Author Topic: Forgotten Pahadi Hilarious Sayings / भूले बिसरे पहाड़ी ठहाके  (Read 20933 times)

Anil Arya / अनिल आर्य

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एक संस्मरण . चैत्र महीने को काला महिना भी कहते है .
"मै पडछियो ११ मै . मैली धारी, जिला- नैनीताल का नजदीक नौलाखन मै डीयर ली रै छि .  मियर दोस्त ली २ पेट चैत हुनि मै थाई पूछी कि  हो अनिल दा य महीन क नाम की छ ? . मैली कौ यार भीमराज यो बेयी बै चैत लागी गया त्वे कै ततुक ली पत्त नै थै  . बस ततन कण भिमराजेली मियर लुकुद  उधेड़/फाड़ी  बेरी औरी बात करी दी हो महाराज . मै ऐब खैब रै गयो . मै कै कारन पत्ते नै ." यक्के पैजाम छि हो महाराज बस नाड़े नाड बची .. हा हा हा !!!
जहा मेरा डेरा था वह पर ७ गते तक  चैत्र महीने का नाम लेने पर कपडे फाड़ देने कि प्रथा है .

Hisalu

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Haha.. Mast hai daajyu

एक बचपन की बात ये भी है मेरे साथ -जब में कक्षा २ में पड़ता होगा
हमारे गांव में एक प्रा. स्कूल है जहा पर हम लोग पड़ने जाते थे तो रास्ते में एक माकन के दिवार में लिखा था                           "पाप से डरो लेकिन पापी से नहीं"
जिसका अर्थ है पाप करने से डरो लेकिन पाप करने वाले लोगो से नहीं
लेकिन हम लोग उसका अर्थ उसका ही बिपरीत समझा करते थे उसका अर्थ हम - 'पापा से डरो लेकिन मम्मी से नहीं' समझा करते थे  सोचते थे इसलिए तो लोग अपनी मम्मी से कम डरते  है और पापा से ज्यादा  आखिर ये सब बचपन की अकाल  है जब कभी याद आती है तो  अकेले में भी हसने का मन करता है

Hisalu

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:)

मेहता जी थोकदार की एक बात और भी तो है ----
एक बार जब थोकदार जी हल जोतने के लिए सुबह उठे तो उनको लगा की आज में जल्दी हल जोत लेता हूँ
और जल्दी  कम निपट जायेगा 
थोकदार बैलो को खोलने के लिए गोठ में गया तो उसे  जल्दी बाजी में  दोनों बैलो को खोलने के बदले एक गाय और एक बैल को खोल कर ले गया
जैसे ही खेत में पहुचा तो उनकी घर वाली ने आवाज लगा कर बोला अरे
        तुम जस जे  यां रे गेए
        और म्यर जस  जे तां
तब जाके थोकदार को लगा की उसने बैल की जगह में गाय जो खेत जोतने के लिए ला गया और वह गाय को वापस badh कर आ गया और बैल को खोलकर हल जोतना सुरु किया
                                                    जल्दी करो पर जल्दी बाजी नहीं 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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लोक बाराखड़ी
लोक बाराखड़ी प्रस्तुति : दिग्पाल सिंह नेगी

क - कंचनी डाळी कु वासुनि कन।
ख- खाते पीते राम भजन।
ग- गंगा जी मा स्नान कन।
घ- घरों-घरों की बात नि सुण।
ङ्- गंगा जी गन्दी नि कन।
च-चंचल नारी कू संग नि कन।
छ- छलिया मुख की बात नि सुण।
ज- जंगलू मा वासु नि रैण।
झ- झूठि मुटी बात नि करण।
ञ- येनी बात कैमू नि बोलण।
ट- टम्का पैस गांठि मा रखण।
ठ- ठगा आदिम दगड़ी सौदा नि कन।
ड- डगड्यनी ढुंगी मा खुटो नि रखण।
ढ- ढवाली बात कभी नि कन।
ण- णखदि नरमी कु वास नि कन।
त- ताता रोस मा झगड़ा नि कन।
थ- थता थुमा सब दगड़ी कन।
द- दया धर्म सदा रखण।
ध- धरती माता की सेवा करण।
न- नकली बात कभी नि बोन।
प- पढ़ण-लेखण पर ध्यान देण।
फ- फंचा आदिम की बात सुण।
ब- बांगी लकड़ी कांधी मा नि रखण।
भ- भरियाँ भवन की चोरी नि कन।
म- मंगण आदिमू की बात नि सुण।
य- यनि-यनि बात मन मा रखण।
र- राम नाम सदा भजण।
ल- लंगी लंगी डाळी कू टुक नि काटण।
व- वखला मा नारियों दगड़ी बात नि कन।
ह- हल लगोण मा सरम नि कन।
स- साधु, संन्तो की सेवा करण।
ा- सनातन धर्म की सेवा करण।
भा- सासू ससुर की सेवा कन।
क्ष- अक्षरों पर ध्यान देण।
त्र- त्रणी तार भगवान करद।
ज्ञा- ज्ञानी यानी एकी तरह बणण।

