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Bhishma Kukreti

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« Reply #360 on: February 24, 2022, 09:42:30 AM »
वैष्णोदेवी मंदिर आंछरीखाल, पौड़ी गढ़वाल
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सरोज शर्मा-गढ़वाली जन साहित्य -227
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पौड़ी शहर से नौ किलोमीटर कि दूरी पर पौडी देवप्रयाग राजमार्ग पर आंछरीखाल नौ कु स्थान म मां वैष्णव देवी मंदिर स्थित च धार्मिक और पर्यटन क खुण ऐ स्थान काफी रमणीक च । यख से हिमालय की विस्तृत दृश्यावली क दगड़ ही श्रीनगर मा बैंदी गंगा का मनोहारी दर्शन भि हुंदिन। पौराणिक दृष्टिकोण से मंदिर कु निर्माण भक्तो क आस्था क प्रतीक च। ब्वलेजांद कि कफलना गौं का निवासी राजेंद्र सिंह थैं स्वीणा मा वैष्णव देवी न दर्शन देकि कै उच्चा स्थान मा मंदिर निर्माण कि बात बोलि, स्वीणा मा माता वैष्णव देवी कि आदेश पर वै न आंछरीखाल नौ कि जगा मा मंदिर निर्माण करै। आज यू मंदिर पौड़ी ही न बल्कि सुदूरवर्ती क्षेत्रो मा भि काफी प्रसिद्ध च। मां का आशिर्वाद से भक्तो कि मनोकामना पूरी हुन्दिन, मनोकामना पूर्ण ह्वै जाणक बाद श्रद्धालु मंदिर क विकास म अपणि महत्वपूर्ण भूमिका निभंन्दिन। जम्मू-कश्मीर मंदिर क प्रतिरूप ऐ मंदिर मा श्रधालुओ द्वारा गुफा कु निर्माण भि करयै ग्या जु कि मंदिर कि महत्ता और आकर्षण थैं बड़न्दिन।नवरात्र का दिनो मा मंदिर मा काफी चैलपैल हूंद। धार्मिक स्थल क साथ साथ पर्यटन क दृष्टिकोण से भि मंदिर काफी महत्वपूर्ण च। इति।


Bhishma Kukreti

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« Reply #361 on: February 25, 2022, 08:56:44 AM »
विदेशों म मुफ्त शिक्षा दीण वळ देस
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विदेशों मा शिक्षा भाग -3
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संकलन- रुपेश कुकरेती
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  इन सात देश जु अंतर्राष्ट्रीय छात्र/छात्राओं तै मुफ्त शिक्षा दीण मा सहायता करदन :-

विदेश मा पढ़णक सुपनी हर कैक हुन्द इनमा अगर छात्र/छात्राओं तै पता चौल कि भारतक भैर भी कुछ इन देश छन जु अन्तर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों तै मुफ्त मा शिक्षा दीन्दन त वूंक सुपिनी त साकार ह्वे जा

 जु सात देश मुफ्त मा शिक्षा दीन्दन वू सात देश निम्नलिखित छन.....:-

1 जर्मनी - जब उच्च शिक्षा कुण कम या बिलकुल भी पैसा नी  लगणक वाल देशोंक बात आंदी त इनमा जर्मनिक नाम टुख/चुक्खा(सबसे ऊपर) मा नजर आन्दु।जर्मनक घरेलू विश्व विद्यालयों मा पढण वाल अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू विद्यार्थियों तै शिक्षण शुल्कक भुगतान करणक की आवश्यकता नी च। फिर भी कुछ विश्व विद्यालय विद्यार्थियों  तै विश्व विद्यालय और कार्यक्रम  कु आधार पर प्रशासन की लागत तै कवर कनक वास्ता 1277 से 34072 रुप्योंक तक भुगतान कनककुण बुल्दन।येक अलावा यदि क्वी विद्यार्थी इन देश बिटिक आन्दु जख छात्र/छात्रा वीजा की जरुरत च,त वूं तै यी साबित कन प्वाडल कि वूंमा हर साल 871905 रुप्या या रौण-सौणकुण खर्चक वास्ता 72403 रुप्योंक बजट हर महीना छैं च कि ना !

2 :- नार्वे :- नार्वे घरेलू विश्व विद्यालयों या महाविद्यालयों  मा क्वी शिक्षण शुल्क नी च, पर विद्यार्थियों तै प्रवेशकुण छुट सी शुल्क दीण पुडुद। दुसर तरफ व्यक्तिगत(प्राइवेट)  विश्व विद्यालयों मा विद्यार्थियों तै शिक्षण शुल्क दीण पुडदि जु वे संस्थान अर डिग्री  पर निर्भर करदी जै मा वू पढ़णा छन अर जैं डिग्री वू लीणा छन।रौणकुण मैंगू(मंहगा) देश हुणक बाबजूद भी इखक मुफ्त शिक्षा न  नार्वे तै अन्तर्राष्ट्रीय विद्यार्थियोंक बीच  सबसे लोकप्रिय देशों की सूची मा डाल द्या।देशक घरेलू विश्व विद्यालयों तै उखक सरकार द्वारा कोष(फण्ड)  दिये जान्दु। इले  अन्तर्राष्ट्रीय विद्यार्थी मुफ्त शिक्षा प्राप्त कौर सकदन।नार्वे मा स्नातक,स्नातकोत्तर स्तरक कार्यक्रम बिलकुल मुफ्त छन चाहे वे विद्यार्थिक राष्ट्रीयता कुछ भी ह्वा।

3  : -  स्वीडन : -स्वीडन मा अधिकांश विश्व विद्यालय घरेलू छन अर यूरोपीय संघ/ईईए अर स्विजरलैंडक विद्यार्थियों से स्नातक अर स्नातकोत्तर डिग्री हासिल कनकुण शिक्षण शुल्क नी लिए जान्दु। दुसर तरफ पीएचडी कन वाल विद्यार्थी स्वीडन मा मुफ्त मा पढ़ै कौर सकदन अर अपर शोध कार्यक वास्ता स्वीडन देश द्वारा दिये जाण वाल वित्तीय सहायता से भी लाभ ले सकदन।

4 :- आस्ट्रिया यूरोप :-
गैर ईयू/ईईए विद्यार्थियों तै प्रति सेमेस्टर 62181 रुप्योंक  मामूली शिक्षण शुल्क का भुगतान करण प्वाडल।इदगा खुबसूरत अर मैंग देश मा इदगा कम फीस आपक विदेश मा पढणक सुपिनी पूर कौर सकुद।अगर आप घरेलू विश्व विद्यालय मा पढ़णा छ्या त आप तै केवल छात्र संघ अर छात्र बीमक 1533 रुपये योगदान दीण प्वाडल।लेकिन अगर आप अपर स्नातक डिग्री कुण आठ सेमेस्टर से अधिक अर अपर स्नातकोत्तर डिग्री कुण छः से ज्यादा सेमेस्टरक पढ़ै करदा त आपमान प्रति सेमस्टर 30664 रुप्योंक शुल्क लिए जाल।

