Mera Pahad > General Discussion - सामान्य वार्तालाप !

Medical First or Devta & Bhoot Pooja First- इलाज पहले या भूत पूजा ?

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सत्यदेव सिंह नेगी:

मेहता जी आपने यहाँ आजतक के विडियो को दिखा के अच्छा काम किया है मेरी तरफ से आपको बहुत बहुत धन्यबाद  हम ऐसे वक़्त में पैदा हुए हैं जिसमे हमने बीते हुए उत्तराखंड और वर्तमान उत्तराखंड दोनों को देखा ही नहीं भुगता भी है . मेरे ताउजी स्वर्गीय श्री बुद्धि सिंह जी आर्य ने कलकत्ता पुलिस से रिटायर होके हमारे बचपन के दिनों में ( करीब १९७२-७३ ) में आर्यसमाज ज्वाइन किया था तथा स्यून्सीनगर  में  श्री शांतिप्रकाशप्रेमप्रभाकर जी के साथ आर्यसमाज मंदिर की स्थापना की हमारा बचपन उनके पवन सानिद्ध्य में बीता भजन कीर्तन सत्संग में हम उनके साथ सभी जगह जाते थे भूत पिच्चास को वे लोग भी नहीं मानते थे
पर मेरा इस मामले में अलग ही अनुभव रहा है और मै स्वीकारता हूँ की भूत पिचास देवी देवता होते हैं और उनमे मेरी पूर्ण श्रद्धा एवं आस्था है आजतक मीडिया हाउस है और उसके भी अपना काम किया है इस बारे में मुझे भी उनसे कोइ गिला नहीं है मैंने कई केसेस में देखा है की दवा काम नहीं करती कर ये सब चल जाता है

सत्यदेव सिंह नेगी:

हाँ ये जरूर है की जिन लोगों को इस बारे में ज्यादा जानकारी न हो और उनके किसी प्रियजन को बुरा वक़्त देखना पड़ा हो या किसी बीमार की हालत सुधर न रही हो तो मै उन्हें सुझाव दूंगा की एक बार इसे भी आजमा लें शायद सुधार हो जाये

Bhopal Singh Mehta:

We appreciate the effort of Aaj Tak to make a coverage on this issue but the way prominent news channel has totally made it a supersitution, i don't agree with this.

It is generally seen in hill area due to poor health facilities people prefer to take devine help rather than visiting Doctor.  But do not agree that this fully supertitution.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:


आज तक हमारे देश का सबसे प्रमुख न्यूज़ चैनल है लेकिन जिस तरह से उन्होंने इस न्यूज़ को अपने वारदात प्रोग्राम में दिखाया है वह उसकी जगह नहीं है ! यह कोई वारदात नहीं है, भगवान् की पूजा करना वारदात नहीं है ! जहाँ तक  बकरी का बलिदान दिखाया गया है वो सारे देश होता है! आस्था के नाम पर हर जगह बकरिया और भैसों कटते है वह आम बात है तो यह वारदात नहीं है!

दूसरी तरफ हमारे उत्तराखंड में जगह जगह पर देवी देवताओ की अलग-२ पूजा की जाती है! उसमे कई प्रेत आत्माओ को दूर करने के लिए बलि देने की प्रथा है ! मानो तो देवता ना मानो तो पत्थर!

मै किसी भी प्रकार से अंधविश्वास के हक़ में नहीं हूँ आज का समाज पड़ा लिखा है लेकिन यह भी सत्य है लोग देवी देवताओ याह मसान के पूजने से भी बीमारियों से छुटकारा मिलता है !

मेरे सामने कई अनगिनत किस्से है जहाँ पर लोग इलाज के लिए कई महानगरो में जाते है और लाखो रूपये खर्च करने के बाद अन्तः में अपने घर के पूजा पाठ एव किसी भी प्रकार पूजा करने से भी ठीक हुए है! इसमें इन्हें नाकारा भी नहीं जा सकता है !

जहाँ तक ही मेडिकल की बात है !

पहाड़ के दूर दारज के जगहों पर हॉस्पिटल की कोई सुविधा नहीं है और किसी भी प्रकार के इलाज के लिए एक बार लोग जरुर देवी देवता वाला पहलू को भी देखते है! देखिये अगर किसी का हाथ कटा है और हड्डी टूट गयी है तो इसके लिए कोई जागर या पूजा पाठ नहीं कराएगा! अगर कोई किसी बीमारी से काफी लम्बे समय से छुटकारा नहीं पा रहा है तो वह एक बार देवता की शरण में जरुर जाता है ! या भूत पिचाश वाला भी देखता है

मेरा माना है कि आजतक की टीम केवल एक बार किसी के साथ यह न्यूज़ बनाने के लिए वहां गयी होगी अगर किसी मीडिया वाले को अगर किसी प्रकार का भूत या देवता का छल लगता है तो वह जरुर इसके बारे में सोचता!

मै यही कहूँगा.. देवी देवता का अभी भी पहाड़ में चमत्कार देखे गए है इसे पूर्ण रूप से अन्धविश्वास करार देना उचित नहीं होगा! हाँ वही दूसरी तरफ छोटी-२ बातो में भी देवी देवताओ के रहस्य के साथ भी जोड़ना उचित नहीं !


 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

यह बहुत बड़ा बहस का विषय है, विज्ञान  मेडिकल साइंस का अपना मत है लेकिन हमारे पहाड़ में कई बार एसे-२ चमत्कार हुए है जहाँ पर लोगो की आस्था इस विषय पर बड जाती है!

इस विषय पर अपनी राय आप यहाँ दे सकते है !

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