Author Topic: Folk Songs Of Uttarakhand : उत्तराखण्ड के लोक गीत  (Read 76720 times)

Pawan Pathak

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दीपक उप्रेती
पिथौरागढ़। यो सेरि का मोत्यूं तुम भोग लगाला हो, यो गौं का भूमिया दैण हया हो। पहाड़ों में आषाढ़ और सावन के महीने में हुड़की बौल के यह स्वर अब धीरे धीरे इतिहास की वस्तु बनते जा रहे हैं। हुड़की का अर्थ हुड़का (खास पर्वतीय वाद्ययंत्र) और बौल का अर्थ श्रम है। पहाड़ के गांवों से पलायन बढ़ने के कारण खेतीबाड़ी के काम भी प्रभावित हुए हैं। रोपाई अब बहुत कम गांवों में लगाई जाती है। रोपाई के लिए लोगों को जुटाना कठिन हो जाता है। गांवों में सामूहिक श्रम की भावना कम होती जा रही है।
लोग रोपाई के लिए मजदूरों की मदद लेते हैं। हुड़की बौल रोपाई के समय प्रचलित परंपरा रही है। गांव के लोग रोपाई लगाने के लिए जुटते। एक लोकगायक हुड़के की थाप में गीत गाता और रोपाई के काम में लगे लोग उसके स्वरों को दोहराते थे। इससे लोगों का मनोरंजन भी होता और काम भी जल्दी पूरा हो जाता। संगीत और श्रम का यह अदभुत मेल अन्यत्र नहीं मिलता था।
1970 के दशक तक हुड़की बौल का प्रचलन बहुत ज्यादा था। धीरे धीरे पहाड़ के गांवों से पलायन बढ़ा, लोग रोजगार के लिए देश के शहरों में बसते चले गए। यहीं से हुड़की बौल जैसी परंपरा लुप्त होने लगी। अध्येताओं ने हुड़की बौल को पहाड़ की लुप्त हो रही परंपरा में शामिल कर दिया है। हुड़की बौल के समय गाए जाने वाले गीतों में आस्था का पुट मिलता है। भूमिया देवता से प्रार्थना की जाती है कि हुड़की बौल में शामिल सभी लोगों का भला हो-
रोपारो, तोपारो बरोबरी दिया हो,
हलिया, बल्द बरोबरी दिया हो,
हाथ दिया छाओ, बियो दियो फारो हो,
पंचनामा देवा हो। (हे पंचनाम देवताओ, रोपाई के काम में लगे सभी को बराबर का हिस्सा देना, हल जोतने वाले और बैलों को बराबर हिस्सा देना, काम में हाथ तेजी से चले और बीज पर्याप्त हो जाए।)
हुड़की बौल के समय गाए जाने वाले एक प्रमुख गीत में बैल से भी बड़ी अपेक्षा की जाती है। (ए, बैल तू सीधे सीधे चल, सींग से लेकर खुरों तक इस खलिहाल को भर दे, ऐसा प्रयत्न कर कि चारों चौकोट, तल्ला मल्ला कत्यूर, कोसी वार पार सभी घाटियां की उर्वरता इस खलिहान में आकर समा जाए।)
सैल्यो बल्दा सैल्यो, सैल्यो,
सींग के ल्याले, खुर के ल्याले,
फिरि फिरि जालै खई भरि जालै,
गाई गिवाड़ की चारों चौकोट की,
तल्ला कत्यूर की, मल्ला कत्यूर की,
कोसी वार की, कोसी पार की,
सैल्यो बल्दा, सैल्यो, सैल्यो।
हुड़की बौल के समय लोकगायक बड़ा मार्मिक आशीष देता है-
(जितनी धान की बालियां हैं उतनी ही डालियां हो जाएं, जितने गट्ठर हैं, उतने ही अनाज से भरे गोदाम हो जाएं।)
जतुक बाली, ततुक डाली,
जतुक खारा, ततुक भकारा।
राइस बाउल का अस्तित्व अब नहीं
पिथौरागढ़। पिथौरागढ़ नगर के जिस इलाके में अब सेना की छावनी और नैनीसैनी हवाईपट्टी बनी है, उसे एठकिंसन ने अपने हिमालयन गजेटियर में राइस बाउल की संज्ञा दी थी। 1960 से पहले पिथौरागढ़ के इन खेतों में धान की खेती होती थी। रोपाई लगती थी। अब यहां पर सिर्फ मकानों के ढांचे खड़े हो गए हैं।
सामूहिक श्रम की भावना समाप्त
पिथौरागढ़। सोर की लोकथात पुस्तक के लेखक पद्मा दत्त पंत ने अपनी पुस्तक में जिन लुप्तप्राय परंपराओं का जिक्र किया है, उनमें हुड़कीबौल भी शामिल है। हुड़की बौल की परंपरा लुप्त होने से सामूहिक श्रम की भावना भी समाप्त हो रही है। पहाड़ की अर्थ व्यवस्था के लिए यह लक्षण बेहद खतरनाक है।
पहाड़ पर लुप्त हो चुकी हुड़की बौल की परंपरा


