Author Topic: Folk Songs Of Uttarakhand : उत्तराखण्ड के लोक गीत  (Read 76195 times)

Bhishma Kukreti

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Garhwali , Kumaoni Social Awareness,    Folk Songs,

डिग्गी को पाणी  (जन चेतना लोकनृत्य गीत )


स्रोत्र - डा नन्द किशोर हटवाल , उत्तराखंड के चांचड़ी गीत एवं नृत्य
इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती

साबासी सपूत , डिग्गी को पाणी
हे लोड़ा बागसिंग , डिग्गी को पाणी
ग्यों पूळौ  गड्यायी , डिग्गी को पाणी
क्वलासीरा को पाणी , डिग्गी को पाणी
मम्वोटा पौन्छायो, डिग्गी को पाणी
साबासी सपूत , डिग्गी को पाणी
मम्वोटा कू पाणी , डिग्गी को पाणी
काँडै गौं पौंछाई , डिग्गी को पाणी
साबासी सपूत , डिग्गी को पाणी
कर्जा ह्वे ग्ये भारी , डिग्गी को पाणी
चल ब्यटा बेटा दुबलसिंग , डिग्गी को पाणी
नौकरी जयौंला , डिग्गी को पाणी
साबासी सपूत , डिग्गी को पाणी
यो बड़ो धरम , डिग्गी को पाणी
हे म्यरा सपूत , डिग्गी को पाणी
कन धरम करी , डिग्गी को पाणी
कठैतों का बेटा , डिग्गी को पाणी
फरस्वाणो का भाणजा, डिग्गी को पाणी 
साबासी सपूत , डिग्गी को पाणी
कन पाणी पौँछाये , डिग्गी को पाणी
पराळे की घूसी , डिग्गी को पाणी
काँडै गौंकी ब्वार्यौ , डिग्गी को पाणी
कन ह्वे गे खुसी , डिग्गी को पाणी
बाँजै की जौड्यूं , डिग्गी को पाणी
ठंडो नीर जल , डिग्गी को पाणी
साबासी सपूत , डिग्गी को पाणी


 
Copyright@ Bhishma Kukreti for interpretation if any

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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धन्य -धन्य भगत सिंहा

(सन्दर्भ :डा त्रिलोचन पांडे :कुमाउनी भाषा और साहित्य )

(इंटरनेट प्रस्तुती व व्याख्या - भीष्म कुकरेती )

धन्य -धन्य भगत सिंहा , धन्य तुम हणि I

पाणि को पिजिया बीरा , पाणि को पिजिया I

फांसी हणि गयो वीरा , आजादी को लिजिया I

हल हल आमाँ वीरा , हल हल आमाँ I

आहा ते वीरा कैं फांसी है , सात बाजी शामा I

आबा न्है गया वीरा , बैकुंठ का धामा I

तै वीरा आया हो वीरा , फूलों का विमाना I

खेली हाल तास वीरा, खेली हाल तासा I

भारत माँ छ्पो वीरा , तेरो इतिहासा I

लसी पसी खीरा देशा , लसी पसी खीरा I

भारत जाहिर है गे , तेरी तसबीरा

O Bhagat Singh! We are obliged; we are obliged by your Sacrifice

O Bhagat Singh! For your fight for independence, you were hanged

O Bhagat Singh! At seven o clock evening, you were hanged

O Bhagat Singh! You reached to heaven

The flower airplane came to take brave Bhagat Singh

O Bhagat Singh! Your history is published in India

O Bhagat Singh! Your photographs are seen all over India

Copyright (Interpretation) @ Bhishma Kukreti, bckukreti@gmail.com 14/8/2013

Folk Songs from Kumaon-Garhwal-Haridwar (Uttarakhand) to be continued…316

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हर्षु मामा तंद्या ये तितांदा..
हर्षु मामा तंद्या ये तितांदा..}

हर्षु मामा राना कन ल्योनी ..
हर्षु मामा ..सिरमौरया बांद..
सभी गुणों माँ हरी भरी हो जो ..
मुखडी जनि गैनो मा की चाँद ...

हर्षु मामा राना कन ल्योनी .रे..
हर्षु मामा ..सिरमौरया बांद..

हर्षु मामा घोटी जालो रेठो ..
हर्षु मामा घोटी जालो रेठो ..

{हर्षु मामा घोटी जालो रेठो ..
हर्षु मामा घोटी जालो रेठो ..}

हर्षु मामा ब्योला यन खुजे दे ..
हर्षु मामा घर जवें जो बेठो ..

