Author Topic: Tribute to Great Poet and Our Beloved Girda आखिर गिरदा चले गये.. श्रद्धांजली  (Read 33392 times)

हेम पन्त

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Video: Girda's last Journey
« Reply #80 on: September 09, 2010, 03:44:38 PM »
गिर्दा की अन्तिम यात्रा का एक छोटा सा वीडियो.. गिर्दा के गीतों के साथ निकली गिर्दा की अन्तिम यात्रा
 
www.youtube.com/watch?v=AC4e_OKg23M

पंकज सिंह महर

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गिर्दा को कवि सम्मेलनों में, टी०वी० पर कई बार देखा था, लेकिन इसी १४ अगस्त को वे देहरादून आये थे, तभी आमने-सामने बात हुई थी। गिर्दा से मैं तब रुबरु हुआ जब उससे पहले घी-त्यार पर एक आर्टिकल बना रहा था, तो इस पर्व को मनाने के कारण मुझे कुछ क्लियर नहीं हो पा रहे थे। कई लोगों से पूछा, उत्तराखण्ड की संस्कृति के स्वयं भू ठेकेदारों से भी पूछा, कोई कुछ खास नहीं बता पाया। फिर अचानक याद आया कि गिर्दा को जरुर मालूम होगा। भाई हेम से फोन नम्बर लेकर बात की और कमल दा का रिफरेंस देकर अपना परिचय दिया। फिर गिर्दा ने इस त्यौहार की पूरी व्याख्या कर दी। इसके बाद आर्टिकल बनाकर पब्लिश भी कर दिया, लेकिन जैसे-जैसे गिर्दा को इस त्यौहार से संबंधित तथ्य याद आते रहे, वे मुझे फोन कर-कर बताते रहे। उस दिन मैने एक आर्टिकल को पांच बार एडिट किया था। इस टेलिफोनिक मुलाका के बाद ही गिर्दा से कई बार बात हुई, फिर एक दिन फोन आया कि मैं १४ तारीख को देहरादून आ रहा हूं, बब्बा मिलना जरुर।

द्रोण होटल का कमरा नम्बर १०६

इसी कमरे में गिर्दा ठहरे हुये थे, हेमन्त बिष्ट जी के साथ, मैं तकरीबन २.३० बजे वहां पहुंचा, फिर हमारी बातों का सिलसिला घी-त्यार से शुरु हुआ और आषाड़ी कौतिक, झुसिया दमाई, ओलगिया, संक्रान्तियों पर पढने वाले त्यौहार, गढ़वाल-कुमाऊं के इतिहास.....पता नहीं कितनी बातों पर चर्चा हुई और ६.३० बज गये। इस दौरान हेमन्त बिष्ट जी से मेरा परिचय कराते हुये उन्होंने कहा कि "ये भी हमारी ही तरह खब्ती हैं, यार" गिर्दा ने कई चीजें बताई, कई ऐतिहासिक, कई प्रमाणिक, कुछ पर तर्क-वितर्क भी हुआ। जब मैने कहा कि हर महीने की संकरात के दिन कोई न कोई त्योहार होता है तो उन्होंने कहा कि ज्येठ और अषौज में नहीं होता, हो सकता है कि किसी अंचल में हो भी, तुम लोग पढ़्ते-लिखते-ढूंढते रहते हो, अगर कहीं भी होता है, तो मुझे भी बताना। फिर बात आई, गैरसैंण की.....ओजस्वी विचार गिर्दा के, एक कविता भी सुना दी गुद्दी उधेड़ने वाली। मैने कहा हमारे साथी गैरसैंण जा रहे हैं, आप भी जाना, आपके आने से सबका उत्साह सौ गुना हो जायेगा। उन्होंने कहा कि अगर स्वास्थ्य ने साथ दिया तो जरुर आऊंगा बब्बा। इस दौरान हमारे ग्रुप और इंटरनेट की भी जानकारी उन्होंने ली, मैने कहा कि हमने अपनी साईट में आपकी कवितायें लिखी हैं, तो वे बड़े खुश भी हुये। जब उनके पास संदेश आया कि डाइरेक्टर सूचना नीचे डायनिंग हाल में उनका इंतजार कर रही हैं तो सब नीचे चले आये और वापसी पर जब मैने उनके पांव छुये तो उन्होंने गले से लगा लिया और कहा, खूब मन लगाकर काम करना, जो काम तुम लोग कर रहे हो, बहुत नेक है और भगवान तुम्हारे साथ रहेंगे, नैनीताल आओगे तो घर पर आना। मैं विदा लेकर घर चला आया, क्या पता था कि यह मेरी उनसे पहली और आखिरी मुलाकात है।

एक-दो दिन बाद गिरदा का फोन आया कि खतडु़आ और सातों-आठों भी आने वाली है, इस पर कुछ लिखोगे? मैने कहा कि सातों-आठों और हिलजात्रा पर तो आर्टिकल बन चुके हैं, खतड़ुवा पर इस बार बनायेंगे। उन्होंने  कहा कि इस त्यौहार के बारे में बहुत मिस कन्सप्शन है, इसे आर्टिकल के माध्यम से दूर करने का प्रयास करना। मैने कहा अभी तो टाईम है, जब बनाऊंगा तो आपसे पूछूंगा। लेकिन एक दिन हेम भाई का फोन आया कि गिर्दा sth में भर्ती हैं, मैं मिलने जा रहा हूं। शाम को उसने बताया कि आपरेशन होना है अभी बात करने की स्थिति में नहीं है। फिर हेम का ही मैसेज आया कि गिर्दा इज पास्ड अवे......अभी भी विश्वास नहीं आता।

