Author Topic: होली मिलन एवम सांस्कृतिक सैर - सपाटा 2010 (अबु धाबी - एक रिपोर्ट)  (Read 7581 times)

Barthwal

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होली मिलन एवम सांस्कृतिक सैर - सपाटा 2010 (19 मार्च 201)- यू ए ई ग्रुप द्वारा आयोजित्

शुरुआत एक वीडियो से
http://www.facebook.com/video/video.php?v=1401768729324#
चित्रो के लिये या तो आप मेरे ब्लाग  http://merachintan.blogspot.com/2010/03/2010_26.html
या फिर फेसबुक में
http://www.facebook.com/album.php?aid=2056252&id=1385517958
http://www.facebook.com/album.php?aid=2056808&id=1385517958
http://www.facebook.com/album.php?aid=2056819&id=1385517958


मारे उत्तराखंड के गाँवो में हम सुबह में रंगों के साथ होली खेलते हैं और शाम को हम अपने दोस्तों / रिश्तेदारों को मिलने जाते है या फिर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोज़न करते है होली मिलन के रूप में। उसी संदर्भ में दुबई, शारजाह और अज़मान  से उत्तरांचली/उत्तराखंडी समुदाय के लोगो ने अबु धाबी का का दौरा किया "मिलन और सांस्कृतिक सैर-सपाटा"(19मार्च 2010). इसका प्रमुख मकसद अबु धाबी - अल-अईन तक अपने परिवार का विस्तार- और हमारी सांस्कृतिक पहचान का प्रदर्शन था। कार्यक्रम सफल रहा भागीदारी और सांस्कृतिक प्रदर्शन के रूप में। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण भाग इस कार्यक्रम का रहा हर सदस्य का उत्साह। यह आयोज़न हमारे उद्देश्य को अलग स्तर पर लेकर गया और साथ साथ ही भविष्य के लिये उच्च स्तर के कार्यक्रमो के लिये उम्मीदे।

8 बजे सुबह् काफिले की शुरुआत हुई अज़मान से। श्री सुरेन्द्र दत्त गौदियाल एवम श्री संजय पटवाल के समन्वय के तहत बस और निजी कार में सवार होकर 25 मित्रो ने अबुधाबी(200 किलोमीटर) के लिये सफर शुरू कर दिया. शारजाह और दुबई (ज़बील पार्क) से काफिले मे और लोग जुडे जिससे 80 सीटो वाले बस पर पूरी तरह से कब्जा हो गया था उनके अलावा सदस्य निजी कारों में भी शामिल। फिर इंटरनेशनल सिटी, दुबई से 20 लोग इस काफिले मे जुडे ढोल दमाउ के साथ शामिल हुये। काफिले की संख्या 125 तक पहुँची और सब(बस और निजी वाहनो के साथ) अबु धाबी के लिये रवाना हूये। अपनी संस्कृति प्रेम के लिए टीम का उत्साह और  समर्पण देखते ही बनता था। महिलाओं (खासकर श्रीमती विमला रावत, श्रीमती गीता चंदोला, श्रीमती उमा गोदियाल एवम श्रीमती चमोली) और पुरुष(सल्वार कुर्ते, खादी की वास्क्ट और उत्तराखंडी टोपिया पहने) कोई भी इसमे पीछे नही था। पंडित श्री दिनेश कुकरेती जी ने टोपीयो का इंतज़ाम किया था दिल्ली से जिसे श्री भूपेन्द्र रावत जी ने अपने माता-पिता जी के दुबई आने का कार्यक्रम को आगे करके दुबई में इस मिलन से एक दिन पहले लाने की व्यवस्था की। इसी प्रकार श्री लक्षमण सिंह जी व श्री आनन्द ऎरे जी मौजूद रहे जितना संभव हो सका जबकि उन्हे दुबई एअरपोर्ट पहुंचना था। श्री धर्मेन्द्र सिंह नेगी जी एवम श्री अतुल रावत जी भी पहुंचे परिवार सहित, अपने पहले से तय कार्यक्रम को समाप्त करने के बाद। श्री बीरबल भंडारी जी के बच्चे की तबियत खराब होने के बावजूद वे मौजूद रहे कार्यक्रम मे। इसी तरह श्री नवीन पोखरियाल, रुईस (लग्भग 300 कि.मी.) से पंहुचे। लिस्ट बहुत लंबी है लेकिन सभी लोगो का समपर्ण सराहनीय है।

