Uttarakhand > Music of Uttarakhand - उत्तराखण्ड का लोक संगीत

Folk Songs Of Uttarakhand : उत्तराखण्ड के लोक गीत

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

This is also one of the oldest Folk Song
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माछी पाणी सी ज्यू तेरु मेरु हो ओ ओ
बिना तेरा नि जियेंदु नि रायेंदु त्वे बिना
माछी पाणी सी ज्यू तेरु मेरु हो माछी पाणी सी
.
           दयु बती सी ज्यू तेरु मेरु हो ओ ओ
       बिना तेरा नि जियेंदु नि रायेंदु त्वे बिना
        दयु बती सी ज्यू तेरु मेरु हो दयु बती सी
.
दिन डूबी धार पोर, दिन ओ ओ ओ
दिन डूबी धार पोर, खुद खेवाई ऐ घौर
फिर आंख्युं बस्ग्याल,फिर उमली उमाल
फिर उमली उमाल सुवा हो ओ ओ
बिना तेरा नि थामेंदु नि थामेंदु त्वे बिना
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         माछी पाणी सी ज्यू तेरु मेरु हो ओ ओ माछी पाणी सी
.
ऋतू मौल्यार की औंदी ऋतू हो ओ ओ ओ
ऋतू मौल्यार की औंदी, फूल्वी डाल्युं हैंसोंदी
बिंडी बरसू माँ ऐंसू, मन बोदू मी बी हैंसू
मन बोदू मी बी हैंसू सुवा हो ओ ओ
बिना तेरा नि हैंसेंदु नि हैंसेंदु त्वे बिना
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            दयु बती सी ज्यू तेरु मेरु हो दयु बती सी
.
पांडा सोचणी सिलोटी, पांडा हो ओ ओ
पांडा सोचणी सिलोटी, ओबरा उंगणी जन्दरी
चौक टपराणु उर्ख्यालू, बाठु हेरदू चुल्खांदु
बाठु हेरदू चुल्खांदु सुवा हो ओ ओ
बिना तेरा नी जगदू नी जगदू त्वे बिना
.
        माछी पाणी सी ज्यू तेरु मेरु हो माछी पाणी सी
.
म्वारी चैत्वाली घूमणोंन्दी, म्वारी हो ओ ओ ओ
म्वारी चैत्वाली घूमणोंन्दी, गीत माया का सुणोंदी
मन बोदू मी भी गोंउ, गोंउ खुद बिसरोंउ
गोंउ खुद बिसरोंउ सुवा हो ओ ओ
बिना तेरा नी गयेंदु नी गयेंदु त्वे बिना
.
दयु बती सी ज्यू तेरु मेरु हो ओ ओ
बिना तेरा नि जियेंदु नि रायेंदु त्वे बिना
दयु बती सी ज्यू तेरु मेरु हो दयु बती सी
.
माछी पाणी सी ज्यू तेरु मेरु हो ओ ओ
बिना तेरा नि जियेंदु नि रायेंदु त्वे बिना
माछी पाणी सी ज्यू तेरु मेरु हो माछी पाणी सी............

पंकज सिंह महर:
लोकगीतों की श्रेणी में बाल लोकगीत प्रस्तुत है, वस्तुतः यह एक लोरी गीत है, जिसे शिशु को घूटनों में लिटाकर झूले की तरह ऊपर-नीचे झुलाते हुये गाया जाता है-

घुघूति-बासूति, क्य खांदी,
दूद-भात्ति, कैल द्याया, जिठ ब्वैला,
जिठ ब्वै कख चा, लारा धूणूक,
लारा कख छन, आगिल जैगि गिन,
आग कख चा, पाणिन मुझि गै,
पाणि कख चा, ढांगल पियाल,
ढांगू कख च, लमडि़ गाया,
त्यारु चुफ्फा, म्यारु पौ,
सरैं ख्यात मा, लड़ै कना औ।

इस लोक बाल गीत मे शिशु के साथ वार्तालाप किया जा रहा है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

This is also lyric of Jagar which is also a part of Uttarakhandi Folk Song
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जय हो श्री देव भूमि हो, जगत मैं नाम तुम्हारा
मरधन के राजा जै नाम तुम्हारो भगवान
पूर्व खण्डा, पश्चिम खण्डा, उत्तर खण्डा, दक्षिण खण्डा

पूरब का दिन पश्चिम चला गया, भगवान
ये सूरज ढलनें लग गया
छोटे बड़े देवो की आरती चली है
ज्ञानी पुरुषो ध्यानी पुरुषो की धुणी जगी हुई है
सिद्ध पुरुषो की चार फुट धुणी जगी हुई है

Devbhoomi,Uttarakhand:
किर्षी गीत

पर्वतीय छेत्रों मैं भोगोलिक प्रस्तिथियों मैं खेती का कार्य करना भी अति कठिन है!प्राय खेती सामूहिक रूप से की जाती है,गायक और वादक गीतों को गाकर श्रम करने वालों का मनोरंजन करते हैं!इन गीतों को" हुड़का बोल"भी कहा जाता है,कथागय्क इस्वर वंदना करता है,कि उनके खेतों मैं अछि फसल हो !

ओ आब देवा वर्देण है जांयां ओ भूमयाल देवो !
ओ देवो तुमि स्योव दियो,बिद ओ हो भुम्याल देवो !!

Devbhoomi,Uttarakhand:
मिलन गीत

मिलन गीत पद-पद मैं रति,हास ,मनुहार,और अनुनय,चरों और भावों का मनोहारिक मार्मिक चित्रण मिलता है

सिर धौंपेली लटकाई कनी,

कला सर्प की केंचुली जनि !

सिंदूर से भरी मांग कनी,

नथुली मा गडी नगीना जनि !

ये सामूहिक गेय लोकगीत है इस वर्ग के लोक गीतों को विभिन्न अवसरों पर स्त्री पुरुष मिलकर गाते हैं,इन गीतों मैं निर्त्य की प्रधानता है!
जब कोई वियोगिनी पति के परदेश मैं होने से दुखी होती है, तो वह अपना मनोभाव इन सब्दों मई प्रकट करती है !

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