Author Topic: Funny Incidents - हास्य घटनाये  (Read 105174 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #100 on: April 03, 2008, 10:36:36 AM »


Pandey Ji,


Sure we will try.

मेहता जी, फोरम मै किसी  को "लछुआ कोठारी की संतान" की कहानीया याद हो तो एक थ्रेड शुरू कीजिये.. येही तो पहाड़ के मेन हास्य के source हुए.

हलिया

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #101 on: April 03, 2008, 10:48:53 AM »
पांडे ज्यू, पैलागि हो गुरू।  भौतै भलो सुझाव छु यो।  म्यर ध्यान मै ले कै थ्यो लेकिन ज्यादा किस्सा याद न्हां, बचपन में भौत सुणि छन।  एक कर्मा आफ़ूं कै ये सुझाव का खातिर म्यर तरफ़ बटि।

मेहता जी, फोरम मै किसी  को "लछुआ कोठारी की संतान" की कहानीया याद हो तो एक थ्रेड शुरू कीजिये.. येही तो पहाड़ के मेन हास्य के source हुए.

हलिया

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #102 on: April 03, 2008, 11:00:59 AM »
"लछुआ कोठारी की संतान"

लछुवा कोठारी की संतान रात को सोने के लिये कमरे (गोठ) में गये।  सब लेट गये ठैरे।  अब सबसे बड़े लड़्के ने अपने से छोटे से कहा कि दरवाजा बन्द कर दे। वह बोला मुझे डर लगती है मैं नही करता और उसने अपने से छोटे से बन्द करने को कहा फ़िर उसने अपने से छोटे को.. और इस तरह कोई भी दरवाजा बन्द करने को तैयार नहीं हुआ।  तब सबसे छोटा बोला भाई लोगो अगर हमारे पार एक लम्बा डंडा होता तो हम यहीं से लेटे-२ दरवाजा बन्द कर लेते।  उसकी बात सबको अच्छी लगी।  और सब इस बात पर राजी हो गये कि जंगल से एक लम्बा डंडा काट कर लाया जाय।  तब महाराज लछुवा कोठरी के वो संतान रात को जंगल गये और एक डंडा काट कर लाये।  फ़िर गोठ में आकर लेट गये और उस लंबे डंडे से दरवाजा बंद कर दिया और चैन से सो गये।  तभी तो कहने वाले ठैरे लछुवा कोठारी की संतान।  

Lalit Mohan Pandey

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #103 on: April 04, 2008, 05:09:29 PM »
धन्यबाद राजू दा, नन्छाना जब ले के गलती कर्थ्यात, लछुआ कोठारी का चेला का जतुक के अक्ल नहाती तमगा मिल्थु. पर अब ज्यादा किस्सा याद नहातीन.

पांडे ज्यू, पैलागि हो गुरू।  भौतै भलो सुझाव छु यो।  म्यर ध्यान मै ले कै थ्यो लेकिन ज्यादा किस्सा याद न्हां, बचपन में भौत सुणि छन।  एक कर्मा आफ़ूं कै ये सुझाव का खातिर म्यर तरफ़ बटि।

मेहता जी, फोरम मै किसी  को "लछुआ कोठारी की संतान" की कहानीया याद हो तो एक थ्रेड शुरू कीजिये.. येही तो पहाड़ के मेन हास्य के source हुए.

Lalit Mohan Pandey

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #104 on: April 04, 2008, 05:19:29 PM »
मेहता ही इसे सुन कर तो  "क्याप टाइप का हो गया हो"
कीर्पया क्याप मै "क आधा और प लंबा पडे" ...
इस सेंटेंस मै पहाडी, हिन्दी और English तीनू है.




जब पहाड़ के छोटे बच्चे हिन्दी बोलने लगेते है ..

एक लड़का दुसरे लड़के को गाली दे रहा था . और क्या कह रहा था मालूम..

एक लात मारुंगा तो तीन गाड तेली लाफा दूंगा ...

इसका मतलब एक लात मारुंगा तो तीन खेत नीचे जा कर गिरेगा.. ... 

हा हा.. .


Lalit Mohan Pandey

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #105 on: April 04, 2008, 05:32:06 PM »
आजकल हमारे पहाड़ के ज्यादा तर लोग बाहर ही रहते है तो उनके बच्चू को पहाडी भाषा समझ मै नही आती, इसलिए कभी भी अगर वो गाव जाते है तो उनके आमा (दादी), बूबू (दादा) उनसे हिन्दी मै बात करने की कोशिश करते है.. ये देखो एक आमा की कोशीश..

"गाना छासी मै का रायता छ, नीक मानले त आजी मागे"

(आमा अपने पोते को कहना  चाह रही है "लस्सी मै बना हुआ रायता है, अगर पसंद आये तो और मागना")

गाना (छोटे बचे को बोलते है)
छासी (लस्सी)

एक बार इन्ही आमा ने अपने पोते को पराठे  दीये और कहा
"पोथु फ्रीफंड मै के है, और खाए"
यहा पर आमा फ्रीफंड (Refind oil)  को बोल गयी.

