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Bhishma Kukreti

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« Reply #380 on: March 07, 2022, 03:59:37 PM »
13 उच्च अन्तर्राष्ट्रीय स्तरक होटल मैनेजमेंट स्कूल्स :-
परदेशम शिक्षा भाग -11
संकलन :- रुपेश कुकरेती
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जब होटल लैन मा अपुरु एक शानदार भविष्य बणाणक इच्छा ह्वा त केवल इच्छा हुण ही पर्याप्त नी च वेकुण आप तै श्रेष्ठ होटल प्रबन्धन विद्यालयों मा प्रशिक्षित हुण भी जरुरी च।
होटलक लैन बहुत ही अलग च ।इखमा डिग्रिक दगड़ स्नातक अर अच्छी तरह से भविष्य बणाणक अवसर मिल्दन। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तौल लिख्यां यी 13 संस्थान होटल प्रबन्धन मा उच्च कोटिक छन।
1:- इकोले होटलियार डे लौसेन(ई एच एल) :- ईएचएल तै अलग रैंगिक, पोर्टल,सर्वेक्षण,समीक्षा अर विकिपीडियक अनुसार 2022 मा सर्वश्रेष्ठ प्रबन्धन स्कूल मने जान्दु।EHL आतिथ्य प्रबन्धन शिक्षा मा 1893 बिटिक अग्रणीय च।EHL न दुनिया भर मा आतिथ्य प्रबंधको कुण एक अद्वितीय पेशेवर समुदाय तै बणायी और प्रेरित कार।स्नातक रोजगारक सम्बन्ध मा EHL तै एक शानदार सफलता मिल।96 प्रतिशत स्नातक छः मैनक भितर नौकरी पै दीन्दन अर 61 प्रतिशत स्नातक वरिष्ठ/कार्यकारी पदों पर नियुक्त ह्वे जान्दन।
2 :- कॉर्नेल स्कूल ऑफ होटल एडमिनिस्ट्रेशन(कॉर्नेल यूनिवर्सिटी) :-स्कूल ऑफ होटल एडमिनिस्ट्रेशन 2022 मा श्रेष्ठ होटल प्रबन्धन स्कूलों मा एक च ।1922 मा स्थापित यी होटल प्रबन्धन कुण समर्पित च।कॉर्नेल आतिथ्य मा शिक्षा अर प्रशिक्षण मा अग्रणीय च।
3:- विलियम एफ हर्रा कॉलेज ऑफ होटल एडमिनिस्ट्रेशन(नेवादा विश्व विद्यालय अमेरिका) :- दुनियक सबसे लोकप्रिय,मनोरंजन से युक्त हर्रा होटल कॉलेज संयुक्त राज्य अर दुनियक विद्यार्थियों तै अपर ओर आकर्षित करदु।लास वेगास मा स्थित विश्व विद्यालय एक महत्वपूर्ण होटल,खेलक मैदान अर पर्यटनक क्षेत्र विद्यार्थियों तै वास्तविक दुनियक कौशल हासिल कनक कई अवसर प्रदान करुदु।
4 :- लेस रुचेस इंटरनेशनल स्कूल ऑफ होटल मैनजमेंट :- या स्कूल न्यू इंग्लैंड मा च अर एसोसिएशन ऑफ स्कूल्स एण्ड कॉलेजक उच्च शिक्षा संस्थान आयोग CIHE द्वारा मान्यता प्राप्त च।इखक स्कूलों मा छात्र सीखणक अनुभव पर ध्यान केंद्रित करे ग्या।यूं मा नामांकन करणक इच्छुक लोगोंकुण एक "फॉलो मी" कार्यक्रम च। जु वूं तै एक दिनक विद्यार्थी बणणक अनुमति दीन्दु। यी एक डिग्री भी प्रदान करदु जु विद्यार्थियों तै होटल अर पर्यटनक दुनिया भर मा पढ़ै कनक अनुमति दीन्दु। लेस रोचेस इंटरनेशनल स्कूल से वापिस जाण वाल छात्रों तै 40 से जादा बहुराष्ट्रीय होटलों अर स्वतन्त्र कम्पनियों द्वारा नियोजित करे जान्दु।यी 2022 मा होटल प्रबन्धन कुण श्रेष्ठ स्कूलों मान एक च।
5 :- रोसेन कॉलेज ऑफ हॉस्पिटैलिटी मैनजमेंट(सेन्ट्रल फ्लोरिडा विश्व विद्यालय) :- यी दुनियक विद्यार्थियों तै हॉस्पिटैलिटी ब्राण्डोंक दगड़ विद्यार्थियों तै उद्योगों कुण अवसर प्रदान करदन।हर साल लगभग 150 आतिथ्य अधिकारी कॉलेजक छात्र/छात्रा सलाहकार कार्यक्रम मा भाग लीन्दन।लगभग 600 विद्यार्थी इंटर्नशिप मा भाग लीन्दन अर 100 आतिथ्य संगठन विद्यार्थियोंक पूर्णकालिक पेशेवर पदों पर भर्ती कनकुण परिसरक दौरा करदन।स्कूल छात्र सदस्यता इंटर्नशिप अतिथि वक्ताओं अर नेटवर्किंगक अवसरों कुण ठोस प्रदर्शन करदन।
6 :- होटल स्कूल हेग:- यी स्कूल नीदरलैंड मा एप्लायड साइंसेजक एक स्वतन्त्र एकल क्षेत्र विश्वविद्यालय च।यी एक अनुसन्धान केंद्र भी मने जान्दु जु नया नवाचारों अर आतिथ्य उद्योगक अलग पहलुओं पर अध्ययन करुद।ये संस्थान मा एक परामर्श अर प्रशिक्षण प्रभाग भी च।
7:- ऑक्सपोर्ड ब्रूक्स विश्व विद्यालय :-ऑक्सपोर्ड स्कूल ऑफ हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट द्वारा संचालित ऑक्सपोर्ड ब्रूक्स यूनिवर्सिटी इंटरनेशनल हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट प्रोग्राम तै दुनिया भर मा मान्यता प्राप्त च।
8 :-ग्लियन इंस्टिट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन :- यी स्विजरलैंड मा पैलु विश्व विद्यालय स्तरक(निजि) होटल प्रबन्धन स्कूल मने जान्दु।
9:-एलीब्रॉड कॉलेज ऑफ बिजनेस आतिथ्य व्यवसायक स्कूल(मिशिगन राज्य) :- यी अमेरिकक सबसे पुरण होटल प्रबन्धन स्कूल मान एक च
10 :-पैम्प्लिन कॉलेज ऑफ़ बिजनेस आतिथ्य अर पर्यटन प्रबन्धन विभाग(वर्जीनिया टेक अमेरिका) :- इख कई हायरिंग कम्पनियाँ जन कि हिल्टन, मैरियट,डार्डन,सोडेक्सो,हयात अर दुसर कम्पनियों कुण प्रथम श्रेणिक भर्ती स्कूल छन।
11:- स्टाउट स्कूल ऑफ हॉस्पिटैलिटी लीडरशिप विस्कॉन्सिन विश्व विद्यालय(मोनोमोनी अमेरिका) :-आतिथ्य अध्ययन आखिरकार एक अपेक्षाकृत नै शैक्षणिक क्षेत्र च। यीं सूची मा कई स्कूल द्वी या तीन दशकों बिटिक मौजूद छन अर कुछुक अस्तित्व बहुत कम अवधिक च।
12 :- इंटरनेशनल स्कूल ऑफ हॉस्पिटैलिटी एण्ड टूरिज्म मैनेजमेंट फेयर लेघ डिकिंसन यूनिवर्सिटी (टीनेक एनजे)
13:- WA फ्रेंके कॉलेज ऑफ बिजनेस स्कूल ऑफ होटल एण्ड रेस्तरां मैनेजमेंट उत्तरीय एरिजोना विश्व विद्यालय (फ्लैग स्टॉफ एज): - उत्तरीय एरिजोना में होटल अर रेस्तरां प्रबन्धन कॉलेज ऑफ बिजनेस स्कूलक रेस्तरां मा गतिशील अर जीवन्त छन।