लेकिन जो नियति को मन्जूर है, उसे हम कैसे बदल सकते हैं, भगवान ने उन्हें हमसे बहुत जल्दी छीन लिया। खैर भगवान उनकी आत्मा को शांति दे और एक नये रुप और अवतार में फिर से हमारे बीच में भेजे, क्योंकि उत्तराखण्ड को गिर्दा की सख्त जरुरत है।


Mukul

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Girda ek mahan jan kavi tha. Samkaleen problem kai prati unki samaj gajab ki thi aur yuva piri unsai hame sha margdarshan lete rahaigi..

Girda aaj bhi hamare beech mai hai aur hum sabhi ko prana de rahe hai..

Girda amar rahe...

हेम पन्त

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A massage from Chandan Dangi ji...

Dear all,
 
You are doing excellent promotion of Uttarakhand through untiring manner. I know, you have grately been motivated by GIRDA and his works. I had sent in a mail to KG Group, which you may kindly take up at your end through the ever increasing network of the lovers of PAHAD and Uttarakhand.
 
All the best and thank you - Narai
 
This week friends of Girda and friends of Uttarakhand with people of Uttarakhand remembered Girda at many places. Cultural marches, plays, poetry recitation, skits, coruses, booklets, posters and open marches, photo exhibitions, film shows, kavi gosthees and vichar Gosthees were organised. At Nainital, Almora, Pauri, Dehradun, Uttarkashi, Rudra Prayag, Pithoragarh, Gopeswar, Bageswar, Lucknow, Delhi etc Girda was remembered through different creative ways. The Mumbai friends are organising the meeting soon. Others can think of ways to remember GIRDA on his first anniversary and even in coming times.
 
PAHAR is planning to bring out all the creative works of Girda. These will be:
 
1. Collection of Hindia Poems
2. Collection of Kumauni Poems
3. Collection of Plays
4. Collection of Articles
5. Hamari Kavita ke Ankhar
6. Aaj Ka Pahar
7. A DVD of Girda Visible and Girda Audible
 
We need all kind of support from you all and other friends.
 
First of all, send Girda related photos with the captions, date and name of the friend who took the photo.
 
Kindly send your feedback to Dr. Shekhar Pathak pahar.org@gmail.com and copy to cdangi@gmail.com
 
Girda lives in us and he will live through his selfless work always,
 
GIRDA TUJHE SALAAM


Hisalu

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Girda Ke Baad Girda Ki Yaad

Friends you are invited to commemorate the memory of folk persona, poet and our beloved Girish Tiwari(Girda) by Nehru Memorial Museum & Library(Teen Murthy), Delhi on 4th Feb 2012.


विनोद सिंह गढ़िया

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जनकवि गिरीश तिवारी "गिर्दा" को उनकी पुण्यतिथि पर उनको नमन और भावपूर्ण स्मरण।


हेम पन्त

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10 सितम्बर 2013 को सांस्कृतिक संस्था शैलनट, रुद्रपुर द्वारा स्व. गिरीश तिवाड़ी “गिर्दा” को उनके जन्मदिन के अवसर पर नगर निगम सभागार में याद किया गया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. प्रभात उप्रेती ने की. गिर्दा के निकट सहयोगी रहे नैनीताल समाचार के सम्पादक राजीव लोचन साह और देहरादून के वरिष्ट पत्रकार व रंगकर्मी राजीव नयन बहुगुणा ने भी कार्यक्रम में शिरकत की. वक्ताओं ने गिर्दा की जनवादी सोच और वर्तमान समय में उनके विचारों की प्रासंगिकता पर जोर दिया. गिर्दा के कई पुराने साथियों ने गिर्दा के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला साथ ही उनसे जुड़े कई संस्मरण भी सुनाये.
कार्यक्रम के अन्त में शाम को एक सांस्कृतिक जुलूस निकाला गया जिसमें शहर व देहरादून, नैनीताल, हल्द्वानी, दिनेशपुर तथा अन्य जगहों से आये संस्कृतिकर्मी, पत्रकार और बुद्धिजीवियों ने शिरकत की. गिर्दा के कुमाऊंनी भाषा के जनगीतों को गाते हुए यह सांस्कृतिक यात्रा नगर निगम हाल से गांधी पार्क पर जाकर सम्पन्न हुई.


विनोद सिंह गढ़िया

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Girda, Girda, Girda, गिरदा, गिर्दा, गिरदा

विनोद सिंह गढ़िया

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[justify]आज गिर्दा को गये पांच साल हो गये, हमारा मार्गदर्शक गिर्दा, हमारा अभिभावक गिर्दा और हमारा इनसाक्लोपीडिया गिर्दा, अभी भी उत्तराखण्ड से संबंधित कोई जानकारी चाहिये होती है तो विचार आता है कि गिर्दा से पूछ लेंगे, लेकिन गिर्दा तो चले गये..........आते नहीं हो, रुला जाते हो गिर्दा, तुमको हमारा नमन.



 

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