5 :- फिनलैंड :- फिनलैंडक शिक्षा प्रणाली तै भी पूर दुनिया मा सर्वश्रेष्ठ मने जान्दु। इख कई विश्व विद्यालय मुफ्त शिक्षा दीन्दन।किले कि वूं तै इखक सरकारक द्वारा कोष दिए जान्दु।यूरोपीय संघक देशों मा आण वाल विद्यार्थी कै भी कार्यक्रम मा फिनलैंड मा मुफ्त पौढ सकदन,जबकि गैर यूरोपीय संघक विद्यार्थी जु अंग्रेजी मा पढण चाणा छन वूं तै शिक्षण शुल्क दीण प्वाडल।विद्यार्थियों तै केवल यी सुनिश्चित करण प्वाडल कि वूं मा अपर रौणकुण, किताबोंकुण अर दुसर खर्चोंकुण कीसा उन्द रुप्या(बजट) छै छन कि ना।

6 :- चेक रिपब्लिक  :- यूरोपक दिलक रुप मा प्रसिद्ध चेक गणराज्य एक इन देश च जु अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों तै मुफ्त मा शिक्षा दीन्दु।ये देशक राज्योंक विश्व विद्यालयों मा उच्च शिक्षा सभी विद्यार्थियोंकुण निःशुल्क च चाहे वू कै भी देशक छन वूंक राष्ट्रीयता कुछ भी च।हालांकि कै भी सार्वजनिक  विश्व विद्यालय मा मुफ्त शिक्षण शुल्कक लाभ उठाणकुण विद्यार्थियों तै स्थानीय भाषक ज्ञान हुण चयाणु च। जु भी विद्यार्थी आंग्ल भाषा मा पढण चाणा छन वूं तै हर साल शिक्षण शुल्कक रुप मा 340721रुप्या से लेकन 1022163 रुप्या तक दीण पोड सकद छन।

7 :- फ़्रांस :- कुछ सार्वजनिक विश्व विद्यालयों तै छोड़िक फ्रांस मा उच्च शिक्षा ज्यादातर मुफ्त ही च।फ्रांस दुनियक सबसे लोकप्रिय अनुसन्धान स्थानों मान एक च।जख हर साल लगभग 3,00,000 विद्यार्थी आंदन।सबसे बड़ी बात या च कि अधिकांश सार्वजनिक विश्व विद्यालय कै भी विद्यार्थिक राष्ट्रीयतक परवाह किये बगैर केवल 17036 रुप्यों से लेकर 34072 रुप्यों तकक रजिस्ट्रेशन शुल्क लीन्दन।
भारतियों को  विदेश में शिक्षा , फ़्रांस में शिक्षा , फिनलैंड में शिक्षा , नोर्वे में शिक्षा

Bhishma Kukreti

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« Reply #362 on: February 25, 2022, 09:10:15 AM »
जल संवर्धन या हाइड्रोपोनिक्स
सरोज शर्मा -
गढ़वाली जन साहित्य -228
जल संवर्धन( Hydroponics) एक इन तकनीक च जैसे फसलों थैं विना खेत म लगै केवल पाणि क पोषक तत्वो से भि उगै जा सकद, ऐथैं जलीय कृषि भि ब्वलदिन।
पौधा उगांण कि तकनीक पर्यावरण खुण भि बड़िया च,यूं पौधो खुण कम पाणि की जरूरत हूंद। जैसे पाणि कि बचत हूंद। कीटनाशक भि कम प्रयोग करण पव्ड़द। मिट्टी मा उगयै जाण वला पौधो और ऐ तकनीक से उगयै जाण वला पौधो की पैदावार मा काफी अंतर च ।ऐ तकनीक से एक किलो मुंगरी से पांच से सात किलो चारा दस दिन मा तैयार ह्वै जांद ऐ मा जमीन भि नि चयेंद, ऐ विधी से हैर चारा उगांण खुण सबसे पैल मक्का थैं 24घंटा पाणि मा भिगौंण पव्ड़द, वै क बाद एक बड़ी ट्रे मा डलदिन और जूट का बोरा से ढकिक रण दयाव, तीन दिन मा अंकुरित ह्वै जाला, फिर पांच ट्रे मा बराबर मात्रा मा फैलाव, हर द्वी तीन घंटा पाणि डलै जांद, ट्रे मा छेद हुंदिन, जतगा जरूरत उतगा हि पाणि रूकद, बाकि निकल जांद,
यी तकनीक मेहनत भि बचांद, खेतो मा काफी मेहनत लगद जबकि ऐ तकनीक मा ज्यादा मेहनत की आवश्यकता नी, लागत कम और मुनाफा ज्यादा च।हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से पौधो थैं ज्यादा आक्सीजन मिलद और पौधा ज्यादा तेजी से पोषक तत्वो थैं स्वखिदन, परम्परागत हैरा चारा मा प्रोटीन 10,7 फीसदी हूंद जबकि हाइड्रोपोनिक्स हैर चारा म प्रोटीन 13,6 प्रतिशत हूंद। इति


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« Reply #363 on: February 25, 2022, 03:28:09 PM »
जल संवर्धन या हाइड्रोपोनिक्स
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सरोज शर्मा -गढ़वाली जन साहित्य -228

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जल संवर्धन( Hydroponics) एक इन तकनीक च जैसे फसलों थैं विना खेत म लगै केवल पाणि क पोषक तत्वो से भि उगै जा सकद, ऐथैं जलीय कृषि भि ब्वलदिन।
पौधा उगांण कि तकनीक पर्यावरण खुण भि बड़िया च,यूं पौधो खुण कम पाणि की जरूरत हूंद। जैसे पाणि कि बचत हूंद। कीटनाशक भि कम प्रयोग करण पव्ड़द। मिट्टी मा उगयै जाण वला पौधो और ऐ तकनीक से उगयै जाण वला पौधो की पैदावार मा काफी अंतर च ।ऐ तकनीक से एक किलो मुंगरी से पांच से सात किलो चारा दस दिन मा तैयार ह्वै जांद ऐ मा जमीन भि नि चयेंद, ऐ विधी से हैर चारा उगांण खुण सबसे पैल मक्का थैं 24घंटा पाणि मा भिगौंण पव्ड़द, वै क बाद एक बड़ी ट्रे मा डलदिन और जूट का बोरा से ढकिक रण दयाव, तीन दिन मा अंकुरित ह्वै जाला, फिर पांच ट्रे मा बराबर मात्रा मा फैलाव, हर द्वी तीन घंटा पाणि डलै जांद, ट्रे मा छेद हुंदिन, जतगा जरूरत उतगा हि पाणि रूकद, बाकि निकल जांद,
यी तकनीक मेहनत भि बचांद, खेतो मा काफी मेहनत लगद जबकि ऐ तकनीक मा ज्यादा मेहनत की आवश्यकता नी, लागत कम और मुनाफा ज्यादा च।हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से पौधो थैं ज्यादा आक्सीजन मिलद और पौधा ज्यादा तेजी से पोषक तत्वो थैं स्वखिदन, परम्परागत हैरा चारा मा प्रोटीन 10,7 फीसदी हूंद जबकि हाइड्रोपोनिक्स हैर चारा म प्रोटीन 13,6 प्रतिशत हूंद। इति


