Author Topic: Lets Recall Our Childhood Memories - आइये अपना बचपन याद करें  (Read 51244 times)

Risky Pathak

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,502
  • Karma: +51/-0
Is ghosle ki baat se ek puraani ghtna yaad aa gyi...

Ek bar khelte khelte humein kheto me 1 murgi ka ghosla milaa. Us ghosle me moorgi ke 5 6 ande the par murgi nahi thi. Humne ande phli bar dekhe the to hum bahot khush hue and unhe haath lgaake chhoone lage. Isi chakkar me mere bhai se ek anda gir gya or toot gya.. Ye dekh ke hum bahot dar gye or ghar chale aaye. Kaafi dino tak man mein ye baat rhi ki ab to paap lagega and humare sath kuch bura hoga...

Kya the wo din :)
बचपन मै मुझे चिडिया का घोसला देखने का बहुत शैक था, हम दिन भर चिडियाउ का घोसला ढूडने के चक्कर मै खेतु मै घूमते रहते थे. और अगर हमें कही घोसला मिल जाये तो बस फिर तो दिन भर उस के आस पास ही चक्कर लगते रहते थे, इस चक्कर मै बहुत बार चिडिया भी अपने घोसले मै नहीं जा पाती थी, तो कई बार कवुवा  (क्रो) या बिल्ली भी घोसला देख लेते थे और चिडिया के बच्चू को खा जाते थे. फिर हमें बहुत दुःख होता था. सोचते थे की अगली बार से ऐसा नहीं करेंगे लेकिन फिर कोए नया घोसला मिलता तो फिर से बार बार देखने का मन करने लगता था.

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
बचपन

धीरे से उम्र गुजरी है
दबें कदमों की आहट से
किसी को पता ना चलें
तुम कहां से आये हो
पुरानी सी कोई बात हो चली
जैसे स्कूल के दिन
पतंग उड़ाने का लुत्फ
बारिश में नहाना
जोर से चिल्लाना
देर से उठना
रात तक जागना
गली में बैठना
और जाने क्या-क्या
अब एक रूटिन है
बस कुछ और नहीं
हम बढ़े हो गये।
इरशाद

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
Bachpan ki mithi yaden

बचपन की वो मीठी यादें ,
वो नन्हीं-सी अठखेलियां ,
याद आती है बहुत ,
वो भोली-सी नादानियां !

वो माँ का आँचल और
पापा की अंगुली थामें ,
चलना, गिरना और फिर संभलना !
वो नन्हीं हथेलियों से अपने चेहरे को छुपाना ,
फिर उन्हीं हथेलियों से झांक कर मुस्कुराना !
वो टिमटिमाते तारों को पकड़ने की आस में
आसमान को एकटक यूँ ही तकते रहना ,
और न पाकर उन्हें मायूस-सा हो जाना !
वो नन्हें हाथों से मिट्टी का घरोंदा बनाना ,
और लहरों का उसे अपने संग बहा ले जाना ,
लेकिन फिर भी मिट्टी के नए घरोंदे बनाना !
वो बारिश की फुहारों से ख़ुद को भिगोना ,
और घर आकर माँ की डांट खाना

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
Wah re bachpan kahan gay hai tu


Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

सुधीर चतुर्वेदी

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 426
  • Karma: +3/-0




रामायण के इस पोस्टर को देखकर उम्मीद है बहुत से लोगो को अपना बचपन याद आ रहा होगा ,सिर्फ एक चॅनल दूरदर्शन वो भी सबके घर पे टेलीविजन नहीं उस समय मे कक्षा २ - ३ मे पड़ता था रामायण का बहुत इंतजार रहता था |        

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22