Author Topic: Aakashvani Uttarakhandi Golden Folk Songs-आकाशवाणी के वो अनमोल गीत  (Read 5999 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दोस्तों

आज हम मेरापहाड़ फोरम में आपको हम उत्तराखंड के कुछ अनमोल लोक गीतों के बारे में जानकारी दे रहे है! शायद बचपने में आपने आकाशवाणी लखनऊ, नजीबाबाद, अल्मोड़ा आदि स्टेशनों से गाने सुने होंगे! हम कुछ कुमाउनी-गढ़वाली गानों के बोल यहाँ पर लिख रहे है! आशा है आपको ये गाने पसंद आयंगे और शायद आपकी बचपन की यादे पुनः ताजा हो जाय!


 पहला गाना है -  एक बकरी के बारे में जो किसी के खेत में घास चर रही होती  है और जो ग्वाला इसके साथ वह बकरी को आवाज दे के बुला रही है! जल्दी आजा बकरी अगर गाव के मुख्या प्रधान (सभापति) को यह पता चलेगा तो वह रिपोर्ट कर देगा तो उनकी मुश्किले बड़ जायेगी! यह एक रोचक गीत आपके लिए प्रस्तुत है!


 
आ लि ली ली बाकुरी ली छियु .... छियु
 आ लि ली ली बाकुरी ली छियु .... छियु

 बाकुरी आजा उजायाड न खा जोडउनु त्वेहींन  हाथ

 बाकुरी आजा उजायाड न खा जोडउनु त्वेहींन  हाथ
 तयर म्यर करली गुसाणी तीन पीड़ी क शराद
 सभापति जीयु कैल रिपोर्ट
 सभापति जीयु कैल रिपोर्ट
 बात मान तू तू तू..

 आ लि ली ली बाकुरी ली छियु .... छियु

 आ लि ली ली बाकुरी ली छियु .... छियु
 आ लि ली ली बाकुरी ली छियु .... छियु
 आ लि ली ली बाकुरी ली छियु .... छियु

 त्वे बाकरी बाग़ लिझो रे.  तवील उज्याड़ खायो

 त्वे बाकरी बाग़ लिझो रे.  तवील उज्याड़ खायो
 ओय बाकुरी त्यार कारण , काव झे म्यर आयो
 लाठी ले भी आगियो पधान
 लाठी ले भी आगियो पधान
 अब कथे हूँ जू जू जू..

 आ लि ली ली बाकुरी ली छियु .... छियु
आ लि ली ली बाकुरी ली छियु .... छियु  आ लि ली ली बाकुरी ली छियु .... छियु  आ लि ली ली बाकुरी ली छियु .... छियु

 नोट - कृपया बिना अनुमति के इन गानों को अपनी वेब साईट और ब्लॉग में ना डाले! इन गानों के बोल लिखने के लिए मेरापहाड़ टीम ने बहुत प्रयास किया है!


 

 एम् एस मेहता



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 इस गाने के बोल को समझ कर हर इंसान के आँखों में आंसू टपक पडंगे!  एक बेटी अपनी ससुराल विदा होने के लिए तैयार है! बेटी बहुत रो रही है और उसके माँ बाप उसे समझा रहे है! बेटा बरात विदाई के लिए तैयार है अब तो डोली में बैठ जा! तेरे भाई और पिताजी समय-२ मिलने  आयंगे (भिटोई  देने) और तुझे त्योहारों के अवसर पर भी bulaane आयंगे, बेटा तो डोली में बैठ जा! ससुराल में अच्छी तरह से काम करना! सास ससुर को माँ बाप की तरह समझना! पढिये इस भाविक गाने का बोल :

 बाट लागी बारात चेली, बैठ डोली मा!

 बाट लागी बारात चेली, बैठ डोली मा!!
 जा त्यारा सौरास चेली, बैठ डोली मा!
 जा त्यारा सौरास चेली, बैठ डोली मा!!

 आज जाण रिसिया, नक भल बुलाछिया

 बुत धाण बताछिया, अब त्यारा सौरासिया
 सास सौरा- मै बाब चेली, बैठ डोली मा!!
 सास सौरा- मै बाब चेली, बैठ डोली मा!!
 झन होए उदास चेली, बैठ डोली मा!!
 झन होए उदास चेली, बैठ डोली मा!!

 तयार बाज्यू बुलुहूँ आला,

 त्यार दादी भिटोयी लियाला
 जी मागली पुजिया दयाला
 त्यार बयार के बुला लियाला
 झन होए उदास चेली, बैठ डोली मा!!
  नी लगा उदास चेली,  बैठ डोली मा!!