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« Reply #364 on: February 26, 2022, 08:35:01 AM »

 भविष्यौ भोजन
 -
उषा बिज्लवाण कु जनप्रिय गढ़वाली साहित्य -७९ 
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    भविष्य कु भोजन तकनीक की सवारी इंसान की जीवनशैली तै तेजी से बदलणी छा. ये दौरान भोजन और खाद्य पदार्थों मा भी कई तरह का बदलाव आयन. आज प्रसंस्कृत आहार, डिब्बाबंद भोजन एवं पेय पदार्थ, फास्ट फूड आदि कू चलन से लीक जीएम फसल तक भोजन मा शामिल ह्वैगी. खाद्य सामग्रियों से संबंधित कृषि वैज्ञानिक और शोधकर्ता भोजन की पौष्टिकता का साथ वैकी अधिक उपलब्धता तै दशकों से गंभीर प्रयास करणा छन. ये कड़ी मा भविष्य तै आहार का नया स्रोतों की तलाश भी जारी छ।
यू बोलणू गलत नी होलछ कि सजी-सजाई थाली मा विभिन्न व्यंजनों कू संतुलित आहार अब महज भूख मिटौणवालू भोजन भर नहीं रह गी , बल्कि वैज्ञानिक कसौटी पर भी कसे जाण लगगी कि येमा कतना और कै स्तर तक की पौष्टिकता छ।
सुपाच्यता का साथ येसै शरीर तै कतना क्षमता की ऊर्जा प्राप्त ह्वै सकदी शरीर की मांसपेशियों से लेकर रक्त, मज्जा आदि तै यू कतना उपयोगी साबित ह्वै सकदू. येतै कतना समय तक खराब होणा से बचाए जै सकदू।
भारत मा भोजन मा बदलाव भले ही ज्यादातर प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से संबंधित आईहो और खाद्य प्रसंस्करण का क्षेत्र मा फल, सब्जियां, मसाला मांस, मछली, पॉल्ट्री, दूध का उत्पाद, अनाज आदि की बहुलता बढ़ी हो, लेकिन विकसित देशों का वैज्ञानिकों न भविष्य का भोजन की तलाश का दौरान कुछ नया आहार की खोज मा भी सफलता पाई छ।.
नया भोजन का तौर पर मांसाहार से लेकर शाकाहार तक के भोजन की खोज होणी छ। वूंका व्यंजन पारंपरिक व्यजनों से भिन्न ह्वै सकदन, लेकिन पौष्टिकता मा वैसे कहीं बढ़ीक होंदन ये मां शैवाल, जेलीफिश, कीडे़-मकोड़े, प्रयोगशाला मा तैयार होणवाला मांस, वीगन चीज, किण्वित कॉफी आदि मुख्य छन।
भविष्य का भोजन और आहार तैलीक वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, आहार विशेषज्ञों, शेफों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का उत्पादन करणवाली कंपनियों का उद्यमियों का हाल ही माअमेरिका माजमावड़ा लगी. भविष्य का भोजन सप्ताह का आयोजन का दौरान पारंपरिक खाद्य पदार्थों की होणवाली कमी का विकल्प का तौर पर दूसरा खाद्य पदार्थों पर चर्चा ह्वै तथा वूसे तैयार होनेण वाले विविध व्यंजनों से लीक प्रसंस्कृत करना का वैज्ञानिक तरीका पर भी विचार-विमर्श कियै गै.
यदि 450 ग्राम कछ पाउडर करीब डेढ़ लीटर पानी मा मिलौणा का बाद यू आप तै सुबेर कू नाश्ता, दोपहर तथा रात का भोजन का बराबर बण जाओ, त आपतै जरूर हैरानी होली।
येकू दावा करणवालू अमेरिका कू २८ वर्षीय उद्यमी रॉब राइनहार्ट छ, जू वूंकी कंपनी सॉयलेंट न तैयार करी. रॉब कू
तीन सालों से यूही पाउडर वूंकू मुख्य आहार रै, जैतै सही रखरखाव से कई दशकों तक भंडारण और उपयोग कर सकदन. येमा इंसानी शरीर तै जरूरी करीब ३५ पोषक तत्वों कू मिश्रण छ।. येही तरह भोजन का कई अन्य परिवर्तित रूप छन, जू पेट भरनका साथ-साथ पौष्टिकता भी प्रदान करदन चला येका बारामा विस्तार से जांणदौं
शाकाहारियों कू पसंदीदा विकल्प बण रहै छ शैवाल
एल्गी यानी शैवाल की कई प्रजातियां छन जैतै सामान्य बोलचाल की भाषा मा काई भी बोल्दन. समुद्री मछलियों कू मुख्य आहार शैवाल अब इंसानी भोजन का उपयोग मा भी लाए जाणू छ कुछ देशों मा शाकाहारियों का खातिर यू पसंदीदा आहार बणगी येकी उपयोगिता थाॅयराइड व मोटापे से निजात पाणा का संदर्भ मा भी महत्वपूर्ण छ.
बाजार मा यू पाउडर का रूप मा उपलब्ध छ. हालांकि, येकू इस्तेमाल काफी पहले से समुद्री गोभी का नाम से भी होंदू, लेकिन हाल में वैज्ञानिकों न शोध मा पाई कि येमा काफी मात्रा मा आयरन, विटामिन ए, सी, डी व इ और खनिज पदार्थ पाये जांदन. साथ ही कार्बोहाइड्रेट, अकार्बनिक पदार्थ भी प्रचूर मात्रा में पाये जांदन. शोधकर्ताओं कू बोलणू छ कि शैवाल इंसानों और पशुओं तै भोजन मुहैया करवै सकदन तथा वैतै समुद्र में उगाए जै सकदू.
कुछ वैज्ञानिकों कू यू यह भी बोलणू छ कि शैवाल से जैव ईंधन भी प्राप्त किए जै सकदू . साथ ही शैवाल की खेती दुनिया की सबसे बड़ू फसल उद्योग बण सकदू . कै जमाना मा जापान मा येका बड़ा फार्म पाये जांदा थन. शैवाल आधारित पेय पदार्थ बाजार मा विभिन्न नामों से उपलब्ध छन. फ्रेंच की एक कंपनी येतै 'अल्गमा' नाम से बेचदी छ. हाल मा ही 'स्प्रिंगवेव' नाम कू भी एक उत्पाद बाजार मा उतारे गै
सर्वाधिक उपयोग में औणवालू शैवाल समुद्री छ, जैमा क्लोरोफिल सामग्री प्राकृतिक रूप में पाए जांदी. येका क्षारीय यौगिक भोजन से अम्लीय प्रभाव तै निष्क्रिय करना मा सक्षम छ, जिससे जैसे शरीर कू पीएच स्तर काफी संतुलित ह्वै जांदू । येकाअतिरिक्त येमा दूध व मांस की तुलना मेमा ज्यादा कैल्शियम पाये जांदू. यूं दिनों फ्रैंच भोजन कू यू एक अहम हिस्सा बणगी. गेहूं कू आटू हो या फिर चौंल, वैका साथ मिलीक कै प्रकार का व्यंजन पकाये जांदन या फिर सलाद मा मिलैक खाए जांदन. लोण की जगह शैवाल कु इस्तेमाल सेहत तै फायदेमंद साबित ह्वै सकदू ।
पिछला दिनों समुद्री शैवाल की सूक्ष्म प्रजाति की खोज पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के बायोसाइंस विभाग न करी, जू अब तक ब्रिटेन और उत्तरी चीन का समुद्री तट पर पाये जांदी छै। . वन मुख्य तौर पर यू लाल, भूरू और हरू होंदूझ, जैतै क्रमशः रोडोफाइटा, फियोफाइटा और क्लोरोफाइटा बोलदन।. ये तै जापान, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस का अतिरिक्त भारत मा भी खाये जांदू।.
यू अंतरिक्षयात्रियों तै भी उपयोगी छ।. क्लोरेला नामक शैवाल तै अंतरिक्षयान का केबिन का हौज मा उगैक इस्तेमाल किये जांदू कीक कि येसे अंतरिक्षयात्रियों तै प्रोटिनयुक्त भोजन, जल और आॅक्सीजन पर्याप्त मात्रा मामिल जांदू. ब्रिटेन का सीवीड हेल्थ फाउंडेशन से जुड़े डॉ क्रेग रोस कू बोलणू छ कि समुद्री शैवाल का बारा मा महत्वपूर्ण बात य छ कि वू बड़ी तेजी से उगदन। यू पृथ्वी पर सबसे तेजी से बढ़णवालू पौधा छ।
ये वास्ता येकी खेती बहुत ही कामयाब ह्वै सादी।. ब्रिटेन का शेफील्ड विश्वविद्यालय मा वैज्ञानिकों न समुद्र मा पैदा होणवाला पौधों का चूर्ण कू ब्रेड और प्रसंस्कृत आहार मा लोण की तरह इस्तेमाल करी. यू चूर्ण काफी स्वादिष्ट होणा का साथ-साथ कम नमकीन होंदू जबकि सामान्य लोण‌ उच्च रक्तचाप, पक्षाघात और समय से पहले होण वाली मौतों तै जिम्मेवार माणे जांदू वैज्ञानिकों तै उम्मीद छा कि समुद्री पौधे का ये चूर्ण कू इस्तेमाल जल्द ही बाजार मा मिलणवाल तैयार खाणा, सॉसेज और चीज में किए जैसकदू।.
शैवाल मा शीघ्रता से प्रजनन करने की क्षमता होंदी और कार्बन डाइऑक्साइड कू प्रयोग कर भोजन बणौदन. कार्बन डाइऑक्साइड लेणा का बाद आक्सीजन छोड़दन।. शैवाल की एक अन्य प्रजाति स्पुरुलिना भी भविष्य कू भोजन बण सकदी. वन येकी पछाण एक डायट्री फूड का रूप मा छ। जू टेबलेट और पाउडर का रूप मा उपलब्ध छ.। येमा प्रोटीन का अतिरिक्त पोटाशियम, कैल्शियम, सिलेनियम, जिंक आदि की प्रचूर मात्रा पाये जांदी।


