Author Topic: Funny Incidents - हास्य घटनाये  (Read 86557 times)

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #200 on: June 17, 2009, 10:21:34 AM »
आय भौत छन गोपकाक कहानी एल ईतुक्वे टैम छ. फिर बाद मे लिखुल।

हेम पन्त

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #201 on: June 17, 2009, 10:34:41 AM »
नेगी ज्यू भौत बङिया कहानी सुना दी तुमुले अपना गोपकाकि... आजि ले कहानि होला जरूर... ऊनू के ले सुणाया... इन्तजार रोल...

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #202 on: June 18, 2009, 11:14:18 AM »
गोपका हरकत

आब भाई साहब
असोज मैहैण हामर वती रामील हुन्ये हय. आब ठिकै हय रमली लै जोर शोर हुन्ये हय और ककाड चोरणीयाक लै जोर शोर खूब हुन्ये हय। आब ककाड चोरण मै लै गोपकाक एक खास रोल हून्ये हय। आब 10 दिन रामील हुन्ये हय. रोज अलग अलग जागी बै ककाड टोडन्येर हाय। आब सब झडिया वती बै ककाड चोरी हैल. रोज राती रती गाय लै सुणन्ये हाय. कि {जैल लै हामार ककाड चोरी उनर भल भल मरजो} भाई साहब रोज राती पर उठी वेर यु सगुन आखर जरूर सुणण हाय। आब लास्ट दिनै बात हय मिटिंग बैठी मिटिंग मे कय की सबुक ककाण चोरी गयी अब आज कैक चोरछा. आब गोपका चालाक लै कम नी हाय उनुल घर बै आईडीया लगै हैल की आज हामर ककाड चोरणक नम्बर ऐ सकु। 
जसै पहूच नि सक तुरन्त काण फगाय?
अरे जाओ आज हामर (चौमुणी {घर के निचे} बै काकाड टोडी ल्याओ। आब डाउट सबुकै है गोय की आज गोपका आपण घराक ककाड टोणणै लिजी कणैई जरूर कोई धोखा धडी बात छ। आब गोपका आप ईजैहै (मम्मी) घर कै आई कि ईजा आज कोई ककाड चोरणी आल ध्यान धरीये हा।
उनरी ईजैल कय ठिक छ च्यला मै रात भर चै रूल सालो क।
गोपकाल वार चाय पार चाय किलैकी सब उनर मुखड देखणाय। गोपकाल तपाक चारी कय अरे जाण किलै नी राया म्यर मुखड क्ये देखडछा जल्दी जाओ बाद मे म्येरी ईज चितै जाली फिर क्ये हल। 
आब गोपका मन मनै सोचणाय कि ईजैक नीन लै ऐ सकी फिर त ककाड पक्का चोरी जाल आब 4 झणी गोपका कराक ककाड चोरूहू गाय.
भाई साहब जसै काकडै लगुल पर हाथ लगाय तसै उनरी ईजैल कय कोछा रे रनकरो ककाड चोर तुमर भल भल मरी जाल म्यर गोपु मैहै कै गो की कोयी ककाड चोरणी आल, सच्ची यु रनकार आई जै गयी। हतु सुणी नी सक गोपका पोल खुल गई। का ककाड टोडछी उनरी ईजैलै उफन छा जै फान दी।
मार खेत उनाहा (त्यूड) (कूद) आब रातै बात हय स्वाक चारै सीसुणक गाजन पडी गाय ओ ईजा ओ बाज्यु कनै उसीक्ये लगाय दैड खाली हाथ पहुच गाय।
गोपकाल कय अरे क्ये ह। सब सिसुणैल झपोडी हाय। उनुल कय साले आपण घर कै आछै तु कि ककाड टोडडी आल कबेर.
हस काहु त्यर मर रौछ भल भल.
गोपकाल कय ना यार मील त नी कय घर.
सब झणीयाल कय ओ रे पै सावा त्येरी (मै) ईज झूटी बलाणैछी?
तब गोपकाक यां गीच (खिसाणी) लै ग्याय। फिर का जछी रामील देखह सिसुणैल जै झपोडी ग्याय, फिर गोपकाक खूब मारी फिर गोपकाल सबूहू माफी मांगी उनूल कय आब मै य बात आपण घर नी बतूल. (तब जाके गोपका को छोडा)

हेम पन्त

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #203 on: June 18, 2009, 12:14:29 PM »
Ha ha ha ha...Sabhi sant jan bolo - Gopka ki Jai ho

rawatsaras_bisht

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #204 on: July 15, 2009, 11:01:40 AM »
agar ye sach to buddeji ko bahut mehnat karni padi torch bhujane k liye
ha ha ha

यह कहानी मैंने आपनी गाँव मे सुनी थी, जो की सत्य है...

