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Bhishma Kukreti

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« Reply #400 on: April 20, 2022, 10:10:10 AM »
कम्बोडिया क अंकोरवाट मंदिर
सरोज शर्मा क जनप्रिय लेखन श्रंखला
अंकोरवाट (खमेर भाषा: कम्बोडिया म एक मंदिर परिसर और दुनिया क सबसे बड़ धार्मिक स्मारक च, 162.6 हेक्टेयर (1,626,000 वर्ग मीटर, 402 एकड़) क मपण वल एक साइट म ई एक हिन्दू मंदिर च।ई कम्बोडिया क अंकोर मा च जैक पुरण नौ यशोधपुर छा, ऐकु निर्माण सूरयवर्धन द्वितीय (1112-53 ई ) क शासनकाल म ह्वाई, ई हिन्दू मंदिर च। मीकांग नदी क किनरा सिमरिप शहर म बण्यू ई मंदिर आज भि संसार क सबसे बड़ मंदिर च। जु सैकड़ो वर्ग मील म फैलयूं च,
राष्ट्र खुण सम्मान क प्रतीक ऐ मंदिर थैं कम्बोडिया क राष्ट्र ध्वज म भि स्थान दियै ग्या। ई मंदिर मेरू पर्वत कु भी प्रतीक च,ऐकि दिवारों मा भारतीय हिन्दू धर्म ग्रन्थों का प्रसंगो क भि चित्रण च,यूं प्रसंगों मा सुन्दर अप्सराओं क चित्रण च,देवताओं और असुरों क बीच समुद्रमंथन क दृष्य भि छन,
विश्व क सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों मा एक च, साथ हि मंदिर यूनेस्को क विश्व धरोहर स्थलों म एक च,पर्यटक यख केवल वास्तुशास्त्र क अनुपम सौंदर्य हि द्यखण कु नि अंदिन बल्कि सूर्योदय और सूर्यास्त देखणा कु भि अंदिन, सनातनी लोग ऐ थैं पवित्र तीर्थ स्थान मनंदिन।
ग्कोरथोम और अंग्कोरवात प्राचीन कंबुज कि राजधानी और वैका मंदिरों का भग्नावशेष क विस्तार। अंग्कोरधोम और अंग्कोरवात सुदूरपूर्व क हिन्दचीन म प्राचीन भारतीय संस्कृति का अवशेष छन। ईसवी से सदियों पैल सुदूर पूर्व क देशों मा प्रवासी भारतीयो का अनेक उपनिवेश बसयां छा, हिन्दचीन, सुवर्ण दीप, वनदीप, मनाया,आदि भारतीयो न कालांतर मा अनेक राज्यों कि स्थापना कैर, वर्तमान कम्बोडिया क उत्तरी भाग म स्थित कंबुज शब्द से पता चलद कुछ विद्वान भारत कि पश्चिमोत्तर सीमा पर बसण वला कम्बोजों क संबंध भि ई प्राचीन भारतीय उपनिवेश से बतंदीन, अनुश्रुति क अनुसार ऐ राज्य क संस्थापक कौंडिल्य ब्राह्मण छा,जौंकु नौ एक संस्कृत अभिलेख मा मिल,नवीं शताब्दि ईसवी मा जयवर्मा तृतीय कंबुज क राज्य ह्वाई और वैल ही लगभग 860ईसवी मा अंग्कोरथोम (थोम क अर्थ राजधानी च) नामक अपणि राजधानी कि नींव डाल, राजधानी 40 वर्षो तक बनणी रै और 900 ई म तैयार ह्वै, वैक निर्माण क संबंध मा अनेक किवदंतियां प्रचलित छन।
