Mera Pahad > General Discussion - सामान्य वार्तालाप !

Lets Recall Our Childhood Memories - आइये अपना बचपन याद करें

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Risky Pathak:
हेम दा हमारे यहा इसे घाम-दयो कहते है|
घाम दयो घाम दयो श्याव बया|
घाम दयो दयो श्याव बया| 

--- Quote from: H.Pant on July 17, 2008, 07:15:22 PM ---पहाडों में मौसम अचानक बदल जाता है... बारिश होते-२ कभी-कभी धूप आ जाती है.. कभी ऐसा भी होता है कि धूप खिली हो पर बारिश की बूंदें पडने लगें. इसे घमपानि (घाम+पानी) कहा जाता है...

ऐसे मौसम के लिये बच्चों का एक सामुहिक गीत है-

घमपानि-घमपानि स्यालो को ब्या..
कुकुर-बिरालु बरयाति ग्या..
मैथे कूनान दच्छिना ल्या...


 

--- End quote ---

Risky Pathak:
होय होय यो ले याद छू


धनपुतली दान दे
सुप्पा भरी धान दे

--- Quote from: H.Pant on July 17, 2008, 07:10:22 PM ---धान कटने के दिनों में गांव के सभी घरों के आंगन में हजारों-लाखों की संख्या में धनपुतली (उडने वाले पंखदार कीट) निकलते हैं. हम सभी बच्चे उन्हें देख कर सामुहिक रूप से चिल्लाते थे-

धनपुतली दान दे
सुप्पा भरी धान दे...
--- End quote ---

Risky Pathak:

इसे मेरा दुर्भाग्य ही कहे की मैंने अपना बचपन का केवल ५ प्रतिशत ही पहाड़ में  गुजारा| फिर हर उस क्षण की यादें दिमाग में तारो ताज़ा है| और हेम दा ने ये टोपिक बनाकर मुझे भाव-विभोर कर दिया है|

जैसा की पहाड़ में संयुक्त परिवार ही होते है| सारे भाई बहिन ही इतने हो जाते थे की क्रिकेट की १ पूरी टीम बन जाती थी|  ;D ;D

तो मुझे सबसे पहला खेल याद है जो हम खेलते थे वो था "गौर-भैंस"| अब खेल बनता तो उसी से था, जो हमने अपने बडों को करते देखा| तो जैसा कि पता ही है कि हर परिवार कृषि से ही सम्बन्ध रखता है| गाय, बकरी, भैंस, बल्ड, बोहर, थोर, बाछ, हिल्वान, कात ही देखे हुए| तो हमारा "गौर-भैंस" जो खेल होता था| इसमे कोई बनता था घर का मालिक, कोई बनता था कूकूर, कोई बाकोर, कोई भैंस, कोई बाछ| तो घर का मालिक ग्वाव जाता था इन जानवरों को लेकर| और ये बताना भूल गया कि वहा आता था बाघ(अरे असली नही, वो भी हम में से ही कोई), तो बाघ खाना चाहता था बकरी को, पर मालिक हकाहाक मचाके "ओ इजा .. ओ हो हो.. बाघ बाघ.. ओ हो हो.." कहके बाघ को भगा देता था|



आज भी जब कभी कभी  जब यादो के भंवर में डूब जाता हूँ, तो मन में यही ख्याल आता है "क्या फ़िर लौट के आयेंगे वो दिन"   

Risky Pathak:

१ और खेल जो शायद बचपन से लेकर किशोर अवस्था तक खेला हो वो था "लुका छिपी"| देशो में ये 'छुपन छुपाई' नाम से जाता है| और ये बात तो बाद में पता चली कि ये खेल तो अंग्रेजी कि "hide and seek" से आया है| बचपन में जो "आइश पाइश" कहते थे, वो अंग्रेजी का "I spy" था|
तो गाँव में तो मांग होता था इतना बडा कि ढूढने में ही बहुत समय लग जाता था| कोई बोथ पर छुपता था, कोई उदियार भिदर लुक जाता, कोई तएल गाड़ा कन्हाव तरफ़ छुप जाता था| तो कहने का मतलब है कि यही खेल सबसे ज्यादा रोचक था and long-lasting था|

Anubhav / अनुभव उपाध्याय:
Main to shaher main hi pala badha hun to shaher ki yaadein hi bata sakta hun :)

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