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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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« Reply #10 on: October 22, 2007, 11:23:54 AM »
जहां नमक बिकता है पंद्रह रुपये किलोOct 21, 02:17 am

पुरोला (उत्तरकाशी)। मोरी प्रखंड के पंचगाई तथा बडासू पटटी के 11 गांव के के लिए गंगाड़ और फिताड़ी में खाद्यान्न गोदाम खोलने की ग्रामीणों की मांग शासन और प्रशासन आज तक पूरा नहीं कर पाया है। क्षेत्र में खाद्यान्न गोदाम नहीं होने के कारण जनता को बरसात और सर्दी के मौसम में महंगे दामों पर राशन खरीदनी पड़ती है। हालात यहां तक पहुंच जाती हैं कि खुला नमक भी पंद्रह रुपये किलो बिकता है।

क्षेत्र के डेढ़ दर्जन गांव लिवाड़ी, राला, कास्ला, हरीपुर रेक्का, फिताड़ी तथा बडासू पटटी के औसला, पवाणी, गंगाड़ सीमा तथा ठाटमीर के 8 हजार ग्रामीणों को बरसात और सर्दी कामौसम शुरू होते ही खाद्यान्न संकट का डर सताने लगता है। क्षेत्र के इन ग्यारह गांव में हर वर्ष बरसात के समय मोटर मार्गो के ध्वस्त होने तथा शीतकाल में अत्यधिक बर्फबारी के कारण खाद्यान्न संकट पैदा हो जाता है, जिसका का खामियाजा मोटर मार्ग से 30 से 40 किमी की दूरी पर बसे 11 गावं के ग्रामीणों को हर वर्ष भुगतना पड़ता है। हालात इस कदर है कि दो अलग-अलग दिशाओं में बंटी इन दो पट्टियों में एक हजार मीटर की ऊचांई पर बसे 8 हजार लोगों के लिए 12 से 17 किमी की दूरी पर पंचगाई पटटी के 6 गांव के लिए जखोल में तथा बडासु पटटी के 5 गांव के लिए तालुका में खाद्यान गोदाम स्थित है। क्षेत्र में मोटर मार्गों के नहोने तथा नवंबर के बाद अत्यधिक बर्फबारी और बरसात में मार्गों के क्षतिग्रस्त होने के कारण राशन पहुंचाना असंभव हो जाता है। यही कारण है कि क्षेत्र की जनता वर्षो से पंचगाई पट्टी के लिए फिताड़ी में तथा बडासू के लिए गंगाड़ में खाद्यान गोदाम खोलने की मांग कर रही है। फिताड़ी निवासी बलवीर सिंह राणा तथा प्रहलाद सिंह बताते है कि क्षेत्र की जनता 7-8 वर्षो से शासन तथा जिला अधिकारी को कई बार इस संबंध में पत्र लिखकर मांग कर चुकी है। लेकिन नए गोदाम तो दूर पुराने गोदामों में भी कभी समय पर खाद्यान नहीं पहुंच पाता तथा बर्फ पड़ने पर खच्चरों से राशन ले जाने पर मुहमांगा भाड़ा देना पड़ता है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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« Reply #12 on: October 23, 2007, 12:07:01 PM »

See this news on Industrial POlicy .

New policy to boost State industry sector
By R Dutta Choudhury
 GUWAHATI, Oct 22 – The North East Industrial Policy, declared by the Government of India in 1997, brought in investment worth Rs 3200 crore to Assam and the new policy declared this year with added incentives is expected to bring in more investments for the overall industrial development of the State. Talking to The Assam Tribune, State Industries and Commerce Minister Pradyut Bordoloi said that though the policy was declared in December, 1997, the operational guidelines came into effect only in the year 2001 and according to an estimate of the Government, the investments that came to Assam after the declaration of the policy generated employment opportunities for more than nine thousand persons. He said that around 1200 industries were established in Assam after the declaration of the policy and it gave a major boost to the industrial sector, but around 30 per cent of the industries established during that period were closed down subsequently.

It may be mentioned here that the major benefits given under the policy included capital investment subsidy to the tune of 15 per cent of investment in plant and machinery up to the maximum of Rs 30 lakh, three per cent interest subsidy on working capital loan, 100 per cent income tax exemption for a period of ten years, 100 per cent excise duty exemption for ten years, transport subsidy, a comprehensive insurance scheme, etc.

However, Bordoloi admitted that there were some major drawbacks in the policy, which acted as hurdles in the way of attracting investment to Assam and other parts of the North East region. He said that one of the major drawbacks was that service sectors including tourism, hospitality, health care, leisure etc were not covered by that policy. He pointed out that the state failed to attract large investment, as the maximum limit for capital investment subsidy was only Rs 30 crore.

