Mera Pahad > Introduction of MeraPahad Community - मेरा पहाड़ के सदस्यों का परिचय

Religious Chants & Facts -धार्मिक तथ्य एव मंत्र आदि

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Chandra Shekhar Shaastri माँ से प्रार्थना करे ..हम सभी की गति माँ की ओर हो, सदा ही माँ की करुणा परमकृपा बनी रहे ...
                             || - भवान्याष्टकं ||
 न तातो न माता न बन्धुर्न दाता न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता .
 न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि .. १..
 
 भवाब्धावपारे महादुःखभीरु पपात प्रकामी प्रलोभी प्रमत्तः .
 कुसंसारपाशप्रबद्धः सदाहं गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि .. २..
 
 न जानामि दानं न च ध्यानयोगं न जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम् .
 न जानामि पूजां न च न्यासयोगं गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि .. ३..
 
 न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थं न जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित् .
 न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातर्गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि .. ४..
 
 कुकर्मी कुसङ्गी कुबुद्धिः कुदासः कुलाचारहीनः कदाचारलीनः .
 कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धः सदाहं गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि .. ५..
 
 प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं दिनेशं निशीथेश्वरं वा कदाचित् .
 न जानामि चान्यत् सदाहं शरण्ये गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि .. ६..
 
 विवादे विषादे प्रमादे प्रवासे जले चानले पर्वते शत्रुमध्ये .
 अरण्ये शरण्ये सदा मां प्रपाहि गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि .. ७..
 
 अनाथो दरिद्रो जरारोगयुक्तो महाक्षीणदीनः सदा जाड्यवक्त्रः .
 विपत्तौ प्रविष्टः प्रनष्टः सदाहं गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि .. ८..
 
 .. इति श्रीमदादिशंकराचार्य विरचिता भवान्यष्टकं समाप्ता .
 आप को माँ का सानिध्य और शरणागति सहज हो ....माँ से मंगल प्रार्थना . जय हो .....

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
 
ॐ नमः सच्चिदानंदरूपाय परमात्मने
ज्योतिर्मयस्वरूपाय विश्वमांगल्यमूर्तये॥१॥

प्रकृतिः पंचभूतानि ग्रहलोकस्वरास्तथा
दिशः कालश्च सर्वेषां सदा कुर्वंतु मंगलम्‌॥२॥

रत्नाकराधौतपदां हिमालयकिरीटिनीम्‌
ब्रह्मराजर्षिरत्नाढ्याम् वन्दे भारतमातरम्‌ ॥३॥

महेंद्रो मलयः सह्यो देवतात्मा हिमालयः
ध्येयो रैवतको विन्ध्यो गिरिश्चारावलिस्तथा ॥४॥

गंगा सरस्वती सिंधु ब्रह्मपुत्राश्च गंदकी
कावेरी यमुना रेवा कृष्णा गोदा महानदी ॥५॥

अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवंतिका
वैशाली द्वारका ध्येया पुरी तक्शशिला गया ॥६॥

प्रयागः पाटलीपुत्रं विजयानगरं महत्‌
इंद्रप्रस्थं सोमनाथस्तथामृतसरः प्रियम्‌॥७॥

चतुर्वेदाः पुराणानि सर्वोपनिषदस्तथा
रामायणं भारतं च गीता षड्दर्शनानि च ॥८॥

जैनागमास्त्रिपिटकः गुरुग्रन्थः सतां गिरः
एष ज्ञाननिधिः श्रेष्ठः श्रद्धेयो हृदि सर्वदा॥९॥

अरुन्धत्यनसूय च सावित्री जानकी सती
द्रौपदी कन्नगे गार्गी मीरा दुर्गावती तथा ॥१०॥

लक्ष्मी अहल्या चन्नम्मा रुद्रमाम्बा सुविक्रमा
निवेदिता सारदा च प्रणम्य मातृ देवताः ॥११॥

श्री रामो भरतः कृष्णो भीष्मो धर्मस्तथार्जुनः
मार्कंडेयो हरिश्चन्द्र प्रह्लादो नारदो ध्रुवः ॥१२॥

हनुमान्‌ जनको व्यासो वसिष्ठश्च शुको बलिः
दधीचि विश्वकर्माणौ पृथु वाल्मीकि भार्गवः ॥१३॥

भगीरथश्चैकलव्यो मनुर्धन्वन्तरिस्तथा
शिबिश्च रन्तिदेवश्च पुराणोद्गीतकीर्तयः ॥१४॥

बुद्ध जिनेन्द्र गोरक्शः पाणिनिश्च पतंजलिः
शंकरो मध्व निंबार्कौ श्री रामानुज वल्लभौ ॥१५॥

झूलेलालोथ चैतन्यः तिरुवल्लुवरस्तथा
नायन्मारालवाराश्च कंबश्च बसवेश्वरः ॥१६॥

देवलो रविदासश्च कबीरो गुरु नानकः
नरसी तुलसीदासो दशमेषो दृढव्रतः ॥१७॥

श्रीमच्छङ्करदेवश्च बंधू सायन माधवौ
ज्ञानेश्वरस्तुकाराम रामदासः पुरन्दरः ॥१८॥

बिरसा सहजानन्दो रमानन्दस्तथा महान्‌
वितरन्तु सदैवैते दैवीं षड्गुणसंपदम्‌ ॥१९॥

रविवर्मा भातखंडे भाग्यचन्द्रः स भोपतिः
कलावंतश्च विख्याताः स्मरणीया निरंतरम्‌ ॥२०॥