Source: http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20140726a_004115015&ileft=689&itop=772&zoomRatio=276&AN=20140726a_004115015

Tag: Hudka, Baul, Ropai, Folk, Music

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पुत्र जन्म पर गढ़वाल का एक लुप्त होता एक लोक गीत



जा धौं भौंरा माजी का पास हमारि

जा धौं भौंरा कुशल मंगल बोल आई

जा धौं भौंरा बाबा जी क पास हमारि

कल्याण बोल आई , कुशल मंगल सुणाइ

धियाण तुमारी मै बोलणि भौंरा

जा धौं भौंरा भै क पास तू मेरा

जा धौं भौंरा कुशल मंगल सुणाइ

बैण तुमारि मै, बोलणि भौंरा

धियान तुमारी माजी जाळ तोड़यो

धियान तुमारी माजी रण जीत्यो

जा धौं भौंरा माजी का पास हमारि

Curtsey –Helle Primdahl (3)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ल, राग रागिनी- 37

स्थाई -

ऋद्धि को सुमिरों सिद्धि को सुमिरों सुमिरों सारदा माई।

अर सुमिरों गुरु अविनाशी को , सुमिरों कृष्न कनाई।

सहायक

सदा अमर नि रैंदी धरती माता , बजर पड़े टूट जाई।

अमर नि रैंदा चंद , सुरजि छुचा , मेघ घिरे छिप जाई।।१।।

माता रोये जनम कूं , बहिन रोये, बहिन रोये छै मासा।

तिरिया रोये डेढ़ घड़ी कूँ , आन करे घर बासा।।२।।

कागज़ पतरी सब कुई बांचे करम नि बांचे कुई।

राज घरों को राजकुंवर , बुबा करणी जोग लिखाई।। ३ ।।

सुन रै बेटा गोपीचंद जी बात सुनो चित लाई।

कंचन कया , कंचन कामिनी मति कैसे भरमाई।। ४।।

डळयों के गीत खड़ी बोली अथवा ब्रज भाषा में होते हैं। डळया गुरु एकतारा के साथ बजाते हुए गीत गातें हैं।

एकतारे के बोल इस प्रकार हैं -

द र र द । र र द र । द र र द । र र द र

स्थाई -



ध#रे रे रे मप । रे म ध प । म - प प । प प ध प

मरे म म ध । प म म म । मम पम मम मरे । रे - - -

प रे

ध#रे रे रे मप । रे म ध प । म - प प । प - ध पम

मरे म म ध । प म म म । मम पम मम मरे । रे - - -

अंतरा

ध रें रें रें । रें - रें - । ध सां सां - । सां - धप मम

म रें म ध । प - म प । मम पममम मरे । र- - - -

प रे

ध#रे रे रे मप । रे म ध प । म - प प । प - ध पम

म रे म ध । प म म म । मम पम मम मरे । रे - - -

शेष अंतराएँ ऐसी ही गायी जाएँगी

s =आधी अ

@ - नीचे अर्धचन्द्राकार चिन्ह

# चिन्ह नीचे बिंदी का है जैसे फ़ारसी शब्दोँ में लगता हैं

मूल संगीत लिपि -केशव अनुरागी , नाद नंदनी (अप्रकाशित )
संदर्भ - डा शिवा नंद नौटियाल , गढ़वाल के लोकनृत्य गीत
इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गढ़वाली लोक नृत्यगीत- संगीत (गढ़वाली लोक नाटकों ) में शास्त्रीय संगीत स्वर लिपि, ताल, राग रागिनी- 35