पश्चिम का सीमावर्ती थाई लोग पैल कंबुज का समेर साम्राज्य क अधीन छा पर 14वीं सदी क मध्य ऊंन कंबुज पर आक्रमण शुरू कैर द्या और अंग्कोरथोम थैं बार बार जीत और लूट ।तब लाचार ह्वैकि ख्मेरों थैं अपण राजधानी छोडण पव्ड़,फिर धीरे धीरे बांस क जंगलो न नगर थैं सभ्य जगत से अलग कैर द्या, और वैकि सत्ता अंधकार म विलीन ह्वै ग्या। नगर भी टूटिक खण्डहर ह्वै ग्या। 19 वी सदी क अन्त म फ्रांसिसी वैज्ञानिक न पांच दिनो कि नौका यात्रा क बाद वै नगर और खंडहरौ क पुनरुध्दार कैर, नगर तोन्ले सांप नौ क महान सरोवर क किनर उत्तर कि ओर सदियों से विरान पव्ड़यूं छा जख पास ही दूसर तट पर विशाल मंदिरो का भग्नावेश खड़ा छा।
आज अंग्कोरथोम एक विशाल नगर खण्डहर च, वै का चारों ओर 330 फुट चौड़ी खाई च जु सदा पाणि न भंवरी रैंद छै। नगर और खाई क बीच विशाल वर्गाकार नगर कि रक्षा करदी छै।प्राचीर म अनेक भव्य और विशाल महाद्वार बणया छन। महाद्वारो क ऊंचा शिखरों थैं त्रिशीर्ष दिग्गज अपण मस्तक म उठये खड़ा छन, विभिन्न द्वारो से पांच विभिन्न राजपथ नगर क मध्य तक पौंछदिन।
विभिन्न आकृतियो वला सरोवर क खण्डहर आज भि निर्माणकर्ता कि प्रशस्ति गंदिन, नगर क बीचोंबीच शिव क विशाल मंदिर च जैका तीन भाग छन, प्रत्येक भाग मा एक ऊंचा शिखर च,मध्य शिखर कि ऊंचै लगभग 150 फुट च,चारों तरफ शिखर बणया छन जु संख्या म 50 छन,
यूं शिखरों क चारो तरफ शिव कि समाधिस्थ मूर्तियां स्थापित छन, मंदिर कि विशालता और निर्माण कला आश्चर्यजनक च, दीवारो थैं पशु पक्षी,पुष्प, नृत्यांगनाओ जन विभिन्न आकृतियो से अलंकृत कियै ग्या, ई मंदिर विश्व वास्तुकला की आश्चर्यजनक वस्तु च, और भारत का प्राचीन पौराणिक मंदिर क अवशेष म एक च,अंग्कोरथोम क मंदिर भवन और राजपथ सरोवर नगर कि समृद्धि क द्योतक च। 12 वी शताब्दि क लगभग सूर्यवर्मा द्वितीय न अंग्कोरथोम म विष्णु क एक भव्य मंदिर बणै मंदिर कि रक्षा चतुर्दिक खाई करद जैकि चौड़ाई लगभग 700 फुट च, दूर बटिक ई खाई झील जन लगद, मंदिर क पश्चिम कि ओर खाई पार कनक पुल बण्यू च,पुल पार मंदिर म प्रवेश खुण भव्य द्वार निर्मित च, जु 1,000 फुट चौड़ च, ऐकि दीवारों मा रामायण कि मूर्तियां अंकित छन, ऐसे प्रकट च कि अंग्कोरथोम कंबुज देश कि राजधानी छाई, जैमा शिव, शक्ति गणेश आदि देवताओ की पूजा क प्रचलन छा, मंदिरो कि निर्माण कला गुप्त कला से मिलद, अंकोरवाट क मंदिरो तोरणद्वारो और शिखरों का अलंकरण मा गुप्त कला क प्रतिबिंब च,एक अभिलेख से पता चलद यशोधपुर (अंग्कोरथोम क पूर्व नाम) क संस्थापक नरेश यशोवर्मा अर्जुन भीम जन वीर सुश्रुत जन विद्वान और शिल्प भाषा लिपी, नृत्य कला म पारंगत छा ,वैन अंग्कोरथोम और अंग्कोरवात का अतिरिक्त कंबुज क अनेक राज्यों मा आश्रम स्थापित करिन, जख रामायण महाभारत, पुराण और अन्य भारतीय ग्रन्थो क अध्ययन अध्यापन हूंद छाई, अंकोरवाट पर हिन्दू मंदिरो क बाद बौद्ध धर्म क भि गहरू प्रभाव प्वाड़ ।