Poll

 क्या आप मानते है कि उत्तराखंडियो में एकता की कमी है ?

Yes
45 (72.6%)
No
13 (21%)
Can't Say
2 (3.2%)
No Comment
2 (3.2%)

Total Members Voted: 61

Voting closes: February 07, 2106, 11:58:15 AM

Author Topic: Do you Feel Uttarakhandi Lack of Unity- क्या आप मानते है उत्तराखंडियो एकता नहीं  (Read 12148 times)

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 669
  • Karma: +4/-2
Mehta ji sahi kaha aapne hamari v cultural identity honi chahiye, jis tarah se Uttarakhand ki ladai hamane ek hokar ladi thi usi prakar anya samajik muddun par v ek hona chahiye, main sochta huin ki main kumauni huin ya main gadwali huin kahana koi lack of unity hai, main agar gadwal ka huin to main gadwal ki hi baat jyada karunga kyuki mujhe Kumaon ke bare main kam jankari hogi ya kumani huin to kumaon ke baare main jyada baat karunga ye to har District ya har Tahsheel ya phir har gaon main hota hai isaka matlav ye nahi hai ki hum ek nahi hain han state lavel ke jo ladaiyan hain hamane milkar ladi hai or milkar ladange ,

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
एकता में कमी का प्रमुख कारण है, पारस्परिक राजनीतिक प्रतिद्वन्दिता। हर आदमी नेता बनकर अपना उल्लू सीधा करना चाहता है। इसी कारण से अनेकों संगठन आज वजूद में हैं, जहां तक एकता की बात है तो उत्तराखण्डियों में एकता की कोई कमी नहीं है। हम अपना पिछला इतिहास उठाकर देखें तो राज्य के मुद्दों पर सभी उत्तराखण्डियो (प्रवासी सहित) ने जैसी एकजुटता दिखाई है, वैसी किसी और अंचल में नहीं दिखी है। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन इसका सबसे नजदीकी और प्रत्यक्ष प्रमाण है।
हां यह जरुर है कि अपने व्यक्तिगत स्वार्थ और मैं ठुल, मैं ही सब कुछ करने वाले नेता अपने दो-चार चमचों के साथ इस एकता पर प्रहार करते रहते हैं। लेकिन उनका असली चेहरा कुछ दिन बाद बेनकाब हो जाता है और हम फिर से एकजुट हो जाते हैं।
जहां पर राष्ट्रीय स्तर पर हमारी पहचान की बात है तो दिल्ली, मुंबई, लखनऊ आदि शहरों में हरेला पर्व आज भी उल्लास के साथ मनाया जाता है। गंगा दशहरा के लिय लोग आज भी द्वार पत्र पहले से ही खरीदकर ले जाते हैं। नंदा देवी राज जात भी हमारी पहचान है। हां दुर्गा पूजा या छठ जैसा कोई ऐसा बड़ा त्यौहार नहीं मनाते, क्योंकि हमारे यहां के त्यौहार सामूहिक रुप के कम भी हैं और उनके लिये पर्याप्त व्यवस्था बाहर नहीं हो सकती। जागर, चौरास, देवी पूजा, अठवार आदि ऐसे बड़े और सामूहिक आयोजन भी हैं, लेकिन इनको मूल स्थान पर ही किया जाता है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0


एकता की बहुत बड़ी कमी हम लोगो में !

अगर में इन उदाहरणों को गिनो तो बहुत बड़ी लिस्ट हो जायेगी जहाँ हम लोग एक जुट नहीं दिखे ! उत्तराखंड आन्दोलन के समय को छोड़ कर हर समय उत्तराखंड टुकडो में ही नजर आया! अगर हम लोगो में एकता होती:

      -    उत्तराखंड राज्य की स्थाई राजधानी के मुद्दा अभी तक हल हो जाता?

      -    अगर हम लोगो में एकता होती विभिन्न महानगरो में रह रहे उत्तराखंडी लोगो एक देश अन्य लोगो की तरह हमारी शहरों में भी एक सांस्करतिक पहचान होती !

     -    अगर हम एक एकता होती, हमारी क्षेत्रीय फिल्म इंडस्ट्री होती!
 
     -    अगर हमारे जन नेता एक जुट होते, उत्तराखंड के पहाडो में भी रेल दौड़ती !

     -    अगर हम लोग एक जुट होकर काम करते हमारी भाषाओ का भी विकास होता !

The list is long.

I have suggestion, people must leave their self interest and work for development of Uttarakhand state and its culture.

One of the main issues is that we can not be in group for long. This is area from where the chain of unity is broken.
 