Bhishma Kukreti

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« Reply #365 on: February 26, 2022, 08:44:49 AM »
कण्डोलिया देवता पौड़ी
सरोज शर्मा-गढ़वाली जन साहित्य-230
कण्डोलिया देवता चम्पावत क्षेत्र क डुगंरियाल नेगी जाति क लोगों क इष्ट गोरिल देवता च,ब्वलेजांद कि डुगंरियाल नेगी जाति का पूर्वजो न गोरिल देवता से यख निवास करण क अनुरोध कैर, जौं थैं वु पौड़ी गौं से अपड़ दगड़ ल्या छाया, ई लोग अपणि वृद्धावस्था का कारण अपण इष्ट देव थैं कंडी मा ल्या छा, पैल ऊन यूंकि स्थापना पौड़ी गौं का पंचायती चौक मा कैर लेकिन यख स्थाई गैराई नि हूण क कारण गोरिल देवता न शिखर मा स्थापित हूण क ब्वाल,वै का बाद पौड़ी नगर क शीर्ष शिखर मा देवता कि स्थापना करै गै, स्थानीय क्षेत्रपाल का रूप मा देवता कि पूजा हूण लगि, ब्वलेजांद कि यूं थैं कंडी मा लयै ग्याई इलै हि यूं थैं कण्डोलिया देवता नाम से जनदण, कालांतर म आसपास क क्षेत्र भि कण्डोलिया नौ से जंणै जांद, स्थानीय जन समाज म कण्डोलिया देवता कि बोलन्दा देवता क रूप मा पूजा किऐ जांद, मान्यता च कि कण्डोलिया देवता कै भि विपत्ति कि घटना कु पूर्वाभास हूंद ही आवाज लगै कि सचेत कैर दिंदिन ,
कण्डोलिया देवता का मंदिर मा भक्त जन दूर दूर से आकि मन्नत मंगदिन, कण्डोलिया मंदिर म कै वर्ष पैल स्थानीय निवासियो न भंडारा क आयोजन कि शुरुआत कैर, अब ई भौत बढ़ म्याला क रूप म हूण बैठ ग्याई, जै मा सब्या वर्गो का लोग शामिल हुंदिन, धार्मिक आस्था क प्रतीक ई मंदिर जून क मैना हूण वल त्रिदिवसीय वार्षिक भंडारा मा स्थानीय व प्रवासी श्रद्धालुओ द्वारा आवश्यक रूप से उपस्थित दर्ज करै जांद, पौड़ी शहर से लगभग द्वी किलोमीटर दूरी पर प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण स्थान मा ई मंदिर च, ऊंचा ऊंचा चीड़, देवदार, बांज, बुरांस, काफल, आदि का घैणा वृक्ष छन। जिला प्रशासन द्वारा मंदिर क समीप पार्क भि विकसित कियै ग्या, नगर से नियमित रूप से समय-समय पर पौछण खुण टैक्सी बस सेवा भि चलदी च। आभार वीरेंद्र खंकरियाल,