The Minister said that as the Government of India extended similar benefits to the states of Himachal Pradesh, Uttarakhand, and Jammu and Kashmir, the North East failed to attract investments to the desired level and because of that, the potential investment was diverted to the “mainland states”. He further said that the incentives declared under the policy were available only for the industries established in the notified areas, which was another major hurdle in the way of attracting investments.

Bordoloi admitted the delay in payment of the subsidy also created problems for the entrepreneurs. He pointed out that the entrepreneurs, while preparing the project cost, took into account the subsidies declared under the North East Industrial Policy. However, the delay in releasing the subsidy affected the viability of the projects. The delay also led to escalation of the bank interest rates and the subsidies received later were spent on payment of the interests and the effect of the incentives was negated.

Replying to a question on the controversy regarding withdrawal of the benefits to tobacco industries, Bordoloi said that all goods falling under chapter 24, 21 and 27 of the first schedule of the Central Excise Tariff Act, 1985 like tobacco, tobacco substitutes, pan masala, petroleum oil and gas, plastic carry bags of less than 20 macrons as specified by the Ministry of Environment and Forest , have been included in the negative list. So there should not be any fresh controversy regarding withdrawal of incentives to these industries, he added.

http://www.assamtribune.com/scripts/details.asp?id=oct2307/at05

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भौगोलिक अध्ययन के लिए पिंडारी ग्लेशियर अभियान पर गया दलOct 25, 02:44 am

बागेश्वर। युवा कल्याण विभाग के साहसिक कार्यक्रम के अंतर्गत एक सप्ताह की यात्रा के लिए 11 सदस्यों का एक दल पिंडारी ग्लेशियर के लिए आज रवाना हुआ है। दल को युवक समिति के अध्यक्ष नरेद्र खेतवाल ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। दल के सदस्य सामाजिक, भौगोलिक व आर्थिक सर्वेक्षण करेगे। युवा कल्याण अधिकारी दीप्ति जोशी ने बताया कि युवा कल्याण विभाग के साहसिक कार्यक्रम के अंतर्गत 11 सदस्यों के एक दल को पिंडारी ग्लेशियर भ्रमण के लिए भेजा गया है। इस दौरान वह रास्ते में पड़ने वाले गांवों का सामाजिक, आर्थिक, भौगोलिक सर्वेक्षण करेगे। साथ ही ग्लेशियर में पड़े प्लास्टिक कचरे को भी साफ करेंगे। दल का नेतृत्व बेग राम सिंह कर रहे है। दल में बागेश्वर, कपकोट व गरुड़ के युवाओं को भेजा गया है। दल को हरी झंडी दिखाते हुए युवक समिति अध्यक्ष नरेद्र खेतवाल ने कहा कि इससे युवाओं को उच्च हिमालयी क्षेत्रों का अध्ययन करने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि वहां के लोगों की समस्याओं को शासन तक पहुंचाकर उनके निदान का भी प्रयास किया जाना चाहिए।

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साहस : बाघ से भिड़ा ग्यारह वर्षीय विमलOct 25, 02:44 am

रुद्रप्रयाग। ग्यारह वर्षीय विमल अदम्य साहस का परिचय देते हुए बाघ के बीच चली जोर आजमाइश से अपनी जान बचाने में सफल रहा, लेकिन वह अपने घोड़े को नहीं बचा सका।

यह घटना उस समय की है जब राजपाल ग्राम लौहार कुरझण निवासी का पुत्र विमल जंगल में अपने घोड़े के साथ गया हुआ था। बाघ ने मौका देखकर घोड़े पर धावा बोल दिया। इतने में पास में खडे़ ग्यारह वर्षीय विमल ने बाघ पर पत्थरों से हमला बोल दिया। जंगल के राजा को यह मंजूर नहीं था, वह विमल की ओर दौड़ पड़ा, लेकिन इसके बाद भी उसने हिम्मत नहीं हारी ओर बाघ पर पत्थरों से लगातार हमला करता रहा। इतने में गांव के लोग आवाज सुनकर वहां पहुंच गए और बाघ ने हार मानकर चले गया। विमल के पिता राजपाल ने बताया कि पुत्र को निकटवर्ती चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। उसे कुछ चोट भी आई है। उसने कहा कि घोड़ा उनकी जीविका का साधन था, इस घटना से उसकी आर्थिकी भी ठप पड़ गई है। वहीं क्षेत्र के लोगों ने इस बालक के अदम्य साहस को देखते हुए इसे पुरस्कार देने की मांग जिला प्रशासन से की है।

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« Reply #15 on: October 25, 2007, 10:06:34 AM »

Hat off for Vimal..