 झन होए उदास चेली, बैठ डोली मा!!

  नी लगा उदास चेली,  बैठ डोली मा!!


 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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लोक गायक चन्द्र सिंह राही जी का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है उत्तराखंड की लोक संगीत में! उनका एक प्रसिद्ध गाना निमंलिखित है 



 पार भीड़ बसंती छोड़ी रुमा झुमा

 गाव तेरी मूग की माला रुमा -२
 हे.. ..हे.
 कातूच आसीन..
 देखींन क छोटी मोती
 माया की मशीन छोरी
 माया की मशीन छोरी
 रुमा झुमा

 पार भीड़ की बसंती छोरी

 रुमा झुमा ..

 इस गाने को यहाँ से सुनिए :


 http://ishare.rediff.com/music/others/2/893607
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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इस लोक गीत में पहाड़ के महिला के दुःख का वर्णन है! अपने ससुराल में यह महिला किसी खेत या जंगल में घास काटते हुए अचानक घुघूती पक्षी के गीत (घूरने) सुनती है और फिर भाविक जो जाते है अपने माएके के याद (खुद से) से!  गाने के बोल देखिये!



 घुगुती  घुरोण  लागी म्यार  मैत  की

 बौडी  बौडी आयी गे  ऋतू , ऋतू चेत  की

 डांडी   कांठियों  को हूए, गौली  गए  होलू

 म्यारा मेता को बोन , मौली  गए  होलू
 चाकुला  घोलू  छोडी , उड़ना  हवाला  -2
 बेठुला  मेतुदा  कु , पेताना  हवाला
 घुगुती  घुरोण  लागी हो ...................... 
 घुगुती  घुरोण  लागी म्यार  मैत  की
 बौडी  बौडी आयी गे  ऋतू , ऋतू चेत  की
 ऋतू, ऋतू चैत की, ऋतू, ऋतू चेत की

 डान्दियुन खिलना  होला , बुरसी का  फूल

 पथियुं  हैसनी  होली , फ्योली  मोल मोल
 कुलारी  फुल्पाती  लेकी , देल्हियुं  देल्हियुं जाला  -2
 दग्द्या  भग्यान  थडया, चौपाल  लागला
 घुगुती  घुरोण  लागी म्यार  मैत  की
 बौडी  बौडी आयी गे  ऋतू , ऋतू चेत  की
 ऋतू, ऋतू चैत की, ऋतू, ऋतू चेत की

 तिबरी  मा  बैठ्या  हवाला, बाबाजी उदास 

 बतु  हेनी  होली  माजी , लागी  होली  सास
 कब म्यारा मैती  औजी , देसा  भेंटी  आला  -2
 कब म्यारा भाई बहनों  की राजी खुशी ल्याला
 घुगुती  घुरोण  लागी म्यार  मैत  की
 बौडी  बौडी आयी गे  ऋतू , ऋतू चेत  की
 ऋतू, ऋतू चैत की, ऋतू, ऋतू चेत की

 ऋतू, ऋतू चैत की, ऋतू, ऋतू चेत की

 ऋतू, ऋतू चैत की, ऋतू, ऋतू चेत की
 ऋतू, ऋतू चैत की, ऋतू, ऋतू चेत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 नरेन्द्र सिंह नेगी जी यह गाना एक कुप्रथा पर है! समाज कुछ तत्व जो दारु पीके किसी के सुख दुःख में वव्धान पहुचाते है! इसके बारे में यह लोक गीत:

 

 नि पीण नि खाणु ,नि पीण नि खाणु

 रोज दारु पीके,  इनु  जीयु न जलान
 हे चूचु   इनु  जीयु न जलान केतन तब
 चूचु केतन तब .

 नि पीण नि खाणु ,नि पीण नि खाणु

 रोज दारु पीके,  इनु  जीयु न जलान
 हे चूचु   इनु  जीयु न जलान केतन तब
 चूचु केतन तब .

 कैका जलंम दिन जयुंड

 कैका ब्यो में आन्द
 यो पैली पोची जांद
 कैका जलंम दिन जयुंड
 कैका ब्यो में आन्द
 यो पैली पोची जांद
 बरात तब बैठली, जब दारु पीई जांद .... 2
 कवी कलूदु पडी जांद, कवी उदियार सीई रौंद
 चेत आंदी त्वु, जब रात खुली जांद

 हे चूचु


 नि पीण नि खाणु ,नि पीण नि खाणु

 रोज दारु पीके,  इनु  जीयु न जलान
 हे चूचु   इनु  जीयु न जलान केतन तब
 चूचु केतन तब .