Barthwal

  • Jr. Member
  • **
  • Posts: 54
  • Karma: +5/-0
जी ये बिल्कुल सत्य है कि स्वार्थ के चलते हम अपने पैर पर स्वय ही कुल्लाडी चलाते है.  चाहे ग्रुप हो या एशोसियेशन - लोग भी नाम चाहते है( कुछ चुनंदे लोग है जो स्वार्थ से रहित हो कर संल्गन है अपने कार्य में बिना कहे), पैसा चाहते है. मेरी नाक बडी है इस धारणा का प्रभाव ज्यादा है. एक ही मकस्द के लिये भिन्न भिन्न ग्रुप या मडली - क्या अगर एक साथ काम किया  जाये अपने लोगो के लिये तो उससे ज्यादा सुधार आयेगा.. एक उदाहरण देना चाहता हूं - एक मित्र(नाम नही लेना चाहूंगा) द्वारा मेल मिली मुझे अमरीका मे रहते है -  कितनी सत्य है आप खुद  भी अंदाजा लगा सकते है उनकी वेब साईट पर जाकर - अगर कोई उस दूसरी संस्था से जुडा है तो बुरा ना माने  मै केवल  एक राय और स्थिति बयां कर रहा हूं इस विषय में..

Here we have another nakli UANA organisation who have stolen our name , logo etc wtc..so want to keep it different....they were all our members and now they have made a separate association for thier own selfish reasons...Most of the gharwali parivaar's are wiht us and 0n 24th we are doing diwali function for charity for Uttrakhand..

visit:-
http://www.uttaranchal.org/ ( ये असली ग्रुप है)

फिर मैने उनसे पूछा था  दूसरे ग्रुप के बारे में तो ये जबाब मिला;
.....wala nakli group hain..main puchta hoon ki in logon ne itne paise kharch kiye in star ko bulane mien, agar yahi paise hamare gharwal mein kisi ki madad ko jate to kya hota?? They want bloddy publicity..thats all...thisn month we are sponsoring "......." from doon who lost his child recently adn has to go fopr heart operation, we have opledged 4,000USD...diwlai mein collect karenge...

ये भाव है.. आप इससे महसुस कर सक्ते है कि किस तरह - मै एक किसी ग्रुप का हितैशी नही, ना मै वहां रहता हूं लेकिन आप लोगो ने चर्चा शुरु की तो मुझे ख्याल आया इस  विषय का और दुख भी क्यो  येसा?....( पुन: पहले या दूसरे ग्रुप से संबधित  लोग इसे विरोध या समर्थन ना माने) - बस एक साथ चल कर कार्य करने मे क्या आपति एक दुसरे पर अंगुली उठाने से अच्छा है कि मिल जुल कर कार्य किया जाये.

एकता मे भलाई है ..इसी ध्येय से कार्य करे .. शुभकामनाओ के साथ.

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
वैसे देखा जाय तो एकता की नहीं बल्कि इस भाव की कमी है कि आओ मिलकर अपने पहाड़ के लिये कुछ करें, इस पहाड़ ने हमें बहुत कुछ दिया है।
इसी पहाड़ीपन ने पूरे देश और विश्व में हमें ईमानदारी का भाव दिया है, कर्तव्यनिष्ठा और अनुशासन का भाव दिया है। दुनिया की तो मैं बात नहीं करुंगा लेकिन आप पूरे भारत में कहीं जांये और अपना परिचय एक उत्तराखण्डी के रुप में दें तो उनका भाव यह होगा कि आप बहुत मेहनती, ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ हैं।
जहां तक एकता की बात है तो मैं तो यही कहूंगा कि हममें उक्त सब के अलावा एक और अच्छी (लेकिन आज के हिसाब से गलत) भावना है, वह है भावुक होना। कुछ संकीर्ण और स्वार्थी लोगों की बात पर हम भी भावुक होकर उनके पीछे चलने लगते हैं और यहीं से हमारी एकता विखण्डित होती है। हमें अपने राज्य की उन्नति के लिये सोचना चाहिये। जब से राज्य बना है, उसके मुख्यमंत्री की एक ही अपलब्धि छपती रहती है कि इस मुख्यमंत्री ने केन्द्र से इतना पैसा के लिया, इस वाले ने ज्यादा ले लियी, इस वाले ने कम ले लिया। उपलब्धि तब होती जब अपने बूते प्रदेश का आत्मनिर्भर बजट यहां की सरकार पेश करती।
एकता में कहीं पर अगर कमी है तो उसका प्रमुख कारण राजनीति और निजी स्वार्थ हैं, लोग इसके पीछे, पैसे के लिये ओरों को तो छोड़ो अपने आत्मसम्मान, स्वाभिमान तक को दांव पर लगा देते हैं।  भाव होना चाहिये, हममें स्थानीयता Navitism का भाव होना चाहिये। इसी छोटी-छोटी स्थानीयता से ही समग्र राष्ट्रीयता होती है। एकता की कमी नहीं है, उसे जागृत करने की आवश्यकता है और उसे सही दिशा देने की जरुरत है।
यह नहीं कहा जा सकता कि उत्तराखण्डियों में एकता की कमी है, कमी नहीं है बस इसे एक मोड़ देने की कमी है, इसे एक भाव देने की कमी है, जो वक्त आने पर स्वयं ही सही हो जायेगी। जब जरुरत पड़ती है तो सब सही हो जाता है। अभी उत्तराखण्ड का प्रारम्भ है, अभी तक जिस लाईन पर उत्तराखण्ड को कुशल राजनीतिज्ञों द्वारा चलाया गया, विखण्डन की नीति से काम किया गया, यह उसका क्षणिक प्रतिफल है। लेकिन आज आम आदमी भी बहुत विचारशील है वह अच्छा-बुरा सोच सकता है। ऐसे विघटनकारी ताकतों को एक दिन उत्तराखण्ड की जनता माकूल जबाब देगी।
अपनी ओर से संघर्ष जारी रखें, हम ऐसी भावना न पालें और इंटरनेट के माध्यम से भी लोग विखण्डन की काफ कोशिशें करते हैं, लेकिन जिसे करना है वह करता रहे। हम ऐसा न सोच सकते हैं, न कर सकते हैं। उत्तराखण्ड की एकता एक मिशाल थी, मिशाल है और मिशाल ही रहेगी, कोई भी इसे तोड़ नहीं सकता। क्षणिक नुकसान पहुंचा सकता है, लेकिन तोड़ नहीं सकता और हमारी एकता पर प्रश्न चिन्ह लगाने का सवाल भी मेरे नजर में फिजूल है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0


