Poll

Should there be an exclusive TV Channel for Uttarakhand

There should be a Whole time channel
46 (90.2%)
There should be aPart time channel
4 (7.8%)
There should be no channel for Uttarakhand
0 (0%)
Existing channels should give more time to Uttarakhand
1 (2%)

Total Members Voted: 51

Author Topic: Uttarakhand Film Industry - कब बनेगी उत्तराखंड की फ़िल्म इंडस्ट्री एव टीवी चैनल  (Read 79445 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sir,

In order to promte our culture further, the need of TV Channel and a registered film industry quitessesional. We have been cursing the Govt for this, there are Pvt Media Company which come foward and they can launch a regional TV Channel.

There is enough stuff for the new channel in cultural. After having been launching the channel, many people would come into this field. I am sure a lot of Uttarakhandi can also get some kind of employment there.


At present E TV and TV 100 are covering Uttarakhand. Uttarakhand has no TV channel of its own. The culture of Uttarakhand is so rich that it requires a whole time channel. This will benefit the people in many ways. Uttarakhandies would be learning their own language- Kumaoni and Garhwali. Presently most of the Uttarakhandies use Hindi in day today conversation. The sense of pride in speaking our own dialect is missing. TV would give our dialects a respectability. Hence there should be a whole time channel for Uttarakhand. To begin with a Part-time channel can be started and with the times the same could be developed as a full-time channel.

Parashar Gaur

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उत्तरांचली या उत्तराखंडी फिल्मो का अशतित्वा ...

         मुझे से बार बार एक सवाल किया जाता रहा है की आप तो इस इंडस्ट्री के जनमदत्ता है बताये की कब बनेगा हमारा रेगिनल सिनेमा ?  कब आयेगा ये आस्थितवामे ?  कब बनेगी हमारी फ़िल्म इंडस्ट्री ?  काश में भविष्य बगता होता तो साफ साफ कह देता की अमुक दिन अमुक साल में हमारी इंडस्ट्री का स्वरुप बनकर   आप के सामने आजायेगा !  कब बनेगा ये तो नही कह सकता लकिन क्यों नही बन पा रहा है  बिषय पर चर्चा बिस्तार से करूंगा  इस से पहले  .......
     
   एक कहावत कहूंगा जिसे मै शुरू से कहा रहा हूँ  " बाँझ औरत से आप बच्ये के उम्मीद कैसे कर सकते हो ? "
     मैंने बाँझ औरत का शब्द क्यूँ इस्तमाल किया और किस के  लिए किया इसे आप सब भली भांति जानते है समझते है !

     आंचलिक सिनेमा को आज पुरे २५ साल होने को आगये है येसा भी नही की इसमें काम नही हुआ हो ! इस दौरान इस में कई फिल्म भी बनी  !  कई प्रोड्यूसर पैदा होये  ! कई कलाकार पैदा हुए !  कईयो को रोजी रोटी मिली  ये सब कुछ हुआ  पर ,  जो होना था ओ नही हो पाया याने उसकी फिल्मी नक्शे पर अपनी एक अलग से एक पहिचान जिसे हम उत्तराखंडी या उत्तरांचली सिनेमा के नाम से जान ते है  !

   

Parashar Gaur

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Thank u
Mehersahib  Mehtaji and anuvabji for encougaing me to learn and type in Hindi. I amtrying and started writting and also post too.
with rgds
parashar

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तरांचली या उत्तराखंडी फिल्मो का अशतित्वा ...

         मुझे से बार बार एक सवाल किया जाता रहा है की आप तो इस इंडस्ट्री के जनमदत्ता है बताये की कब बनेगा हमारा रेगिनल सिनेमा ?  कब आयेगा ये आस्थितवामे ?  कब बनेगी हमारी फ़िल्म इंडस्ट्री ?  काश में भविष्य बगता होता तो साफ साफ कह देता की अमुक दिन अमुक साल में हमारी इंडस्ट्री का स्वरुप बनकर   आप के सामने आजायेगा !  कब बनेगा ये तो नही कह सकता लकिन क्यों नही बन पा रहा है  बिषय पर चर्चा बिस्तार से करूंगा  इस से पहले  .......
     