जमुना पार होलू कंसु को कंसकोट
जमुना पार होलू गोकुल बैराट
कंसकोट होलू राजा उग्रसेन
तौंकी राणी होली राणी पवनरेखा
बांयीं कोखी पैदा पापी हरिणा कंश
दांयी कोखी पैदा देवतुली देवकी
ओ मदु बामण लगन भेददा
आठों गर्भ को होलू कंसु को छेदक
हो बासुदेव को जायो प्रभो , जसोदा को बोलो
देवकी नंदन प्रभो , द्वारिका नरेश
भूपति-भूपाल प्रभो , नौछमी नारेणा
भगत वत्सल प्रभो , कृष्ण भगवान्
हो परगट ह्व़े जाण प्रभो, मृत्यु लोक मांज
घर मेरा भगवान अब , धर्म को अवतार
सी ल़ोल़ा कंसन व्हेने , मारी अत्याचारी
तै पापी कंसु को प्रभो कर छत्यानाश
हो देवकी माता का तैंन सात गर्भ ढेने
अष्टम गर्भ को दें , क्या जाल रचीने
अब लगी देबकी तैं फिलो दूजो मॉस
तौं पापी कंस को प्रभो, खुब्सात मची गे
हो क्वी विचार कौरो चुचां , क्वी ब्यूँत बथाओ
जै बुधि ईं देवकी को गर्भ गिरी आज
सौ मण ताम्बा की तौन गागर बणाई
नौ मण शीसा को बणेइ गागर की ड्युलो
हो अब जान्दो देवकी जमुना को छाल
मुंड मा शीसा को ड्युलो अर तामे की गागर
रुँदैड़ा लगान्द पौंछे , जमुना का छाल
जसोदा न सुणीयाले देवकी को रोणो
हो कू छयी क्या छई , जमुना को रुन्देड
केकु रूणी छई चूची , जमुना की पन्दयारी
मैं छौं हे दीदी , अभागी देवकी
मेरा अष्टम गर्भ को अब होंदो खेवापार
हो वल्या छाल देवकी , पल्या छाल जसोदा
द्वी बैणियूँ रोणोन जमुना गूजीगे
मथुरा गोकुल मा किब्लाट पोड़ी गे
तौं पापी कंस को प्रभो , च्याळआ पोड़ी गे
हो अब ह्वेगे कंस खूंण अब अष्टम गर्भ तैयार
अष्टम गर्भ होलो कंस को विणास
अब लगी देवकी तैं तीजो चौथो मॉस
सगर बगर ह्व़े गे तौं पापी कंस को
हो त्रिभुवन प्रभो मेरा तिरलोकी नारेण
गर्भ का भीतर बिटेन धावडी लगौन्द
हे - माता मातेस्वरी जल भोरी लेदी
तेरी गागर बणे द्योलू फूल का समान
हो देवकी माता न अब शारो बांधे याले
जमुना का जल माथ गागर धौरयाले
सरी जमुना ऐगे प्रभो गागर का पेट
गागर उठी गे प्रभो , बीच स्युन्दी माथ
हो पौंची गे देवकी कंसु का दरबार
अब बिसाई देवा भैजी पाणी को गागर
जौन त्वेमा उठै होला उंई बिसाई द्योला
गागर बिसांद दें कंस बौगी गेन
अब लगे देवकी तैं पांचो छठो मास
तौं पापी कंस को हाय टापि मचीगे
हो- अब लागी गे देवकी तैं सतों आठों मॉस
भूक तीस बंद ह्व़े गे तौं पापी कंस की
हो उनि सौंण की स्वाति , उनि भादों की राती
अब लगे देवकी तैं नवों-दसों मास
नेडू धोरा ऐगे बाला , तेरा जनम को बगत
अब कन कंसु न तेरो जिन्दगी को ग्यान
हो! पापी कंस न प्रभो , इं ब्युन्त सोच्याले
देवकी बासुदेव तौंन जेल मा धौरेन
हाथुं मा हथकड़ी लेने , पैरूँ लेने बेडी
जेल का फाटक पर संतरी लगे देने
हो उनि भादों को मैना उनि अँधेरी रात
बिजली की कडक भैर बरखा का थीड़ा
अब ह्वेगे मेरा प्रभो ठीक अद्धा रात
हो , हाथुं की हथकड़ी टूटी , टूटी पैरों की बेडी
जेल का फाटक खुले धरती कांपी गे
अष्टम गर्भ ह्व़ेगी कंस को काल
जन्मी गे भगवान् प्रभो , कंसु की छेदनी

संपूर्ण पूर्ण सप्तकी

ढोल -दमाऊ के बोल - झे ग तु । झे झे इ । झे ग तु । झे झे इ

स्थायी चरण -
ध ध ध । सा - सा । रे म प । म रे म
ज मु ना । पा s र । हो s लू । s कं s
म प - । रे - धसा । रे - - । रे सा ध
सु को s । कं s स । को s s । ट s s