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« Reply #366 on: February 27, 2022, 10:08:39 AM »
जंगलमु आग लगणकु मुख्य कारण और बचाव
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सरोज शर्मा-गढ़वाली जन साहित्य -228
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भारत मा जंगलो कि संस्कृति और आर्थिक महत्व च यूंकि छत्र छाया मा हि भारतीय सभ्यता और संस्कृति कु विकास ह्वै, आज भि जंगलो कु महत्व कै से छुपयूं नी,शै शब्दो मा ब्वाला त धरती पर जीवन जीणखुण जंगलों क हूण भौत जरूरी च,यूं कि वजा से धरती मा बारिश और शुध्द हवा मिलद, सबसे जरूरी बात कि जंगल कई जानवरो और पक्षियो क घौर हूंद, पर आज जंगलो कि हालात देखिक मन विचलित हूणूं च, मनुष्य इतगा स्वार्थी ह्वै ग्या कि लगातार पेड़ कटणु च,जैकि वजा से जंगल उजणना छन, वनभूमि कम हूणक मुख्य कारण ई च,जंगल सिमटणा छन शहर फैलणा छन, सभी जणदन कि आस्ट्रेलिया का जंगलो कि आग बुझण कु नाम नि लीणीच, ई आग दिन प्रतिदिन बड़नी च,पिछला कै माह से आग पर काबू पाणक रेस्क्यू आप्रेशन चलये जाणा छन, पर सब्या प्रयास फेल छन, हैरानि कि बात च कि पिछला कयी मैनो पैल लगीं आग पर अब तक काबू नि पयै ग्या, ई आग चार मैना से लगीं च जैमा लगभग 50 करोड़ पशु पक्षी जलिक मोर गिन, और कयी पशु पक्षी गंभीर रूप से घायल छन, यीं आगि से सबसे बुरू प्रभाव कोआला पर प्वाड़, जु जानवरो की एक प्रजाति च,ई प्रजाति न्यू साउथवेल्स क मध्य उत्तरी इलाका म सबसे ज्यादा पयै जांद, यीं आग से ऊंकि आबादी मा भारी गिरावट ऐ,अनुमान लगये जांद कि यै आग म अब तक 48 करोड़ जानवरों की झुलसण से मौत ह्वै, जै मा स्तनधारी पशु पक्षी और रिंगंणवला जीव शामिल छन,
किलै लगद आग जंगलो मा
जंगल मा आग लगण का मुख्य तीन कारण हुंदिन ईंधन, आक्सीजन और गर्मी, अगर गरमियो क मौसम च त सूखा पव्डंण से ट्रेन क पहिया से निकलीं चिंगारी भि आग लगै सकद, ऐ क अलावा कभि कभि प्राकृतिक रूप से भि आग लग जांद, ई आग ज्यादा गर्मी या बिजलि कड़कण से भि लगद, उन जंगलो मा आगकि घटनायें इंसानो क कारण हुंदिन, जनकि आगजनी, कैम्फायर, बिना बुझीं सिगरेट फेंकण, जलयूं कचरा छोणन,माचिस या ज्वलनशील चीजों से ख्यलण, आदि, जंगलो मा आग लगण का मुख्य कारण बारिश कम हूंण च, सूखा कि स्थिती गर्म हवा ज्यादा तापमान, भि ह्वै सकद, ऐ सब्या कारण से जंगलो मा आग लग सकद,
जंगल मा लगीं आग पर काबू कन कै पयै जा
जंगल थैं आग से बचैकि रखण से हमरू सरया पर्यावरण सुरक्षित रालु, जंगल मा आग लगण पर एक विशेष टूल कु इस्तेमाल किऐ जांद जु तापमान, हवा कि गति जन मानको कि जांच मा मदत करद,
जंगल का इलाको मा बीच बीच मा गड्ढा खोदण चैंद ताकि आग ज्यादा न फैल सक,
जंगल से ऊं सब्या चीजों थैं हटा दीण चैंद जु चिंगारी पैदा करद,
जंगल मा आग पर निगरानी खुण पर्याप्त संख्या मा कर्मचारी नियुक्त हूंण चैंदिन,
आग जलाण कु काम थैं नियंत्रित करै जांण चैंद, जैमा चीड़ से गिरीं पत्ती इकठ्ठी ना ह्वा,
जंगल मा ज्वलनशील पत्तियो क फैलाव नि हूंण चैंद, साथ हि चीड़ क सुई जन पत्तियो का वैकल्पिक प्रयोग थैं सरकार द्वारा बढ़ावा मिलण चैंद,
वन विभाग क पास वायरलैस का जरिए संचार क बेहतर साधन हूंण चैंद जै से जंगल मा लगीं आग पर तुरंत काबू पयै जा,
पेड़ कटण क खिलाफ तुरंत कार्रवाई हूंण चैंद,
वन विभाग क पास एक जगा से दूसर जगा जांण खुण तेज वाहन कि व्यवस्था हूंण चैंद,
जंगल क आसपास क लोगों क लकड़ी लीणकु अधिकार हूंण चैंद, वनो कि देखरेख और संरक्षण खुण वन विभाग थैं पर्याप्त धन उपलब्ध करयै जा।

