Uttarakhand > Films of Uttarakhand - उत्तराखण्ड की फिल्में

Review Of Uttarakhand Movies/Albums - उत्तराखंडी फिल्मो की समीक्षा

<< < (2/3) > >>

Parashar Gaur:
one suggestion

I know it easy not is task but.. if u want to make review of a film than u have to have some knowledge person who knows about the depth of film.. he can give his imparsal thoughts on it  . I am not in favour of  any body write an write up about the film

parashar gaur

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Sir,

I fully agree with your views. The person who review any film should have depth knowledge into related field.

But our basic idea here is to generate some awareness / interest amonst about people about UK’s movies. What we have observed several times, people even do not know the name of some of popular movies.

By putting videos, photos, and writing story of any movies, people would like to buy them from market. However, we would not write any critic here and would give the cost and story details only. Unfortunately, UK’s people are crying for a regional film industry since long but Govt is mute on this subject.

When we will have a industry some learned people will do the reviewing work of movies like Hindi Cinema.. ha ha.. sir. This seems to be just a dream.

This was the only basic idea behind opening this thread. 



--- Quote from: parashargaur on January 21, 2009, 01:28:34 PM ---one suggestion

I know it is not is task but.. if u want to make review of a film than u have to have some knowledge person who knows about the depth of film.. he can give his imparsal thoughts on it  . I am not in favour any body write an write up about the film

parashar gaur

--- End quote ---

Anubhav / अनुभव उपाध्याय:
गौरा..
     
     एक राजनैतिक व्यंगात्मक फ़िल्म है. जो गौरा के इर्द गिर्घ घुमती है !  गौरा मेरे पहाड़  की नारी का प्रतीक है राजनेता और राजनीती कितनी नीचे गिर गयी की वो अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी कर सकती है..  गौरा उसी घिनौनी राजनीती का शिकार होती है   !   इस में जोड़े सबी तंत्र  जैसे एम् पी,  विधायक  जो राज सता के प्रतीक   बिलोक का बी डी ओ  व चोकी का पटवारी जो सरकारी तंत्र का प्रतीक है ! पंचम गौं का छोड़ भया नेता जो अपनी स्वार्थ  के लिए लूथी जैसे गरीब को अपना सिकार बना कर उनकी बनी बनाई जिंदगी को उजाड़ देते है !

     लूथी ने बिलाक से बैलो को खरीदने के लिए ६००० रुपये कर्जा लिए थे किसी कारन वो उन रुपये को वापस नही दे पाया ! गौं का पटवारी रबीदत्त विधयाक चट्टान सिंह का साल पंचुमु और बिलाक का बी डी ओ भवानी दत्त तीनो  मिलकर लूथी  की घरवाली गौरा को चौकी में बुलाते है..  उसके साथ घिनौनी  हरकत कर उसे मार कर पेड पर लटका देते है ताकि ये साबित हो जाए की गौरा ने "फांस"  खाई  है ना की उसको किसे ने मार है !

    पुलिस लूथी को सक के बेस पर बहुत तंग करती है. इसी बीच गौं का एक नौजवान  अजय जो गडवाल विश्व विधालय में ला कर रहा है जो छात्र संघ का अध्यक्ष भी है , उसे पत्ता चलता है की असल में दोषी वो नही  बल्कि रबिदुत्त , भवानी दत्त और पंचुमु है वो पुलिश से उनको पकड़ने को कहता है एसा न करने पर गडवाल बंद करने व आन्दोलोँ की धमकी देता है.. इधर एम् पी मथुरा दास और विधायक चटान सिंह में आपस में राजनीतिक रंजिश को लाकर रसा कस्सी चलती रहती है.. दोनों एक दुसरे को नीचा देखने के लिए कोई भी मौका हाथ से नही जाने देना चाहते !

