आज का विचार
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यह कविता मोहन लाल टम्टा, दुगाल खोला (अल्मोड़ा) जी ने यह बदलते समय पर यह कविता लिखी है !
हाय पराण, हाय पराण, हाय पराण
पाखा का पाथर हराण, लिपिया भीतेर हराण
गहत और भट हराण, मुडवाक रुवात हराण
हाय पराण, हाय पराण, हाय पराण
नान नान बाट हराण, चाख और घट हराय
नौ पाट घागरी हराण, फुल आस्तीन बिलौज हराण
चुपतौव और नौव हराण, उखाव और मुसव हराण
हाय पराण, हाय पराण, हाय पराण
साभार (पहरु पत्रिका) कुमाउनी मासिक