वनाग्नि कारण व बचाव ,  गढवाल के जंगलों में आग  कारण व बचाव , वनों में अग्नि बचाव

Bhishma Kukreti

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« Reply #367 on: February 27, 2022, 04:25:18 PM »
यूके मा पढ़ैक वास्ता जानकारी
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यूके मा पढ़णक वास्ता लगण वाल खर्चा, रौणक लागत, प्रवेश अर वजीफा(छात्रवृत्ति)
परदेशम शिक्षा भाग - 5
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संकलन : रुपेश कुकरेती
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बिगरैल (खुबसूरत) शहर, अद्भुत लोग,दुनियक विद्यार्थियों से मिलणक अवसर अर वू भी उच्च शिक्षा सुविधाओंक दगड़, इनमा कु नी चाल यूके मा पढ़ण। त द्याखो आप 2022 यूके मा कनके पढ़ै कौर सकदा। यूके मा पढ़णक लागत, शीर्ष विश्वविद्यालयोंक प्रवेश की आवश्यकता, रौणक खर्चा अर वजीफक(छात्रवृत्ति) जांच करिन। यूकेक विश्वविद्यालयोंक संसार मा सर्वश्रेष्ठ स्थान(रैंक),योग्यता पूर विश्व मा मूल्यवान अर मान्यता प्राप्त च। शिक्षण, पढ़णक रीतिक प्रयोग करे जान्दु। जु आप तै रचनात्मक,कुशल अर आत्मविश्वास विकसित करणक स्वतन्त्रता दीन्दु। जब आप यूके मा पढ़दा त ऐसे कई फैदा(फायदा) छन। आप तै जरा आश्चर्य हुणु ह्वाल कि अलग-अलग देशोंक विद्यार्थी पढ़ै कनक यूके किले जान्दन।
आजक यीं पोस्ट मा , मी यूके मा पढणक लागत, रौण- सौणक खर्चा अर प्रवेश लीणकुण आवेदन कनके कन ये पर आपक ध्यान केंद्रित कन चाणु छौ।मी यूकेक टुखक(शीर्ष) विश्व विद्यालयोंक एक सूची भी प्रदान करुल ताकि आप ऊं से सम्पर्क कौर साको,अधिक सूचनक निवेदन कौर साको।
ब्रिटेन मा पढ़णक खर्चा :-
सार्वजनिक रुप से वित्त पोषित विश्व विद्यालयों मा शिक्षण शुल्कक द्वी स्तर छन - घरेलू छात्र/छात्रा शुल्क(यूरोपीय विद्यार्थियोंक दगड़) अर दुनियक(अंतर्राष्ट्रीय) छात्र/छात्राओंक शुल्क।
घौरक विद्यार्थियोंकुण इंग्लैंड, वेल्सक संस्थान स्नातकक उपाधिकुण हर साल अधिकतम £ 9,000 तकक शुल्क ले सकदन। उत्तरीय आयरलैंड मा प्रति वर्ष £ 3575 तक अर स्कॉटलैंड मा स्कॉटलैंड अर यूरोपीय संघक विद्यार्थियोंकुण स्नातकक उपाधि प्रभावी रुप से मुफ्त च।
यी स्कॉटलैंडक (SAAS) कुण छात्र/छात्रा पुरुस्कार एजेंसी तरफ से छूटकुण धन्यवाद च। SAAS भी घरेलू स्नातकोत्तर विद्यार्थियोंकुण £ 3400 तक शिक्षण शुल्क ऋण दीन्दु।
ब्रिटेन मा रौण खाणक खर्च :-
आवास,भोजन, किताबें,यात्रा आदिक खर्चा तै कवर कनकुण यूके मा रौणक खर्चा £ 1000 से £ 1500 हर मैना(महीना) अनुमानित च।
वजीफा(छात्रवृत्ति) :-
दुनियक विद्यार्थियोंकुण कई वित्तीय सहायतक विकल्प छन। जु यूकेक पढ़ण चांदन वजीफक माँग हमेशा पूर्ति से ज्यादा हुन्दी। हालांकि आपक पुरुस्कार मिलणक सम्भावना तै अधिकतम करणक वास्ता जदगा जल्दी ह्वे साक आप आवेदन कारा। ब्रिटिश काउंसिल कई यूके स्कॉलरशिप अर फंडिंग योजनाओंक संचालन करदी। आप वूंक वेबसाइट पर भी जै सकद छ्या।
ब्रिटेन मा प्रवेशकुण आवेदन कनके कन :-
यूकेक सभी विश्व विद्यालय ऑनलाइन आवेदन स्वीकार करदन। स्नातक अध्ययनकुण आप तै आवेदन यूसीएएसक माध्यम से कन प्वाडल।स्नातकोत्तर अध्ययनकुण आप तै अपर आवेदन सीधा विद्यालय मा भिजण प्वाडल अर एक बार जब वू आपक आवेदन पै लीन्दन त एक प्रस्ताव पत्र आपकुण भिजै जाल,प्रस्ताव तभी भिजै जाल जब आप प्रवेश की सब शर्त पूर करद ह्वा।
ब्रिटेनक शीर्ष विश्व विद्यालय :-
इख मुड़ी/तौल(नीचे) ब्रिटेनक शीर्ष विश्व विद्यालयोंक सूची च अधिक जानकारी कुण यूं नाम पर ही क्लिक करिन गूगल पर।
1 : यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सपोर्ड
2: यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज
3: एडिनबर्ग विश्वविद्यालय
4: यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन
5: ग्लासगो विश्व विद्यालय
6: लन्दन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स अर राजनीति विज्ञान
7: इम्पीरियल कॉलेज लन्दन
8: मैनचेस्टर विश्व विद्यालय
9: लीड्स विश्व विद्यालय
10: यूनिवर्सिटी ऑफ नाटिंघम
11: किंग्स कॉलेज ऑफ लन्दन
12: वारविक विश्व विद्यालय
13: न्यूकेसल यूनिवर्सिटी
14: डरहम विश्व विद्यालय
15: यॉर्क विश्व विद्यालय
16: लीसेस्टर विश्व विद्यालय
17: यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल
18:- क्वींस विश्व विद्यालय बेलफास्ट
19:- सरे विश्व विद्यालय
20:- यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ
कंट्री यूनाइटेड किंगडम एकेडमिक्स एण्ड एजुकेशनक बारे मा अधिक सूचना (जानकारी)प्राप्त करिन अर यूकेक सरकारी शिक्षा क वेबसाइट से यूके पढ़णकुण सबसे अच्छू कनके ह्वा यांक जानकारी भी प्राप्त करिन।


