प्रेस विज्ञप्ति
प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुन्दरलाल बहुगुणा ने लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी की नई विडियो एलबम ‘‘सलाण्या स्यालि’’ का विमोचन 28 जून 2010 को देहरादून में किया। ‘‘सलाण्या स्यालि’’ हिमालयन फिल्म की एक नई प्रस्तुति है, इसमें आठ गीत है। इस वी.सी.डी. में एक गीत गैरसैण के ऊपर है तथा यह उत्तराखण्ड की स्थायी राजधानी के ऊपर राजनैतिक पार्टियों के ढुलमुल रवैये पर तीखा प्रहार करता है। पहला गीत ‘‘तैं ज्वनी को राजपाठ’’ युवा वर्ग के लिये एक प्रेम-गीत है, दूसरा गीत ‘‘चल मेरा थौला’’ एक मनोरंजक हास्य गीत है। तीसरा गीत ’’बाटु छ सम्बार’’ जीजी स्याली का चुटीला संवाद, लोकशैली में है। चौथा गीत ‘‘स्यकनि ड्यूटि तुमरि’’ सीमा पर तैनात एक फौजी और घर पर उसकी प्रतिक्षारत पत्नी का संवाद है। पाँचवा ‘‘बिनसिरी की बेला’’, पहाड़ों पर सूर्योदय से पूर्व की पहाड़ी गाँव-घरों की गतिविधियों को गीत के रूप में दर्शाया गया है। छठवा गीत ‘‘मिन त सम्झि’’ में मुनष्य की स्वाभाविक प्रवृति माया (प्रेम, लोभ, धन लोलुपना) को एक चंचल स्त्री के रूप में अभिव्यक्त किया गया है। सातवां गीत ‘‘झगुली कंठ्याली’’ जातीय बंधनों के कारण अलग-थलग दो प्रेमियों की व्यथा-कथा है। अंतिम गीत ‘‘तुम भी सूणा’’ उत्तराखण्ड की राजधानी पद दीक्षित आयोग की रिपोर्ट को आधार बनाकर जन आकांक्षाओं के अनुरूप गैरसैण को राजधानी बनाये जाने की वकालत की गई।
इस एलबम की शूटिंग कोट (पौड़ी) छैतोली, तोली, नौटी (चमोली), सुवाखोली, मसूरी आदि रमणीक स्थलों पर हुई। गीतिका असवाल एवं मन्जू सुंदरियाल ने गायन में नेगी का साथ दिया। इस वी.सी.डी. का निर्देशन उत्तराखण्ड के अनुभवी व युवा निर्देशक अनिल बिष्ट ने किया है। मुख्य कलाकार पन्नू गुंसाईं, राजेश जोशी, संजय सिलोडी, मुकेश शर्मा, रजनी ढुकलान, नीलम बिष्ट, पूनम पाण्डेय, नीलम तोमर, सोनू देहाती, गिरीश पहाड़ी, बबीता नेगी आदि हैं।फोटोग्राफर रवि भटट एवं ड्रेस डिजायनर उषा नेगी हैं ।
प्रयोग के रूप में तथा गढ़वाली भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए इस एलबम के साथ नरेन्द्र सिंह नेगी द्वारा लिखे व गाये गए उत्तराखण्डी फिल्मी गीतों की अस्सी पेज की किताब भेंट स्वरूप दी जा रही है। किताब में नेगी द्वारा लिखे व गाये 65 से ऊपर गीतों का संग्रह है। जिसमें चक्रचाल, कौथिग, घरजवैं, छम्म घुंघरू, फ्योलि ज्वान ह्वेगे, बेटी-ब्वारि, जय धारी देवी, बटवारू, मेरी गंगा होली होली मैंमु आलि तथा औंसी की रात उत्तराखण्डी फिल्मों के गीत सम्मलित हैं।
एलबम के बारे में नरेन्द्र सिंह नेगी ने कहा इसमें एक गीत गैरसैंण मुद्दे के ऊपर हैं जिस तरह से दीक्षित आयोग ने अपनी रिपोर्ट में एक लचर छवि प्रस्तुत की है, उससे मैं संतुष्ट नहीं हूं। इस गाने के माध्यम से मैंने लोगो को जागरूक करने की कोशिश की है। मेरे चाहने वालों की लम्बे समय से यह मांग थी की मैं गढ़वाली फिल्मों अपने लिखे व गाये गीतों का एक संग्रह निकालूं। उनकी मांग को पूरा करते हुए ‘‘तेरी खुद तेरो ख्याल’’ नामक फिल्मी गीतों का संग्रह आज आपके हाथों में है। आशा है आपको पंसद आयेगा।
हिमालयन फिल्म के प्रबंध निदेशक अप्रवासी भारतीय एवं मूल रूप से पौड़ी के निवासी रविन्द्र लखेड़ा ने कहा कि कम्पनी का मुख्य उद्देश्य उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति एवं कला का प्रचार-प्रसार करना है तथा स्थानीय लोक कलाकारों को गायन, लेखन, अभिनय व नृत्य के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन का अवसर प्रदान करना है। हिमालयन फिल्म ने पिछले दो साल के अल्प समय में 20 आॅिडयो, 5 डच्3, 8 विडियो एलबम एवं 2 फिल्मों को बाजार में उतारा है। हिमालयन फिल्म उत्तराखण्डी लोक संस्कृति, कला एवं भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए लगातार प्रयासरत रहेगी। आशा है नेगी की ‘‘मायाको मुण्डारो’’ की भाँति ‘‘सलाण्या स्याली’’ को भी श्रोता अवश्य पंसद करेंगे।
दिनांक 28. 06. 2010 (मोहन लखेड़ा)
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