एक बार एक फौजी घर आया होता है.. किसी रात्रि function मे लौटते समय आपने पिताजी को tourch दी. ! लेकिन घर मे पहुच कर उसके पिताजी touch  बंद न कर पाये.. देखिये अब हुआ.

   -    पहला प्रयास - - पहली बार बुडे जी ने tourch के ग्लास पर फूक मारी लेकिन touch बंद नही हुआ.

   -     दूसरा प्रयास  - tourch को पानी की बाल्टी मे डाला लेकिन स्टील की body होने के वह नही बुझा..

   -     तीसरा प्रयास -   बुडा tourch को दिवार पर पटक देता है.. लेकिन tourch फिर भी जलती रहती है...


   -     चौथा बार ---  tourch का अन्तिम संस्कार..... बुडा tourch से आगे का ग्लास तोड़ देता है जिससे tourch का बल्ब टूट जाता है.... और तब बुदा कहता है... ओह ... इसको ऐसे बंद करते है.....

There must have a case of ignorant about the technology...

Anyway.. i would request no one should follow this way.... ha ha.. ha... ha... [/b]

Lalit Mohan Pandey

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #205 on: July 16, 2009, 10:06:22 AM »
Gopka ki jai ho, Ye to wahi bat ho gayi..
Chor the Chori kare, Gusai the saja. Ha ha ha Ha ...

गोपका हरकत

आब भाई साहब
असोज मैहैण हामर वती रामील हुन्ये हय. आब ठिकै हय रमली लै जोर शोर हुन्ये हय और ककाड चोरणीयाक लै जोर शोर खूब हुन्ये हय। आब ककाड चोरण मै लै गोपकाक एक खास रोल हून्ये हय। आब 10 दिन रामील हुन्ये हय. रोज अलग अलग जागी बै ककाड टोडन्येर हाय। आब सब झडिया वती बै ककाड चोरी हैल. रोज राती रती गाय लै सुणन्ये हाय. कि {जैल लै हामार ककाड चोरी उनर भल भल मरजो} भाई साहब रोज राती पर उठी वेर यु सगुन आखर जरूर सुणण हाय। आब लास्ट दिनै बात हय मिटिंग बैठी मिटिंग मे कय की सबुक ककाण चोरी गयी अब आज कैक चोरछा. आब गोपका चालाक लै कम नी हाय उनुल घर बै आईडीया लगै हैल की आज हामर ककाड चोरणक नम्बर ऐ सकु। 
जसै पहूच नि सक तुरन्त काण फगाय?
अरे जाओ आज हामर (चौमुणी {घर के निचे} बै काकाड टोडी ल्याओ। आब डाउट सबुकै है गोय की आज गोपका आपण घराक ककाड टोणणै लिजी कणैई जरूर कोई धोखा धडी बात छ। आब गोपका आप ईजैहै (मम्मी) घर कै आई कि ईजा आज कोई ककाड चोरणी आल ध्यान धरीये हा।
उनरी ईजैल कय ठिक छ च्यला मै रात भर चै रूल सालो क।
गोपकाल वार चाय पार चाय किलैकी सब उनर मुखड देखणाय। गोपकाल तपाक चारी कय अरे जाण किलै नी राया म्यर मुखड क्ये देखडछा जल्दी जाओ बाद मे म्येरी ईज चितै जाली फिर क्ये हल। 
आब गोपका मन मनै सोचणाय कि ईजैक नीन लै ऐ सकी फिर त ककाड पक्का चोरी जाल आब 4 झणी गोपका कराक ककाड चोरूहू गाय.
भाई साहब जसै काकडै लगुल पर हाथ लगाय तसै उनरी ईजैल कय कोछा रे रनकरो ककाड चोर तुमर भल भल मरी जाल म्यर गोपु मैहै कै गो की कोयी ककाड चोरणी आल, सच्ची यु रनकार आई जै गयी। हतु सुणी नी सक गोपका पोल खुल गई। का ककाड टोडछी उनरी ईजैलै उफन छा जै फान दी।
मार खेत उनाहा (त्यूड) (कूद) आब रातै बात हय स्वाक चारै सीसुणक गाजन पडी गाय ओ ईजा ओ बाज्यु कनै उसीक्ये लगाय दैड खाली हाथ पहुच गाय।
गोपकाल कय अरे क्ये ह। सब सिसुणैल झपोडी हाय। उनुल कय साले आपण घर कै आछै तु कि ककाड टोडडी आल कबेर.
हस काहु त्यर मर रौछ भल भल.
गोपकाल कय ना यार मील त नी कय घर.
सब झणीयाल कय ओ रे पै सावा त्येरी (मै) ईज झूटी बलाणैछी?
तब गोपकाक यां गीच (खिसाणी) लै ग्याय। फिर का जछी रामील देखह सिसुणैल जै झपोडी ग्याय, फिर गोपकाक खूब मारी फिर गोपकाल सबूहू माफी मांगी उनूल कय आब मै य बात आपण घर नी बतूल. (तब जाके गोपका को छोडा)
Ha ha ha ha...Sabhi sant jan bolo - Gopka ki Jai ho