Bhishma Kukreti

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« Reply #368 on: February 28, 2022, 09:46:29 AM »
राष्ट्रीय स्वयं संघ संचालित विध्या भारती
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सरोज शर्मा-गढ़वाली जन साहित्य-231
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विद्या भारती, भारत मा शिक्षा क क्षेत्र म सबसे बड़ी अशासकीय संस्था च,ऐ क पूर नौं विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान च, ऐ कि स्थापना 1977 म ह्वै,
विद्या भारती क मार्ग दर्शन मा देश क लगभग हजारों से ज्यादा शिक्षा संस्थान काम कना छन, विद्या भारती, शिक्षा क सभी स्तरों प्राथमिक, माध्यमिक, और उच्च स्तर पर काम कनी छन, ऐ का अलावा या शिक्षा क क्षेत्र म अनुसंधान भि करद,विद्या भारती कु अपण अलग शोध विभाग च,
विद्या भारती क तहत, हजारों शिक्षण-परक्षिषण संस्थान संचालित हुंदिन, विद्या भारती-शिशु वाटिका, सरस्वती विद्या मंदिर, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक, वरिष्ठ माध्यमिक, संस्कार केंद्र, एकल विद्यालय, पूर्ण एंव अर्ध आवासीय विद्यालय, और महाविद्यालय क छात्रो थैं शिक्षा प्रदान करद।
भारत क सबसे बढ़ गैर- सरकारी संगठन च
आज लक्षद्वीप और मिजोरम थै छोड़िक संपूर्ण भारत म 86 प्रान्तीय और क्षेत्रीय समीतियां विद्या भारती से जुड़ी छन,
यूंका अन्तर्गत कुल मिलैकि 30,000 शिक्षण संस्थाओ मा 9,00,000 शिक्षको क मार्ग दर्शन मा 45 लाख छात्र छात्राये शिक्षा एंव संस्कार ग्रहण कना छन। यूं मा 49 शिक्षक प्रशिक्षक संस्थान एवं महाविद्यालय, 2353 माध्यमिक एंव 923 उच्च्तर माध्यमिक विद्यालय, 633 पूर्व प्राथमिक एवं 5312 प्राथमिक, 4164 उच्च प्राथमिक, एवं 6127 एकल शिक्षण विद्यालय, और 3679 संस्कार केंद्र छन। आज नगरो और गौं मा वनवासी और पर्वतीय क्षेत्र मा, झुग्गी झोंपड़ीयो मा, शिशु वाटिकाऐ, शिशु मंदिर, विद्या मंदिर, सरस्वति विद्यालय, उच्च्तर शिक्षा संस्थान शिक्षण परक्षिषण केंद्र और शोध संस्थान छन
सरस्वति मंदिरो की संख्या निरंतर बडणी च आज विद्या भारती सबसे बढ़ गैर शिक्षण संगठन बण गै।
इतिहास
1952 म संघ प्रेरणा से कुछ निष्ठावान लोग ऐ पुनीत कार्य मा जुट गैं,राष्ट्र निर्माण क ऐ काम मा लगयां लोगोन नै पीढ़ी थैं सुयोग्य शिक्षा क साथ संस्कार दीण खुण सरस्वति शिशु मंदिर कि आधार शिला गोरखपुर म पांच रूप्या मासिक किरयै क भवन पक्की बाग मा रखिक पैल पैल शिशु मंदिर कि स्थापना कु श्रीगणेश कैर। ऐ से पैल कुरूक्षेत्र मा गीता विद्यालय कि स्थापना 1946 मा ह्वै गै छै,
उत्तर प्रदेश मे शिशु मंदिरो कि संख्या तेजी से बड़ण लगि त और प्रदेशूं मा भि समितियो क गठन ह्वै, पंजाब एंव चंडीगढ मा सर्वहितकारी शिक्षा समीति, हरियाणा म हिन्दू शिक्षा समिती, असम मा शिशु शिक्षा समिती बणीं। ऐ कोशिश से 1977 मा अखिल भारतीय स्वरूप ले ल्या, और विद्या भारती संस्था क प्रादुर्भाव दिल्ली मा ह्वाई, ऐ का बाद सब्या प्रदेश समितियां विद्या भारती से सम्बद्ध ह्वै गिन,
विद्या भारती कि राज्य स्तरीय समितियां
विद्या भारती की राज्य स्तरीय समितियों क अलग अलग नाम च,ऐ नाम वै राज्य क सामाजिक और सांस्कृतिक स्थितियो क प्रतिनिधित्व करदिन,
दिल्ली: हिन्दू शिक्षा समिती दिल्ली, समर्थ शिक्षा समिति,
हरियाणा:हिन्दू शिक्षा समीति हरियाणा, ग्रामीण शिक्षा विकास समिती हरियाणा
पंजाब:सर्व हितकारी शिक्षा समिती
हिमाचल प्रदेश:हिमाचल शिक्षा समिती शिमला
बिहार:भारतीय शिक्षा समिती बिहार, लोक शिक्षा समिती बिहार
जम्मू: भारतीय शिक्षा समिती जम्मू-कश्मीर
मध्यप्रदेश: सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान मध्यप्रदेश ग्राम भारती शिक्षा समिती मध्य भारत, सरस्वती शिक्षा परिषद मध्यप्रदेश, केशव शिक्षा समिती महाकौशल, सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान मालवा,ग्राम भारती शिक्षा समिती मालवा
छत्तीसगढ:सरस्वती शिक्षा संस्थान छत्तीसगढ, सरस्वती ग्राम शिक्षा समिती छत्तीसगढ
झारखंड:वनांचल शिक्षा समिती, विद्या विकास समिती
ओडिशा:शिक्षा विकास समिती
तेलंगना: श्री सरस्वती विद्या पीठम
आन्ध्र प्रदेश:विद्या भारती आंध्रप्रदेश
कर्नाटक: विद्या भारती कर्नाटक
तमिलनाडू:विद्या भारती उत्तर तमिलनाडू,विद्या भारती दक्षिण तमिलनाडू
केरल:भारतीय विद्या निकेतन
उत्तराखंड:भारतीय शिक्षा समिती उत्तरांचल शिशु समिती, जन शिक्षा समिती उत्तरांचल
उत्तर प्रदेश:भारतीय शिक्षा समिती पश्चिमी उत्तर प्रदेश, शिशु शिक्षा समिती पश्चिम उत्तर प्रदेश, जन शिक्षा समिती पश्चिमी उत्तर प्रदेश, शिशु शिक्षा समिती ब्रज प्रदेश, भारतीय शिक्षा समिती ब्रज प्रदेश, जन शिक्षा समिती ब्रज प्रदेश, भारतीय श्री विद्या परिषद उत्तर प्रदेश, शिशु शिक्षा प्रबंध समिती उत्तर प्रदेश, भारतीय शिक्षा समिती उत्तर प्रदेश, भारतीय शिक्षा समिती पूर्वी उत्तर प्रदेश, भारतीय शिक्षा परिषद, जन शिक्षा समिती अवध प्रान्त, भारतीय शिक्षा समिती कानपुर प्रान्त, जन शिक्षा समिती गोरक्ष प्रान्त, जन शिक्षा समिती काशी प्रान्त,
त्रिपुरा: विद्या भारती शिक्षा समिती त्रिपुरा
अरूणाचल प्रदेश:अरूणाचल शिक्षा विकास समिती
पश्चिम बंगाल:विवेकानंद विद्या ओडिशा
परिषद पश्चिम बंगाल, विद्या भारती उत्तर बंग
अंडमान निकोबार:सरस्वती शिक्षा समिती
सिक्किम: विद्या भारती सिक्किम
महाराष्ट्र: विद्या भारती पश्चिम महाराष्ट्र प्रान्त, विद्या भारती कोंकण,विद्या भारती देवगिरी, विद्या भारती विदर्भ
गोवा: विद्या भारती गोवा
गुजरात: विद्या भारती गुजरात प्रदेश
राजस्थान: विद्या भारती संस्थान जयपुर, विद्या भारती चित्तौड़, विद्या भारती शिक्षा संस्थान जोधपुर
केंद्रीय विषय
संस्कृत शिक्षा
विज्ञान एवं तकनीक शिक्षा
शिशु वाटिका
योग शिक्षा
वैदिक गणित
नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा
कौशल विकास
संगीत शिक्षा
खेल कूद
बालिका शिक्षा
ग्रामीण शिक्षा
प्रारम्भिक शिक्षा
विद्धत परिषद
जनजाति क्षेत्र कि शिक्षा
संस्कृत बोध परियोजना
आचार्य प्रशिक्षण
सेवा
प्रचार विभाग
पंचपदी शिक्षण पद्धति
स्वामि विवेकानंद क अनुसार मनिख क भितर समस्त ज्ञान च वैकु जागृत करण कु उपयुक्त वातावरण निर्मित करण की जरूरत च,ऐ उदेश्य से भारतीय मनोविज्ञान पर आधारित पंचपदी शिक्षा पद्धति से किए ग्या,
1,अधीति-ऐक अंतर्गत आचार्य निर्धारित विषय वस्तु अपणै कि छात्रो क समणि प्रस्तुत करदा छन,
2-बोध कक्षा कक्ष मा हि पठित विषय वस्तु तत्कालिक लिखित मौखिक और प्रयोगिक अभ्यास करयै जांद,
जै से छात्रो थैं अधिगम ज्ञान ह्वा
3- अभ्यास कक्षा कक्ष म संपन्न हूण वलि अधीति और बोध कि प्रकिया क बाद छात्रो थैं विषय वास्तु क ज्ञान थै बणाण वास्ते गृहकार्य दिऐ जांद, जैकु विधिवत निरीक्षण और मूल्यांकन किए जांद।
4- प्रयोग (स्वाध्याय) -छात्र स्व प्रेरणा से अपण अनुसार काम करण कु आनन्द अनुभव कैरदिन इलै विभिन्न विषयो से संबंधित विविध पुस्तको, पत्र पत्रिकाओ आदि क अध्ययन करये जांद।
5- प्रसार-छात्र अर्जित ज्ञान क विस्तार व प्रसार करदिन।

