क्या च नदी जोड़ो परियोजना
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सरोज शर्मा-गढ़वाली जन साहित्य- 225
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नदियों कु आपस मा ज्वडणां कु विचार 161 साल पुरण च, सरकार नदी जोड़ परियोजना ( आई एल आर )मा 30 नदियों थैं आपस मा ज्वणन चांद ,ऐ खुण 15,000 किलोमीटर लंबी नैर ख्वदणि होलि, जै मा 174 घन किलोमीटर पाणि स्टोर किए जा सकि ,राष्ट्रीय नदी जोड़ो प्रोजेक्ट मा कुल 30 लिंक बणाण कि योजना च,जैसे 37 नदियां जुड़ी ह्वेली,
ऐ खुण तीन हजार स्टोरेज डैम क नेटवर्क बणाण कि योजना च,ई द्वी भागो मा ह्वाल,
एक हिस्सा हिमालयी नदियों क विकास कु ह्वाल, ऐ मा 14 लिंक चुनै गैन,ऐ का तहत गंगा और ब्रह्म पुत्र मा जलाशय बणाण कि योजना च, दुसर भाग प्रायद्वीप नदियो क विकास कु च,
यी दक्षिण जल ग्रिड च,ऐ का तहत 16 लिंक कि योजना च,जु दक्षिण भारत कि नदियों कु जवडणक च, ऐका तहत महानदी और गोदावरी थैं कृष्णा पेन्नार, कावेरी और वैगाई नदी से ज्वणन की परिकल्पना च,
यूपीए मा कुछ खास नि ह्वै मोदी क आण से फिर तेजी ऐगै,
यूपीए-1 और यूपीए-2 न पूरा एक नदी जोड़ परियोजना (आर एल आर) थैं महत्व नि देई,यूपीए मा पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश न यीं परियोजना थैं विनाशक बतै,
वखी सरकार मा आण क बाद नरेंद्र मोदी न अप्रैल 2014 म बिहार मा आयोजित एक चुनाव रैली क बाद ट्वीट कैरिक ब्वाल कि नदियों थैं जवडणक अटल जी क स्वप्न हि हमारू भी स्वप्न च ,हमर मेहनती किसानो थैं ऐ से ताकत मीलली,
फरवरी 2012 मा अयां फैसला मा तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एस एच कपाड़िया और स्वतंत्र कुमार कि सुप्रीम कोर्ट एक खंड पीठ न ब्वाल कि ई कार्यक्रम राष्ट्र हित मा च,ऊन नदियों थै ज्वणन कु एक कमेटी बणान कु आदेश दयाई,
ऐका बाद नरेंद्र मोदी सरकार न 23 सितंबर 2014 कु जलसंसाधन, नदी विकास और गंगा सफाई मंत्रालय का तहत एक विशेष समिती कु गठन कैर, अप्रैल 2015 मा एक स्वतंत्र कार्यालय भि गठन किए ग्या,
मोदी का प्रधानमंत्री बणना क बाद पैल परियोजना निर्माण क चरण तक पौंछ गै,एक लिंक नहर, जु मध्य प्रदेश क (पन्ना टाइगर रिजर्व क भितर स्थित ) धौदन क पास केन नदी से सालाना 107'4 घन मीटर पाणि निकालिक यूपी मा 221 किलोमीटर दक्षिण मा स्थित बेतवा नदी तक पौंछैली,
भारत म नदियो कि ज्वणन कि योजना पर सबसे पैल ब्रिटिश राज का चर्चित इंजीनीयर सर आर्थर काॅटन न सन 1958 (161)साल पैल कै छै, ऊं न व्यापार थैं बणाण क साथ ही आंध्रप्रदेश और ओडिशा प्रान्त मा सूखा से निपटणकु धैर छा,
1970 मा तत्कालीन सिंचाई मंत्री डाक्टर केएल राव न राष्ट्रीय जल ग्रिड बणाण कु प्रस्ताव धैर, ऊन ब्रह्म पुत्र और गंगा क पाणि थैं मध्य और दक्षिण भारत का सूखा इलाका मा मोड़ना कि बात बोलि छै,
1980 मा जल संसाधन मंत्रालय न नेशनल प्रॉस्पेक्टिव फार वाटर रिसोर्सेज डेवलपमेंट नौं कि रिपोर्ट पेश कैर, ऐ मा वाटर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट थैं द्वी हिस्सो मा बंटै ग्याई, एक हिमालयी इलाका और दुसर प्रायद्वीप,
