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Wild Animal Menace In Uttarakhand-उत्तराखण्ड में जंगली जानवरों का आतंक

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Devbhoomi,Uttarakhand:

दोस्तों जेशा की आप जानते हैं की हमारा उत्तराखंड अनेक गाँवों का राज्य हैं ये राज्य गांवों पर ही निर्भर हैं, कभी आपने सोचा

की उन पहाडों मैं रहें वाले ग्रामीण केसी रहते होंगें जहाँ की बिजली नहीं और आज भी लोग लकडी जलाकर अपना जीवन

ब्यतीत कर रहे हैं और उत्तराखंड के गाँव जंगलों से लगे हुए हैं यहाँ बाघ के आतंक भी बहुत बढ़ रहा है !

हर रोज किसी न किसी गाँव से खबर आती है कि आज बाघ ने वहां ये किया और यहाँ उनका बैल खाया और ऊपर वाले गाँव मैं बड्डा जी का कुत्ता भी खा लिया है!

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कई गांवों में बाघों का आतंक, ग्रामीण दहशत में
बागेश्वर। जनपद के कई गांवों में बाघ का आतंक छाया हुआ है। बाघ के आतंक के चलते सायं होते ही ग्रामीणों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जा रहा है। ग्रामीणों ने वन विभाग से बाघ के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है। सोमवार की रात्रि जौलकांडे में बाघ ने एक मवेशी को अपना शिकार बना लिया जबकि गरुड़ के पोखरी में दो गाय व एक बैल को अपना शिकार बना लिया। जानकारी के अनुसार जनपद के जौलकांडे, बोरगांव, लेटी, डोबा-नौघर समेत पुंगर घाटी के कई गांवों में बाघ का आतंक छाया हुआ है। सोमवार की रात्रि जौलकांडे गांव के ढुंगाधारा तोक में बाघ ने एक मवेशी को अपना शिकार बना डाला। ग्रामीणों ने बताया कि सायं होते ही बाघ लोगों के आंगन में बैठ जाता है तथा काफी हो हल्ला मचाने के बाद भी बाघ नहीं भाग रहा है। कहा कि अब तक कई जानवरों को बाघ अपना निवाला बना चुका है जबकि गरुड़ के पोखरी गांव में गुंसाई राम पुत्र नरी राम के यहां बाघ ने गौशाले में घुसकर तीन मवेशियों को अपना शिकार बना लिया। बाघ को भगाने पर बाघ ने गुंसाई राम पर हमले का प्रयास किया। भाजपा प्रदेश पार्षद शिव सिंह बोरा व ग्रामीणों ने वन विभाग पर आरोप लगाया कि विभागीय अधिकारी बाघ के जानवरों के हमले की घटना को मामूली घटना बनाकर टाला जा रहा है उन्होंने प्रभावित परिवार को मुआवजा प्रदान किए जाने की मांग की है। कहा कि विभाग किसी मानव पर हमले की घटना का इंतजार कर रहा है कई बार मांग करने के बाद भी विभाग गांवों में पिंजरे नहीं लगा रहा है। ग्रामीणों ने शीघ्र बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाए जाने की मांग की है।

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गरुड़ के कई गांवों में बाघ का आतंक
गरुड़ (बागेश्वर)। विकास खंड के कई गांवों में इन दिनों बाघ का आतंक बना हुआ है। ग्रामीणों का अनुमान है कि गत दिनों बंड गांव में एक बाघ का शव मिलने के कारण अन्य बाघ गांव में किसी दुर्घटना को अंजाम दे सकते है। बाघ के आतंक के चलते ग्रामीण रात भर मशाल जलाकर मवेशियों की सुरक्षा कर रहे है। विकास खंड के बण्ड पन्याली, भनरखोला, स्यालटीट, सेलखोला, जिनखोला व मटेना गांवों में गत कुछ दिनों से बाघ का आतंक बना हुआ है।
ग्रामीणों ने बताया कि बाघ दिन दहाड़े ही इन गांवों में देखा जा रहा है तथा सायं होते ही वह बस्ती की तरफ रुख कर रहा है। बाघ के दिन में ही देखे जाने के कारण बच्चों का स्कूल जाना व महिलाओं का खेतों में जाना मुश्किल हो गया है। ग्रामीणों ने बताया कि सायं होते ही बाघ गांवों में दहाड़ रहा है।
 ग्रामीणों का अनुमान है कि गत दिनों बंड पन्याली गांव में एक बाघ के अज्ञात कारणों से मौत होने के कारण बाघों का आतंक बना हुआ है तथा वह इन दिनों गुस्से में होने के कारण गांव में किसी बढ़ी दुर्घटना को अंजाम दे सकता है। इसके अलावा कौसानी, पिंगलो आदि स्थानों में भी बाघ का आतंक बना हुआ है। मटेना के पूर्व ग्राम प्रधान चंद्रशेखर जोशी ने वन विभाग से बाघ के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है।

