बचपन की बात है घर में जब भट के डुबके बनते थे और साथ में बड़ी (उड़द और मूली से बनी) की झोली (कड़ी) भी बनती थी। तब हम बोलते थे :-
भटक डुबुक,बड़ी क साग।
नैनू कठि, पन्नू बाग़ ।।
हमारे पड़ोस में ही एक पान सिंह नाम के ताऊ रहते थे। उनका उपनाम 'पन्नू बाग' था। जब हम 'भटक डुबुक, बड़ी क साग, नैनू कठि पन्नू बाग' बोलते थे तब हमारी ईजा (मम्मी) हँसते हुए बोलती थी - ऐसा मत बोलो, वो पन्नू ताऊ सुनेंगे तो बुरा मानेंगे।
फिर हम और जोर जोर से बोलते ।
आज वो दिन याद आते हैं तो बहुत हंसी आती है।