हुड्क्या समुदाय का एक प्रसिद्ध लोक गीत
हो सरगा तारा जुनख्याळी रात
हो सरगा तारा जुनख्याळी रात
को सुणल़ो या, मेरी बात ?
पाणी क मसीक सुवा , पाणी को मसीक
तू चली गै परदेश मी रालो कसीक
हो सरगा तारा जुनख्याळी रात , को सुणल़ो या, मेरी बात ?
बिरहा की रात सुवा , बिरहा की रात
आन्ख्यों बटे आंसू झड़ी लागी बरसात
हो सरगा तारा जुनख्याळी रात , को सुणल़ो या, मेरी बात ?
तेल त निमडी गये , बुझ्णी च बाती
तेरी मायान मेंड़ी देऊं , सरपै की भाँति
हो सरगा तारा जुनख्याळी रात , को सुणल़ो या, मेरी बात ?
अस्याली को रेट सुवा , अस्याली को रेट
आज का जयां बटी कब होली भेंट
हो सरगा तारा जुनख्याळी रात , को सुणल़ो या, मेरी बात ?
स्रोत्र : भजन सिंह 'सिंह' का लोक गीत संग्रह
The song is mixer of a couple of raptures and is agile and very absorbing.
Copyright@ Bhishma Kukreti
झोडा नृत्य गीत
ध्रुब चाल (संगीत व नृत्य) : किसनो पैल्वाण नेगी, तिलै धारु
हीरा हिरुली बांद, तिलै धारु बोला
जोड़ - हुडकी की पोड़ छोरा , हुडकी की पूड़
झिट घड़ी बैठी जौंला, बांजै डाळी मूड
सम्मिलित स्वर : झिट घड़ी बैठी जौंला, बांजै डाळी मूड
हीरा हिरुली बांद बांजै डाळी मूड
किसनी खड़कवाळ नेगी, बांजै डाळी मूड
पुरुष : हीरा हिरुली बांद, तिलै धारु बोला
स्त्री : किसनी खड़कवाळ नेगी, तिलै धारु बोला
पुरुष : कूटी जालो धान हीरू , कूटी जालो धान
कैकी जाली कूड़ी कैकी जाली ज्यान
स्त्री : काटो च खमर नेगी , काटो च खमर
चार दिन जुनख्याळी, प्रेम च
पुरुष : गैणो की बरात हीरू गैणो की बरात
घुतघुती मन मा हीरू जुनख्याळी रात
स्त्री : घास काटो हंसिया नेगी , घास काटो हंसिया
तू डुळदो भौंर हीरू , फूलों क रसिया
पुरुष ; खिले जालो तास हीरू , खिले जालो तास
मि डुलदो भौंर हीरू, मन त्यारो पास
सम्मिलित स्वर ; घास की गडूळी सुवा घास की गडूळी
जें दिशा बि रौलो हीरू , लागली बडूळी
जें दिशा बि रौलो नेगी , लागली बडूळी
स्रोत्र : डा शिवा नन्द नौटियाल, श्याम छम घुंघुरू बाजला पृष्ठ ३४
(Provided by - Bhishma Kukreti)