Bhishma Kukreti

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« Reply #369 on: February 28, 2022, 04:40:10 PM »
न्यूजीलैण्ड मा अध्ययनक वास्ता जानकारी

विदेशम शिक्षा भाग - 7

संकलन - रुपेश कुकरेती

विदेशम पढ़ण वाल विद्यार्थियोंक पसन्दक एक स्थान न्यूजीलैण्ड भी च।कम खर्च मा क्वालिटी शिक्षा चाण वाल विदेशी विद्यार्थियोंक न्यूजीलैण्ड भी पसंदीदा स्थान बौण ग्या।ये संकलित लेख मा आप तै बतौल कि न्यूजीलैण्ड किले पसंदीदा स्थान च विद्यार्थियोंक ,दगड़ मा यी भी बतौल कि न्यूजीलैण्ड मा स्नातक/स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमोंक अध्ययनक वास्ता शिक्षण शुल्क कदगा च?रौणक खर्चा क्या च? छात्रवृति कदगा मिल्दी अर कनके मिल्दी ? त ल्या जी आपक सेवा मा सादर प्रेषित आजक यी संकलित लेख :-
लगभग 3.5 मिलियन लोगोंक आबादी एक सुन्दर बहुसांस्कृतिक वाल राष्ट्र च न्यूजीलैण्ड।अधिकांश न्यूजीलैंडवासी ब्रिटिश या यूरोपीय माओरी या पैसिफिक द्विपक आबादिक लगभग 18 प्रतिशत छन।न्यूजीलैण्ड मा बड़ी संख्या मा अन्य राष्ट्रीयता वाल लोगोंक संख्या बढ़णी च।एशियाई देशोंक लोग न्यूजीलैण्ड मा ज्यादा निवास कन्ना छन। न्यूजीलैण्डक विविध परिदृश्य दुनिया भरक आंगतुकों तै अपर ओर आकर्षित करदी।उख ऊँचा ह्यूं(बर्फ) से ढकी डांडी कांठी, बड़ा जंगल,झील,हौर भौर पुंगुडु(खेत/मैदान), शान्त तटीय इनलेट छन। न्यूजीलैंड विद्यार्थियोंक पसंदीदा देश हुणक पिछने निम्न कारण छन:-
1 : - भैरक विद्यार्थियोंक स्वागत : -न्यूजीलैंडक समाज विदेशी छात्र/छात्राओंक गर्मजोशी से स्वागत करदु।वूंक मनण(मानना) च कि भैरक विद्यार्थियोंक आण से सांस्कृतिक विविधता पैदा हुन्दी अर अर्थव्यवस्था तै लाभ पहुँचुद।
2 :- एक खुबसूरत देश :- न्यूजीलैंड अपर खुबसूरत पर्यावरण अर एडवेंचर गतिविधियों कुण चर्चित च संसार मा।वख एडवेंचर स्पोर्ट्स आदि कुण काफी विकल्प मौजूद छन।
3:- पढ़ै अर रौण सौणक कम खर्च :- न्यूजीलैण्ड मा रौण सौणक,ट्रांसपोर्टक खर्च कम च।खाणा कम दरों पर उपलब्ध च अर विद्यार्थियोंकुण रौणक सभी विकल्प खुल्यां छन।
4 : - सिखणक गुणवत्तापूर्ण अनुभव (क्वालिटी लर्निंग एक्सपीरियंस) :- न्यूजीलैंडक यूनिवर्सिटी सिस्टम अनुसन्धान पर आधारित च किले कि यी ब्रिटिश शिक्षा मॉडल तै फॉलो करदु।भारत मा भी ब्रिटेनक जैसा ही शिक्षा सिस्टम पर अमल करे जान्दु इनमा भारतक विद्यार्थियोंकुण वुख मिजान (एडजस्ट) बैठाण आसान च।
5 :- पढ़ै अर अनुसन्धान कु खूब मौका :- न्यूजीलैण्ड मा आठ बड़ संस्थान येक द्वी मुख्य द्वीपों (उत्तरी अर दक्षणी द्वीपों) मा स्थित छन।इखक द्वीपों मा स्टडी अर रिसर्च कुण प्रोत्साहित करे जान्दु।
:-न्यूजीलैण्ड मा पढ़ैक वास्ता शिक्षण शुल्क:-
शिक्षण शुल्क अलग- अलग विश्व विद्यालयोंक अर महाविद्यालयोंक अलग- अलग च कुछ पाठ्यक्रमोंक अनुमानित वार्षिक शिक्षण शुल्क तौल(नीचे) दियूं च :-
स्नातक स्तरक पाठ्यक्रमोंक शुल्क :-(न्यूजीलैंडक डॉलरक हिसाब से हर साल(प्रति वर्ष)
1:- कला/मानविकी/सामाजिक विज्ञानक शुल्क- 10 हजार डॉलर से 12 हजार डॉलर तक
2 :- कॉमर्स/ प्रशासन/प्रबन्धक शुल्क - 10 हजार डॉलर से 12500 डॉलर तक
3 :- गणित/विज्ञान/कंप्यूटरक शुल्क - 13 हजार डॉलर से 15000 डॉलर तक
4:- अभियांत्रिकी(इंजीनियरिंग) शुल्क - 16 हजार डॉलर से 17500 डॉलर तक
5 :- तकनीकी शुल्क :- 14 हजार डॉलर से 18 हजार डॉलर तक
:- स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमोंक शुल्क(न्यूजीलैण्डक डॉलरक हिसाब से हर साल)
1 :- मानविकीय/सामाजिक विज्ञान :-14 हजार डॉलर से 16 हजार डॉलर तक
2:- एमबीए :-18 हजार से 24 हजार डॉलर
3 :- अभियांत्रिकी:- 18 हजार से 24,000 डॉलर
:-रौणक खर्चा:-
अनुमानित सालक खर्च 10 हजार डॉलर से 12 हजार डॉलर तक जखमा आवासक दगड़-दगड़ अन्य दैनिक खर्च भी शामिल च।उन जीवनशैलिक हिसाब से खर्च अलग-अलग च।
:-छात्रवृत्ति:-
आकलैंड विश्व विद्यालयन 1996 मा इन छात्रवृत्तिक स्थापना कौर अर विदेशी छात्रों तै आकर्षित कनकुण, वूंक सहायता कनकुण 2006 मा इखमा संसोधन भी कार।
अध्ययनक स्तर :-या छात्रवृत्ति डिग्री कुण आकलैंड विश्व विद्यालय मा प्रवेश लीण वाल विद्यार्थियों तै हर साल उबलब्ध राली।
योग्य राष्ट्रीयता :- या छात्रवृति केवल वूं विद्यार्थियों कुण निर्धारित करे जान्दी जु न्यूजीलैंड या आस्ट्रेलियक न त नागरिक छन न ही स्थायी निवासी छन।
छात्रवृत्ति मूल्य :- छः मैनक(महीना) विस्तारक संभावनक दगड़ लगभग 27,900 डॉलर
छात्रवृत्ति समय सीमा :- क्वी समय सीमा तय नी च।


 

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