पंकज सिंह महर

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #106 on: April 04, 2008, 05:42:20 PM »
आजकल हमारे पहाड़ के ज्यादा तर लोग बाहर ही रहते है तो उनके बच्चू को पहाडी भाषा समझ मै नही आती, इसलिए कभी भी अगर वो गाव जाते है तो उनके आमा (दादी), बूबू (दादा) उनसे हिन्दी मै बात करने की कोशिश करते है.. ये देखो एक आमा की कोशीश..

"गाना छासी मै का रायता छ, नीक मानले त आजी मागे"

(आमा अपने पोते को कहना  चाह रही है "लस्सी मै बना हुआ रायता है, अगर पसंद आये तो और मागना")

गाना (छोटे बचे को बोलते है)
छासी (लस्सी)

एक बार इन्ही आमा ने अपने पोते को पराठे  दीये और कहा
"पोथु फ्रीफंड मै के है, और खाए"
यहा पर आमा फ्रीफंड (Refind oil)  को बोल गयी.


क्या बात पाण्डे जी, रंगत आ गै हो पढ़्भेर, उ जौलजीबी मेला वाल त घर जै बैर ले याद ऊंछी त, हंसन-हंसन ढाड़ में पीडं हवै जांछी।

हेम पन्त

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #107 on: April 04, 2008, 05:43:26 PM »
Pandey Jyu Bahut khoob, Sahi ja rahe ho Bye God ki Kasam

आजकल हमारे पहाड़ के ज्यादा तर लोग बाहर ही रहते है तो उनके बच्चू को पहाडी भाषा समझ मै नही आती, इसलिए कभी भी अगर वो गाव जाते है तो उनके आमा (दादी), बूबू (दादा) उनसे हिन्दी मै बात करने की कोशिश करते है.. ये देखो एक आमा की कोशीश..

"गाना छासी मै का रायता छ, नीक मानले त आजी मागे"

(आमा अपने पोते को कहना  चाह रही है "लस्सी मै बना हुआ रायता है, अगर पसंद आये तो और मागना")

गाना (छोटे बचे को बोलते है)
छासी (लस्सी)

एक बार इन्ही आमा ने अपने पोते को पराठे  दीये और कहा
"पोथु फ्रीफंड मै के है, और खाए"
यहा पर आमा फ्रीफंड (Refind oil)  को बोल गयी.


Lalit Mohan Pandey

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #108 on: April 05, 2008, 07:51:59 PM »
महर जी उ जौलजीबी मेला वाली बात मैले बचपन मै सुनीना की छ आजी ले याद आयी त हसी हसी बेरी हालत ख़राब हो जाछी

हेम भाई ये Bye God ki Kasam  तो हम लोग collage के दीनु तक भी बोलते थे.

Lalit Mohan Pandey

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #109 on: April 05, 2008, 08:17:17 PM »
एक बार एक पंडीत जी कही जा रहे थे, तो उनका पैर रास्ते मई गू (आदमी का मल) मै पड़ते पड़ते बचा. तो पंडीत जी बोले गु थूयु हो महाराज ठीक भयो खुट (पैर) न लाग्यो.  यह कह कर पंडीत जी २-४ कदम चल दिए, फ़ीर उन्हें पता नही क्या हुआ की मुड़कर देखा वापस गु के पास आये और करीब से देखा और बोलो "हा गु ही थूयु, ठीक भयो खुट न लाग्यो".
पंडीत जी फ़ीर चल दिए लेकीन उनका मन फ़ीर नही माना, वापस आये झुक कर अच्छी तरह देखा और बोले "हां गु ही छ, ठीक भयो खुट न लाग्यो".
पंडीत जी चल दिए.. लेकीन महाराज मन कहा मानने वाला फ़ीर वापस आये कन्फर्म करने के लीये पास मै गए, बैठकर लकड़ी से हीलाया, लकड़ी नाक के पास लाये और सुघा.. फ़ीर बोलो "हरे राम राम गु ही छ, ठीक भयो खुट न लाग्यो"
ये सोचकर पंडीत जी चार कदम और चल दिए लेकीन पंडीत जी का मन फ़ीर से डगमगा गया (ye dil mage more), पंडीत जी वापस आये और करीब गए, ऊँगली से पहले हीलाया, नाक के पास लाये और सुघा अब भी मन नही माना तो जीभ मै लगा के टेस्ट करके देखा.. और जोर से बोले "महाराज पक्का गु ही छ, बची गयु आज,  ठीक भयो खुट न लाग्यो"
(महाराज इतनी ही है हो कहानी अब ये मत expect करो की पंडीत जी फ़ीर वापस आ के ...................)


(पंडीत ही की मनोद्सा देखो जीभ मै लगा के टेस्ट कर गए फ़ीर भी कह रहे है बच गया पैर मै नही लगा)
महाराज ऐसा ही हुआ, ठीक भयो खुट न लाग्यो, पंडीत जी लक्की हुए.

 

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