 कैका सुख मा कैका दुःख मा

 यो पैली पहुची जांद, यो पैली न्योती जांद
 कैका सुख मा कैका दुःख मा
 यो पैली पहुची जांद, यो पैली न्योती जांद
 मुर्दा तब गड़ेन्दू, जब दारु पीई जांद
 कैका रोग शोक, ...२
 इनु जरा सा लगाई, वयी अंग तोप

 कॉपी राईट - मेरा पहाड़ फोरम डोट कॉम

 नि पीण नि खाणु ,नि पीण नि खाणु
 रोज दारु पीके,  इनु  जीयु न जलान
 हे चूचु   इनु  जीयु न जलान केतन तब
 चूचु केतन तब .



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is one of the Superhit song of Gopal Babu Goswami. We used to listen this song in Radio.

हिमाला को.........
हिमाला को....
हिमाला को उंचा डांडा, प्यारो मेरो गांव,
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं ।
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं॥ हिमाला को.....हिमाला को..

यो भुमि जनम मेरा, माधोसिंह मलेखा
यो भुमि जनम मेरा, माधोसिंह मलेखा,
गबर सिंह, चन्दर सिंह, आजादि का पैदा.
मिटायो जुलम तैको, दिखायो उजायो
मिटायो जुलम तैको, दिखायो उजायो..
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं॥
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं॥ हिमाला को.....हिमाला को..

गोरिया अवतारि देवा, द्वि भाइ रमौला
हिट्ज्यु भुमिया देवा, भोलू गंगनाथा
जनमि अवतारि नंदादेबि रे कल्याणू
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं॥
छबीलो गढ्देश मेरो, रंगीलो कुमाऊं॥ हिमाला को.....हिमाला को

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Another Superhit Song of Gopal Babu Goswami.


गोपाल बाबु गोस्वामी जी यह गाना.

रंगीली चंगली पुत्यी कसी
फूल फटना ज्यूना कसी
ओह मेरी किसाना
उठ सुवा उजाओ हेगियो
चम् चम् का घाम

ले पीले चहा गिलास
गुड का कटक
उठ मेरी पुनियो की जियूना
उठ वे चमा चामा

रंगीली चंगली पुत्यी कसी
फूल फटना ज्यूना कसी

उठ भागी नखार ना
तेली खेडो खतरा
उठ मेरी पुनियो की जियूना
उठ वे चमा चामा

रंगीली चंगली पुत्यी कसी
फूल फटना ज्यूना कसी
ओह मेरी किसाना

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This song was one of most popular song of Gopal Babu Goswami. We used to listen song through Aakashvani Lucknow and Nazibabad.


गोपाल बाबु गोस्वामी जी यह प्रसिद्ध गाना .. घुघुती ना बासा अ अ अ ...घुघुती ना बासा ...आम- की डाई मा

"घुघुती ना बासा ...आम- की डाई मा

"घुघुती ना बासा ...आम- की डाई मा...घुघुती ना बासा ...आम- की डाई मा
घुघुती ना बासा अ अ अ ...घुघुती ना बासा ...आम- की डाई मा

तेरी घुरु घुरु सुनी मई लागु उदास
स्वामी मेरा परदेस ..बर्फीलो लादाखा ..घुघुती ना बासा ..
घुघुती ना बासा अ अ अ ...घुघुती ना बासा ...आम- की डाई मा

ऋतू आगे भांगी भांगी गरमी चैते की
याद मुकू भोत एगे अपुन मैते की ..घुघुती ना बासा ..
घुघुती ना बासा अ अ अ ...घुघुती ना बासा ...आम- की डाई मा

त्यर ज्यास मैं ले हूनोन उडी बे ज्युनो
स्वामी की मुखडी के मैं जी भरी देखुनो ..घुघुती ना बासा ..
घुघुती ना बासा अ अ अ ...घुघुती ना बासा ...आम- की डाई मा

उडी जाओ घुघुती नही जा लादाखा .
हल मेरा बता दिया मेरा स्वामी पास ..घुघुती ना बासा ..
घुघुती ना बासा अ अ अ ...घुघुती ना बासा ...आम- की डाई मा