Bhishma Kukreti

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« Reply #381 on: March 08, 2022, 08:48:45 AM »
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
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सरोज शर्मा-जनप्रिय गढ़वाली साहित्य -234

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अंतराष्ट्रीय महिला दिवस क आयोजन एक श्रम आंदोलन छाई, जैकु संयुक्त राष्ट्र न सालाना आयोजन कि स्वीकृति दयाई, ऐ आयोजन कि शुरुआत क बीज 1908 म तब प्वाड़ जब न्यूयार्क शहर म 15 हजार महिलाओ न काम का घंटा कम करण और बढ़िया वेतन और वोट दीण कि मांग क साथ विरोध-प्रदर्शन निकाल।
ऐका एक साल बाद अमेरीकी सोशलिस्ट पार्टी न पैल दा राष्ट्रीय महिला दिवस मनाण कि शुरुआत कैर, पर ऐ दिन थैं अंतराष्ट्रीय बनाण क विचार क्लारा जेटकिन नौ कि महिला क दिमाग म ऐ, ऊन अपण ई आइडिया 1910 म काॅपहेगन म आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑफ वर्किंग वीमेन म द्या छाई,
ऐ कांफ्रेंस मा 17 देशु कि सौ महिला प्रतिनिधियो न हिस्सा ल्या, सब्यून क्लारा क सुझाव क स्वागत कैर, ऐ का बाद अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पैल बार 1911 म ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी, स्विट्जरलैंड म मनयै ग्या, ऐकु शताब्दि आयोजन 2011 मा मनयै ग्या, ऐ लिहाज से 2021 म दुनिया 110 वां महिला दिवस मनैली,
हालाँकि अधिकारिक तौर पर ऐ मनाणा कि शुरुआत 1975 म तब ह्वै जब संयुक्त राष्ट्र न ऐ आयोजन थैं मनाण कि शुरुआत कैर, संयुक्त राष्ट्र न 1996 मा पैल दा ऐका आयोजन मा थीम अपणै, व थीम छै 'अतीत क जश्न मनावो, भविष्य कि योजना बणाव,
महिलाए समाज मा, राजनीति मा, अर्थ शास्त्र म कख तक पौंछिन ऐ का जश्न का तौर पर इंटरनेशनल वीमेंस डे कु आयोजन हूंद,
लेकिन ऐ आयोजन क केंद्र म प्रदर्शन कि अहमियत रै, महिलाओ क साथ हूण वली असमानताओ थैं लेकि जागरूकता बणाण क विरोध म ई प्रदर्शन हूंद, ऐ क आयोजन 8 मार्च कु हूंद, क्लारा न जब अंतराष्ट्रीय महिला दिवस कु आइडिया द्या छा, तब ऊं न कै खास दिनकु जिक्र नि कैर छा, कि महिला दिवस क आयोजन कै दिन ह्वा, 1917 तक कुछ भि स्पष्ट नि छा, साल 1917 मा रूस कि महिलाओ न रोटी और शांति कि मांग क साथ चार दिनो क विरोध प्रदर्शन कैर, तत्कालीन रूसी जार थैं सत्ता त्याग करण प्वाड़, अंतरिम सरकार न महिलाओ थैं वोट दीणक अधिकार भि द्या,
जै दिन रूसी महिलाओ न विरोध प्रदर्शन शुरू कैर वू रूस मा इस्तेमाल हूण वल जूलियन कलैंडर क मुताबिक, 23 फरवरी और रविवार क दिन छा, ऐ दिन ग्रेगेरियन कलैंडर क मुताबिक, आठ मार्च छाई, तब से ऐ ही दिन महिला दिवस मनयै जांद,
महिला दिवस क रंग छन
बैंगनी, हरा,और सफेद- ई सब्या इंटरनेशनल वीमेंस डे का रंग छन,
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस कैंपेन क मुताबिक बैंगनी रंग न्याय कु और गरिमा क सूचक च, हैर रंग उम्मीद कु, सफेद शुद्धता कु सूचक मनै ग्या, ई तिन्या रंग 1908 मा ब्रिटेन कि वीमेंस सोशल एंड पाॅलिटिकल यूनियन ( ड्बलूएसपीयू ) न तै करिन,
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस न अपण अभियान म ब्वाल कि एक शताब्दि क बाद हम लैंगिक समानता हासिल नि कैर सका, हम लोग अपण जीवन म लैंगिक समानता नि देख पौंला, न हि हमरा बच्चो मा क्वी देख पालु ।
महिला दिवस कि आवश्यकता
इतगा हि न, यूएन वीमेन क हाल का आंकड़ो का मुताबिक कोरोना संक्रमण का चलता ई खत्म ह्वै सकद जु लैंगिक समानता कि लड़ाई मा पिछल 25 सालों मा हासिल ह्वाई, करोना महामारी क रैण से महिलाए घरेलू कामकाज कनी छन और ऐ कु असर नौकरियो और शिक्षा क अवसरो मा भि दिखे जाल,
हालांकि करोना संकट क बाद भि इंटरनेशनल वीमेंस डे-2020 क दौरान कै प्रदर्शन द्यखणकु मिलिंन, ऐ मा ज्यादातर प्रदर्शन शांतिपूर्ण छा, पर किरगिज कि राजधानि बिशकेक म पुलिस न दर्जनो महिला कार्य कर्ताओ थैं गिरफ्तार कैर,
देश की महिला कार्यकर्ताओ क मनण च कि महिला अधिकारो की स्थिती पैल से खराब च, हिंसक धमकी और कानूनी मामलो क बाद भि पाकिस्तान का कै शहरो मा विरोध प्रदर्शन देखणा कु मिलिंन,
मैक्सिको मा महिलाओ का प्रति हूण वली हिंसा का बड़दा मामला देखदा हुए 80 हजार से ज्यादा लोग प्रदर्शन मा शामिल हूंई, लेकिन 6 से ज्यादा लोग घायल हुंई, रैली शांतिपूर्ण ढंग से छै पर पुलिस वलो क मुताबिक पेट्रोल बम फेंके जाणक बाद ऊंथैं टियर गैस चलांण प्वाड़,
पिछला कुछ सालो मा महिला आंदोलन कि स्थिती बेहतर ह्वाई, ऐ साल अमेरिका मा कमला हैरिस क तौर पर पैल पैल काली महिला और एशियाई मूल कि महिला उपराष्ट्रपति क पद पर पौंछ,
साल 2019 मा फिनलैंड म नै गठबंधन सरकार चुनै ग्या जैकु नेतृत्व पांच महिलाओ क हाथ मा छाई,
वखी उत्तरी आयरलैंड म गर्भपात गैर कानूनी करार कियै ग्या, ऐ का अलावा सूडान मा महिलाऐ कन कपड़ा पैरलि इन कानून वापस लियै ग्या।
ऐ का अलावा ऐ दौरान Me Too अभियान कु असर भि द्यखणक मिल, ऐ कि शुरुआत 2017 मा ह्वै जै का तहत हैशटैक क साथ सोशल मीडिया म उत्पीड़न और यौन उत्पीड़न क खिलाफ आवाज उठाण शुरू कैर,
अब ऐ कु चलन दुनियाभर बढ़ ग्या जौ ई बतांद कि अस्वीकार्य और अनुचित व्यवहार बर्दाश्त नि कियै जाल, और यूं मामलों भा हाई प्रोफाइल लोगों थैं सजा भि मिल।


