Suresh Pant
श्री गोवेर्धन जोशी ज्यू हूँ एक चिट्ठी
(पिछली सदी के पूर्वार्ध में कुमऊँ में पत्र-लेखन की ये शैली प्रचलित थी !!!)
स्वस्ति श्री सर्वोपमायोग्य श्री ३ मित्रवर पंडित जोशि ज्यू पाय ज्यू हूँ हाथ जोड़ी नमस्कार | अत्र कुशलं तत्रास्तु |मुख्य स्वदेह को सर्वथा यत्न करला तबै पालना होली | अघा आपूंले फ़ेसबुक-मित्रता स्वीकार करी, भौत आभारी छूं | फिर आपणा घर में आपण दर्शन करी भौते खुशी भई| हरिय गाबनक् साग, भटक् चुड़कानी, और पयो-भात खाई बेर आनंद आई गयो | इष्ट देवी की कृपा ले आपण गोठ -पान जय-जयकार है जौ, बक्स भकार है जौ, बैंक भनार है जौ, गोठ धिनाई है जौ, पान उज्याई है जौ, गाईक बाछ चेलिक च्यल कैक खुट कान जन बुडो | अन्यारी देवी उजयाइ है जो, भनारिया दैण हैजौ, गंगनाथ पर्सन है जौ, सिद्धनाथौक दर्शन है जौ, .... अघिल के कूँ, आपूं समझदारै भया | कम लेख्युं बाकि पड्या ... | गों में सबन कें दर्ज़ा मुताबिक़ यथायोग्य प्रणाम-आशीर्वाद कई देला | काइकज्यू में हमरी तरफ बै सवा इकावन रुपया भेट चडाई देला | चिठ्ठी पत्री दिनै रया | घरै कि लछिमी थें हमरी तरफ बटी खुट्टी जै कई दिया |
इति शुभम
आपुणो मित्र
सुरेश
पुनश्च: आशा छ शकुनी गोरू दूद दीनै होलो |