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गरुड़ में बाघ का आतंक, बैल को मार डाला

गरुड़ (बागेश्वर)। गरुड़ विकास खंड के कई गांवों में बाघ का आतंक छाया हुआ है। सोमवार को माल्दे गांव में बाघ ने दिन दहाड़े ग्रामीण के गौशाले से बैल को उठाकर अपना निवाला बना दिया। ग्रामीणों ने वन विभाग से प्रभावित काश्तकार को मुआवजा प्रदान करने व बाघ को पकड़ने की मांग की है। विकास खंड के अकुणाई, अणां, ककड़धार, माल्दे, फल्यांटी, गैरलेख, ढोलगांव, लोहागढ़ी में बाघ का आतंक छाया हुआ है ग्रामीणों ने बताया कि बाघ दिन दहाड़े ही गांव में घूम रहा है तथा सायं होते ही आबादी के बीच आकर लोगों के आंगन में बैठ जा रहा है।
ग्रामीणों द्वारा हो हल्ला मचाने के बाद भी वह भाग नहीं रहा है। बताया कि बाघ के भय से महिलाएं पानी लेने व जंगल नहीं जा पा रही है इससे उनका खेती का कार्य भी प्रभावित हो रहा है।
 सोमवार को बाघ माल्दे गांव में घुस गया तथा ग्रामीण कुंवर सिंह खड़ाई के गौशाले में घुसकर वहां बंधे उसके बैल को उठाकर अपना निवाला बना लिया दिन दहाड़े हुई इस घटना के बाद से गांवों में दहशत का माहौल बना हुआ है। ग्रामीण गिरीश बिष्ट, दयाल सिंह, मोहन किरमोलिया, मोहन खड़ाई ने वन विभाग से बाघ को पकड़ने व प्रभावित परिवार को मुआवजा प्रदान किए जाने की मांग की है।

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गरुड़ के कई गांवों में बाघ का आतंक

गरुड़ (बागेश्वर)। तहसील के कई गांवों में इन दिनों बाघ का आतंक छाया हुआ है। बाघ द्वारा कई मवेशियों को अपना निवाला बनाया जा चुका है। बाघ के दिन में ही गांवों में घूमने के कारण लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो चला है। ग्रामीणों ने बाघ के आतंक से निजात दिलाने की मांग की है।

तहसील के तिलसारी, अणां, नरग्वाड़ी आदि गांवों में गत सप्ताह से बाघ का आतंक छाया हुआ है। तिलसारी व नरग्वाड़ी में बाघ ने दो गायों को अपना निवाला बना लिया नरग्वाड़ी में बाघ ने गत सायं गोपाल दत्त जोशी की तीन बकरियों को अपना निवाला बनाया जबकि जिनखोला गांव में भूपाल सिंह के बैल को अपना निवाला बनाया जबकि चनोली गांव में बाघ ने 5 पालतू कुत्तों को अपना शिकार बना चुका है।

 एक सप्ताह के भीतर हुई इन घटनाओं से लोगों का जीना दूभर हो गया है। उधर अणां के ककड़धार तोक में बाघ के दिन दहाड़े घूमने के कारण चाय बागान में मजदूरों ने काम करना बंद कर दिया है। इधर नौटा कटारमल, डनफाट, बिनखोली, चौंरसों आदि गांवों में भी बाघ का आतंक बना हुआ है। तिलसारी के ग्राम प्रधान मदन मोहन भट्ट व डीसी पांडे ने प्रभावित परिवारों को मुआवजा प्रदान किए जाने व बाघ को पकड़े जाने की मांग की है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5706432_1.html

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