   एक कहावत कहूंगा जिसे मै शुरू से कहा रहा हूँ  " बाँझ औरत से आप बच्ये के उम्मीद कैसे कर सकते हो ? "
     मैंने बाँझ औरत का शब्द क्यूँ इस्तमाल किया और किस के  लिए किया इसे आप सब भली भांति जानते है समझते है !

     आंचलिक सिनेमा को आज पुरे २५ साल होने को आगये है येसा भी नही की इसमें काम नही हुआ हो ! इस दौरान इस में कई फिल्म भी बनी  !  कई प्रोड्यूसर पैदा होये  ! कई कलाकार पैदा हुए !  कईयो को रोजी रोटी मिली  ये सब कुछ हुआ  पर ,  जो होना था ओ नही हो पाया याने उसकी फिल्मी नक्शे पर अपनी एक अलग से एक पहिचान जिसे हम उत्तराखंडी या उत्तरांचली सिनेमा के नाम से जान ते है  !

Thank for your views. Now the issue is that how to move ahead. It has been over 25 yrs, our Cinema has not been able to do any siginificant progress.

   


Parashar Gaur

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जैसा मैंने पहले भी कहा की आंचलिक सिनेमा में यदपि सब कुछ हुआ जो होना चाहिया था !  पिक्चरै बनी  कलाकार पैदा होए ! एक माहोल बना ! लोगो का हौसला बड़ा ! बाबाजुद इसके हमारा सिनेमा आगे बदने के वो
घुटनों के बल रेगानेलगा ! हालत आज ये होई की वो दम तोड़ता नजर आ रहा है ! जबकि वोसे अपने इस २५ बर्ष की भरपूर जवानी में अपनी पूरी योवन पर आजाना  चाहिए था !  सन ८३ से लाकर और आज सन  2008 तक के इसके सफ़र पर नजर डाले तो बहुत सारी कमिया  नजर आयेंगी  !  सबसे बड़े रोड जो मुझे नाजेर आया  वो है 
 
 १  बोली/  भाषा का अंतर का होना .....
 हमारे राज्य की हर जिले के हर ५ कोस पर बोली भाषा में बदलाव की कारन लोगो को पिक्चर की बर्तालाप समजने में अच्ही खासी दिकत होती है जिस की कारन इसको बादावा नही मिलता ! लोग इसे स्वीकारते नही
और पिक्चर दम तोडदेती है

२  अच्ही स्क्रिप्ट  का न होना
 
  पिक्चर सब बनाना चाहते है और बना रहे है लेकिन बिना अपनी आस पास की घटती कहानी से दूर रहकर !
उन को सोचना चाहिए की फ़िल्म की सबसे पहली मजबोत नींव होती एक अच्ही कहानी व एक अच्छे स्क्रिप्ट ! हो क्या रहा है बिना मेहनत बिना सोचे समझे वही पुराने मुम्बे पिक्चर के नक़ल करके पहाडी याने गड्वाली कुमाउने फ़िल्म बनाई जा रही है  जब आदमी अपने जमीनसे हटकर बहार जायेगा और वहा की ताने बाने  वो डालेगा तो क्या होगा तो नतीजा क्या होगा ये तो सभी जानते है
  आगे  ... और ...भी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जैसा मैंने पहले भी कहा की आंचलिक सिनेमा में यदपि सब कुछ हुआ जो होना चाहिया था !  पिक्चरै बनी  कलाकार पैदा होए ! एक माहोल बना ! लोगो का हौसला बड़ा ! बाबाजुद इसके हमारा सिनेमा आगे बदने के वो
घुटनों के बल रेगानेलगा ! हालत आज ये होई की वो दम तोड़ता नजर आ रहा है ! जबकि वोसे अपने इस २५ बर्ष की भरपूर जवानी में अपनी पूरी योवन पर आजाना  चाहिए था !  सन ८३ से लाकर और आज सन  2008 तक के इसके सफ़र पर नजर डाले तो बहुत सारी कमिया  नजर आयेंगी  !  सबसे बड़े रोड जो मुझे नाजेर आया  वो है 
 
