[youtube]http://www.youtube.com/watch?v=fgGTTjR7BZY
Dosto,उत्तराखंड के लोग संगीत को उचाई देने वाले लोक गायकों की सूची बहुत लम्बी है। इसी सूची में लोक गायक चन्द्र सिह राही जी भी उत्तराखंड के लोक संगीत में बहुत योगदान रहा है ! चन्द्र सिह राही जी ने उत्तराखंड की गढ़वाली बोली में काफी गाने गाये है मुझे याद है बचपन के यो दिन जब आकाशवाणी में चन्द्र सिह राही जी के गाने आते थे ! Chander Singh Rahi is another popular singer, a balladeer and storyteller. His recordings are perhaps the most authentic to the hills, and he incorporates many legends and folk tales into his rousing songs.इस थ्रेड में चन्द्र सिंह राही जी के गानों के बारे में चर्चा करेंगे, राही जी का परिचयचन्द्र सिंह राही : CHANDRA SINGH RAHIचन्द्र सिंह राही जी का जन्म १७ मार्च, १९४२ को ग्राम गिंवाली, पट्टी- मौंदाडस्यूं, पौड़ी में हुआ था, इन्होने आकाशवाणी के दिल्ली, लखनऊ और नजीबाबाद स्टेशनों से १९६६ से ही गीत गाने प्रारम्भ कर दिये थे। इन्होंने कई स्टेज प्रोग्राम भी दिये, १९८० से दूरदर्शन पर लोकगीतों का प्रसारण शुरु हुआ तो उत्तराखण्डी गीतों को सुमधुर तान इन्होंने ही दी थी। अब तक श्री राही लगभग ५०० लोकगीतों का गायन कर चुके हैं। श्री राही की जागर और लोकगाथाओं को उत्तराखण्ड से बाहर निकाल कर बाकी दुनियां को रेडियो और दूरदर्शन के माध्यम से रुबरु कराने में अहम भूमिका रही है। श्री राही जी को लोक संगीत का प्रशिक्षण उनके पिता द्वारा १२ वर्ष की आयु से ही दिया जाने लगा, उसके बाद सुगम संगीत आचार्य स्व० बचन सिंह जी अन्ध महाविद्यालय द्वारा प्रशिक्षण लिया। अब तक राही जी ने २५०० पारम्परिक लोक गीतों का संकलन किया है और मध्य हिमालय उत्तराखण्ड के लोक गीत, लोक नृत्य एवं पारम्परिक लोक वाद्य यंत्रों की लोक शैलियां भी संकलित की हैं। श्री राही ढोल-दमाऊ, डौंर, थालि, हुड़का, मोछंग, बिणै, मुरली, अलगोजा आदि वाद्य यंत्रों के वादन में प्रवीण हैं। श्री राही जी आकाशवाणी में बी हाई श्रेणी के कलाकार हैं और पिछले ४२ सालों से निरन्तर प्रस्तुति देते आ रहे हैं साथ ही दूरदर्शन पर लगभग ५ हजार कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुके हैं।इन्हें निम्न पुरस्कार भी प्राप्त हुये हैं-१- उत्तरांचल लोक कला केन्द्र द्वारा १९८६ में लोक संगीत रत्न पुरस्कार२- गढ़भारती, दिल्ली द्वारा १९८६ में साहित्य कला अवार्ड३- संगीत नाटक अकादमी द्वारा सम्मानित४- पं० टीकाराम गौड़ पुरस्कार(दिल्ली), १९९६ ५- मोहन उप्रेती कला अवार्ड, अल्मोड़ा, २००४६- गढ़गौरव सम्मान वर्ष २००५ में उत्तराखण्ड क्लब द्वारा।७- पं० शिवानन्द नौटियाल सम्मान, लखनऊ, २००७८- मोनाल लोक कला सम्मान, मोनाल संस्था लखनऊ द्वारा २००९९- अखिल गढ़वाल सभाअ, देहरादून से लोक कला सम्मान, २००३१०- दिल्ली सिटीजन फार्म द्वारा १९९८ में सम्मानित११- माता राजराजेश्वरी त्रिपुर सुन्दरी चेतना संघ, चमोली द्वारा कला सम्मान, २००९रेगार्ड्स,एम् एस मेहता