joshi ji hai kaha???
ललित दा, फौज में देश की सेवा और पहाड़ में पहाड़ी संस्कृति की सेवाकैसा अनुभव रहा, और आगे क्या करने का विचार है।
लैफ्ट रैट-लैफ्ट रैट कनम रैफल, मुन में हैट लैफ्ट रैटपहाड़ी संगीत को एक नई ऊंचाई देने के बाद आगे की लैफ्ट रैट के बारे में बताएं
जोश्ज्यू महाराज पैलाग, भल करो, अपन गौ भटी दूर हम लोगन दगाड़ मिलनाकि आछा।
कोई भी लोकसंगीत उस संस्कृति की आत्मा होती है और बाहरी दुनिया के लिये उस कल्चर का शो-केस, लेकिन आज जिस तरह से रातोंरात स्टार बनने की चाह और पैसे की आपाधापी में जो कुछ लोकसंगीत के नाम पर उत्तराखण्ड में परोसा जा रहा है, उसे आप कितना सही मानते हैं और उसके निराकरण के लिये आप जैसे स्थापित कलाकार क्या प्रयास करेंगे।