साहस : बाघ से भिड़ा ग्यारह वर्षीय विमलOct 25, 02:44 am

रुद्रप्रयाग। ग्यारह वर्षीय विमल अदम्य साहस का परिचय देते हुए बाघ के बीच चली जोर आजमाइश से अपनी जान बचाने में सफल रहा, लेकिन वह अपने घोड़े को नहीं बचा सका।

यह घटना उस समय की है जब राजपाल ग्राम लौहार कुरझण निवासी का पुत्र विमल जंगल में अपने घोड़े के साथ गया हुआ था। बाघ ने मौका देखकर घोड़े पर धावा बोल दिया। इतने में पास में खडे़ ग्यारह वर्षीय विमल ने बाघ पर पत्थरों से हमला बोल दिया। जंगल के राजा को यह मंजूर नहीं था, वह विमल की ओर दौड़ पड़ा, लेकिन इसके बाद भी उसने हिम्मत नहीं हारी ओर बाघ पर पत्थरों से लगातार हमला करता रहा। इतने में गांव के लोग आवाज सुनकर वहां पहुंच गए और बाघ ने हार मानकर चले गया। विमल के पिता राजपाल ने बताया कि पुत्र को निकटवर्ती चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। उसे कुछ चोट भी आई है। उसने कहा कि घोड़ा उनकी जीविका का साधन था, इस घटना से उसकी आर्थिकी भी ठप पड़ गई है। वहीं क्षेत्र के लोगों ने इस बालक के अदम्य साहस को देखते हुए इसे पुरस्कार देने की मांग जिला प्रशासन से की है।


मेरा पहाड़ / Mera Pahad

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« Reply #16 on: October 25, 2007, 10:12:10 AM »
Sachmuch bahut hi sahas ki baat hai yeh.

साहस : बाघ से भिड़ा ग्यारह वर्षीय विमलOct 25, 02:44 am

रुद्रप्रयाग। ग्यारह वर्षीय विमल अदम्य साहस का परिचय देते हुए बाघ के बीच चली जोर आजमाइश से अपनी जान बचाने में सफल रहा, लेकिन वह अपने घोड़े को नहीं बचा सका।

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suchira

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« Reply #17 on: October 25, 2007, 01:16:57 PM »
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Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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« Reply #18 on: October 25, 2007, 01:56:11 PM »
Main jaanta hun Vishal Vicky Bisht ji ko woh Noida main rahte hain. He is also a member of K-G group.

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« Reply #19 on: October 26, 2007, 09:14:41 AM »
दरारों का अध्ययन करने के लिए भूगर्भ वैज्ञानिक पहुंचेOct 26, 02:33 am

जोशीमठ (चमोली)। विष्णुप्रयाग जल विद्युत परियोजना से चांई गांव में हुए भूस्खलन का जायजा लेने पहुंचे क्षेत्रीय विधायक केदार सिंह फोनिया ने गांव के प्रभावितों की बीच पहुंच समस्याएं सुनी और संबंधित कंपनी अधिकारियों को लोगों को मुआवजा देने तथा उनकी समुचित व्यवस्था करने को कहा। मकानों में आई दरारों का स्थलीय निरीक्षण करने के लिए भूगर्भ वैज्ञानिक भी गांव में पहुंचे गए हैं।

चांई गांव में पानी का रिसाव होने तथा भूस्खलन के चलते आवासीय घरों में दरारें उभर आने से गांव को खतरा उत्पन्न हो गया है। क्षेत्रीय विधायक ने गांव पहुंचकर स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने समस्याओं को गंभीर देखते हुए पुनर्वास व ग्रामीणों की सुरक्षा को शासन को लिखने तथा वैकल्पिक व्यवस्था को परियोजना की कार्यदायी कंपनी जयप्रकाश को निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि भूस्खलन से निपटने के लिए ग्रामीणों को उचित मुआवजा तथा सुरक्षा को लेकर भी कंपनी को निर्देशित किया जाएगा। विधायक ने जेपी कंपनी के मुख्य निदेशक रवि चड्डा को भी इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इधर कंपनी का कहना है कि सुरंग से पानी का कहीं भी रिसाव नहीं हो रहा है। उन्होंने कंपनी की सर्वे टीम की रिपोर्ट व भूवैज्ञानिकों की रिपोर्ट आने के बाद विस्थापन समेत अन्य कार्यवाही का भी आश्वासन दिया। जबकि कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी रणवीर सिंह ने संपर्क करने पर बताया कि पावर हाउस लाइन में समय-समय पर मरम्मतीरण होने से विद्युत उत्पादन को कुछ समय के लिए बंद किया जाता है।

 

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