{
हर्षु मामा ब्योला यन खुजे दे ..
हर्षु मामा घर जवें जो बेठो ..}

दिन मा करो मेरी सेवा पाणी ..
रात माँ वो वाडा जेक बेठो ...

{
दिन मा करो मेरी सेवा पाणी ..
रात माँ वो वाडा जेक बेठो ...}

हर्षु मामा ब्योला यन खुजे दे ..रे .
हर्षु मामा घर जावे जो बेठो ..

हर्षु मामा दुरेटा की ग्वाली ..
हर्षु मामा दुरेटा की ग्वाली ..
हर्षु मामा ..कु छ ये जबोडय...
हर्षु मामा ...हर्षु मामा घर्जवें वाली ..

हर्षु मामा ..क्या छ कारोबार..
पुछदे मामा कती छ मुयाली ..
हर्षु मामा ..क्या छ कारोबार..रे
पुछदे मामा कती छ मुयाली ..

हर्षु मामा दूध भरी पारी ..
हर्षु मामा दूध भरी पारी ..
{हर्षु मामा दूध भरी पारी ..
हर्षु मामा दूध भरी पारी ..}

मेरा बाबा का सिउ का बगीचा ..
दूर दूर ते सटी ग्यु की सारी ..
{मेरा बाबा का सिउ का बगीचा ..
दूर दूर ते सटी ग्यु की सारी ..}

मेरा भेजी का आलु का फर्म ..
बिज़नेस तिमाटर कु भारो ...
{मेरा भेजी का आलु का फर्म ..
बिज़नेस टीमाटर कु भारी ...}

मेरा भेजी का आलु का फर्म ..रे
बिज़नेस टीमाटर कु भारी ..

हर्षु मामा ..काटी जालो धोलो ..
हर्षु मामा ..काटी जालो धोलो ..
हर्षु मामा ..काटी जालो धोलो ..
हर्षु मामा ..काटी जालो धोलो ..

हर्षु मामा मेरी हां करे दे ...
इए बांद को घर जवें रोलु ...
हर्षु मामा मेरी हां करे दे ...
इए बांद को घर जवें रोलु ...

दिन करोलू इकी सेवा पानी ..
रात लिक वोडा भीतर सोलू ..
दिन करोलू इकी सेवा पानी ..
रात लिक वोडा भीतर सोलू ..

दिन करोलू इकी सेवा पानी ..रे
रात लिक वोडा भीतर सोलू ..

हर्षु मामा गोजाला की गोज ..
हर्षु मामा गोजाला की गोज ..
{हर्षु मामा गोजाला की गोज ..
हर्षु मामा गोजाला की गोज ..}

हर्षु मामा मेरा सिरमौर ..
हर्षु मामा थोला मेला की मोज ..
{हर्षु मामा मेरा सिरमौर ..
हर्षु मामा थोला मेला की मोज ..}

त्यावारो मा नाचना की रित ..
बहर भीतर सभी धरयु की मोज ..

{त्यावारो मा नाचना की रित ..
बहर भीतर सभी धरयु की मोज ..ञ

त्यावारो मा नाचना की रित ..रे
बहर भीतर सभी धरयु की मोज ..

हर्षु मामा मै पसंद एय गे ..
हर्षु मामा सिरमौर्य बांद ...

हर्षु मामा मै भी खूब लेगे ..
हर्षु मामा यो छबीलो ज्वान ..

हर्षु मामा मै पसंद एय गे ..
हर्षु मामा सिरमौर्य बांद ...

हर्षु मामा मै भी खूब लेगे ..
हर्षु मामा यो छबीलो ज्वान ..

हर्षु मामा मै पसंद एय गे ..
हर्षु मामा सिरमौर्य बांद ...

हर्षु मामा मै भी खूब लेगे ..
हर्षु मामा यो छबीलो ज्वान ..

कण लगा जी जरूर बतवा जी
हर्षु मामा तंद्या ये तितांदा..
उत्तराखंडी गीत
उत्तराखंडी भाषा को बढ़वा देने के लिये
उत्तराखंड मनोरंजन
बालकृष्ण डी ध्यानी
-देवभूमि बद्री-केदारनाथ
अब भोळ भेंट हुली जी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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टक टका टक कमला बडुळि लगा ये

टक..... टक.....टक

टक टका टक कमला बडुळि लगा ये
परदेशा मुल्क मै घर बोला ये ……२

जब आली दगडा परदेश घुमोलो
माया की डाले मा घर -बार भानोलो …२
टक टका टक कमला बटुली लगा ये

अकेली ना सोचे दगडो भानोलो …२
कमला परदेश मा साथ घुमोलो…२
टक टका टक कमला बटुली लगा ये
परदेशा मुल्क मै घर बोला ये

