Mera Pahad > General Discussion - सामान्य वार्तालाप !

Hindi: Our Identity - हिन्दी : हमारी पहचान: आओ बढाये इसका मान

<< < (2/6) > >>

annupama89:

--- Quote from: Vijay_butola on May 16, 2008, 07:47:05 PM ---दोस्तो अपनी राष्ट्र भाषा हिन्दी के बारे मी अपने विचार इस थ्रेड मैं व्यक्त करे |

हिन्दी हमारी गरिमा है और हमें गर्व है की हम भारतीय हैं। भारतीय संस्कृति ने अनेकता में एकता या वसुधैव कुटुम्बकम की जो सूक्ति हमें प्रदान की है उसका  आधार  हिन्दी ही है। हम कहीं भी रहें, कम से कम इस सूत्र को नहीं छोड़ना चाहिए। यदि हम भारतीय है और विदेशों में भी रह रहे हैं तो भी अपने परिवार में, अपने बच्चों के साथ हिन्दी में बोलना, बात करना कोई शर्म बात नहीं है। अपनी माटी से जुड़े रहने का सबसे आसन तरीका है। अपनी मातृ भाषा का सम्मान और प्रगति कहीं न कहीं हमें सबकी नजरों में ऊँचा बनाती है।  

अंग्रेजी स्कूलों में पढाना और अंग्रेजी बोलना या सीखना बुरा नहीं है। ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती लेकिन वे माता-पिता जो बड़ी शान से कहते हैं की हिन्दी में कुछ कमजोर है, पब्लिक स्कूल में पढ़ता है न। आपके लिए यह गर्व की बात  हो सकती है लेकिन हमारे लिए यह शर्म की बात है। हिन्दी देश के बच्चों को ही क्यों शिक्षकों को भी लीजिये उन्हें कब आती है अच्छी हिन्दी। कम से कम बच्चों को सही वर्तनी और शब्दों का ज्ञान तो होना ही चाहिए। मैं लेखक या साहित्यकार बनने की बात नहीं कर रही, कम से कम देश के भावी कर्णधारों को प्रारंभिक ज्ञान तो होना चाहिए, यदि नींव अच्छी है तो हिन्दी लिखना या बोलना दुष्कर कार्य नहीं है। बस आवश्यकता है एक  संकल्प की , हम यहाँ रह कर उस मशाल को प्रज्जवलित रख  सकते हैं , जिसे विदेशों में हमारे भाई और बहनों ने जला रखी है और देश के लिए गौरव की बात है। 

हम अपनी हिन्दी को प्रदूषित कर रहे हैं। पब्लिक स्कूल की शिक्षा, मीडिया और चैनल वालों ने व्याकरण के नियमों को पढ़ा नहीं हैं। उन्हें लिंग भेद का ज्ञान नहीं हैं और क्रिया रूपों से उनका परिचय कम ही हैं। इसके उदाहरण  समय समय पर हम सब देखते रहते हैं। पत्रकारिता एक धर्म हैं और उस धर्म का निर्वाह भी पूरी ईमानदारी के साथ करना चाहिए। लेकिन जब हम टीवी पर हिन्दी का ग़लत प्रयोग या ग़लत शब्दों का प्रयोग देखते हैं तो एक ग़लत परसर्ग या क्रिया रूप की प्रस्तुति हमें शर्मसार कर देता हैं।  इसके लिए हम ही दोषी हैं। "इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स" कराने जाते हैं। इसके विज्ञापन देखते हैं, पर क्या कहीं हमने "हिन्दी स्पीकिंग कोर्स" का विज्ञापन पढ़ा हैं या किसी को करते हुए देखा हैं, शायद नहीं? इसकी जरूरत ही नहीं समझी जाती हैं। हम बेकार ही अति आत्मविश्वास के शिकार होते हैं की हिन्दी तो आती हैं हैं। अपनी भाषा की गरिमा को हम अपमानित कर रहे हैं।

