संजय जी, मैं आपसे एक बात कहना चाहता हूं। मैं जब कोई भी पहाड़ी गाना कैसेट में सुनता हूं तो कर्णप्रिय लगता है और जब मैं किसी एल्बम को टी.वी./कम्प्यूटर पर देखता हूं तो बडा़ खराब लगता है क्यौंकि उसमें गाने (संगीत) और ’पिक्चरिजेशन’ का ताल मेल मेरे को ठीक नही लगता। आप की इस बारे में क्या राय है महाराज?