कालांतर म यख बौद्ध भिक्षुओ न यख निवास भि कैर, 20 वी सदी म जब यख खुदै ह्वै त वूंसे ख्मेरो क धार्मिक विश्वासो, कलाकृतियो और भारतीय परंपराओ कि प्रवासगत परिस्थितयों म प्रकाश प्वाड़,अंग्कोरवात और अंग्कोरथोम अपण महलों और भवनो मंदिरो का खण्डहरों क कारण संसार शीर्षस्थ क्षेत्र बण गैं, विश्व का समस्त भागों बटिक हजारों-हजार पर्यटक यख अंदिन


Bhishma Kukreti

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« Reply #401 on: April 22, 2022, 08:38:06 AM »
बुलडोजर पुराण (इतिहास)
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सरोज शर्मा-जनप्रिय लेख श्रंखला

आजकल अवैध संपति पर बुलडोजर चलाण कि मुहिम छिड़ी च, दिल्ली का जहांगपुरी म अवैध कब्जों म बुलडोजर कि कार्यवाही करै ग्या, उत्तर प्रदेश का सीएम योगी आदित्य नाथ थैं बुलडोजर बाबा त शिवराज सिंह चौहान थैं बुलडोजर ममा बोलै जांणु च, अवैध कब्जा हटाण खुण जै मशीन कु उपयोग हूंणूच वैकु JCB या बुलडोजर ब्वलेजांद।
ऐकु प्रयोग खुदै या तोड़ फोड़ या कै भि चीज थैं हटाण म किए जांद।ये थैं द्विया तरफ बटिक ऑपरेट कियै जा सकद, ई जंबो मशीन कु पीलू रंग हूंद। पैल नीला व लाल रंग भि हूंद छाई, ज्यादातर लोग ऐ थैं जेसीबी बव्लदिन, लेकिन यू ऐकु नाम नी, जेसीबी वु कंपनी च जु या मशीन बंणाद, ऐकु शै नौ बैकहो लोडर च, जेबीसी कंपनी कि नींव 1945 मा रखे ग्या, कंपनी न जु पैल बैकहो लोडर बणाय वु 1953 मा बणै, वु नीला और लाल रंग क छा।ऐका बाद 195म64 मा एक बैकहो लोडर बणयै ग्या जु पीलू रंग कु छाई, ऐका बाद से लगातार पीला रंग कि ही मशीन बणयै जाणी छन ।यख तक कि और कंपनीज भि कंस्ट्रक्शन साइट पर इस्तेमाल हूण वलि मशीनों कु रंग भि पीलू ही रखणा छन। शुरूआत म ऐथैं ट्रैक्टर क साथ जोड़िक बणयै ग्या लेकिन समय क साथ ऐका मॉडल म बदलाव कियै गैन।
लीवर्स से आपरेट हूंद, लोडर लगयूं हूंद, बैकहो लोडर द्विया तरह से काम करद और ऐथैं स्टेयरिंग कि बजाय लीवर्स से आपरेट किए जांद, ऐमा एक तरफ स्टेयरिंग लगीं हूंद, जबकि दूसर तरफ क्रेन क जन लीवर लगयां हुंदिन, ऐका बड़ हिस्सा कि तरफ लोडर लगयूं हूंद, जैसे समान उठयै जांद, ऐका अलावा दूसरी तरफ साइड बकेट लगयूं हूंद,
ब्रिटिश अरबपति क नौ से बणयी गै जेसीबी एक्सावेटर्स लिमिटेड एक ब्रिटिश कंपनी च।
जैक मुख्यालय रोसेस्टर स्टाफोर्डशायर म च, ई कंपनी भारी उपकरण बणाण कु प्रसिद्ध च,ई कंपनी का मालिक और फाउंडर ब्रिटिश अरबपति जोसेफ सायरिल बम्फोर्ट छा,
जोसफ कि मृत्यु 2001म ह्वै गै छै, ऊंका नौ से ही कंपनी क नौ जेसीबी रखे ग्या।