1982 मा नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी द्वारा विस्तृत अध्ययन खुण विशेषज्ञो कि कमेटि बणये ग्या,
1982 से 1913 तक एन डब्लूडीए न तीस से ज्यादा रिपोर्ट बणै लेकिन एक भि प्रोजेक्ट शुरू नि ह्वै सक,
1999 मा एन डी ए सरकार बणाण क बाद तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी बजपेयी न नदी ज्वणन कि परियोजना पर काम शुरू कैर, हालांकि 2004 मा एन डी ए सरकार क जांद हि योजना ठंडा बस्ता मा चलिगै।
2012 मा सुप्रीम कोर्ट न केन्द्र सरकार थैं निर्देश दीन कि ऐ योजना पर समयबद्ध तरीका से अमल हूण चैंद, जनकि ऐ कि लागत नि बड़, कोर्ट न योजना पर अमल खुण एक उच्चस्तरीय समीति भि बणै,
केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट:ऐमा केन नदी मा डैम बणाण कि योजना च,नहर क जरिया पाणि बेतवा पौंछये जालु,
दमनगंगा-पिंजल प्रोजेक्ट:डीपीआर मार्च 2014 मा पूरी ह्वै गै महाराष्ट्र सरकार न 2015 मा रिपोर्ट राष्ट्रीय जल आयोग थैं सौप द्या,
पार तापी नर्मदा लिंक प्रोजेक्ट 2015 मा डीपीआर तैयार, महाराष्ट्र और गुजरात सरकार थैं सौंपे ग्या,
महानदी-गोदावरी लिंक प्रोजेक्ट:ऐ पर भि काम हूंणुच,
मानस-संकोश-तीस्ता-गंगा लिंक:ऐका तहत मानस संकोश कु अतिरिक्त पाणि मोडणा कि योजना च,
इंटर-स्टेट लिंक:एन डब्लूडीए थैं नौ राज्यो से 46 प्रस्ताव मिल्यां छन,ऐमा महाराष्ट्र गुजरात, झारखंड, ओडिशा, बिहार, राजस्थान, तमिल नाडू, कर्नाटका और छत्तीसगढ शामिल च, इन 46 मा से 35 इंटर स्टेट लिंक कि प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट एन डब्लूडीए द्वारा 2015 मा तैयार करै गै,
मोदी सरकार न नदी जोड़ो अभियान थैं प्राथमिकता द्या, सरकार कु मकसद सूखा और बाढ़ कि समस्या खत्म करण च,और साथ हि किसानो थैं पाणि क मामला मा आत्मनिर्भर बणाण च ताकि वू सिर्फ मानसून पर ही निर्भर ना रैं ,
मोदी सरकार न ऐ प्रोजेक्ट क जिम्मा राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण ( NWDA) थैं सौंपि, प्राधिकरण क देखभाल क जिम्मा केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री थैं सौंपे ग्या,
सरकार न सुप्रीम कोर्ट क निर्देश क बाद ऐ परियोजना खुण 23 सितंबर 2014 मा एक विशेष समिती गठित कैर, अप्रैल 2015 मा मंत्रालय द्वारा एक टाक्स फोर्स गठित करै ग्या,
ऐ से पीणक पाणि समस्या दूर ह्वैलि
आर्थिक समृद्धि ऐली बदहाली दूर ह्वैलि
सूखा कि समस्या कु स्थाई समाधान ह्वै जालु
सिंचित रकबा मा वर्तमान का मुकाबला उल्लेखनीय वृद्धि ह्वैलि,
जल ऊर्जा क रूप मा सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा मिल सकलि,
नहरों कु विकास होलु
नौवहन क विकास से परिवहन कि लागत मा कमि ऐलि
टूरिस्ट स्पाट मा वृद्धि ह्वेली
बड़ पैमाना मा वनीकरण थैं प्रोत्साहन मिललू ।
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