यह बात बिल्कुल सही है और आज के दौर में उचित बैठती है की हमें अपनी मात्र भाषा का सम्मान करना चाहिए. इस देश में 17 राष्ट्रीयक्रत भाषाएं बोली जाती हैं और कई साई शेत्रिया भाषाएं. जो बात अनुचित लगती है वो यह नहीं है की हम हिन्दी बिल्कुल शुद्ध बोलते हैं या खड़ी बोली बोलते हैं बल्कि यह की देश के कई हिस्सों में हिन्दी बोली ही नहीं जाती है अपितु इसका विरोध किया जाता है. दक्षिण भारत में हिन्दी का एक विदेशी भाषा की तरह ही आंकलन होता है. अगर हमें हिन्दी का वाकई में सम्मान रखना है तो इन शेत्रों में हिन्दी का के प्रयोग को बड़ावा देना ज़रूरी होगा. अगर कोई हिन्दी का प्रचार करने वाली संस्था सच्चे दिल से यह काम करना चाहती है तो उसे इस दिशा में कदम उठाने होंगे. देश के सीमित हिस्सों में शूध हिन्दी बोलने से बेहतर होगा की पूरे देश में इस भाषा को बोला जाए. वही हमारी राष्ट्रा भाषा का वास्तव में सम्मान होगा.
ज़ई हिंद.
ज़ई उत्तराखंड!!!!