भरतर्षिः कालिदासः श्रीभोजो जनकस्तथा
सूरदासस्त्यागराजो रसखानश्च सत्कविः ॥२१॥

अगस्त्यः कंबु कौन्डिण्यौ राजेन्द्रश्चोल वंशजः
अशोकः पुश्य मित्रश्च खारवेलः सुनीतिमान्‌ ॥२२॥

चाणक्य चन्द्रगुप्तौ च विक्रमः शालिवाहनः
समुद्रगुप्तः श्रीहर्षः शैलेंद्रो बप्परावलः ॥२३॥

लाचिद्भास्कर वर्मा च यशोधर्मा च हूणजित्‌
श्रीकृष्णदेवरायश्च ललितादित्य उद्बलः ॥२४॥

मुसुनूरिनायकौ तौ प्रतापः शिव भूपतिः
रणजितसिंह इत्येते वीरा विख्यात विक्रमाः ॥२५॥

वैज्ञानिकाश्च कपिलः कणादः शुश्रुतस्तथा
चरको भास्कराचार्यो वराहमिहिर सुधीः ॥२६॥

नागार्जुन भरद्वाज आर्यभट्टो वसुर्बुधः
ध्येयो वेंकट रामश्च विज्ञा रामानुजायः ॥२७॥

रामकृष्णो दयानंदो रवींद्रो राममोहनः
रामतीर्थोऽरविंदश्च विवेकानंद उद्यशः ॥२८॥

दादाभाई गोपबंधुः टिळको गांधी रादृताः
रमणो मालवीयश्च श्री सुब्रमण्य भारती ॥२९॥

सुभाषः प्रणवानंदः क्रांतिवीरो विनायकः
ठक्करो भीमरावश्च फुले नारायणो गुरुः ॥३०॥

संघशक्ति प्रणेतारौ केशवो माधवस्तथा
स्मरणीय सदैवैते नवचैतन्यदायकाः ॥३१॥

अनुक्ता ये भक्ताः प्रभुचरण संसक्तहृदयाः
अविज्ञाता वीरा अधिसमरमुद्ध्वस्तरि पवः
समाजोद्धर्तारः सुहितकर विज्ञान निपुणाः
नमस्तेभ्यो भूयात्सकल सुजनेभ्यः प्रतिदिनम्‌ ॥ ३२॥

इदमेकात्मता स्तोत्रं श्रद्धया यः सदा पठेत्‌
स राष्ट्रधर्म निष्ठावानखंडं भारतं स्मरेत्‌ ॥३३॥

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
अम्बे तू है काली, जय दुर्गे खप्पर वाली
 तेरे गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
 
 तेरे जगत के भक्त जनन पर भीर पड़ी भारी
 दानव दल पर टूट पड़ो माँ करके सिन्हा सवारी
 सौ सौ सिंहो सी तू बलशाली, है अष्ट भुजाओ वाली
 दुष्टों को तू ही संहारती || ओ मैया ||
 
 माँ बेटे का है जग में बड़ा ही निर्मल नाता
 पूत कपूत सुने है पर न माता सुनी कुमाता
 सब पर अमृत बरसाने वाली, सबको हरषाने वाली
 नैया भंवर से उबारती || ओ मैया ||
 
 नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना
 हम तो मांगे माँ तेरे मन में एक छोटा सा कोना
 सब पे करुणा बरसाने वाली, विपदा मिटने वाली
 दुखियों के दुःख को तू टारती || ओ मैया ||
 
 चौदस के दिन तेरे भवन में भीड़ लगी हैं भारी
 जो कोई मांगे सोई फल पावे, कोई ना जावे खाली
 सबकी झोली भरने वाली, मांगो मुरादों वाली
 दुखियों के दुःख को निवारती || ओ मैया ||
 
 हम पापी माँ अधम अधम अनाड़ी, अपने सूत की करना रक्षा
 तेरा ही यश गान करे माँ, मागे प्रेम की भिक्षा
 मैया सहस दिलाने वाली, मार्ग दर्शाने वाली
 संकट से तू ही तो निकालती || ओ मैया ||
 
 मन मंदिर में गूंज रहा है आज तेरा जयकारा
 हम दुखियों का तुझ बिन मैया कौन होगा सहारा
 मैया रूप दिखने वाली, शक्ति जताने वाली
 दुखियों के दुःख को तू टारती || ओ मैया ||
 
 बीच भंवर में आन पड़ी नैया
 तुम बिन हमको नहीं मिलेगा दूजा और खिवैया
 मैया संकट मिटाने वाली, बिगड़ी बनाने वाली
 नैया को तू ही तो उतारती || ओ मैया ||
 
 तुम होप मेरी इष्टाध्यायी, पिता गुरु और माता
 तुम ही मेरी सब कुछ हो, तुम्हे छोड़ में कहा जाता
 दुर्ग सिंह सवारी वाली, काली कलकत्ते वाली
 धारण तू ही है धारती || ओ मैया ||

मोहन जोशी:
bhot aanad aa go ho mehta ju ji raya

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