(Source - http://e-magazineofuttarakhand.blogspot.com/2009/02/blog-post.html)


Anil Arya / अनिल आर्य

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लोक बाराखड़ी
लोक बाराखड़ी प्रस्तुति : दिग्पाल सिंह नेगी

क - कंचनी डाळी कु वासुनि कन।
ख- खाते पीते राम भजन।
ग- गंगा जी मा स्नान कन।
घ- घरों-घरों की बात नि सुण।
ङ्- गंगा जी गन्दी नि कन।
च-चंचल नारी कू संग नि कन।
छ- छलिया मुख की बात नि सुण।
ज- जंगलू मा वासु नि रैण।
झ- झूठि मुटी बात नि करण।
ञ- येनी बात कैमू नि बोलण।
ट- टम्का पैस गांठि मा रखण।
ठ- ठगा आदिम दगड़ी सौदा नि कन।
ड- डगड्यनी ढुंगी मा खुटो नि रखण।
ढ- ढवाली बात कभी नि कन।
ण- णखदि नरमी कु वास नि कन।
त- ताता रोस मा झगड़ा नि कन।
थ- थता थुमा सब दगड़ी कन।
द- दया धर्म सदा रखण।
ध- धरती माता की सेवा करण।
न- नकली बात कभी नि बोन।
प- पढ़ण-लेखण पर ध्यान देण।
फ- फंचा आदिम की बात सुण।
ब- बांगी लकड़ी कांधी मा नि रखण।
भ- भरियाँ भवन की चोरी नि कन।
म- मंगण आदिमू की बात नि सुण।
य- यनि-यनि बात मन मा रखण।
र- राम नाम सदा भजण।
ल- लंगी लंगी डाळी कू टुक नि काटण।
व- वखला मा नारियों दगड़ी बात नि कन।
ह- हल लगोण मा सरम नि कन।
स- साधु, संन्तो की सेवा करण।
ा- सनातन धर्म की सेवा करण।
भा- सासू ससुर की सेवा कन।
क्ष- अक्षरों पर ध्यान देण।
त्र- त्रणी तार भगवान करद।
ज्ञा- ज्ञानी यानी एकी तरह बणण।

(Source - http://e-magazineofuttarakhand.blogspot.com/2009/02/blog-post.html)


हा हा हा . रत्ते  रत्ते ख़ुशी करी दिए हो महिपाल ज्यू . धन्यवाद   

Anil Arya / अनिल आर्य

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हरकू दा यक दिन अपन चियल कै मियाव दिखोंन  ली गयी.
तो हरकू दा ने अपने लाडले को मेले मै अपने कंधे मै बिठा लिया . बहुत घुमे  बहुत घुमे . इतने मै उनका बेटा सो गया और हरकू दा भूल गए कि बेटे को भी साथ लाया हूँ . ज्यों ही याद आयी बेटे की तो हरकू दा ने मेले मै अपने बेटे को ढूढना शुरू कर दिया . सब से पूछते रहे कि " कैले मियर चियल दियेखी छ ? " लोग समझे कि वो किसी दुसरे बेटे कि बात कर रहे है . फिर किसी सज्जन ने कहा भुला यक चियल तियर कान मै से रा . हरकू दा - धत तेरे कि ...... तब बै यक कहावत छू . " चियल कां ? चियल कां  ? चियल कान मै "     

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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Great Maza aa gaya daju...... log keep posting.


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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एक बार एक अग्रेज पहाड़ के किसी गाव में गया ,...

जब उसके सामने...मडुवे की रोटी राखी गयी..

अग्रेज बोला - WHAT IS THIS ?

तो महिला बोली -  रुवट खांछे, लूंन पिस..

ही ही.... बात सत्य भी को सकती है!...

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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I recall this one.

A English persons went to Almora. He decided to have a cup of tea at Garam Pani on way to Almora.

He ordered person at Hotel for 2 cap tea. (One for himself and one for his period).

Person preparing tea assumed as if he is abusing him.

"Too kapti"..  He (tea maker) as a malafied person

And he started abusing the Enligh man -

Too kapti, teri baap kapti.. etc. .

He was explained  meaning of this sentance. hi hi hi hi


 

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