Barthwal Ji, 


Thanks for exposing the bitter truth that is what I had observed and I wanted to share with people. The same thing happening even on ground level Uttarakhandi Communities.

If we talk about our Uttarakhandi web communities, we Group Owners do not approve mail of each other group. “We feel insecure that if they approve our members will migrate in another group”. This is the biggest problem in webgroups. We appreciate whatsoever good words towards development of Uttarakhand culture is being undertaken by various Groups but at the same time we also condemn their sick mind set and insecurity.

Let me make it clear “No Group Owner is CM of Uttarakhand”. People of Uttarakhand has already selected the CM who looks after the development etc of UK. We are just a social worker and we should concentrate on social as far as we can do. So why there is feeling like as if We are CM of Uttarakhand State”.

Until unless we don’t change this attitude, we call can not be united.

Lalit Mohan Pandey

  • Moderator
  • Sr. Member
  • *****
  • Posts: 254
  • Karma: +7/-0
Ekta ki kami hone ka ek bahut bada example hai delhi mai itne pahadi hone ke babzood, ham apne logu ko assembly election nahi zita pate... hardly koe party hame (uttarakhandiyu ko) ticket dene layak samajhti hai...

Mai is topic ke madhayam se sabhi logu se request karta hu ki.. kirpaya ham is discussion ko naya mod de....Topic ye nahi hai ki Unity hai ya nahi.. ham sab agree karte hai or is baat ko sweekar karte hai ki problem hai, unity ki kami hai... Topic ye hai ki unity ki kami kyu hai...Let us do the brainstroming.. let us find out the reasons.. Ham apne ko sahi or sabhi ko galat nahi kah sakte.. let us stop blamegame... let us first find out the reasons..then sit down or work out how we can improve it... let us make a new begining... Marapahad forum, YU apne ap mai samarth hai, hamare pass bahut sare members hai jo capable hai.. hamare pass charu da, pankaj da, mehta ji, anubhav bhai, Mohan da jaise logu ka Guidance hai.  Let us show way to the others...
If we are ready to improve then only these kind of discussions are fruitfull... otherwise problem hai problem hai kahne se koe problem solve nahi hone wali...
Jay bharat.. jay uttarakhand

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
पूरे भारत मैं ही नहीं बल्कि विदेशों मैं अगर जाएँ तो वहन भी लोगों के समुदायों मैं अपना सब कुछ नजर आता है और वो लोग विदेशों मैं लोग अपने संसकिरती को नहीं भूलते है!