भारत मा जेसीबी कि पांच फैक्ट्रियां और डिजाइन सेंटर छन। भारत मा बणीं मशीनो क निर्यात 110 देशों म कियै। CB क अलावा कई और कंपनियां भि बैकहो लोडर बंणनदिन, इन नी च कि सिर्फ जेसीबी ही बैकहो लोडर बणांद, भारत मा ACE L&T वोल्वो, महिंद्रा एंड महिंद्रा जन कई कंस्ट्रक्शन इक्यूपमेंट मैन्यूफैक्चरिंग कंपनीज छन, जु बैकहो लोडर बंणनदिन, ऐकि कीमत 10 लाख से शुरू ह्वै कि 40- 50 लाख तक हूंद।


Bhishma Kukreti

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« Reply #402 on: April 24, 2022, 08:24:35 AM »
वियतनाम हिन्दू संस्कृति का चिन्ह ( पराक्रम से संकटो से पार पए जांद)
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सरोज शर्मा-जनप्रिय लेखन श्रंखला

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वियतनाम एशिया क इन देश च जैल संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा का पांच स्थाई देशों म से तीन फ्रांस, अमेरिका व चीन क आक्रमण थैं नेस्तनाबूद करण मा सफलता हासिल कैर।
बगैर आधुनिक अस्त्र-शस्त्र क केवल अपण संकल्प का बल पर यूं महाशक्तियो क मानमर्दन करणवल राष्ट्र वियतनाम से क्या भारत थैं प्रेरणा लींण चैंद?ई प्रश्न इलै उठणु च कि चीन कि विस्तार वादी नीति से मुकाबला करण मा भारत हिचकिचाहट क अनुभव करद दिखेंणु च, वियतनाम क महान नेता हो ची मिन्ह क कथन स्वतंत्रता एवं स्वावलंबन से मूल्यवान कुछ नी, वियतनाम से भारत का रिश्ता हमेशा मधुर रैं,
वियतनाम थैं दृढ़ संकल्प कि प्रेरणा कख बटिक मिलद?ऐकु उत्तर जांणिक आपथैं आश्चर्य ह्वाल, वियतनाम म दुसरी शताब्दि का शिलालेख मिलीं जु संस्कृत और ब्रह्मी लिपी मा छन। ई सरया दक्षिण पूर्व एशिया मा प्राचीन समय मा हिन्दुओ की मौजूदगी क प्रमाण च। वियतनाम कि शक्ति क मूल हिन्दू दर्शन और संस्कृति छै।
वियतनाम कि लोक आस्था क अनुसार तिन्या लोको म वास करणवली देवी मां कि पूजा कनकी यूनेस्को द्वारा मान्यता दियै गै छै।
वियतनाम का नामदिन्ह राज्य म मानवीय संस्कृति कि अनमोल धरोहर क रूप म यूनेस्को द्वारा धार्मिक आस्था कु प्रमाण पत्र प्रदान कियै ग्या छा, देवी पूजा प्राचीन समय का ऊं विश्वासो पर आधारित च जै म विभिन्न देवी देवताओ क अवतार कि अराधना क माध्यम से लोगों थैं अच्छु स्वास्थ्य संपत्ति प्राप्त हूंद छै, नामदिन्ह प्रान्त, वियतनाम कि राजधानी हनोई का दक्षिण मा 80 किलोमीटर दूर पव्ड़द, ई देवी मां संबधित पूजा करण वलों खुण सबसे बड़ तीर्थ स्थल क केन्द्र क रूप म जंणै जांद। ऐ राज्य मा 287 मंदिर व अन्य धार्मिक मान्यताओ संबधित अवशेष मौजूद छन,