सा ध ध । सा - सा । रे म प । म रे म
ज मु ना । पा s र । हो s लू । s कं s
म प - । रे - सा । घरे@ - - । रे - -
सु को s । कं s स । को s s । ट s s

अंतरा -
ध ध ध । सां - सां । रें - सां । - सां ध
ज मु ना । पा s र । हो s लू । s गो s
सां सां - । सां धप@ मरे@ । म - प । मरे@ साध @ रेसा @

कु ल s ।बै s s । रा s ट । s ss s
ध ध ध । सा - सा । रे म प । म रे म
ज मु ना । पा s र । हो s लू । s गो s
म प - । रे - सा । घरे@ - - । रे - -
कु ल s ।बै s s । रा s ट । s s s
इसी तरह सभी चरणो की प्रथम पंक्ति स्थाई और द्वितीय पंक्ति अंतरा में गायी जायेंगी।
ध - इस सारे गीत ध# है

s =आधी अ

@ - नीचे अर्धचन्द्राकार चिन्ह

# चिन्ह नीचे बिंदी का है जैसे फ़ारसी शब्दोँ में लगता हैं

मूल संगीत लिपि -केशव अनुरागी , नाद नंदनी (अप्रकाशित )
संदर्भ - डा शिवा नंद नौटियाल , गढ़वाल के लोकनृत्य गीत
इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दशोटण /दशूटन अथवा नामकरण संस्कार का जौनpuri -गढ़वाली लोक गीत
बोला बोला सगुन बोला , बोला बोला सगुन बोला
गणपति आंगुणी बढ़ई बाजे ,गणपति आंगुणी बढ़ई बाजे
सुधि -बुधि देवी का आनंद छाये ,सुधि -बुधि देवी का आनंद छाये
विष्णु जी का आंगुणी बढ़ई बाजे ,विष्णु जी का आंगुणी बढ़ई बाजे
लक्ष्मी जी का आंगुणी बढ़ई बाजे ,लक्ष्मी जी का आंगुणी बढ़ई बाजे
ब्रह्मा जी का आंगुणी बढ़ई बाजे, ब्रह्मा जी का आंगुणी बढ़ई बाजे
ब्रह्माणी जी का आंगुणी बढ़ई बाजे, ब्रह्मणी जी का आंगुणी बढ़ई बाजे
नारैण जी का आंगुणी बढ़ई बाजे, नारैण जी का आंगुणी बढ़ई बाजे
बाबा जी का आंगुणी बढ़ई बाजे, बाबा जी का आंगुणी बढ़ई बाजे
माँ जी का आंगुणी बढ़ई बाजे, माँ जी का आंगुणी बढ़ई बाजे
धौळी जी का आंगुणी बढ़ई बाजे, धौळी जी का आंगुणी बढ़ई बाजे
तू ह्वेलु बेटा देवतौं को जायो
तू ह्वेलु बेटा कुल को उज्याळो
आज जाया तेरा नाम धर्याले
तू जाया कुल को राखी नाउ

(Reference- Madhuri Manuraj Barthwal, Shailvani Tritiy Varshik Visheshank, 2004, page 63)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गढ़वाली -कुमाउनी प्रेम लोकगीतों में उपमा

सिर धौंपेली लटकाई कनी?
संदर्भ : डा नन्द किशोर हटवाल
इंटरनेट प्रस्तुति : भीष्म कुकरेती

सिर धौंपेली लटकाई कनी,
काला सर्प की केंचुली जनी !
सिंदुर से भरी मांग कनी,
नथुला मा गड़ी नगीना जनी !
सी आँखि सरमीली कनी ,
डांडू मा खिलीं बुरांसी जनी !
मुखडी को रंग कनो ,
बाल सूरज को रंग जनो !
ओंठु का बीच दांतुड़ी कनी ,
गंठ्याई मोत्यूं माल जनी !
स्वर मिठास कनी ,
डांड्यों मा बासदी हिलांस जनी

Thanking You .
Jaspur Ka Kukreti

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गढ़वाली -कुमाउनी प्रेम लोकगीतों में उपमा

सिर धौंपेली लटकाई कनी?
संदर्भ : डा नन्द किशोर हटवाल
इंटरनेट प्रस्तुति : भीष्म कुकरेती

सिर धौंपेली लटकाई कनी,
काला सर्प की केंचुली जनी !
सिंदुर से भरी मांग कनी,
नथुला मा गड़ी नगीना जनी !
सी आँखि सरमीली कनी ,
डांडू मा खिलीं बुरांसी जनी !
मुखडी को रंग कनो ,
बाल सूरज को रंग जनो !
ओंठु का बीच दांतुड़ी कनी ,
गंठ्याई मोत्यूं माल जनी !
स्वर मिठास कनी ,
डांड्यों मा बासदी हिलांस जनी