चिठ्ठी दिए जडूड मै आश लै रो लो…२
तेरी फोटो देखी बे मै रात कटूलो…२
टक टका टक कमला बटुली लगा ये
परदेशा मुलक मै घर बुलाये ।

महण दिन हेगे न चिठ्ठी पतर…२
कैसी माया दी ये मेरी डियूटी बोडरा…२
टक टका टक कमला बटुली लगा ये
परदेशा मुलक मै घर बुलाये ।

कण लगा जी जरूर बतवा जी
परदेशा मुलक मै घर बुलाये
उत्तराखंडी गीत
उत्तराखंडी भाषा को बढ़वा देने के लिये
उत्तराखंड मनोरंजन
बालकृष्ण डी ध्यानी
-देवभूमि बद्री-केदारनाथ
अब भोळ भेंट हुली जी —

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रा मुलुक मेला एजई ईईई ...
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई ईईई .. --२

कोरस : मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई ईईई ... --२

कोरस :हो हो हो अ हो हो हो हो हो अ हो हो

चिलामी को पिच सुरमा चिलामी को पिच. --२
भंडी दीनो बटी क सुरमा तेरी खुद लगी च.

कोरस:तेरी खुद लगी च सुरमा तेरी खुद लगी च

उखी चरखी रिथैए , सुरमा,उखी खताएइ मिठाई , सुरमा
उखी मंदिर मा जुला , सुरमा,उखी पूजा पिठायी एजई ईईई ....

मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई ईईई ... --२

वोका पेराई नयी सुरमा ,वोका पेराई नयी सुरमा
वोका पेराई नयी सुरमा ,वोका परायी नयी
भंडी दीनो बटी तू सुरमा सुप्नेयोमा न एयी
सुप्नेयोमा न एयी सुरमा सुप्नेयोमा न ए यी
उखी लगोलो बाज़ार सुरमा उखी मुल्योला हार सुरमा
उखी छुयु की बार सुरमा उखी होलू करार एजई

मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई ..
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई ..

देहि जमाई ठेकी सुरमा दही जमाई ठेकी -२
भंडी दिनों बाटिक सुरमा तेरी मुखडी नि देखि ..
कोरस:तेरी मुखडी नि देखि ..सुरमा
मुखडी नि देखि ..

उखी डालों का छेला सुरमा उखी रंषा झुमेला मेला सुरमा
उखी डेलू सुराक सुरमा सम्लोना रूमेला एजई ..

मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई ..
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई ..

कासु काटी घास सुरमा, कासों कासु घास... २
भंडी दिनों बिछोड सुरमा बलि जवनि को नास
कोरस: बलि जवनि को नास सुरमा बलि जवनि को नास
मेरी दिल ये दुलारी सुरमा सारी दुनिया से नयारी सुरमा
मेरा मन के पियारी सुरमा सौ बचन न हारी एजई ६

मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई ..
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई ..

दुई गति बेसाक सुरमा मेरा मुलुक मेला ..
दुई गति बेसाक सुरमा मेरा मुलुक मेला ..
मेरा मुलुक मेला एजई ईईई ...
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई ईईई ..
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई ईईई ।

मेरी सुर्मा सरेला सुरमा एजई ईईई ..

उत्तराखंडी गीत
उत्तराखंडी भाषा को बढ़वा देने के लिये
उत्तराखंड मनोरंजन
बालकृष्ण डी ध्यानी
-देवभूमि बद्री-केदारनाथ
अब भोळ भेंट हुली जी —

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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घुगुती घुरोण लगी

घुगुती घुरोण लगी म्यारा मैत की
बॉडी बॉडी आये गै ऋतू , ऋतू चैत की
घुगुती घुरोण लगी म्यारा मैत की
बॉडी बॉडी आये गै ऋतू , ऋतू चैत की
ऋतू , ऋतू चैत की

डंडी कांठियुं को ह्यू , गौली गे होलु
म्यारा मैता को बॉन , मौली गे होलु
डंडी कांठियुं को ह्यू , गौली गे होलु
म्यारा मैता को बॉन , मौली गे होलु
चकुला घोलू छोड़ी , उड़ाना व्हाळा
चकुला घोलू छोड़ी , उड़ाना व्हाळा
बेठुला मैतुड़ा कु , पैठना व्हाळा
घुगुती घुरोण लगी
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
घुगुती घुरोण लगी म्यारा मैत की
बॉडी बॉडी आये गै ऋतू , ऋतू चैत की
ऋतू , ऋतू चैत की