इतिहास बतांद कि दक्षिण पूर्व एशिया म हिन्दुओ से संपर्क का चलदा शैव धर्म कु प्रसार ह्वाई। वियतनाम कु इतिहास 2700 वर्षो से भि ज्यादा पुरण च। वियतनाम क प्राचीन नौं चम्पा छाई, चम्पा का नागरिक चाम ब्वलेजांद छा,यूंक राजा शैव छा, द्वितीय शताब्दि म स्थापित चम्पा हिन्दू संस्कृति क प्रमुख केन्द्र छा,स्थानीय चाम नागरिको न हिन्दू धर्म भाषा, सभ्यता अपणै, भाषाई दृष्टि से चम्पा का लोग चाम ( मलय पाॅलिनेशियन) छा।
वर्तमान म चाम वियतनाम व कम्बोडिया सबसे बड़ अल्पसंख्यक छन ,प्रारंभ मा चम्पा का नागरिक व राजा शैव छाया। इस्लाम क उदय क बाद कुछ शताब्दि पैल इस्लाम यख जड़ जमाण बैठ ग्या, ज्यादातर चाम मुस्लिम छन पर हिन्दू और बौद्ध भि छन, जु मुस्लिम छन वू भि हिन्दू संस्कृति से पूरी तरह अलग नि ह्वै न।
हिन्दुओ का आण से यखका पूर्व निवासी हिन्दुओ क संपर्क से सभ्य ह्वै गिन। जु चम नौ से प्रसिद्ध ह्वै गिन। जु बर्बर और हिंसक छा वु चमलेच्छ और किरात नौ से जंणै गैन।
संपूर्ण वियतनाम म चीनी राजवंशो क शासन ज्यादा रै।
हिन्दू धर्म थैं राजधर्म क रूप मा स्थापित करणक बाद चम्पा म संस्कृत शिलालेख बणयै गैं व हिन्दू मंदिरो क निर्माण कियै ग्या। शिलालेखो क अनुसार चम्पा मा पैल महाराज भद्र वर्धन राजा छाई, जौंन 380 ईस्वी से 413 ईस्वी तक शासन कैर। मीशाॅन म राजा भद्र वर्मन न भदरेश्वर नौ क शिवलिंग की स्थापना कैर, भदरेश्वर महादेव कि पूजा सदियों तक जारी छै।
महाराजा रूद्र वर्मन न 529 ईस्वी म नै राजवंश कि स्थापना कैर, ऊंका पुत्र महाराज शंभु वर्मन उत्तराधिकारि बणीं, ऊं न भद्र वर्मन मंदिर क पुनःनिर्माण करै, मंदिर क नौ परिवर्तित कैरिक शम्भू भदरेश्वर राख, 629 म भद्र वर्मन कि मृत्यु ह्वै गै, ऊंका पुत्र कंदर्पधर्म राजा बणी जौंकि मृत्यू पश्चात प्रभाष धर्म उत्तराधिकारि हुंई 645 ईस्वी म मृत्यु ह्वै यूंकि भि ,सातवीं व दशवीं शताब्दि क बीच म राजवंश नौसेना शक्ति क प्रमुख केन्द्र बण ग्या।
चम्पा का बन्दरगाह स्थानीय व विदेशी व्यापारियो क आकर्षकण क केन्द्र बणगैन। चीन,इंडोनेशिया व भारत क मध्य दक्षिण चीन सागर मा मसालों व रेशम क व्यापार क केंद्र चम्पा बण ग्या। चाम हिन्दुओ क स्वर्णिम अतीत रै।
चम्पा साम्राज्य दक्षिण वियतनाम व लाओस का कुछ हिस्सों तक फैलयूं छाई। चम्पा कु राजा शैव धर्मावलम्बी छा और अनेक मंदिरो कु निर्माता छाई, हिन्दू संसकृति का चिन्ह आज भि हिन्दू मूर्तियो व लाल ईंट का मंदिरो मा आज भि देख सकदौ।1471 मा उत्तरी दिशा बटिक वियतनामी सम्राट न आक्रमण कैर जैमा चम्पा कि हार ह्वै। युद्ध म 1,20,000 लोग युद्ध बन्दी हुंई या मरे गैं। इन अनुमान लगयै जांद चम्पा क राजा महाजन थैं युद्ध बंधी बणयै ग्या। चाम हिन्दुओ न ऐ भाग म अपण नियंत्रण ख्वै द्या ।