Bhishma Kukreti

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« Reply #382 on: March 12, 2022, 09:12:18 AM »
केशवराय मठ भक्तियाना श्रीनगर

सरोज शर्मा-गढ़वाली जन साहित्य -236


कमलेश्वर महादेव क उत्तर मा अलकनंदा तट पर केशवराय मठ उत्तराखंड शैलि मा बंणयू भौत सुंदर मंदिर च,बड़ पत्थरो कि शिलाओं से ब्णयू ऐ मंदिर कि कलात्मकता द्यखण लैक च,ब्वलेजांद कि संवत 1682 म ऐ मंदिर कु निर्माण महीपत शाह क शासनकाल मा केशवराय न करै,यूं क हि नौ से मंदिर क नाम च।
अलकनंदा तट मा बण्यू ऐ मंदिर क अलग हि इतिहास च, 1894 ईसवी म बिरही कि बाढ़ मा श्रीनगर शहर क डुबे जाण से मंदिर भि रेत मा दब ग्या, बाढ़ म मंदिर क खिसकण से और मंदिर क ऊपरी हिस्सा गिर जाण से भि मंदिर अडिग खड़ रै, वर्षो काल का थपेड़ा खाणक बाद भि यैक स्थापत्य कि सुदृढ़ता क पता चलद।
यी ऐक इन मंदिर च जैकु निर्माण मंदिर क उदेश्य से से कियै त ग्या लेकिन निर्माण क बाद ऐ मा कभि भि देवातयन कि शुद्धि ह्वै पाई और ना देव प्रतिमा कि स्थापना। ब्वलेजांद कि जब तक देवप्रतिमा देवातयन कि शुद्धि नि ह्वा देव प्रतिमा क स्थापना संस्कार नि हूंद कै तीर्थ से लैकि विग्रह कि स्थापना नि ह्वा त वु स्थान वास्तु अभिशप्त ह्वै जांद। प्रेमग्रत ह्वै जांद। लगभग 1970 म एस.एस बी न ऐ मंदिर क जीर्णोद्धार क बीड़ा उठै। मंदिर क गर्भ गृह से सरया रेत निकालिक गंगाजल से ध्वयै ग्या। खालि प्वडयां देवस्थान म राजस्थान से देवप्रतिमा मंगैकि मंदिर म देव मूर्ती कि स्थापना करै ग्या। मंदिर परिसर क छवट छवट मंदिरो म भि मूर्तियां स्थापित करैगिन। और पुजरी रखै गिन, पर फिर भि समय क साथ मंदिर फिर से वीरान ह्वै गै। धीरे धीरे मंदिर साधुसन्यासियो क डेरा बण ग्या जू ऐ नै नाम देगै, वर्ष 2003 से पंचवम पंचनाम जूना अखाड़ा हरिद्वार क बाबा त्रिकाल गिरी अपण शिष्यो दगड़ यख निवास करणा छन। जौंल ऐ थै दत्तात्रेय मठ नाम द्या। प्राप्त जानकारी क अनुसार 2013 म केदार नाथ उत्तराखंड आपदा क दौरान मंदिर क अधिकांश हिस्सा ब्गयै गया, अब मंदिर का अवशेष हि बचयां छन

Bhishma Kukreti

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« Reply #383 on: March 15, 2022, 09:01:51 AM »
विश्व उपभोक्ता दिवस
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सरोज शर्मा-गढ़वाली जन प्रिय साहित्य
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प्रत्येक वर्ष 15 मार्च कु उपभोक्ताओं क अधिकारो और आवश्यकताओ क बार मा जागरूक करण खुण विश्व उपभोक्ता दिवस मनयै जांद।
15 मार्च 1962 म राष्ट्रपती जाॅन एफ कैनेडी द्वारा अमेरिकन कांग्रेस थैं संदेश भेजि संदेश मा ऊन उपभोक्ता क अधिकार क मुद्दा थैं औपचारिक रूप से संबोधित कैर ,इन करणवला वू पैला नेता छाई,
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस क पिछल इतिहास ई च कि पैल उपभोक्ता आंदोलन 1983 मा दिखे ग्या, और तब बटिक हर साल महत्वपूर्ण मुद्दों और अभियानो म कार्रवाई करण क ऐ दिन मनयै जांद।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2021 कि थीम Tackling plastic pollution च,ई जागरूकता बणाण और विश्व स्तर म उपभोक्ताओ थैं ज्वडियूं रा। अंतिम वर्ष कि थीम The Sustainable Consumer छै, ऐ वर्ष कु अभियान उपभोक्ता सरकारों और व्यवसायो क वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण संकट से निपटांण पर ध्यान केंद्रित कैरिक केंद्रीय भूमिका निभै सकद।
उपभोक्ता और वै का प्रकार
उपभोक्ता वू च जु जरूरत खुण उत्पाद खरीददू च और वैक उपभोग करद, वू उत्पाद या सेवा थैं दुबरा नि बेच सकद, लेकिन उपभोक्ता ये थैं अपणि आजीविका और स्वरोजगार अर्जित करण खुण करद।
उपभोक्ता क प्रकार
वाणिज्य उपभोक्ता, विवेकाधीन खर्च करणवल उपभोक्ता, बहिर्मुखी उपभोक्ता,और इन्फीरियर गुड्स उपभोक्ता।


Bhishma Kukreti

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« Reply #384 on: March 16, 2022, 06:40:27 AM »
टपक सिंचाई (ड्रिप ) अर टपक सिंचाई से लाभ
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उषा बिजल्वाण कु जनप्रिय गढ़वाली साहित्य – ८०

