कोई भी लोकसंगीत उस संस्कृति की आत्मा होती है और बाहरी दुनिया के लिये उस कल्चर का शो-केस, लेकिन आज जिस तरह से रातोंरात स्टार बनने की चाह और पैसे की आपाधापी में जो कुछ लोकसंगीत के नाम पर उत्तराखण्ड में परोसा जा रहा है, उसे आप कितना सही मानते हैं और उसके निराकरण के लिये आप जैसे स्थापित कलाकार क्या प्रयास करेंगे।