हमें जरूरत हैं अपनी गरिमा को बचने की, बस इस दिशा में एक दृढ निश्चय करने की कि यह अभियान अपने घर कि चहारदीवारी से ही शुरू करे, फिर चौखट से बाहर और समाज तक पहुँचे। उन्हें बतलाना हैं कि हमें सब आत्मसात करना हैं किंतु हमारी भाषा का आधार संस्कृत भाषा हैं और उसके नियमों का पालन आना ही चाहिए।

"मैंने जाना है" एक बहुत ही आम वाक्य हैं लेकिन इसका सही स्वरूप "मुझे जाना है", या फिर "मुझको जाना है"  होना चाहिए। मेरा उद्देश्य पाठ पढाना बिल्कुल भी नहीं है बस इतना निवेदन है कि भाषा का सही प्रयोग और उसकी गरिमा का सम्मान चाहे मीडिया हो या फिर चैनल सबको करना चाहिए।

--- End quote ---





मैं आपकी बात से सहमत हूँ
और मानती हूँ की जिस तेज़ी के साथ देश में अंग्रेज़ी का विकास हो रहा है उस के बीच में हमे हिन्दी को नही भुलाना चाहिए और हिन्दी और उसकी सहायक भाषाओ/बोलियों को भी साथ लेकर चलना चाहिए

पंकज सिंह महर:
हिन्दी भाषा हमारी जड़ है और हमें हमेशा अपनी जड़ों से मजबूती से जोड़ना चाहिये। हिन्दी हमारी संस्कृति है और हमें अपनी संस्कृति की रक्षा करनी चाहिये, मुसोलिनी ने एक बार कहा था कि यदि किसी देश पर हमला करना है तो सबसे पहले उसकी संस्कृति पर हमला करो और जब उसकी संस्कृति खत्म हो जायेगी तो वह राष्ट्र पंगु हो जायेगा और धीरे-धीरे दम तोड़ देगा।
      इस बात को यहां पर कोट करना मैंने इसलिये जरुरी समझा कि हम आजीविका या आधुनिक युग में प्रतिस्पर्धा के लिये भले ही किसी भाषा को अपनायें लेकिन अपनी जड़, अपनी मूल भाषा को भूलना नहीं चाहिये।

hem:
कुछ लोग हिन्दी के लिए   पूरी तरह से समर्पित हैं, जो अपनी करनी और कथनी से हिन्दी की परम सेवा कर रहे हैं | ऐसे ही एक व्यक्तित्व हैं - श्री कैलाश चंद्र पन्त | श्री पन्त कूर्मान्च्लीय मूल के हैं | वे 'मध्य प्रदेश राष्ट्र भाषा प्रचार समिति' के मंत्री संचालक हैं | यह समिति हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए अनेक प्रकल्प चलाती है | हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की मान्य भाषा बनाने के अभियान में भी यह संस्था सक्रिय रूप से जुडी है | श्री पन्त इस संस्था के सहयोग से प्रकाशित होने वाली साहित्यिक पत्रिका 'अक्षरा' के प्रधान सम्पादक भी  हैं |   इस संस्था और श्री पन्त ने दुर्दिनों में श्री शैलेश मटियानी को भी सहयोग दिया है | श्री पन्त अपने सभी व्यक्तिगत और कार्यालयीन कार्य तो हिन्दी में करते ही हैं, उन व्यक्तिगत और सामाजिक समारोहों में  भी शामिल नहीं होते जिसके निमंत्रण पत्र अंग्रेजी  में छपे होते हैं ||

पंकज सिंह महर:

--- Quote from: hem on July 12, 2008, 08:10:22 PM --- कुछ लोग हिन्दी के लिए   पूरी तरह से समर्पित हैं, जो अपनी करनी और कथनी से हिन्दी की परम सेवा कर रहे हैं | ऐसे ही एक व्यक्तित्व हैं - श्री कैलाश चंद्र पन्त | श्री पन्त कूर्मान्च्लीय मूल के हैं | वे 'मध्य प्रदेश राष्ट्र भाषा प्रचार समिति' के मंत्री संचालक हैं | यह समिति हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए अनेक प्रकल्प चलाती है | हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की मान्य भाषा बनाने के अभियान में भी यह संस्था सक्रिय रूप से जुडी है | श्री पन्त इस संस्था के सहयोग से प्रकाशित होने वाली साहित्यिक पत्रिका 'अक्षरा' के प्रधान सम्पादक भी  हैं |   इस संस्था और श्री पन्त ने दुर्दिनों में श्री शैलेश मटियानी को भी सहयोग दिया है | श्री पन्त अपने सभी व्यक्तिगत और कार्यालयीन कार्य तो हिन्दी में करते ही हैं, उन व्यक्तिगत और सामाजिक समारोहों में  भी शामिल नहीं होते जिसके निमंत्रण पत्र अंग्रेजी  में छपे होते हैं ||

--- End quote ---

हेम जी,
     इस व्यक्तित्व से फोरम को रुबरु कराने के लिये आपका कोटिशः धन्यवाद। पंत जी का कोई ब्लाग या वेबसाइट हो तो उसकी भी जानकारी देने का कष्ट करें।

hem:

--- Quote from: Pankaj/पंकज सिंह महर on August 01, 2008, 12:59:20 PM ---
--- Quote from: hem on July 12, 2008, 08:10:22 PM --- कुछ लोग हिन्दी के लिए   पूरी तरह से समर्पित हैं, जो अपनी करनी और कथनी से हिन्दी की परम सेवा कर रहे हैं | ऐसे ही एक व्यक्तित्व हैं - श्री कैलाश चंद्र पन्त | श्री पन्त कूर्मान्च्लीय मूल के हैं | वे 'मध्य प्रदेश राष्ट्र भाषा प्रचार समिति' के मंत्री संचालक हैं | यह समिति हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए अनेक प्रकल्प चलाती है | हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की मान्य भाषा बनाने के अभियान में भी यह संस्था सक्रिय रूप से जुडी है | श्री पन्त इस संस्था के सहयोग से प्रकाशित होने वाली साहित्यिक पत्रिका 'अक्षरा' के प्रधान सम्पादक भी  हैं |   इस संस्था और श्री पन्त ने दुर्दिनों में श्री शैलेश मटियानी को भी सहयोग दिया है | श्री पन्त अपने सभी व्यक्तिगत और कार्यालयीन कार्य तो हिन्दी में करते ही हैं, उन व्यक्तिगत और सामाजिक समारोहों में  भी शामिल नहीं होते जिसके निमंत्रण पत्र अंग्रेजी  में छपे होते हैं ||

--- End quote ---

हेम जी,
     इस व्यक्तित्व से फोरम को रुबरु कराने के लिये आपका कोटिशः धन्यवाद। पंत जी का कोई ब्लाग या वेबसाइट हो तो उसकी भी जानकारी देने का कष्ट करें।

--- End quote ---


मेहरजी! पंतजी १, २ और ३ अगस्त को मध्य प्रदेश राष्ट्र भाषा प्रचार समिति  द्वारा प्रतिवर्ष भोपाल में  आयोजित 'पावस व्याख्यान माला ' के कार्य में व्यस्त हैं | इस कार्यक्रम में हिन्दी की जानी मानी हस्तियां भाग लेती हैं | इस वर्ष पद्म श्री रमेश चन्द्र शाह, डाक्टर प्रभाकर श्रोत्रिय , बाल कवि बैरागी,डाक्टर विश्वनाथ प्रसाद तिवारी आदि आए हैं |  इस आयोजन के निबटने के बाद मैं उनसे मुलाक़ात कर के आपको जानकारी दूंगा |

Navigation

[0] Message Index

[#] Next page

[*] Previous page

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 
Go to full version