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या एक सिंचाई विधि छ, जैकू इस्तेमाल दुनिया का कई देशो मा भौत तेजी का साथ दिखेणू छ । | इं विधि मा पौधों की सिंचाई टपक विधि द्वारा किए जांदी जैतै छोटी व्यास वाली प्लास्टिक की पाइप कू इस्तेमाल किए जांदू | इं विधि मा पौधों की जड़ो पर जल तै बूँद-बूँद का रूप मा पहुंचाए जांदू, जैसे सतह वाष्पन एवं भूमि रिसाव से जल की हानि भी कम होंदी, तथा पौधों तै उवर्रक पौंछौंणक उवर्रक तै घोल का रूप मा इस्तेमाल किए जांदू | सिंचाई की या तकनीक वूं क्षेत्रों तै काफी उपयुक्त माणे जांणी छ, जख जल की कमी तथा जमीन असमतल और सिंचाई प्रक्रिया काफी खर्चीली होंदी |
भारतम टपक सिंचाई –
भारत का विभिन्न राज्यों मा टपक सिंचाई पिछला 15 से 20 वर्षो मा काफी लोकप्रिय ह्वै वर्तमान समय मा देश का लगभग 3.51 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल मा टपक सिंचाई विधि कू इस्तेमाल किए जाणू छ।, जू कि १९६०मा मात्र ४० हेक्टयेर थौ| भारत मा टपक विधि कू इस्तेमाल करण वाला सर्वाधिक क्षेत्र वाले मुख्य राज्य महाराष्ट्र (९४ हजार हेक्टेयर), कर्नाटक (६६ हजार हेक्टेयर) तथा तमिलनाडु (५५हजार हेक्टेयर) छन।
टपक सिंचाईन लाभ_
टपक सिंचाई विधि मा जल दक्षता ९५ तक होंदी, वी पारम्परिक सिंचाई प्रणाली मा जल दक्षता लगभग ५० प्रतिशत होंदी|
ईं विधि का प्रयोग से जल की अधिक खपत का साथ उवर्रको तैअनावश्यक बर्बादी तै भी रोके जै सकदू|
इं विधि से सिंचित फसल की वृद्धि तीव्र गति से होंदी,जैसे फसल शीघ्र परिपक्व ह्वै जांदी |
या खरपतवार नियंत्रण पर अत्यंत ही सहायक होंदी,कीक कि सिमित सतह नमी का चलदा खर-पतवार कम उगदन |
टपक यानि कि ड्रिप सिंचाई विधि एक आदर्श मृदा नमी स्तर प्रदान करदी जैसे फसल अच्छे से विकसित ह्वै जांदी |
ये विधि मा कीटनाशकों और कवकनाशकों की घुलना की सम्भावना भी कम होंदी |
येकी सिंचाई तै लवणयुक्त जल तै भी उपयोग मा लाए जै सकदू |
इं विधि का उपयोग से फसल की सिंचाई से पैदावार १५० प्रतिशत तक बढ़ जांदी |
टपक सिंचाई मा पारम्परिक सिंचाई की तुलना मा ७०/ जल की बचत होंदी |
इं सिंचाई कू सबसे अच्छा फ़ायदा यू छा कि इं विधि का इस्तेमाल कर लवणीय,बलुई एवं पहाड़ी भूमि मा भी सफलतापूर्वक खेती को किए जै सकदी |
मृदा अपरदन की संभावना न होणा का कारण मृदा संरक्षण तै भी बढ़ावा दिए जै सकदू |


Bhishma Kukreti

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« Reply #385 on: March 18, 2022, 10:39:51 AM »
विदेशोंमा होलि जन त्यौहार
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सरोज शर्मा-जनप्रिय गढ़वाली साहित्य
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होलि एक प्रमुख त्यौहार च, भारतीय ऐ थैं धूमधाम से मनंदिन, दुनियाभर मा जख भि भारतीय समुदाय रैंद वख होलि कु त्यौहार मनयै जांद,
होलि जन त्यौहार दुनिया क अलग अलग हिस्सों म भि मनयै जांद, ई सब्या त्यौहार ऊं देशू का स्थानीय या लोक त्यौहार जना ही छन, जनकि होलि आस्था क लोक पर्व च,
न्यूजीलैंड मा
न्यूजीलैंड क अलग अलग शहरू मा हर साल रंग क त्यौहार मनयै जांद, छै दिन तक चलण वल उत्सव मा लोग पार्को मा रंग बिरंगा कपड़ा पैरिक मुंडमा हैट लगैकि अंदिन, और एक दूसर क शरीर म रंगो से पेंटिंग करदिन,
ऐ त्यौहार क मनाण क उदेश्य पुरणि यादों थैं भुलैकि सकारात्मक नजरिए से अगनै बढ़न च,
रोम मा भि होलिका दहन जन त्यौहार
रोम मा रेडिका क त्यौहार मनाण कु चलन च, होलिका दहन जन ही यै दिन कै ऊंचि जगा मा बोनफायर कियै जांद लोग नचदा और गीत गंनदिन,
कै मैना चलणवल ई त्यौहार क उदेश्य नै फसल क स्वागत कन च, रेडिका वख अन्न कि देवी भि मने जांद, साथ ही आग जलाण क उदेश्य बुरि शक्तियो थैं नष्ट करण कु च,
स्पेन म टोमाटिना फेस्टिवल
स्पेन म हर साल टोमाटिना फेस्टिवल मनयै जांद, और फिल्म जिंदगी ना मिलेगी दोबारा कि वजा से ई काफी लोकप्रिय ह्वाई, ई भि होलि जन त्यौहार च जु टमाटरों से ख्यलैजांद और खूब नाच गांणा हूंद।
थाईलैंड मा भि सांग्क्रान होलि ही जन त्यौहार च, ऐ मा लोग मठों मा जैकि भिक्षुओ थैं दान दिंदिन, और एक दुसर पर सुगंधित जल छिड़किक मनंदिन, ऐक उदेश्य बैर भाव मिटै कि प्रेम से रैणा क संदेश च,
पेरू क इनकान फेस्टिवल
होली जन ही च ई भि रंग बिरंगा कपड़ा पैरिक लोग घूमदिन, शहर मा झांकि निकलै जांद, पांच दिन कु ई उत्सव फसल प्रेम और समृद्धि कि कामना खुण हूंद,
नेपाल म
नेपाल मा ऐ थैं फाल्गुन पूर्णिमा
(फागु पुन्हि) भि बवलदिन
नेपाल क अलग अलग जगौ मा रीति-रिवाज मा भिन्नता च,
काठमांडू मा यै अवसर पर एक सप्ताह खुण नारायणहटी दरबार म बांस क स्तम्भ गढै जांद, यै किस्म किस्म का कपड़ा लटकयै जंदिन, यी बांस क स्तम्भ भगवान कृष्ण द्वारा तलाब म स्नान करणवली गोपिकाओं क स्मृति क प्रतीक च, स्तम्भ गढ़ना क बाद होलि आरंभ हूंद, काठमांडू मा रंग का दगड़ पाणि कु भि खूब प्रयोग हूंद, नेपाल क हिमाल और पहाड़ी इलाका की मुख्य होलि भारत से एक दिन पैल मनयै जांद, पर तराई मा भारत कि होली वल दिन हि मनयै जांद, तराई कि होलि बिहार कि फगुआ जन मिलदी जुलदी च,
होलि एक हिन्दु त्यौहार च पर नेपाल मा हिन्दु और बौद्ध धर्मावलम्बी (नेवार जाति)द्विया यै त्यौहार थैं हर्षोल्लास से मणांदा छन।


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« Reply #386 on: March 18, 2022, 06:22:15 PM »
आयरलैंड :- " इंटरनेशनल स्टूडेंटुकु पसंदीदा देश "
परदेशम शिक्षा भाग - 14
संकलन :- रुपेश कुकरेती

