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कनाडा-अमेरिका तक फैला उत्तराखंड का 'मैती' आंदोलन

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Dosto,

This is yet another movement like Chipko to save the environment. It really nice to see the awareness of people for environment.

M s Mehta

कनाडा-अमेरिका तक फैला उत्तराखंड का 'मैती' आंदोलन

 नैनीताल। कनाडा के युवा अब अपनी सगाई और जन्म दिन पर एक दूसरे को उपहार देने की बजाय धरती को एक पौधे का उपहार देना बेहतर मान रहे है। अमेरिका, इंग्लैंड, थाइलैंड व नेपाल में भी हजारों लोग भावनात्मक रूप से विश्व के इन अनूठे पर्यावरणीय अनुष्ठान में जुटे हुए हैं। ऐसे में आंदोलन का प्रणेता भारत भी क्यों पीछे रहे, यहां 12 राज्य इस अभियान में शरीक है। सबसे खास बात यह कि अभियान का 'मैत' यानी मायका उत्तराखंड में है जहां 12 वर्ष पूर्व एक जीव विज्ञान प्रवक्ता ने 'मैती' नाम से इस आंदोलन की शुरूआत की थी।
   'मैत्री' आंदोलन के प्रणेता व वर्तमान में राज्य पर्यावरण शिक्षा के राज्य समन्वयक कल्याण सिंह रावत गुरुवार को नैनीताल में थे। यहां 'जागरण' से एक विशेष भेंट में उन्होंने बताया कि वह राज्य के अनूठे 'चिपको आंदोलन' से गोपेश्वर में पढ़ाई के दौरान रूबरू हुए। इस आंदोलन से पेड़ों के कटान पर तो रोक लग गई पर गढ़वाल में कई जगह वृक्ष रहित नंगी चट्टानें देख मन विचलित हो उठता था। 1995 में ग्वालदम में विशेषकर महिलाओं को भावनात्मक रूप से पौधे लगाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से उन्होंने 'मैती' आंदोलन प्रारंभ किया। इसके तहत गांव की हर बेटी अपने दूल्हे के साथ डोली में विदा होते समय अपनी मां को एक पौधा सौंपती है। दूल्हा गांव की लड़कियों को जूते छिपाने की रस्म के बदले पौधे की देखभाल के लिए पैसे देता है। इस धनराशि से गांव की गरीब लड़कियों की मदद भी की जाती है। बेटी के विदा होने के बाद मां व गांव की लड़कियां उसकी स्मृतियों को चिरस्थायी रखने के उद्देश्य से पौधे की आजन्म देखभाल करती है। आंदोलन का प्रभाव अब 6 हजार गांवों में विकसित हुए वनों के रूप में दिखाई देने लगा है। रावत बताते है 1997 में कौसानी में एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संगोष्ठी आयोजित हुई जिसमें उपस्थित कनाडा की पूर्व प्रधानमंत्री व तत्कालीन वित्त मंत्री फ्लोरा डोनाल्ड इससे बेहद प्रभावित हुई। उन्होंने इसे वहां शुरू किया, फलस्वरूप कनाडा आज इस अभियान की सफलता में प्रथम स्थान पर है। बीबीसी के अलावा विश्व की जानी-मानी पत्रिका टाइम्स में भी 'मैती' को स्थान मिला। नेपाल में अब अपने 'मैती' संगठन हैं। इंग्लैंड सहित अन्य देशों में भी आंदोलन सफलता के साथ चल रहा है।

[Saturday, October 06, 2007 3:22:54 AM (IST) ]

हेम पन्त:
"Maitee" paryavaran ko bachane ke liye Uttarakhandiyo ki ek aur anoothi pehal hai......Thanx for the news update Mehta ji

Anubhav / अनुभव उपाध्याय:
Kamaalki news dhoondh ke laae ho Mehta ji.

sanjupahari:
sach main yeto muzhey bhi nahi pata tha,,,,jai hoo mehta jew aapki

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

We feel there is need of to pay attention towards saving our environment. Hills are getting naked by high rate of deforstaton resulting a lot of problem.

The chipo andolan was foums worlwide simiarly, we should make people aware about the importance of trees. 



--- Quote from: sanjupahari on October 07, 2007, 12:55:01 PM ---sach main yeto muzhey bhi nahi pata tha,,,,jai hoo mehta jew aapki

--- End quote ---

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