पुनः ऐ पर काबिज नि ह्वै सका। आठवीं शताब्दि से हि अरब का व्यापारी चम्पा पौंछण लगीं, मुसलमानो न चाम मा अपण धर्म प्रचार शुरू कैर, सतरहवी शताब्दि तक चाम क शाही परिवार न इस्लाम स्वीकार कैर, धीरे धीरे शैव ब्राह्मणो और नागवंशीय क्षत्रियों थैं छोड़िक अधिकांश चम इस्लाम का अनुयाई बणि गैं।वस्तुस्थिति या च कि वियतनामी चम मा मुस्लिम बहुसंख्यक छन। आज भि वियतनाम क मध्य क्षेत्रीय प्रान्तो म चाम का स्मारको और मंदिरो का भग्नावशेष मौजूद छन। वियतनाम मा चाम का सैकड़ो हजारों वंशज मौजूद छन, जु सदियों से आपस मा विवाह और सामाजिक एकीकरण कि प्रक्रिया मा वियतनामियो क दगड़ एकाकार ह्वै गिन। ई निम्न आर्थिक स्थिति वला क्षेत्रो मा रैंदिन ।
वियतनाम सरकार अपण नागरिकों कि जातीय व सांस्कृतिक पछयाण थैं मान्यता दीण म ऊंकि सहायता करण कि नीति क पालन करद।
चाम संस्कृति कि नृत्य कला व परंपरा अच्छी तरह से संरक्षित छन। पोलिश व भारतीय पुरातत्विदो कि सहायता से चाम स्मारको कि देखरेख व संरक्षण कियै जांद। चाम क पुरातत्विक स्थल मीशान या मायसन थैं यूनेस्को द्वारा धरोहर घोषित किए ग्या।
व्यापार समुद्री आवागमन संबंधी सरोकारों और फ्रांसिसी औपनिवेशिक शाशन क अन्तर्गत रोजगार हेतू भारतीय यख पौंछिन। ई भारतीय अपणि मातृभाषा व वियतनामी भाषा, और फ्रेंच भि ब्वलदा छा, ई मुख्यतः उत्तरी शहर हनोई और दक्षिण म साइगाॅन मा बसयां छा,द्वी विश्वयुद्ध क काल म भारतीय भी यख पौंछिन, नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्र नाथ टैगोर भि साइगाॅन पौंछिन। कुछ दिन तक एक परिवार म ठैरिन। आजाद हिन्द फौज कि शौर्य गाथा से वियतनाम भि अछूतू नि रै। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ताईवान यात्रा से पैल साइगाॅन क होटल मा ठैरा छा ।
1975 मा साइगाॅन क पतन व साम्यवाद क उदय क समय दक्षिण वियतनाम म 25,000 लोग भारतीय समुदाय का छा।यूंका खुदरा व्यापार जनकि कपड़ा, हस्तशिल्प, आभूषण, किराना मा वर्चस्व छाई। 1976 म साइगाॅन नाम क नौ हो ची मिन्ह सिटी रखै ग्या। यखका प्राचीन मंदिरो कि देखरेख चेट्टियार समुदाय का वियतनामी वंशज करदिन।
समुद्र क्षेत्र म चीन कि बढ़ती धमक व हिमालय क्षेत्र म बार बार अतिक्रमण कि प्रवृति से भारत म संकट कि स्थिती बणीं रैंद। इनमा वियतनाम, ताईवान, इत्यादि दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों व जापान क माध्यम से भारत चीन थैं सोचणा खुण मजबूर कैर सकद। जतगा ध्यान सरकार पश्चिमी एशिया मा केन्द्रित करद उतगा दक्षिण पूर्व एशियाई देशों म नि करद। वियतनाम क इतिहास हमथैं सबक दींद कि समझौता न पराक्रम से ही संकटो से पार पयै जांद।


 

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