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यूरोपीय देश आयरलैंड आजक समय मा उच्च शिक्षा क हब बणुद जाणु च। आयरलैंड अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियोंक पैली पसन्द बणिकन उभुरु। येक पिछने कई कारण छन।इख विद्यार्थियों तै रोजगार से जुड्यां 5 हजार से जादा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम मिल जान्दन। येक दगड़ दगड़ इखक शिक्षा विद्यार्थियोंक बौद्धिक अर सांस्कृतिक विकास द्वीयूंक अनुभव कनक अनुमति दीन्दी।अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियोंक इख शिक्षा ग्रहण करणक सबसे बडू कारण या च कि इख वूं तै 100 प्रतिशत रोजगारक अवसर मिल जान्दु। आयरलैंड इन देश च जख जनसंख्यक हिसाब से विश्व स्तर पर सबसे ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय वर्कफोर्स कार्य करदी। त आवा जणद छ्या कि आयरलैंड मा शिक्षा किले लिये जा? अर वेक क्या फैदा मिलल :-
:- अंग्रेजी बुलण वाल एकमात्र यूरोपीय संघक देश :-
आयरलैंड यूरोपीय संघक एक मात्र इन देश च जख अंग्रेजी बुले जान्दी। ऐसे इन हुन्द कि इख शिक्षा कुण आण वाल अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों तै शिक्षा प्राप्त कन अर जॉब करण मा आसानी हुन्दी।आजक समय मा आयरलैंड यूरोपक आर्थिक अर तकनीकिक केंद्र बण चुक्यूं च। जैसे विद्यार्थियों तै बडू फैदा मिलुद।
:- आयरलैंड मा फॉर्च्यून 500 कम्पनियोंक मुख्यालय :-
आयरलैंड मा यबरी 500 फॉर्च्यून कम्पनियोंक मुख्यालय च। इख फेसबुक, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट,एप्पल अर जॉनसन कंट्रोल्स जन कई बड़ी फॉर्च्यून कम्पनियोंक मुख्यालय च। यूं कम्पनियोंक इख आणक मुख्य कारण या च कि इख कॉरपोरेट टैक्सक दर काफी कम च।इख कॉरपोरेट टैक्सक दर12.5 प्रतिशत च जु यूकेक मौजूदा 28 % अर यूएसक 35% क अधा से भी कम च।आयरलैंडक प्रौद्योगिकी,उद्योगक सफलतक कारण डबलिन मा कई कम्पनियोंक क्षेत्रीय मुख्यालय अर सॉफ्टवेयर विकास केंद्र च।आजक वर्तमान समय मा यी देश मेड-टेक उत्पादकोंक दुसर सबसे बडू निर्यातक च।इख टॉप 18 चिकित्सा उपकरणों से सम्बन्धित कम्पनियाँ,टॉप 8 औद्योगिक स्वचालन कम्पनियाँ,टॉप 5 वैश्विक सॉफ्टवेयर कम्पनियाँ मौजूद छन।यूं कम्पनियोंक कारण आयरलैंड से पढ़ै करण वाल विद्यार्थियों तै आराम से यूँ बड़ी कम्पनियों मा हायर लेवलक नौकरी मिल जान्दी।
:- व्यवस्थक अनुकूल आयरलैंडक शिक्षा :-
आयरलैंडक शिक्षा प्रणाली तै विश्वक शीर्ष 10 प्रणालियों मा गिणे जान्दु। इखक शिक्षा विश्वक प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थक सभी जरुरतों तै पूरी करदी।इखक डेटा इंजीनियरिंग, डेटा एनालिटिक्स,लाइफ साइन्सेज,मेड-टेक,एनालिटिक्स, डिजिटल मार्केटिंग, आईसीटी, फार्मा, अर हेल्थ केयरक कोर्स विश्व स्तरक कोर्स मने जान्दन।आयरलैंडक महत्वपूर्ण कौशल सूची योग्यता अर अनुभवक मामला मा आयरलैंडक बढ़ती अर्थव्यवस्थक जरुरतों तै दर्ज करदी।
:- आयरलैंड मा 5 हजार से अधिक अंतर्राष्ट्रीय कोर्स :-
आयरलैंडक शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों तै सैद्धांतिक अर व्यावहारिक ज्ञान द्वी तरह से दक्ष बणादी।इख 5 हजार से जादा अंतर्राष्ट्रीय कोर्सक विकल्प मौजूद छन। आप इख बिटिक बिजनेस एनालिस्ट,फाइनेंशियल एनालिस्ट,सॉफ्टवेयर इंजीनियर, एक्विजिशन एनालिस्ट, क्वांटिटेटिव एनालिस्ट या स्टैटिस्टिक जन शीर्ष कोर्स कौरिक अच्छी नौकरी पै सकद छ्या।
:- आयरलैंड तै दवा राजधानिक दर्जा :-
आयरलैंड तै यूरोपक दवा राजधानिक रुप मा जणे जान्दु।इख विश्वक 10 सबसे बड़ी कम्पनियाँ मौजूद छन। जखमा फाइजर, नोवार्टिस,जॉनसन एण्ड जॉनसन जन कम्पनियाँ मुख्य छन। येक अलावा इख ऑनलाइन विज्ञापन, इंटरनेट मीडिया, मोबाइल मार्केटिंग,सीआरएम सिस्टम, सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन अर वेब डेटा एनालिटिक्स मा विशेषज्ञोंक बढ़ती आवश्यकताओं दगड़ डिजिटल मार्केटिंग पाठ्यक्रमक भी उच्च माँग च।
:- इख सक्षम कर्मचारियोंक भारी कमी :-
इख सक्षम कर्मचारियोंक आज भी भारी कमी बणी च। इख विद्यार्थियोंकुण बार्कलेज, बैक ऑफ अमेरिका,अर मेरिल लिंच जन प्रमुख नियोक्ताओंक वित्त अर निवेश,बैंकिंग विभागों मा काम करणक अवसर लगातार बण्यां रौन्दन।इख जादा कम्पनी हुणक कारण सभ्यूं तै सक्षम कर्मचारी नी मिल पांदन।आयरलैंड मा साइबर सुरक्षा जैसे फील्ड मा अनुमान लगे ग्या कि इख अभी भी एक मिलियन नौकरी मौजूद छन अर यी 2022 मा 2 मिलियन तक जै सकुद च।साइबर सुरक्षा कुण शीर्ष 5 वैश्विक कम्पनियों मान आईबीएम अर इंटेरग्रिटी 360 क मुख्यालय आयरलैंड मा स्थित च।


Bhishma Kukreti

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« Reply #387 on: March 21, 2022, 02:54:17 PM »
नवरात्रि विशेष  किस्त-----

Ashwini Gaur from Rudraprayag
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    ---- हमारा लोक मा बसीं ---'बीं माता'------