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ये बहुत ही पुराना गाना है वैसे ये गाना जीत सिंग नेगी जी का है पर इस गाने को दुबारा नेगी जी ने अपना स्वर दिया है और ये गाना उन भाइयों को समर्पित है जो अपना घर गों छोड़ के पैसे कमाने के खातिर यहाँ परदेश आते हैं और फिर उनको अपने घर गाँव की जो याद आती है उसी का जिक्र इस गाने में किया है उन सभी भाइयों के दर्द को नेगी जी ने गीत का रूप दिया है

कु होली ऊँची डांडीयूँ मा बीरा घस्यरी का भेस मा
खुद मा तेरी सड़कयूँ पर में रोनू छौं परदेश मा

ऊँची निसी डांडी गाड गद्न्या हिसर अर किन्गोड़ ला
छुल बुल बन ग्ये होली डाली ग्वेर दगडया तोडला
घनी कुनाल्युन का बिच अर बांज की डाली का छैल मा
बेटी ब्वारी बैठी होली बैख होला याद मा
लटुली उडनी होली ठंडी हवा न डांडा की
पर मी मोरनू छौं घाम अर तीस न ये देश मा

खुद मा तेरी सड़कयूँ पर मी रोनू छौं परदेश मा
कु होली ऊँची डांडीयूँ मा बीरा घस्यरी का भेस मा
खुद मा तेरी सड़कयूँ पर में रोनू छौं परदेश मा
रोनू छौं परदेश मा

गौडी भैंसी म्वा म्वा करदी रमदी लैंदी जब आली
वुंकी गुसैन भांडी लेकी गौडी भैंसी पिजाली
श्रौन भादौ का मैना लोग धाणी सब जाला
वुनका जनाना स्वामी कु अपड़ा स्यारों रोटी लिजाला
मूला की भुज्जी प्याज कु साग दै की कटोरी भोरी की
कोदा की अफुकू स्वामी कु ग्यून की रोटी खलल चोरी की
पर मी भुखू सी छौं अपड़ा स्वाद बिना ये देश मा

खुद मा तेरी सड़कयूँ पर मी रोनू छौं परदेश मा
कु होली ऊँची डांडीयूँ मा बीरा घस्यरी का भेस मा
खुद मा तेरी सड़कयूँ पर में रोनू छौं परदेश मा
रोनू छौं परदेश मा

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देवी भूमि उत्तराखंड पर रचित यह लोक गीत! इस गाने में बताया गया है कितने तीर्थ धाम है हमारे इस प्रदेश में! गंगा जमुना जैसे पवित्र नदिया  इस देवभूमि से निकलती है ! जगह -२ पर देवालय! क्या नहीं है इस पवन देव भूमि के! मुझे गर्व है मैं इस देव इस पावन भूमि में जनम लिया है, मै अपने आप को धन्य समझता हूँ ! देखिये इस गाने को !



 गंगा जमुना बगदिन बद्री केदार छिन

 भेजी हमारा देश में
 गंगा जमुना बगदिन बद्री केदार छिन
 भेजी हमर देश में ......

 फूल की कख डाली छिन , कती रसील सेब

 फूल की कख डाली छिन , कती रसील सेब
 पंची ज्ञानी चंडी देवी तडासिर  देव
 पंची ज्ञानी चंडी देवी तडासुर देव

 गंगा जमुना बगदिन बद्री केदार छिन

 भेजी हमर देश में ......
 गंगा जमुना बगदिन बद्री केदार छिन
 भेजी हमारा देश में

 दानी मा क दानी इख, वीरो माँ का वीर

 दानी मा क दानी इख, वीरो माँ का वीर
 भक्तो मा का भक्त इख, गंगा जी का तीर मा
 भक्तो मा का भक्त इख, गंगा जी का तीर मा
 भेजी हमर देश में ...........
 भेजी हमर देश में ...........

 गंगा जमुना बगदिन बद्री केदार छिन

 भेजी हमारा देश में
 गंगा जमुना बगदिन बद्री केदार छिन
 भेजी हमर देश में ......

 ऋषि क तीर्थ धाम, ऋषियों क ऋषिकेश 

 ऋषि क तीर्थ धाम, ऋषियों क ऋषिकेश
 कुम्भ क मैत भरी हुन्द हमर देश में
 भेजी हमर देश में ..
 भेजी हमर देश में ....

 गंगा जमुना बगदिन बद्री केदार छिन

 भेजी हमारा देश में
 गंगा जमुना बगदिन बद्री केदार छिन
 भेजी हमर देश में ......
 भेजी हमर देश में ......
 भेजी हमर देश में ......
 ....
 गंगा जमुना बगदिन बद्री केदार छिन


 

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