कर ले भजन रे मन,जीवन को घाम अछेणु चा
घाम अछेणु चा , अंधेरो घेरेणों चा
कर ले भजन रे कर ले भजन
बिन्सरी घाम उदय हो जब जग
हर्ष मन्ये जल फूल चढे सब
स्वीलू घाम अछेण लगी अब
स्वीलू घाम..........
स्वीलू घाम अछेण लगी अब
अंधेरो घेरेणों चा
हाथ - गोण निर्बल रूप कुरूप ह्वे
मुख मा दांत न आन्ख्यु मा जोत रे
काया की कोठडी मा रुमुक पड़ीगे
मुक्ति खोज्याणु चा
कर ले भजन रे मन,जीवन को घाम अछेणु चा