेला नेगी का कहना है कि फिल्म प्रकारांतर से उत्तराखंड के दस साल के विकास के सफर और आज की पीढ़ी के असमंजस को सामने रखती है।

Devbhoomi,Uttarakhand

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उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में शूट की गई बड़े पर्दे की पहली हिंदी फिल्म दाएं या बाएं को १४ जनवरी को राजधानी के दिग्विजय सिनेमा हॉल में रिलीज किया जाएगा। जबकि बुधवार को राजभवन में फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग होगी।
राजपुर रोड स्थित होटल में पत्रकारों से बातचीत करते हुए फिल्म की लेखिका एवं निर्देशिका बेला नेगी ने बताया कि बड़े पर्दे की इस फिल्म की पूरी शूटिंग उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में की गई है। फिल्म में मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले दीपक डोबरियाल अभिनेता की मुख्य भूमिका में हैं। जो इससे पहले बड़े पर्दे की कई फिल्मों ओमकारा, मकबूल, शौर्या, गुलाल आदि में काम कर चुके हैं। फिल्म की शूटिंग पिथौरागढ़ और बागेश्वर में की गई है। फिल्म निर्देशिका बेला नेगी ने बताया कि फिल्म में अधिकतर कलाकार उत्तराखंड के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि लीड रोल में दीपक डोबरियाल की यह पहली फिल्म है। बताया कि फिल्म उत्तराखंड पर आधारित है। उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाई गई यह फिल्म निश्चित रूप से प्रदेश के जनमानस को खूब पसंद आएगी।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Daayen Ya Baayen - NEW YORK INDIAN FILM FESTIVAL MAY 4, 2011
« Reply #132 on: May 06, 2011, 03:21:30 PM »
NEW YORK INDIAN FILM FESTIVAL MAY 4, 2011
 
Daayen Ya Baayen[/t][/t][/t][/t][/t][/t]
Daayen Ya Baayen
Daayen Ya Baayen
Daayen Ya Baayen
Daayen Ya Baayen
Sunday, May 8, 2011, Tribeca Theater 2, 3.30 pm,
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Daayen Ya Baayen
 Directed by Bela Negi
 India, 2010, 115 Minutes, Hindi (with English Subtitles) US Premiere
 
Cast- Deepak  Dobriyal, Aditi Beri, Bharti Bhatt, Jeetendra  Bisht
 
 After an unsuccessful stint as an actor in Mumbai, Ramesh Majila returns to his small Himalayan village fresh with hope and the desire to make a new start. Seeing himself as the artistic voice of the village, he boasts of a proposal to start an Arts' Academy in the village. However to his dismay his ostentatious city manner and quirky traits compounded with a penchant for catalyzing disaster reduce him to a joke amongst the villagers. Adding to his discomposure is a wife pestering him to go back to the city, a young son who is looking desperately for a role model in him and a nagging financial situation.
 
 In a dramatic turn of events, Ramesh shoots to heroic status overnight when a chance entry into a television contest wins him a luxury car. Now desired by women, envied and grudgingly admired by men, Ramesh becomes the focal point of the village, giving career advice, gracing functions, playing host to new found friends and relatives. But soon Ramesh finds that this new spot in the sun is treacherously tenuous. The car is completely incongruous in its surroundings and for Ramesh, who is trying to match his aspirations to it, the slide downhill begins again. When the car is stolen, he sets out on a bizarre journey to recover more than his prized possession, his lost dignity.
 
 Bela Negi was born in in the Himalayan Indian state of Uttarakhand. She finished her schooling in Nainital before she moved to Delhi University for a B.A. Hons in English Literature.  This was followed by a degree in cinema with a specialization in film editing  at the Film and Television Institute of India, Pune in 1997.
 
 Nitric Films a production house run by Bela and her husband Subho produces ads, corporate films and has line produced ‘Daayen ya Baayen’.
 
 ‘Daayen ya Baayen’ is Bela’s debut feature film and has been written, directed and edited by her.   In the past few years she has written a handful of scripts of which DYB has been the first to get made.
 
