जोशी जी, नमस्कार,
आज बहुत दिन बाद आपके दर्शन हुये, मेरा एक प्रश्न है, प्रश्न नहीं सुझाव है कि आप उत्तराखण्ड के पारम्परिक वाद्य यंत्रों पर आधारित एक कैसेट लांच करें, जिसमें ढोल-दमाऊ, भोंकर, बिणाई, मुरुली, जोंया मुरुली, मशक बीन, डोंर, कांसे की थाली, कंसेरी, हुड़का, तुरही, रणसिंगा, नागफणी अदि की धुनें हो, और वह भी शाष्त्रीय.