Author Topic: Live Chat With Fauji Lalit Mohan Joshi(Famous Singer) On 08 May 2009 At 11:00AM  (Read 62726 times)


खीमसिंह रावत

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ललितमोहन जी पैलागुन / धन्यबाद करनू कि आप म्यार पहाड़ फोरम में ऑन लाइन हैछा हो /

हमारे pahadi गानों के शब्दों मे हिंदी के शब्द ज्यादा प्रयोग किये जा रहे है/ क्यों ?

Lalit Mohan Joshi

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Namashkar Khajan ji. Fauj main 1 faayda bhi hota hai ki 1-1 mahine ki chhutti lagataar mil jaati hai us samay in sab ka lutf uthate hain.

ललित भाई को नमस्कार ठैरा,
        दाज्यू एक बात पूछनी थी कहा हो, कि फौज में तो भट्ट की चुणकानी, चैसूं, फाणू आदि खाने को मिलता नहीं होगा, तो क्या इसे खाने की इच्छा ही नहीं करती, अगर करती है तो फिर आप इसे कैसे पूरा करते हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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प्रशन २ :

ललित जी, आपको गाने का शौक कैसे हुवा और आप किसे अपना गुरु मानते है ?


Lalit Mohan Joshi

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Bilkul jab achha mauka milega acting jarur karenge.

Teri Jeevan aadhaar abhi production main hai aur 10-15 din main release ho jaaegi.

ललित जी के नमस्कार छु गीत गाना डगरी   डगरी कधेली फिल्म ऐक्टर हनो ले बिचार छने हगिल के  नई एल्बम बार मैं बतला के हुमे के

umeshjoshi

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Meena Rawat

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namste JOSHI JI......kaise hai aap??? :)



mera sawal ye hai ki......aap desh ki sewa or ye sangeet.....dono ek sath kaise karte hai???

Lalit Mohan Joshi

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Namashkar Savita ji meri nai album Teri jeevan aadhaar usi shreni ki album hai.

ललित जी में नौजवान पीढी के गायकों का गीत पसंद नहीं करती, क्योंकि उन्होंने हमारे संगीत को दिशाहीन बना दिया है ? पर जिस समय आपकी अल्बम त्येरी भोली अन्वारा निकली थी उस वक़्त मेरा रुझान हमारे संगीत की तरफ बढा, और उस अल्बम के सारे गीत मुझे बहुत पसंद आये, उसी प्रकार  के एक और हिट अल्बम की तलाश है हमे, हमारी वो तलाश कब तक पूरी होने की उम्मीद है, 

खीमसिंह रावत

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प्रशन :   क्या आपने अधिकतर विरह के गाने गाये है /

 :(    :(

पंकज सिंह महर

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उत्तराखण्ड के लोक संगीत में पहले प्रेम-प्रदर्शन और प्रणय लीलाओं के बजाय, विरह, घर-खेत की बातें, विकास की चाह, पर्वतीय अंचल की सुंदरता का बखान, ऎतिहासिक गाथायें तथा सामाजिक मुद्दे होते थे, लेकिन आजकल ऎसा कुछ भी नहीं आ रहा। केवल इश्कबाजी का ही बखान अधिकतर एलबमों में होता है, जो कि बहुत खेद के साथ-साथ चिन्ता का विषय है। एक स्थापित कलाकार होने के नाते आप खालिश उत्तराखण्डी लोकसंगीत को बचाने के लिये अपनी ओर से क्या प्रयास करेंगे?

 

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