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http://www.iaac.us/nyiff2011/DYB.htm
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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  • चन्द्रशेखर करगेती फ़िल्म एक ऐसे नौजवान की कहानी है जो पहाड़ के अपने छोटे से क़स्बे या मझोले गाँव से जाकर शहर में अपना गुज़ारा करता है। शहर में अपनी प्रतिभा का कोई इस्तेमाल न पा कर और वहाँ के जीवन से पक कर वह एक रोज़ गाँव वापस चला आता है। गाँव में उसकी बीवी है, आठ-नौ बरस का बच्चा है, साली है, पड़ोसी हैं, और गाँववाले हैं, स्कूल के अध्यापक हैं; सभी उस के मुरीद हैं क्योंकि वो शहर से आया है। लेकिन सब चौंकते हैं जब वो कहता है कि वह लौटेगा नहीं बल्कि गाँव के स्कूल में बच्चो को पढ़ाएगा और गाँव के विकास के लिए वहाँ कला केन्द्र खोलेगा। लोग उसकी आदर्शवादी बातों पर हँसते हैं; गाँव की पथरीली सच्चाई दीपक के सपनों पर रगड़ने लगती है। लेकिन यह सब कुछ बहुत हलके-फुलके अन्दाज़ में चलता रहता है।

    एक रोज़ जब वह अपनी कोई कविता यूँ ही बुदबुदा रहा होता है तो उसके फ़ैन उसे लिखकर एक कॉन्टेस्ट में भेज देते हैं और भाई जीत जाते हैं, ईनाम में मिलती हैं एक लाल रंग की ऐसी लुभावनी कार जैसी गाँव तो क्या आस-पास के ज़िले में भी नहीं है। यह कार दीपक का रुत्बे में क्रांतिकारी परिवर्तन लाती है और उसके जीवन दृष्टि में भी, अचानक वह एक अलग ही आदमी के रूप में पनपने लगता है। अपने रुत्बे को बनाए रखने के लिए लोग उसे आसानी से कर्ज़ा देते भी हैं और वो लेता भी है। लेकिन नई हैसियत को बनाए रखने के लिए उसे कार को तमाम तरह के कामों के लिए किराए पर देना शुरु करना पड़ता है, जैसे शादी में ले जाना और जैसे दूध वितरण।

    यह जो मैं बयान कर रहा हूँ यह एक बहुत मोटा घटनाक्रम है। अच्छी से अच्छी फ़िल्मों को भी बहुत ही मरियल कथाक्रम के गिर्द गुज़ारा करते पाया जाता हैं। लेकिन दायें या बायें के कथ्य इतना सघन है कि उस को कागज़ पर लिखना लगभग नामुमकिन है। उसमें हर चरित्र की एक गहरी समझ, एक गहरी चोट एक स्वतंत्र अध्याय की तलब रखती है। हर घटना हमारे सामाजिक जीवन की एक अदेखी खिड़की खोलती है।

    छोटी-बड़ी तमाम घटनाओं के बाद दीपक के सामने कई दुविधाएं आती हैं, जीवन में कई संकट आते हैं, मगर सबसे बड़ी कचोट उस की ये होती है कि उसने अपने बेटे के आँखों में इज़्ज़त खो दी है। तो कार चोरी हो जाने, और साली के गाँव के लफ़ंगे के साथ भाग जाने के बाद, वह बरस्ते अपने बेटे की नज़रों में खोया सम्मान हासिल करने के, वापस अपने आप को हासिल करने में कामयाब सा होता है।

    दायें या बायें नैनीताल के नज़दीक एक गाँव में ४८ दिनों में शूट की गई। इस फ़िल्म की तमाम दूसरी उपलब्धियों के बीच एक यह भी है सिवाय तीन अभिनेताओं के शेष सभी स्थानीय लोगों ने कहानी के किरदार निभाए। फ़िल्म का निर्माण संयोजन और ध्वनि संयोजन बहुत रचनात्मक है, और कैमरा दिलकश।

    लेखक, सम्पादक, निर्देशक: बेला नेगी
    निर्माता: सुनील दोशी
    कैमरा: अम्लान दत्ता
    ध्वनि: जिसी माइकेल
    मुख्य कलाकार:
    दीपक डोबरियाल,
    मानव कौल,
    बद्रुल इस्लाम,
    भारती भट्ट

 

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