Lalit mohan ojha......pithoragarh

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #206 on: August 05, 2009, 05:51:40 PM »
gr8 job dada logo................

पंकज सिंह महर

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Re: Funny Incidents - हास्य घटनाये
« Reply #207 on: September 29, 2009, 02:49:32 PM »
एक घटना याद आई, लखनऊ में मैं पन्तनगर, खुर्रमनगर में रहता था, वहां पर पूरी बस्ती पहाडियों की ही थी, वहां पर दशहरे में चार दिन की रामलीला का मंचन होता था। एक बार मैं मेघनाद बना था और भुवन दा रावण थे और चन्दन दा थे, विभीषण के रोल में। अंगद रावण संवाद होना था,  जब दरबार सजा तो दो ही सिंहासन थे, एक पर रावण और एक पर मेघनाथ को बैठना था। चन्दन दा अड़ गये कि विभीषण के लिये भी सिंहासन लगाओ, नहीं तो मैं पाठ नहीं खेलूंगा। उनकी अनुनय विनय की गई तो वह एक शर्त पर माने कि नई चमचमाती शनील की कुर्सी पर बैठेगें। क्योंकि टेन्ट वाले के पास तीसरा सिंहासन नहीं था और वह यह कुर्सियां नई खरीद के लाया था।
खैर मेजों के ऊपर सिंहासन और नई कुर्सी लगा दी गई, नई कुर्सी के पाये की गिट्टियां भी नई और चिकनी थी। पर्दा खुलने की तैयारी हुई और सब अपनी-अपनी जगह बैठ गये। चन्दन दा फुल होकर ही पाठ खेलते थे....आये और विभीषण की ही तरह मुझे और रावण को परामर्श देने लगे। अंगद आया और संवाद शुरु हुआ तो चन्दन दा ने रावण को तुरन्त एक परामर्श दिया, कुशल दरबारी की तरह और आकर धम्म से अपनी कुर्सी पर बैठे.........कुर्सी स्लिप और चन्दन दा पर्दे के पीछे, इसी बीच रावण को भी परामर्श की जरुरत पड़ी, उन्होने हुंकार भरी "भ्राता विभीषण...!" देखा तो चन्दन दा गायब था, पीछे से चन्दन दा कमर मलते हुये आये...और कहने लगे भ्राता मेरा सिंहासन खसकी गया था.....।

महाराज जनता के तो हंसते-हंसते पेट में बल पड़ गये और हमसे चन्दन था धीरे से कह रहा था कि सालों ने मेरी कुर्सी पीछे से खींची है.........हमें तो जनता भी देख  रही थी, सो होंठ काट-काट कर हंसी रोकी।

Lalit Mohan Pandey

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Re: Funny Incidents - हास्य घटनाये
« Reply #208 on: September 29, 2009, 03:08:04 PM »
Ha Ha Ha ha ha ha ha ha ha ha ha
.. maja aa gaya pankaj da...

