एक हजार लड़कों पर मात्र 886 लड़कियां, एक दशक में कुल आबादी वृद्धि दर में कमी आई
उत्तराखंड में बाल लिंग अनुपात ने बजाई खतरे की घंटी
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। बच्चों के लिंग अनुपात ने उत्तराखंड में खतरे की घंटी बजा दी है। राज्य में छह साल की उम्र तक के एक हजार लड़कों की तुलना में मात्र 886 लड़कियां हैं। जनसंख्या-2011 की आरंभिक रिपोर्ट के अनुसार बच्चों के लिंग अनुपात का यह औसत राष्ट्रीय दर 914 से कम है। राज्य में छह साल तक की उम्र के बच्चों की संख्या 13,28,844 है।
हालांकि पुरुष व महिलाओं के मामले में यह अनुपात राष्ट्रीय स्तर से कुछ ज्यादा है। देश में जहां 1000 पुरुषों पर 940 महिलाएं हैं वहीं उत्तराखंड में 963 महिलाएं हैं। बहरहाल, इस रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड की जनसंख्या अब 1,01,16,752 हो गई है। इनमें 51,54,178 पुरुष और 49,62,574 महिलाएं हैं। पिछले एक दशक के दौरान यह आबादी 19.17 की दर से बढ़ती रही है, जो कि राष्ट्रीय वृद्धि दर 17.64 से कहीं ज्यादा है। लेकिन, इसे पलायन का असर कहें अथवा जनसंख्या नियंत्रण के सकारात्मक नतीजे, अब उत्तराखंड भी अपनी आबादी की वृद्धि पर लगाम लगाने वाले राज्यों की सूची में शामिल हो गया है। इन प्रारंभिक नतीजों के अनुसार उत्तराखंड में भी पिछले एक दशक में आबादी की वृद्धि दर में कमी पाई गई है। देश की कुल आबादी में उत्तराखंड की हिस्सेदारी एक फीसदी हो गई है। साक्षरता के मामले में भी राज्य राष्ट्रीय औसत से बेहतर स्थिति में है, लेकिन हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, नगालैंड, मिजोरम व मणिपुर आदि हिमालयी राज्यों से पीछे है। राष्ट्रीय स्तर की साक्षरता दर 74.04 की तुलना में राज्य में 97.63 फीसदी है। लेकिन पूरे देश में उत्तराखंड 16वें स्थान पर है। राज्य में 88.33 फीसदी पुरुष और 70.70 फीसदी महिलाएं साक्षर हैं। राज्य में प्रति वर्ग किलोमीटर में 189 लोग रहते हैं।
राज्य में छह साल की उम्र तक के एक हजार लड़कों की तुलना में मात्र 886 लड़कियों का होना बताता है कि जनसंख्या में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहे हैं। यह तब है जब कि उत्तराखंड को मातृ प्रदेश के रूप में भी जाना जाता है। स्त्री पुरुष अनुपात का औसत प्रदेश में राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। विशेषज्ञों के मुताबिक इससे यह भी जाहिर होता है कि आने वाले समय में जनसंख्या में महत्वपूर्ण बदलाव होंगे।
साक्षरता 9.2 प्रतिशत बढ़ी
साक्षरता दर में महिलाओं ने मारी बाजी
नई दिल्ली। देश में साक्षरता दर में 9.2 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। इसमें महिला साक्षरता दर में 11.8 फीसदी का इजाफा हुआ है जो पुरुषों के मुकाबले बेहतर है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2001 से 2011 के बीच देश में 21.77 करोड़ साक्षर जुड़े हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या 11 करोड़ से अधिक है, जबकि पुरुषों की तादाद 10 करोड़ से अधिक है।
दून की आबादी 16 लाख के पार
देहरादून। राजधानी की जनसंख्या 16 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है। वर्ष-2001 के मुकाबले यह 3 लाख से अधिक है। वर्ष-2001 में दून की कुल जनसंख्या 12.82 लाख थी। बुधवार को जनगणना-2011 के आंकड़े घोषित किए गए। आधिकारिक सूचनाओं के अनुसार, जहां पूरे उत्तराखंड की आबादी वर्ष-2001 के 84.89 लाख के मुकाबले 1 करोड़ 1 लाख के पार पहुंच गई, वहीं देहरादून की आबादी 16 लाख के पार हो गई है।
बाल लिंगानुपात का अंतर बढ़ना चिंता का विषय है। प्रदेश में भी इस अंतर को पाटने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। पर यह अंतर मानसिकता में बदलाव के बिना संभव नही है। जागरूकता बढ़ाने को और प्रयास की जरूरत है।
- डॉ आशा माथुर, स्वास्थ्य महानिदेशक
नई दिल्ली। साक्षरता बढ़ाने के सरकार के प्रयासों के चलते पिछले 10 साल में साक्षरों की संख्या में 9.2 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वर्ष 2011 की जनगणना के यहां जारी शुरुआती आंकड़ों के अनुसार देश में साक्षरों का प्रतिशत 2001 में 64.83 से बढ़कर 74.04 हो गया है। इन आंकड़ों के हिसाब से देश में 82.14 प्रतिशत पुरुष और 65.46 फीसदी महिलाएं साक्षर हैं।
वर्ष 2001 में पुरुषों में 75.26 और महिलाओं में 53.67 प्रतिशत आबादी ही साक्षर थी। साक्षरों के प्रतिशत में महिलाएं अब भी पुरुषों से काफी पीछे हैं। मगर उत्साहवर्द्धक बात यह है कि पिछले 10 साल में पुरुषों में 6.9 प्रतिशत की तुलना में महिलाओं में साक्षरता 11.8 प्रतिशत बढ़ी है। योजना आयोग ने 2011-12 में 85 प्रतिशत से अधिक साक्षरता का लक्ष्य रखा था जिसे केरल-लक्षद्वीप-मिजोरम-त्रिपुरा-गोवा-दमन और दीव-पुडुचेरी-चंडीगढ़-दिल्ली तथा अंडमान और निकोबार ने अभी ही हासिल कर लिया है। चंडीगढ़-नागालैंड-मिजोरम-त्रिपुरा- मेघालय-लक्षद्वीप-केरल तथा अंडमान और निकोबार में महिला और पुरुष साक्षरता का अंतर 10 प्रतिशत से कम हो चुका है। साक्षरता के हिसाब से केरल 93.91 और लक्षद्वीप 92.28 प्रतिशत सबसे ऊपर तथा बिहार 63.82 और अरुणाचल प्रदेश 66.95 सबसे नीचे हैं।
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