श्री विनोद जैथुडी और श्री दीप नेगी जी ने ढोल दमाउ की व्यवस्था की हमारी परंपरा और सांस्कृतिक छबि को महसूस करवाने के लिये। सांस्कृतिक दल के महसूस जोड़ने के 18 सदस्यों ने मिलकर इस मिलन के लिये पिछले 3 सप्ताहांत में अभ्यास किया इससे उनकी गंभीरता का पता चलता है और परंपरा एवम  संस्कृति से जुडाव का। यंहा तक कि यात्रा शुरु होते ही बस मे सभी अभ्यास करने लगे और अन्य लोग आनन्द ले रहे थे।

आबु धाबी पहुंचने बस से उतरते ही पंडित जी(श्री दिनेश जी) ने हल्दी का टीका किया दुबई के अतिथियो का परंपरा अनुसार। दुबई से आये साथियो ने पारंपरिक पोशाक व ढोल दमाऊ को बज़ाते हुये पार्क में प्रवेश किया।  पूरा पार्क लग रहा था कि देव भूमि के रंग में रंग गया। मेज़बान (आबुधाबी के उत्तरांचली/उत्तराखंडी मित्रो) मित्रो ने अपने मेहमानो का गर्मजोशी और परंपरा के अनुसार स्वागत किया जो कि 100 से अधिक संख्या में मौजूद थे और तीन घंटे पहले से पार्क में मौजूद थे इस कार्यक्रम की तैयारी के लिये। श्री प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल जो कि धोती कुर्ता में थे, श्री जय किरत सिंह  राणा,श्री बीरबल भंडारी,श्री जगदीश नौडियाल, श्री सुरेश थप्लियाल, श्री पांडे जी, श्री श्रीवास्तव जी (सभी परिवार सहित) सबने मेहमानो का स्वागत किया तिलक और जुन्द्याल के साथ्। इसके उपरांत  आये हुये मेहमानो ने मेज़बानो को टोपिया भेंट की।

दोनों(मेज़बान एव मेहमान) टीमो ने क्रिकेट, रस्सा-कशी और पिठ्ठू खेलो का आनन्द लिया। रस्सा-कशी तीन श्रेणियो मे खेला गया - पुरुष, महिलाएं और बच्चे। जिसमे पुरुषो मे अबु धाबी ने 2-1 से जीता, महिलाओ एवम बच्चो मे मुकाबला 1-1 से बराबर रहा। पिठ्ठू  और क्रिकेट संयुक्त रूप से खेला गया और सबने मज़ा लिया। इस बीच आगंतुकों को पकौडे(उडद की दाल से बने)परोसे गये जो कि उत्तरांचल की एक और परंपरा है हर शुभकार्य मे बांटने की। शाकाहारी(मसालेदार सब्जिया) बार-बी-क्यू (आये हुये मेहमानो द्वारा तैयार किया हुआ)  बनाने में श्री अनिल सिल्सवाल, श्री सुरेश थपलियाल्, श्री राणा जी(मुसाफा), श्री संजय पेटवाल जी ने अहम भूमिका निभाई। यह भी एक समन्व्यता का उदाहरण था।

खेल और नाश्ता करने के बाद यह दोपहर के भोजन का समय था। सभी मेहमान लोग आश्चर्यचकित थे घर के बनाये हुये खाने को देखकर और खाकर जिसे अबु-धाबी परिवार ने तैयार किया था। पुलाव, राज़मा, आलू गोभी, सलाद, रायथा, खुबश(अरेबिक रोटी) और गुलाब जामुन इसके खाने के व्यज़न शामिल थे। श्रीमति जय किरत सिंह राणा एवम श्रीमति बमराणा जी का विशेष धन्यवाद जिन्होने भोजन व्य्वस्था में प्रमुख योगदान दिया।

जब सांस्कृतिक कार्यक्रमों की बारी आयी तो सभी सद्स्य  एक सर्कल में बैठे और मध्य मे  प्रदर्शन के लिए स्थान रखा गया था. श्री जगदीश नोडियाल जी ने अबु धाबी परिवार की ओर से आगंतुकों को धन्यवाद दिया तथा श्री प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल जी ने सांस्कृतिक कार्यक्रमो की सूचना एवम  विवरण दिया वंही श्री दीपक ध्यानी जी बताया और समझाया इस मंच और समूह के मकसद/उद्देश्य के बारे में तथा अगले महीने होने वाले भाषा - वर्कशाप के बारे में जानकारी दी।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत हुई छरोली टोली के आगमन से जिसमें श्री नंदु गौदियाल जी ने पारंपरिक छरोली टोली की शैली में कपड़े पहनकर नृत्य किया। पारंपरिक नृत्य थड्या  गीत पुरुषो और महिलाओ ने मिलकर गाया व झुमेलो पर नृ्त्य किया। दो सामूहिक गीत गाये गए जिसकी प्रमुख थी श्रीमति विमला रावत। श्री दीपक जखमोला व अरुण मंमगाई ने नौछमी नारायण गाया तथा श्री संतोष राणा ने मेरी "डाडियू काठियो..." गीत गाकर शमा बाधां।  ढोल और दमाउ की थाप पर फिर सभी थिरकने लगे और गाने लगे जिसमे प्रमुख थे "ज़ागर" व "बेडू पाको बारामासा"। ये एक बहुत ही सुंदर सांस्कृतिक कार्यक्रम रहा सही मानो में व साथियो का प्रर्दशन काबिले तारिफ। सबने मस्ती मे ज़मकर नृत्य किया और  देव भूमि को महसूस किया।

