चैट के दौरान सेमवाल जी से कई बातें हुई और उनको समझने का मौका भी मिला। पहले मैं भी पौप आदि के मिक्सिंग को लेकर विचलित था। लेकिन सेमवाल जी के विचार जानकर मैं भी इसका पक्षधर हो गया हूं। उनका मानना है कि उत्तराखण्ड का गीत-संगीत और संस्कृति बहुत समृद्ध है, अपने गानों में थोड़ा प्रयोग वे इसलिये करना चाहते हैं कि जो नई पीढ़ी उत्तराखण्डी गीतों से इसलिये दूर है, क्योकि उसे तेज गाने, पौप-फ्यूजन आदि चाहिये। उसे शकीरा का म्यूजिक या पंजाबी म्यूजिक भाता है। उस पीढ़ी को उत्तराखण्डी गीत देने का प्रयास सेमवाल जी कर रहे हैं। उनका मानना है कि उत्तराखण्डी लोक आम गीत-संगीत के एक से बढ़कर एक मर्मज्ञ हमारे पास हैं, उनका साफ कहना था कि " मैं चाहता हूं कि पहाड़ की कोई भी पीढ़ी जो आज किसी भी वे में हो, मैं उसे उत्तराखण्डी गीत-संगीत के मोह में बांधना चाहता हूं। मैने ये रिमिक्स उस पीढी को भी ध्यान में रखकर बनाया, जो पब-डिस्को में जाती है और वहां पर अन्य भाषाई गीतों पर नाचती है। मैं चाहता हूं कि वे भी पहाड़ी गीतों में नाचें।"
सेमवाल जी की एक और चीज मुझे पसन्द आई, उन्होंने कहा कि वे उत्तराखण्डी म्यूजिक को नेशनल और इण्टरनेशनल लुक देना चाहते हैं, जिसमें कुछ ना कुछ प्रयोग करने होंगे, यह उनका पहला प्रयोग है और आगे बहुत सारे प्रयोग करने होंगे, जिनके परिणाम स्वरुप एक वृहद उत्तराखण्डी फोक म्यूजिक सामने आयेगा, जो अन्य को पीछे कर सकता है।