 केदारघाटी की तीन गौं मा, रचीं-बसीं     लोकपरंपरा----------
केदारखंड नागपुर-केदारघाटी मा, रचीं-बसी संस्कृति, आस्था, विश्वास अर प्रकृति से जुड़ाव की, अलगे तस्वीर दिखौंदि।
हिन्दु नवसंवत्सर पर, जख ईं घाटी मा, बच्चों कु फूलदेई त्योहार, जोर-सोर से फ्योंली, बुरांशि, पैंया फूलों दगडि प्रकृति कु स्वागत करी होंदु, तखि चैत मैना मा, फूलदेई का बाद ही, केदारघाटी मा एक रोचक लोकपरंपरा कु त्योहार भी उर्यें जांदू 'बीं माता'।
'बीं माता' मतलब बिधात्री देवी, वरदात्री माँ, जैकि हर्यालि दगडि, मुंड माथम धरीं सर्वमनोकामना पूरी ह्वे जांदि।
बीं कु लोकपर्व केदारघाटी का तीन गौं- अंद्रवाडी, देवशाल (द्यूशाल), अर रविग्राम ( रविगौं),
तीन साल का अंतराल पर बारी-बारी से,यौं गौं मा बीं कौथिग उर्यें जांदू, यानि एक साल मा, यौंमदि एक ही गौं ये कौथिग कु गवै बणदू।
अंद्रवाडी का सेमवाल बामण परिवार अंद्रवाडी बटि नमोली तोक तक बस्यां छिन, यनि देवशाल का देवशाली बामण ह्वोन या रविगौं का जमलोकी बामण। यि सब लोग देश-प्रवास बटि भी, 'बीं माता' का ये पावन पर्व पर, अपड़ि थाति बौड़ी जांदन। तन-मन अर धन से बड़ी आस्था का दगड़ि, अपड़ि चिरपुराचीन परम्परा से जुड़ि जांदन।
'बीं कौथिग' की लोकपरंपरा, गढकुमौं की धियांण 'माँ नंदा देवी'  से जुड़ी च, यख नंदा तै बेटुली जन मांण्दन,अर सैरू गढकुमौं नंदा कु मैत मंण्ये जांदू।
कखि न कखि, ये लोकपर्व मा भी एशिया की सबसे बड़ी पदयात्रा 'नंदाराजजात' की झलक दिखैंदि।
गौं की ही क्वे मौं (परिवार) बीं माता तै न्यूतुदू, अर अपडा घौर मु हैर्याळी डाल्दू,
रातभर बीं-नंदा मांई का लोकजागर, बुजुर्ग बड़ी तन्मयता से लगौंदा। तखि नै पीढ़ी भी यौं लोकजागरों तै गांदि।
बचपन मा मैं भी ईं लोकपरंपरा कु साक्षी बण्यूं अंद्रवाडी गौं मा, तब रात-रात हम यौं जागर सुंण्दरा छा--

-----------'कां केलो तिरणी चार्यो
                  तूम्हरा घौर घर बासा ल्यौली,
                         सुदि बुधी नारी
                               नन्यौ त्वे अंकारा द्यौ।

       तुमारा घौरौऽ---- 
               घर बासा ल्योली-----
                      सुद-बुद्धि,   नारी---
                                त्वे औंकारा ळयो"
रात का तीनी पहरों मा, जागरण करी लोकजागर की धुन माहोल तै भक्ति मय बणै जांदि, ये अवसर पर ही पुरांणि पीढ़ी नै पीढ़ी तक लोकपरंपरा अर लोकसंस्कृति भी सरकदि जांदि। सैरा गौं का लोग यूँ दिनों बीं धियांण तै बेटी जन पूजी-पठैक खूब मान सम्मान दैंदा।
ये दौरान बीं माता की एक बड़ी मूर्ति भी तैयार कर्दा, अर खूब मान सम्मान पूजा पाठ करीतै, आखिरी दिन ईं बीं माता की प्रतिमा अर बीं माता का नौं कि डाळी हर्यालि तै मुंड मा बड़ा सम्मान का साथ गाजा बाजा लिकरी एक द्वी किलोमीटर पदयात्रा दगडि भगवान शंकर का मंदिर का नजीक पाणी स्रोत कुंआ या पंध्येरा तक स्यळौंणौ लिजांदन।
बीं का यौं गौंऊं मा भगवान शंकर का मंदिर छिन, जख बीं माता तै बिदै करी लिजांईं जांदू।
एक तरफां या तस्वीर बेटी बिदै से कम भावुक नि ह्वोंदि ये दौरान जख सबि मैती मुल्कि क्षेत्रीय लोग बीं तै बिदा कन जांदन, सबि लोखूं की आंख्यू मा दणमण आंसू छलकदन, सबका मन मा बेटी का ईं विदै पर जख, आंसू रंदन तखि ईं बेटी तै फ्येर तीन साल मा जल्दी ही मैंत औंण कु भी निवेदन भगवान शंकर से कर्ये जांदू।
बीं का यौं तीनी गौंऊं मा भगवान शंकर का मंदिर छिन।
पूजा-पाठ दगडि हैर्याळी तोड्यें जांदि, अर माथम का दगड़ि सब लोखूं तक पौंछाईं जांदि, लोग दूर-दूर तक
रिश्तेदारों तलक ये बीं कु माथम-प्रसाद पौछौंदन अर जौं-जस की कामना कर्दन।
ईं बिदै मा शामिल कौथिग उर्येंण वौळा परिवार का सदस्य जब वापस घौर जांदन त घर मा बड़ा बुजुर्गों कु आशीष ल्यौंदन।
ये दौरान लगभग गौं का घर-घर मा संजोळी पर हैर्याळी उगै जांदि अर स्यळौंणौ बीं दगड़ि लिकरी जांदि।
यि अद्भुत अर रोचक लोकपरंपरा छिन हमारी थाति की, यौंमदि सहेजणों अर लोकजागर संरक्षण कनै दिशा मा भौत सारा लोग काम भी कना छिन जौंमा प्रोफेसर डी आर पुरोहित जी, सुधीर बर्त्वाल जी, दीपक बैंजवाल जी समेत भौत सारा संस्कृति कर्मी लग्या छिन।
वाकई हमुतै अपड़ि संस्कृति माटी थाति पर गर्व मैसूस ह्वोंदू,
कि हम नंदा का मैती छिन--------
--@अश्विनी गौड़ दानकोट अगस्त्यमुनि रूद्रप्रयाग बिटि।

Bhishma Kukreti

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« Reply #388 on: March 23, 2022, 08:49:30 AM »
उत्तर प्रदेश कु एक जनपद एक उत्पाद योजना
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सरोज शर्मा-जनप्रिय गढ़वाली लेख