Thanking You .
Jaspur Ka Kukreti

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हिमाचल का राजा करदा कन्या कु दान
पारवती संग फेरा फेरदा शंकर भगवान
नारायण नारायण
हिमवंत देश होला त्रिजुगीनारायण
देवतों माँ देव ठुला त्रिजुगीनारायण

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मालुरा हरियालु डांना का पार, मालुरा हरियालु डांना का पार, मालुरा हरियालु डांना का पार

के उलि बुरुंजि कि भलि फुलि रैछ, के उलि बुरुंजि कि भलि फुलि रैछ
रंगिली पिछौड़ि ढलकि ढकि रैछ, रंगिली पिछौड़ि ढलकि ढकि रैछ
मालुरा कर ले तू सोला श्रंगार,मालुरा कर ले तू सोला श्रंगार
मालुरा हरियालु डांना का पार, मालुरा हरियालु डांना का पार

रणमणि मुरूलि के भलि बाजि रै छ, रणमणि मुरूलि के भलि बाजि रै छ
फुरि-फुरि बयार हौंसिया बगि रै छ, फुरि-फुरि बयार हौंसिया बगि रै छ
ए जा वै हौंसिया डांना का पार, ए जा वै हौंसिया डांना का पार
मालुरा कर ले तू सोला श्रंगार,मालुरा कर ले तू सोला श्रंगार
मालुरा हरियालु डांना का पार, मालुरा हरियालु डांना का पार

ए जा सुवा एजा, रुपसि मेरि भै जा, ए जा सुवा एजा, रुपसि मेरि भै जा
किलमौडि, करौंजा, काफले दाणि खैजा,किलमौडि, करौंजा, काफले दाणि खैजा
ए जा वै हरियालु यो डांना का पार, ए जा वै हरियालु यो डांना का पार
मालुरा कर ले तू सोला श्रंगार,मालुरा कर ले तू सोला श्रंगार
मालुरा हरियालु डांना का पार, मालुरा हरियालु डांना का पार

खित खित हँसिणी मुखड़ी तू दिखै जा, खित खित हँसिणी मुखड़ी तू दिखै जा
बांजे डाई स्योआ हौंसिया मेरी आजा ,बांजे डाई स्योआ हौंसिया मेरी आजा
मालुरा जौवन छो दिन चार, मालुरा यौवन यो दिन चार
मालुरा हरियालु डांना का पार, मालुरा हरियालु डांना का पार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Gopal Babu Goswami song'

धन मेरा भारता मैं तेरी बलाई ल्यूंल, धन मेरो पहाड़ा मैं तेरी बलाई ल्यूंल
जनम जनम मैं तेरी सेवा मे रूंल, तेरी सेवा लिजीया मैं ज्यून रूनो मरुलों
धन मेरा भारता मैं तेरी बलाई ल्यूंल, धन मेरा भारता मैं तेरी बलाई ल्यूंल
धन मेरो पहाड़ा मैं तेरी बलाई ल्यूंल, जनम जनम मैं तेरी सेवा मे रूंल,

तेरी सेवा लिजीया मैं ज्यून रूनो मरुलों, धन मेरा भारता मैं तेरी बलाई ल्यूंल
तेरी माटी चन्दणा में ख्वार लगूने रौंल,तेरी माटी चन्दणा में ख्वार लगूने रौंल
तेरी पीड़ा मिटोलों में गीत लिखने रौंल, तेरी पीड़ा मिटोलों मे गीत लिखने रौंल
सितिया भै बैणा के धाक लगूने रौंल, सितिया भै बैणा के धाक लगूने रौंल
हिट कै-कै बैरा मैं सितियों के जगूलो,तेरी लीला शक्ति की जोत जगूने रौंल
धन मेरो पहाड़ा मैं तेरी बलाई ल्यूंल,धन मेरो पहाड़ा मैं तेरी बलाई ल्यूंल

धन मेरो पहाड़ा मैं तेरी बलाई ल्यूंल,धन मेरो पहाड़ा मैं तेरी बलाई ल्यूंल
धन मेरा भारता मैं तेरी बलाई ल्यूंल, धन मेरा भारता मैं तेरी बलाई ल्यूंल
मैं तेरी सेवा मे रूंल,मैं तेरी सेवा मे रूंल,मैं तेरी सेवा मे रूंल

 

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