देखिये इस प्रसिद्ध लोक गीत के गाने के बोल
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गाने के रचियता - ब्रिजेन्द्र लाल साह
बेडू पाको बार मासा
ओ नरैनी काफल पाको चैता , मेरी छैला
बेडू पाको बार मासा
ओ नरैनी काफल पाको चैता , मेरी छैला
रूना भुना दींन आयो
नरैनी , तुजा तेरी मैता , मेरी छैला
अल्मोड़ा की नंदा देवी
ओ नरैनी फूल चदूनी पाती मेरी छैला
बेडू पाको बार मासा
तयार खुट्टा कांडो बुड़ो
ओ नरेनी मेरा खुटी पीड मेरी छैला .
बेडू पाको बार मासा
आपु खांछे पान सुपारी
ओ नरेनी मैं पिलुछे बीडी मेरी छैला ,
बेडू पाको बार मासा
अल्मोड़ा को लाल बाज़ार
ओ नरेनी लाल मत्ता की सीढ़ी मेरी छैला
बेडू पाको बार मासा
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लेकिन उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक स्वर्गीय श्री गोपाल बाबु गोस्वामी जी ने जब इस गाने को गाया तो उन्होंने ने इस गाने के रचियता को याद किया और एक ला-इन अपनी ओर से जोड़ा !
बेडू पाको बार मासा .....
ला इन -
श्री ब्रिजेन्द्र लाल साह
ओह नरेनी यो तनारा गीता मेरी छैला