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उत्तर प्रदेश जन विशाल राज्य जैकु भौगोलिक विस्तार 2,40,928 वर्ग किलोमीटर ह्वा, जख 20 करोड़ 42 लाख कि बड़ी जनसंख्या ह्वा ,वख संभव ही नी कि जीवन का हर परिपेक्ष्य मा विविधता न ह्वा, यख विविध धरातल क्षेत्र छन, भिन्न भिन्न भोजन व फसल छन, भिन्न जलवायु च और विभिन्न सामुदायिक परम्परा और आर्थिक परिपेक्ष्य छन, यूं सबसे निकलिक उत्तर प्रदेश म एक महान सुंदर विविधता बणद, यखकि शिल्प कला और उधम्ता जु छवट छवट शहरू म फैलीं च, यखक हरेक कस्बा और जनपद अपण विशिष्ट और असाधारण उत्पादो खुण प्रख्यात च।
उत्तर प्रदेश सरकार कि महत्वाकांक्षी योजना, एक जनपद एक उत्पाद कार्यक्रम क उदेश्य च विशिष्ट शिल्प कलाओ और उत्पादनो थैं प्रोत्साहित किए जा,
उत्तर प्रदेश म इन उत्पाद बणदिन जु देश मा कखि भि उपलब्ध नि छन, जनकि प्राचीन पौष्टिक कालानमक चावल, दुर्लभ एवं अकल्पनीय गेंहू डंठल शिल्प, विश्व प्रसिद्ध चिकनकारी, कपड़ों मा जरी-जरदोजी क काम, मुरयां पशुओ क सींग हड्डी से बणयू अति जटिल शिल्प कार्य जु हाथी दांत क विकल्प च, ये मा भौत सा उत्पाद जी.आई.टैग मतलब भौगोलिक पछांण पट्टिका धारक छन, ई वु उत्पाद छन जौंकि विशिष्ट पछांण हूंद,
यूं मा से भौत त अपण पछांण खुण लगिन, जौं थैं आधुनिकता कि और प्रसार रूपि संजीवनी से पुनर्जीवित कियै जाणूच,
जनपद विशेष से संबंधित उधोग उन त सामान्य ही हुंदिन परन्तु यी उत्पाद वै क्षेत्र कि विलक्षणता बतंदीन ।
हींग, देशी घी, कांच क उत्पाद, चदरा, गुढ़, चमड़ा क बणी वस्तुऐं-उत्तर प्रदेश जनपद यूं चीजों कि उत्पादन की विशेषज्ञता रखद ।
यख छवट और मध्यम दर्जा तमाम इन औद्योगिक इकाइयां छन जौं थैं उन्नत मशीनरी, आधुनिकीकरण और उत्पाद क्षमता वृद्धि कि आवश्यकता च।
प्रदेश म जन विविधता, जलवायु विविधता, आस्था और संस्कृति कि विविधता क जन उत्पादनो और शिल्प कलाओ मा भि विविधता च।
75 जनपदो से गुजरण वली अन्वेषण यात्रा अनुभव कैर ल्याव आप लोग भि ।
उत्पाद जु वै क्षेत्र थैं विशेष बणांद,
योजना कु उदेश्य व लाभ।
योजना क तहत लगभग 25 लाख बेरोजगार युवाओं थै नौकरी मिलली ,और राज्य क सरया घरेलू उत्पाद (जीडीपी) द्वी प्रतिशत बढ़ालु।
ये योजना क लाभ छवट स्थानीय कारोबारियों, शिल्पियों, बुनकरों और उधमियो थैं दियै जाल।
उत्तर प्रदेश क छवट उद्यमियों खुण या योजना मील क पत्थर सिद्ध ह्वैलि।
उत्तर प्रदेश क एक जिला एक उत्पाद योजना क सफल ह्वै जाणक बाद सब्या उत्पादों थैं अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिल जालि ऐ का अलावा ई उत्पाद ब्रांड बण जाला, और यूपी कि पछांण बण जालि (ब्रांड यूपी)
ऐ योजना क अंतर्गत प्रदेश क लघु ,मध्यम और रेगुलर उद्योगों थैं आर्थिक मदद करली ।
ऐ योजना क अंतर्गत सहज ऋण कि उपलब्धता, अनुदान कि व्यवस्था, सामान्य सुविधा केन्द्र, कि स्थापना, विपणन कि सुविधा, आधुनिक तकनीक और परक्षिषण आदि कि सुविधा दियै जालि,
जु प्रदेश क अधिकारिक रोजगार एवं आर्थिक उन्नति क काम कैरली ।
जिला और उत्पाद क नाम
आगरा चमड़ा उत्पाद, हापुड़ होम फर्निशिंग, अमरोहा वाद्य यंत्र, हाथरस हैंडलूम, अलीगढ ताला और हार्डवेयर, हमीरपुर हींग, औरैया दूध देशी घी, जालौन जूता, आज़मगढ़ कालिमटटी क कलाकृतियां जौनपुर हस्त निर्मित कागज कला, अम्बेडकर नगर कपड़ा उत्पाद झांसी ऊनी कालीन,
अयोध्या गुड़, कौशांबी साॅफ्ट टॉयज, अमेठी मूंज उत्पाद, कन्नौज केला,
बदायूं जरी जरदोजी, कुशीनगर इत्र, बागपत होम फर्निशिंग, कानपुर देहात केला फाइबर उत्पाद,
बहराइच गेंहू डंठल हस्तकला, कानपुर एलमूनियम क भांडा,
बरेली जरी जरदोजी, कासगंज चमड़ा, बलिया बिंदी, लखीमपुर खीरी जरी जरदोजी, बलरामपुर खाद्य प्रसंस्करण (दाल) लखनऊ जरी सिल्क साड़ी।
भदोही कालीन, महराजगंज चिकनकारी और जरदोजी, बांदा पत्थर शिल्प,मेरठ फर्नीचर, बिजनौर काष्ठ कला, महोबा खेल कि सामग्री, बाराबंकी वस्त्र उत्पादन, मिर्जापुर गौरा पत्थर,,बुलंदशहर सिरेमिक, मैनपुरी कालीन, चंदोली जरी जरदोजी, मुरादाबाद तारकशी कला,
चित्रकूट लकड़ी क खिलौना, मथुरा धातु शिल्प, देवरिया सजावट, मुजफ्फरनगर सैनिटरी फिटिंग,
इटावा वस्त्र उद्योग, मऊ गुड़,एटा घुँघरू घंटी पीतल उत्पादन, पीलीभीत वस्त्र उत्पादन,
फरूखाबाद छपाई, प्रताप गढ़ बांसुरी, फतेहपुर बैडशीट, प्रयाग खाद्य प्रसंस्करण (आंवला) फिरोजाबाद कांच और रायबरेली काष्ठ कला
गौतमबुद्धनगर रेडीमेड गारमेंट, रामपुर पैच्वर्क और एप्लिक वर्क, गाजीपुर जूट वाल हैंगिग, संत कबीर नगर ब्रास वेयर।
गाजियाबाद अभियांत्रिकी सामग्री।
शाहजहांपुर जरी जरदोजी, गोंडा खाद्य प्रसंस्करण( दाल )शामली लौहकला।
गोरखपुर टेराकोटा, सहारनपुर लकड़ी म नक्काशी क काम,
श्रावस्ती जनजातीय शिल्प, सोनभद्र कालीन, संभल हस्तशिल्प, सुल्तानपुर मूंज उत्पाद
सिध्दार्थ नगर काला नमक चावल, उन्नाव जरी जरदोजी
सीतापुर दरी वाराणसी रेशमी साड़ी

Bhishma Kukreti

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« Reply #389 on: March 29, 2022, 08:55:37 AM »
तकनीकी विषयोंक मातृभाषा मा शिक्षा :-

संकलन :- रुपेश कुकरेती


हाल ही मा केंद्रीय शिक्षा मन्त्रिन विद्यार्थियों तै अपर मातृ भाषा मा शिक्षा करणक वास्ता,रोडमैप तैयार कनकुण एक कार्यदल गठन कार जैक प्रमुख बिन्दु निम्न छन:-

:-कार्य दल:-
अध्यक्षता :- येक स्थापना सचिव उच्च शिक्षा अमित खरेक अध्यक्षता मा करे जाली।

उद्देश्य :- येक उद्देश्य प्रधानमंत्रिक दृष्टिकोण हिसाब से विद्यार्थी अपर मातृभाषा मा व्यावसायिक पाठ्यक्रमों जन कि चिकित्सा इंजीनियरिंग कानून आदि मा नौन/नौनी अगने बढ़ साक अर अपर लक्ष्य तै प्राप्त कौर साक। यी राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वी हजार बीसक(2020) च जु कक्षा 8 तक क्षेत्रीय भाषा मा पढ़ण अर पाठ्यक्रम तै एक इन भाषा मा तैयार कन पर केंद्रित च कि वू विद्यार्थियोंकुण सहज ह्वा।