 १  बोली/  भाषा का अंतर का होना .....
 हमारे राज्य की हर जिले के हर ५ कोस पर बोली भाषा में बदलाव की कारन लोगो को पिक्चर की बर्तालाप समजने में अच्ही खासी दिकत होती है जिस की कारन इसको बादावा नही मिलता ! लोग इसे स्वीकारते नही
और पिक्चर दम तोडदेती है

२  अच्ही स्क्रिप्ट  का न होना
 
  पिक्चर सब बनाना चाहते है और बना रहे है लेकिन बिना अपनी आस पास की घटती कहानी से दूर रहकर !
उन को सोचना चाहिए की फ़िल्म की सबसे पहली मजबोत नींव होती एक अच्ही कहानी व एक अच्छे स्क्रिप्ट ! हो क्या रहा है बिना मेहनत बिना सोचे समझे वही पुराने मुम्बे पिक्चर के नक़ल करके पहाडी याने गड्वाली कुमाउने फ़िल्म बनाई जा रही है  जब आदमी अपने जमीनसे हटकर बहार जायेगा और वहा की ताने बाने  वो डालेगा तो क्या होगा तो नतीजा क्या होगा ये तो सभी जानते है
  आगे  ... और ...भी



गौर जी,

धन्यवाद,... मै आपकी विचारो से बिल्कुल सहमत हूँ ! फिल्म के लिए अच्छे स्क्रिप्ट होने चाहिए! अभी उत्तराखंड का संगीत केवल vcd तक ही सीमित है! काफी जगह है जहाँ अभी तक सिनेमा हाल नही है.

Thanx once again sir.

हेम पन्त

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सर आपने बहुत सही बात लिखी है. इस समय फिल्मों के लिये ऐसी भाषा विकसित करने की जरूरत है जो समझने में आसान हो और क्लिष्ट शब्दों से बचा जाये. इसी आधार पर कुछ म्युजिक एलबम बाजार में आये और उन्हें सफलता भी मिली.

मेरे ख्याल से अनुभवी और समझदार लोगों को उत्तराखण्डी फिल्मों में रुचि लेनी चाहिये. अगर इस समय फूहङ और बेहूदा फिल्मों को हतोत्साहित नहीं किया गया तो सब कुछ हाथ से निकल जायेगा.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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FACTS ABOUT FILM INDUSTRY IN UTTARAKHAND

ENTERTAINMENT TAX
1. Since Formation of new State on 09.11.2000  @ 100 %
2. From 12.07.2002                                       @ 60 %
3. From 25.04.2008                                       @ 40 %

CINEMA MAINTINENCE FUND
From 09.11.2000                        @ Rs. 1.50 Per Ticket
From 08.01.2004                        @ Rs. 3.00 Per Ticket

FILM DEVELOPMENT FUND
From 09.11.2000                        @ Rs. 0.50 Per Ticket


Dr Verma who is chairman of Uttaranchal Film Chamber of Commerce has provivded this information.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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The second issue is of 24 hrs TV Channel. Recently a Bhojpuri Channel "Mahuwa" has been launched. We also require similiar kind of channel to promote the films / music further. Presently ETV is only covering news and a few programs of UK.

Risky Pathak

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सर इसके लिए सभी अनुभवी लोगो को संगठित हो कर इस दिशा में एक नया कदम उठाना होगा|

ओर स्क्रिप्ट ऐसी हो कि फ़िल्म देखने के बाद भी लोगो के जेहन में देर तक रहे|

 

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