Nameste Anuradhaji and many many thanks for coming on line. How are you ? Your songs in Meri Tehri were superb. What is new ? Any new number coming with Negi ji?
अनुराधा जी, आपका मेरा पहाड़ पोर्टल पर हार्दिक अभिनन्दन है, हम आपके आभारी हैं कि अपने व्यततम क्षणों में से कुछ पल आपने हमें दिये, जिसमें हम लोग आपसे रुबरु हो सकेंगे।मेरा प्रश्न-१- आज के साधन सम्पन्न वातावरण और सुख सुविधा के बावजूद कोई दूसरा गोपाल बाबू गोस्वामी या नरेन्द्र सिंह नेगी स्थापित क्यों नहीं हो पा रहा है।२- व्यवसायिकता की अंधी दौड़ में अपनी संस्कृति से खिलवाड़ करने वाले गायकों को आप क्या दण्ड देना चाहेंगी।
Anuradha ji,Welcome to Mera Pahad Community portal, अनुराधा जी,आपके बहुत गीत सुने, पर आज आपसे रूबरू होने का मौका मिल रहा है, में आपसे यही जानना चाहूंगी की आज का तेज़ तर्रार संगीत (कुमाउनी गढ़वाली पॉप ) हमारे संस्कृति को कितना नुक्सान पहुंचा रहा है, क्या तेज़ तर्रार संगीत को महत्व दिया जाना चाहिए,
Anuradha ji Mera Pahad parivar ki taraf se aapka abhinandan aur swagat hai.
मेरा प्रशन ३ ===========आज उत्तराखंड के लोक संगीत ने एक लम्बा सफ़र तय किया है, क्या कारण कि जो उत्तराखंड के लोग महानगरो में रह रहे है उनमे आपने संगीत के प्रति उतना interest नहीं जितना कि अपेक्षा थी ?
मेरा प्रशन ४ =========आमतौर से देखा गया है आप selected सोंग है गाते है जो कि आप कि एक खाशियत है और ये सोंग सदा आपके क्ष्रोताओ को भाते भी है दूसरी तरफ हमें लोगो से फीडबैक मिलता है कि उत्तराखंड के लोक संगीत के स्तर गिरता जा रहा है ! उत्तराखंड के लोक गानों कि एक विशेष पहचान है और आजकल नए-२ गायक प्रयोग करने में तुले है जहाँ तक कि हामरे गानों में rapture का इस्तेमाल भी होने लगा है जो कि आमतौर से पॉप संगीत में देखा गया है ! और एक बात हामारे VCD एल्बम के नाम कुछ विचित्र दंग से आने लगे है जैसे ... " लबरा छोरा" और "how can i go to द्वाराहाट" ( जो कि एक प्रसिद्ध गाना है ओह भीना कशिके जानो द्वाराहाट") लगता है गाने का इंग्लिश ट्रांसलेशन है !इस पूरे विषय पर आप का क्या कहना है ? क्या आप इन मुद्धो को अपने संगीत कम्युनिटी में जनता के तरफ से एक फीडबैक के रूप चर्चा करंगे ?
Anuradha Ji, Khabi Delhi main bhi aapke programme hote hain aage kaha hoge M M Joshi Shel Shikher9990993069
अनुराधा जी को हलिया का प्रणाम.पहले खेत खलिहान, नदी, गधेरे, घास, लकडी, घस्यारी, घुगुती आदि पर बहुत गीत लिखे और गाये जाते थे लेकिन अब तो खाली बम्बैया फिल्मी गानों की नक़ल हो रही है जो हमारे जैसे लोगों की तो बिलकूल समझ में नहीं आते| ये क्या हो रहा है?