   जब मथुरा दस को पता चलता है की चटान सिंह का साला इस केश में सामिल है बस फिर तो मथुरा दास  चटान की राजनैतिक हत्या करने पर जुगाड़ में अपनी गोटिया बीटाने में लग जाता है !  इधर भवानी दत्त मथुरा दस के पास पहुंचकर अपने को बचाने के लिए कहता है मथुरा दास उसे वो सरकारी गवाह बनाकर चटान को घेरने का पूरा पूरा खेल सुरु कर देता है  चटान चुप चाप सब कुछ देखता रहता है और सोचता है काश मथुरा दास की उस चाल की कोई काट की कोई जुगाड़ उसे मिलजाए की तभी मथुरा दस का लड़का भुवन जो कालेज में पड़ रहा है अब उसकी गर्ल फ्रेंड त्रिप्ती , जो कभी अजय की दोस्त होअया करती थी  वो उसके बचे की माँ बन जाती है  ! भुवन को जब पत्ता चलता है तो वो अपने दोस्त के कहने पर उसके अबोर्सशन के लिए शहर की जानी मानी डाक्टर इंदु जो की चटान सिंह की बहिन है  के पास जता है .. जब उसे पत्ता चलता है की वो मथुरा दस का लड़का है तो उससे सरे पेपर साइन करवाकर कल आने को बोलती है .. वो चट्टान को फ़ोन कर मिलाने को कहती है ! दोनों मिलते है वो उसे सारे प्रूफ़ देती है ! चट्टान सिंघको तो जैसे संजीवनी बूटी मिलगये थी  वो
मथुरा दास पर उलटा वर करता है  साथ में  धमकी देता है.. की अगर वो कल १० बजे तक उसके पास ना आया तो ये ख़बर वो प्रेस को देदेगा.. ! मथुरा दस उसके पास जाता हीवो  उससे कहता है .. तुम अगर प्रेस में जाते भो तो क्या होंगा?  जायद से जयाद,   दो चार दिन की बदनामी लकिन अगर  पंचुमु वाला केश कोर्ट में गया तो तुम्हरी बादाम के साथ साथ पंचुमु को ता जिन्दगी की सजा भी होसती ही ! और साथ में वो एक सनसनी बात खुलासा चटान सिंह से करता है .. उसके पास सरकारी मकानों के निर्माण  के दौरान उसके घपले की फाइल  जो अजय जो गडवाल विश्व विद्यालया के अध्यक्ष पास से उनको वो जब चाये मंगवा कर लाकर पुलिश में देकर तुमको जेल भिजवा सकता है.  चटान को एक सलाह देता है..  राजनीती में यहे अच्हा होंगा की तुम मरी पीठ खुजलाओ और मै तुमाहरी ! दोनों  आपस में समझोता कर लेते है. साथ में अध्यक्ष को उसके अगेंस्ट जाल बुनकर उसको त्रिप्ती की हत्या  जो कुछ दिन पूरब मथुरा के इशारों पर होई थी उसके के जुर्म में फसाने की कोशश करते है  !   म्क़ठुरा दस उससे भी समझोता करवा ललिता है की वो उसके बारे में अपना मुह बंद रखे  वरना टा जिन्दगी जेल में कटेगी ..!
    कुल मिलाकर  .. कहानी गौरा  को लाकर शुरू होती है .. गौर और उसका मुदा कही  खो  सा जाता  है  सामने आता है घिनौनी राजनीती का घिनौना चेहरा !

Dinesh Bijalwan:
Gaura is  a very nice movie from the Standard of Garhwali CD Films.  It has been directed by Sreesh Dobhal a NSD almuni and written by Brij Mohan Sharma, vetaran Garhwali theatre artist. But the central story belongs to Parashar Gaur and Brij Mohan has build up the script on that.   All the actors specially, Roshan Dhasmana as Mathura Das,  Avadh Kishor Patwal as Luthi and  Madan Mohan Duklan as Chattan Singh  were very impressive.   It was also nice to see old high hillar pals - Ramesh Thangriyal and Ravinder Gudiyal.  This film was screened in the 4th Internationational women film festival held at Delhi under the section- Male voice.
After the screening  Director Sreesh Dobhal had a question answer session with the audience.   Despite of the  limitations of low budget films  this film was definitely  different from   the lot we come across daily.     However, I  had pointed out to Sreesh Dobhalji to review the caption "  It should..........   beginning" as I felt   that a  car  is just coming to run over the hero and finish every thing in the last scene.    Thanks to parasarjee, Sreesh Bhai and Brij Mohan... keep on gentlemen...

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:


घोड़ा दान (उत्तराखंडी हास्य फिल्म)
========================

============

कथा:

==============

यह फिल्म किसी अन्धविश्वास के इर्द गिर्द घूमती जो की हास्य nature की है !  इस फिल्म में मुख्य पात्र के रूप में एक पंडित जी है जो की किसी गाव में एक अध्यापक भी है और साथ में पंडित का काम भी करते है ! पंडित की पत्नी का पहले ही स्वर्ग वास हो जाता है ! लेकिन उसका लड़का हो की मंद बुद्धि का है !  लड़का बहुत करीब २५ साल के आस पास है के लेकिन इसकी हरकते ८-९ साल के बचो की जैसी है !

पंडित इस बच्चे को अपने साथ पंडित का काम सिखाने मे ले जाते है के यह लड़का वहां पर सारे काम उल्टा कर देता है जो की हास्यप्रद भी है !

घोड़ा दान का की साजिस

पंडित को अपने ब्रिति का काम करने के लिए पहाडो के बहुत जगह पैदल चलना होता है जैसे वह अपनी उम्र के अनुसार मुश्किल मे पाता है !

पंडित को ख्याल आता है इसके एक जजमान ठाकुर जिसके पास एक घोड़ा है ! पंडित जी साजिस रचते है और उस जजमान से कहते है की उनकी पिता का उनको सपना आया था और उन्हें स्वर्ग मे काफी पैदल चलना पड़ा है जिसे उनकी आत्मा दुखी है !

इसका निवारण अगर वे अपना घोड़ा पंडित को दान कर दे तो उनकी आत्मा को शांति मिलेगी ! ठाकुर राजी हो जाता है और अपनी पिता के आत्मा के शांति के लिए घोड़ा दान कर देता है

अब क्या पंडित और पंडित का लड़का एक एक कुंतल का वजन घोडे की सवारी करते रहते है और बेचारा घोडे का बुरा हाल ! इनकी साजिस की खबर किसी आदमी को पता होती है और वह एक दिन ठाकुर को बता देते है ! ठाकुर घुसे में अपना घोड़ा पंडित से वापस ले लेता है ! और पंडित की बड़ी बेज्ज्यती होती है !

हास्य
====

फिल्म में कई जगह पर पंडित के कार्य और षडयंत्र हास्यप्रद है और साथ ही उसके मंद बुधि लड़के है !

STAR = ***

Navigation

[0] Message Index

[#] Next page

[*] Previous page

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 
Go to full version