कार्य :- यी विभिन्न हितधारकों द्वारा दिये ग्ये सुझावों तै ध्यान मा रखल अर एक मैना मा अपर रिपोर्ट प्रस्तुत कारल।

:- क्षेत्रीय भाषाओं मा तकनीकी शिक्षा प्रदान कनक कारण :-

रचनात्मकता तै बढ़ाण :- यी दिखे ग्या कि मानव मस्तिष्क वीं भाषा मा सहजता से ज्ञान प्राप्त कनमा सक्षम हुन्द जमा वू सुचण विचणक आदि हुन्द।जब विद्यार्थियों तै क्षेत्रीय भाषाओं मा समझये जान्दु विशेषकर मातृ भाषा मा त वू विचारोंक अभिव्यक्ति या वे विषय तै सरलता से ग्रहण कौर लींदन

कई देशों द्वारा अभ्यासरत :- विश्वक कई देशों मा कक्षाओं मा शिक्षण कार्य विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं मा करे जान्दु चाइ वू फ्रांस ह्वा रुस ह्वा या फिर चीन ह्वा जख 300 से ज्यादा भाषाएँ अर बोलियाँ छन।

समावेशी बनाना :- यी सामाजिक समावेशित साक्षरता दर मा सुधार,गरीबी मा कमी अर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मा मदद कारल। समावेशी विकासकुण भाषा एक उत्प्रेरकक कार्य कौर सकिदि च। मौजूदा भाषीय बाधाओं तै हटाण से समावेशी शासनक लक्ष्य प्राप्त कन मा मदद मिल सकिदि च।

मुद्दे :- क्षेत्रीय भाषाओं मा तकनीकी शिक्षा दीण कुण शिक्षकों तै ऑडियो ट्रांसलेशन टूल्स से तकनीकी सहायतक अलावा अंग्रेजी पाठ्यपुस्तकों अर क्षेत्रीय भाषाओं मा सन्दर्भ सामग्रिक दगड़ दगड़ शाब्दिक माध्यम मा कुशल हुणक आवश्यकता प्वाडली।

:- क्षेत्रीय भाषाओं तै बढ़ाणक वास्ता सरकारक पहल :-
हाल ही मा घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 क्षेत्रीय भाषाओं मा शिक्षा तै बढ़ावा दीणक मुख्य पहल च।

वैज्ञानिक अर तकनीकी शब्दावली आयोग(कमीशन फॉर साइंटिफिक एण्ड टेक्निकल टर्मिनोलॉजी-cstt) क्षेत्रीय भाषाओं मा विश्व विद्यालय स्तरक पुस्तकों तै बढ़ावा दीणकुण प्रकाशन अनुदान दीणु च। येक स्थापना 1961 मा सभी भारतीय भाषाओं मा तकनीकी शब्दावली विकसित कनक कुण करे ग्या।

केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान(सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ इंडियन लैंग्वेजेज- ciil) मैसूरक माध्यम/सहायता से राष्ट्रीय अनुदान मिशनक(एनटीएम) क्रियान्वयन करे जाणु च। जैक तहत विश्व विद्यालयों अर कॉलेजों मा निर्धारित विभिन्न विषयोंक पाठ्यपुस्तोंक आठवीं अनुसूची मा शामिल सभी भाषाओं मा अनुवाद करे जाणु च। CIILक स्थापना वर्ष 1969 मा शिक्षा मंत्रालयक प्रशासनिक नियन्त्रणक तहत करे ग्या। भारत सरकार द्वारा लुप्तप्राय भाषाओं तै संरक्षण अर बढ़ावा दीणक कुण " लुप्तप्राय भाषाओंक सुरक्षा अर संरक्षणकुण योजना क (SPPEL) क्रियान्वयन करे जाणु च। विश्व विद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी)देश मा उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों मा क्षेत्रीय भाषाओं तै बढ़ावा दीणक प्रयास करदु अर केंद्रीय विश्व विद्यालयों मा लुप्तप्राय भाषाओं कुण केंद्रक स्थापना से सम्बन्धित योजनाओंक तहत कुल नौ केंद्रीय विश्व विद्यालयों तै वित्तीय सहायता प्रदान करदु। हाल ही मा केरल राज्य सरकार द्वारा शुरु करे ग्या "नमथ बसई" कार्यक्रमन राज्यक जनजातीय बच्चों तै शिक्षा प्राप्त करण कुण मातृभाषाओं तै अपनाण मा,सहायता प्रदान कनमा महत्वपूर्ण भूमिका अदा कार।

वैश्विक प्रयास :-

वर्ष 2018 मा चीनक चांग्शा शहर मा सयुंक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक अर सांस्कृतिक संगठनक (यूनेस्को) यूएलु घोषणन अल्पसंख्यक भाषाओं अर विविधतक रक्षा कुण दुनिया भरक देशोंक मार्गदर्शन कन मा महत्वपूर्ण भूमिका निभै। सयुंक्त राष्ट्र महासभन वर्ष 2019 तै स्वदेशी भाषाओंक अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित कार।येक उद्देश्य राष्ट्रीय क्षेत्रीय अर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वदेशी भाषाओंक संरक्षण कन,वूंक समर्थन कन अर वूं तै बढ़ावा दीण च। स्थानीय भाषाओंक रक्षा कुण संवैधानिक अर कानूनी अधिकार अनुच्छेद 29 च।यी बतान्दु कि भारतक राज्य या भारतक कै भी भाग मा निवासी नागरिकों तै अपरी विशेष भाषा,लिपि या संस्कृति तै बणये रखणक अधिकार ह्वाल। अनुच्छेद 120 मा संसदीय कार्यवाही कुण हिन्दी या अंग्रेजी भाषक उपयोग करणक प्रावधान च लेकिन दगड़ मा संसद सदस्यों तै अपर मातृ भाषा मा अभिव्यक्तिक अधिकार भी दीन्दु।
भारतीय संविधानक XVll अनुच्छेद 343 से 351 तक आधिकारिक भाषाओँ से सम्बन्धित छन।अनुच्छेद 350A प्राथमिक स्तर पर मातृ भाषा मा शिक्षा की सुविधा दीन्दु। अनुच्छेद 350B भाषायी अल्पसंख्यकों कुण विशेष अधिकार दीन्दु। अनुच्छेद 351 हिन्दी भाषक विकासकुण निर्देश जारी कनक शक्ति दीन्दु।
भारतीय संविधानक आठवीं अनुसूची मा 22 आधिकारिक भाषा सूचीबद्ध करे ग्येन जु निम्न छन:-
असमिया,उड़िया,कन्नड़,कश्मीरी,उर्दू कोंकणी,गुजराती,डोगरी,तमिल,तेलुगु, नेपाली,पंजाबी,बांग्ला, बोडो,मणिपुरी,मराठी,मलयालम,मैथिली, संथाली,संस्कृत,सिंधी अर हिन्दी।
शिक्षा क अधिकार (RTE) अधिनियम 2009 क मुताबिक जख तक सम्भव ह्वा शिक्षा कु माध्यम बच्चक मातृभाषा हुणी चयाणि च।

 

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