 अविअसे देखा जाय तो उत्तराखंड के लोगों के पास बहुत कुछ है अगर माने तो उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है विश्व मैं लेकिन उत्तरांचलियों को ये मालुम नहीं है की हमारे पास क्या है !लोगों को मालुम है फिर भी लोग इसको मानते नहीं है और एकता की बात तो दूर उत्तरांचली अगर कभी किसी दुसरे देश  मैं मिल गए तो, वहन उनको मालुम है की मैं उत्तरांचली से बात कर रहा हूँ फिर भी चाहे अंग्रेजी आती भी न हो लेकिन अंग्रेजी झाडेगा,यहाँ पर हम लोग मार खा जाते हैं ! यहाँ पर पर अप्निआप को उत्तरांचली कहें मैं थोडा  एषा लगता है की क्या कहूँ !

क्यों की मेरा साथ हुवा है एषा, यहं पर हमारी एकता सामने आती है अब आप लोग दुनिया के किसी भी कोने मैं चले जाओ अगर आपको कोई भी दो  साऊथ इंडियन, या मराठी ,या बंगाली मिल गए हो तो वो अपने एकता और अखंडता मैं ही विश्वास रखते हैं !एकता है देश के दुसरे राज्यों के लोगों मैं,उत्तरांचलियों मैं नहीं !

जय उत्तराखंड
देवभूमि

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0


Thanks Pandey ji,

The aim of opening this thread was to discuss this topic at length and suggest the points which can strenthen unity.

I had seen we people hesitate on discussing such latent evils in our society. The constructive views from all are welcome on this issue.


Ekta ki kami hone ka ek bahut bada example hai delhi mai itne pahadi hone ke babzood, ham apne logu ko assembly election nahi zita pate... hardly koe party hame (uttarakhandiyu ko) ticket dene layak samajhti hai...

Mai is topic ke madhayam se sabhi logu se request karta hu ki.. kirpaya ham is discussion ko naya mod de....Topic ye nahi hai ki Unity hai ya nahi.. ham sab agree karte hai or is baat ko sweekar karte hai ki problem hai, unity ki kami hai... Topic ye hai ki unity ki kami kyu hai...Let us do the brainstroming.. let us find out the reasons.. Ham apne ko sahi or sabhi ko galat nahi kah sakte.. let us stop blamegame... let us first find out the reasons..then sit down or work out how we can improve it... let us make a new begining... Marapahad forum, YU apne ap mai samarth hai, hamare pass bahut sare members hai jo capable hai.. hamare pass charu da, pankaj da, mehta ji, anubhav bhai, Mohan da jaise logu ka Guidance hai.  Let us show way to the others...
If we are ready to improve then only these kind of discussions are fruitfull... otherwise problem hai problem hai kahne se koe problem solve nahi hone wali...
Jay bharat.. jay uttarakhand


हेम पन्त

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 4,326
  • Karma: +44/-1
यह कहना सही नही है कि उत्तराखण्ड के लोगों में एकता का अभाव है. अगर आपने पहा़ड़ी समाज में एकता का प्रदर्शन देखना है तो आज भी आप किसी दूरस्थ गांव में जाकर देख लें, सहकारिता और आपसी सदभाव के बहुत से उदाहरण मिल जायेंगे. हमारे गांव में ही आज से कुछ साल पहले तक शादी-बारात, घर का लैण्टर डालना, दूर गांवों से समूह बनाकर घास-लकड़ी लाने और खेती के कई महत्वपूर्ण काम आसानी से निपट जाते थे. यह सब उदाहरण देने का मेरा उद्देश्य केवल इस बात को झुठलाना है कि हम लोग मिलजुल कर काम नहीं करते.

सामाजिक संस्थाओं को चलाने में भी उत्तराखण्ड के लोग उल्लेखनीय रूप से आगे हैं. विशेषकर प्रवासी उत्तराखण्डी लोगों की संस्थाएं देश के हर छोटे बड़े शहर में हैं. देश के बाहर भी प्रवासी उत्तराखण्डियों की संस्थाएं बहुत अच्छा काम कर रही हैं. वह ही संस्थाएं सफल होती हैं जिनके सदस्य समर्पण और निस्वार्थ भाव से सामाजिक कार्यों में रुचि लेते हैं. ऐसा नही है कि आपसी मदभेद और संस्थाओं का टूटना सिर्फ हमारे समाज के लोगों के बीच है लेकिन मैं मानता हूँ कि उत्तराखण्ड से बाहर रह रहे लोगों के द्वारा चलाई जा रही संस्थाओं में क्षेत्रीयता की मानसिकता एक गंभीर खतरा है. अगर प्रवासी उत्तराखण्डी संस्थाओं के सदस्य, चाहे वो किसी भी जिले या क्षेत्र के हों, मिलजुल कर उत्तराखण्ड की भलाई के लिये काम करेंगे तो उनके उद्देश्यों में स्पष्टता आयेगी और उत्तराखण्ड राज्य के विकास में निश्चय ही उनकी भागेदारी बढेगी.

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22