तपस्या रावत व अनुज़ा राणा ने बडे होने का फर्ज़ निभाया। सभी बच्चो को पेंटिग के लिये बैठाया और अपने भावो के अनुसार पेंटिग करने के लिये तैयार किया। पेंटिग मे तीन पुरुष्कार दिये गये दो वर्गो मे - एक 5 साल से नीचे व उपर। चार महिलाओ को सही मानो में उत्तरांचली/उत्तराखंडी वेशभूषा के तहत पुरुष्कार दिये गये। उसके बाद सभी मौजूद बच्चो को किट-केट बांटे गये।

अंत मे शाम को सभी ने एक दुसरे से विदा ली एक सुंदर अहसास के साथ और नये मित्रो को मिलने की खुशी के साथ।इस व्यवस्था मे आबुधाबी के सभी मित्रो ने अहम भूमिका निभाई जिसमे से प्रमुख है श्री ल़क्षमण  सिंह् बिष्ठ, श्री जय किरत सिंह राणा, श्री संजय बमराणा, श्री जगदीश नौडियाल, श्री सुरेश थपलियाल, श्री बीरबल  भंडारी, श्री प्रमोद कुमार, श्री सुनील पांडे, श्री विपिन श्रीवास्तव(फोटोग्राप्फी एवम वीडियो), श्री संतोष राणा, श्री गणेश रानाकोटि, श्री कृपाल सत्यपाल और श्री प्रतिबिम्ब बंडथ्वाल। श्री एस.एम.चमोली जो कि सबसे पुराने उत्तरांचली/उत्तराखंडी है संयुक्त अरब अमीरात में, ने कार्यक्रम में अपनी उपस्थित दर्ज़ करा कर समूह के प्रति  अपनी प्रतिबद्धता का परिचय दिया। हम सब संयुक्त अरब अमीरात मे रहने वालो उत्तरांचल/उत्तराखंड के लोगो के लिये अपनी पहचान और संस्क्रति के लिये यह एक नई शुरुआत है, और हम गर्व से कह सकते हैं कि इस मिलन के बाद हम अपने समुदाय की एकता और कारणो के लिए सचमुच गंभीर है।

- प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल
टीम यूएई ग्रुप

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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अबुधाबी में मची होरी की धूम
Wah Barthwal ji bahut badiya, jahan bhi rahain devbhumi ki sugandh jarur aani chahiye,

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sir,

Thanks for sharing these photos and video here. Hat off for all who are doing great work to sustain our culture.

Jugraj Raya… sab log.

Barthwal

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शुक्रिया मेहता जी एवम पांडे जी

Ravinder Rawat

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हेम पन्त

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प्रवासी उत्तराखण्डियों के बीच अपनी संस्कृति को बचाये रखने का बड़थ्वाल जी और उनकी टीम का यह प्रयास बहुत प्रशंसनीय है.

बड़थ्वाल जी कृपया यहाँ कुछ फोटो और वीडियो वगैरा भी उपलब्ध करवाइये. 

पंकज सिंह महर

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यह प्रयास अतुलनीय और अनुकरणीय है, अपनी संस्कृति के संरक्षण का इससे अच्छा उदाहरण मैने आज तक नहीं देखा।

जय उत्तराखण्ड।

Barthwal

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शुक्रिया सभी मित्रो का। पन्त जी लोड करना थोडा मुस्किल सा है इसमे पटल पर एक दो बार कोशिश की लेकिन हो नही पाती। इसी लिये फेस्बुक मेम तीन एल्बम का लिन्क दे दिया था..कोई आसान सा तरीका बताये लोड करने के लिये या आप एल्बम से कर सक्ते है तो अनुमति है... जय हो!

हेम पन्त

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आदरणीय बड़थ्वाल जी की अनुमति से मैं कुछ फोटो यहाँ डाल रहा हूँ..


हेम पन्त

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उत्तराखण्ड वालों का ... ढोल बजने लगा..


 

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