एक घटना याद आई, लखनऊ में मैं पन्तनगर, खुर्रमनगर में रहता था, वहां पर पूरी बस्ती पहाडियों की ही थी, वहां पर दशहरे में चार दिन की रामलीला का मंचन होता था। एक बार मैं मेघनाद बना था और भुवन दा रावण थे और चन्दन दा थे, विभीषण के रोल में। अंगद रावण संवाद होना था,  जब दरबार सजा तो दो ही सिंहासन थे, एक पर रावण और एक पर मेघनाथ को बैठना था। चन्दन दा अड़ गये कि विभीषण के लिये भी सिंहासन लगाओ, नहीं तो मैं पाठ नहीं खेलूंगा। उनकी अनुनय विनय की गई तो वह एक शर्त पर माने कि नई चमचमाती शनील की कुर्सी पर बैठेगें। क्योंकि टेन्ट वाले के पास तीसरा सिंहासन नहीं था और वह यह कुर्सियां नई खरीद के लाया था।
खैर मेजों के ऊपर सिंहासन और नई कुर्सी लगा दी गई, नई कुर्सी के पाये की गिट्टियां भी नई और चिकनी थी। पर्दा खुलने की तैयारी हुई और सब अपनी-अपनी जगह बैठ गये। चन्दन दा फुल होकर ही पाठ खेलते थे....आये और विभीषण की ही तरह मुझे और रावण को परामर्श देने लगे। अंगद आया और संवाद शुरु हुआ तो चन्दन दा ने रावण को तुरन्त एक परामर्श दिया, कुशल दरबारी की तरह और आकर धम्म से अपनी कुर्सी पर बैठे.........कुर्सी स्लिप और चन्दन दा पर्दे के पीछे, इसी बीच रावण को भी परामर्श की जरुरत पड़ी, उन्होने हुंकार भरी "भ्राता विभीषण...!" देखा तो चन्दन दा गायब था, पीछे से चन्दन दा कमर मलते हुये आये...और कहने लगे भ्राता मेरा सिंहासन खसकी गया था.....।

महाराज जनता के तो हंसते-हंसते पेट में बल पड़ गये और हमसे चन्दन था धीरे से कह रहा था कि सालों ने मेरी कुर्सी पीछे से खींची है.........हमें तो जनता भी देख  रही थी, सो होंठ काट-काट कर हंसी रोकी।

Risky Pathak

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Re: Funny Incidents - हास्य घटनाये
« Reply #209 on: September 29, 2009, 03:17:49 PM »
Hahaha.....

एक घटना याद आई, लखनऊ में मैं पन्तनगर, खुर्रमनगर में रहता था, वहां पर पूरी बस्ती पहाडियों की ही थी, वहां पर दशहरे में चार दिन की रामलीला का मंचन होता था। एक बार मैं मेघनाद बना था और भुवन दा रावण थे और चन्दन दा थे, विभीषण के रोल में। अंगद रावण संवाद होना था,  जब दरबार सजा तो दो ही सिंहासन थे, एक पर रावण और एक पर मेघनाथ को बैठना था। चन्दन दा अड़ गये कि विभीषण के लिये भी सिंहासन लगाओ, नहीं तो मैं पाठ नहीं खेलूंगा। उनकी अनुनय विनय की गई तो वह एक शर्त पर माने कि नई चमचमाती शनील की कुर्सी पर बैठेगें। क्योंकि टेन्ट वाले के पास तीसरा सिंहासन नहीं था और वह यह कुर्सियां नई खरीद के लाया था।
खैर मेजों के ऊपर सिंहासन और नई कुर्सी लगा दी गई, नई कुर्सी के पाये की गिट्टियां भी नई और चिकनी थी। पर्दा खुलने की तैयारी हुई और सब अपनी-अपनी जगह बैठ गये। चन्दन दा फुल होकर ही पाठ खेलते थे....आये और विभीषण की ही तरह मुझे और रावण को परामर्श देने लगे। अंगद आया और संवाद शुरु हुआ तो चन्दन दा ने रावण को तुरन्त एक परामर्श दिया, कुशल दरबारी की तरह और आकर धम्म से अपनी कुर्सी पर बैठे.........कुर्सी स्लिप और चन्दन दा पर्दे के पीछे, इसी बीच रावण को भी परामर्श की जरुरत पड़ी, उन्होने हुंकार भरी "भ्राता विभीषण...!" देखा तो चन्दन दा गायब था, पीछे से चन्दन दा कमर मलते हुये आये...और कहने लगे भ्राता मेरा सिंहासन खसकी गया था.....।

महाराज जनता के तो हंसते-हंसते पेट में बल पड़ गये और हमसे चन्दन था धीरे से कह रहा था कि सालों ने मेरी कुर्सी पीछे से खींची है.........हमें तो जनता भी देख  रही थी, सो होंठ काट-काट कर हंसी रोकी।

 

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