दंडीयुं खिलना होला , बुरॉन्सी का फूल
पठियुं हैंसणि होली , फ्योली मोल मोल
दंडीयुं खिलना होला , बुरॉन्सी का फूल
पठियुं हैंसणि होली , फ्योली मोल मोल
कुलरी फुलपाटी लेकि , देल्हियूं देल्हियूं जाल
कुलरी फुलपाटी लेकि , देल्हियूं देल्हियूं जाल
दगड्या भगयान थड्या , चौपला लागला
घुगुती घुरोण लगी हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ
घुगुती घुरोण लगी म्यारा मैत की
बॉडी बॉडी आये गै ऋतू , ऋतू चैत की
ऋतू , ऋतू चैत की

तिबारी मा बैठ्या व्हाळा बाबाजी उदास
बटु हेनी होली माजी , लगी होली सास
तिबारी मा बैठ्या व्हाळा बाबाजी उदास
बटु हेनी होली माजी , लगी होली सास
कब म्यारा मैती औजी , देस भेंटि आला
कब म्यारा मैती औजी , देस भेंटि आला
कब म्यारा भाई बेहनो की , राजी ख़ुशी ल्याला
घुगुती घुरोण लगी हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ
घुगुती घुरोण लगी म्यारा मैत की
बॉडी बॉडी आये गै ऋतू , ऋतू चैत की
ऋतू , ऋतू चैत की ऋतू , ऋतू चैत की
ऋतू , ऋतू चैत की ऋतू , ऋतू चैत की
ऋतू , ऋतू चैत की

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हे दिल्ली वाळा द्यूरा-हे दिल्ली वाळा

भावार्थ - महिला रिश्ते में देवर लगने वाले युवक से कहती है – ए दिल्ली वाले देवर जी क्या आपको दिल्ली में आते-जाते कभी अपने भैजी (बड़े भाई यानि मेरे पति) भी दिखे? युवक जवाब देता है – अरे ठोंड़ी में तिल वाली भाभी जी (दिल्ली इतनी बड़ी है) अगर भैजी का कुछ अता-पता होता तो मैं उन्हें जरूर ढूंढ कर ले आता।

महिला – बहुत साल हो गये, उनका कोई चिटठी या कोई सन्देश नहीं आया। वो जब मुझे छोड़ कर गये थे तब हमारी नयी-नयी शादी हुई थी।

युवक थोड़ा सा मजाक के लहजे में भौजी को कहता है – भैया थोड़ा रसिक मिजाज हैं। मुझे तो शक है कि वहां पर उन्होंने कोई और सुंदरी से आखें चार ना कर ली हो। महिला – हटो ऐसी मजाक मत करो, वो ऐसे नहीं हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरी याद उन्हें जरूर मुझ तक खींच कर ले आयेगी।

अन्त में युवक भाभी को दिलासा देते हुए कहता है – आप ज्यादा चिन्ता न कीजिये एक पंछी भला अपना घोंसला छोड़ कर कहाँ जा सकता है? लगता है भैजी रास्ता भटक गये हैं लेकिन मुझे पूरा यकीन है वो वापस आपके पास ही लौट कर आयेंगे। ऐसे अकेले रो-रो कर भला तुम्हारे दिन कैसे कट पायेंगे?

हे दिल्ली वाळा द्यूरा-हे दिल्ली वाळा

हे दिल्ली वाळा द्यूरा-हे दिल्ली वाळा
हे दिल्ली वाळा द्यूरा
तेरा भैजी भी देखिन्दानि त्वै, कबि आन्दा-जान्दा…… २

च्योंठी मां तिळ वाळि भौजि- च्योंठी मां तिळ वाळि
च्योंठी मां तिळ वाळि भौजि,
होन्दु क्वी अत्ता-पत्ता भैजी को त – खोजी ल्यान्दा …… २

हे दिल्ली वाळा द्यूरा,
तेरा भैजी भी देखिन्दानि त्वै , कबि आन्दा – जान्दा…… २

भंडी बरस ह्वै गिनी औंकी, चिट्ठी पतरि न खबर सार…… २
नयु नयु ब्यो हुयो छौं हमरो, छोड़ी चलि गैनि घरबार
च्योंठी मां तिळ वाळि भौजि,
होन्दु क्वी अत्ता – पत्ता भैजी को त-खोजी ल्यान्दा
तेरा भैजी भी देखिन्दानि रे, कबि आन्दा – जान्दा

मैं शक-सुभा हौंणु भौजि, फड़िकिणि छि आंखि मेरि…… २
भैजि मेरो रसिक मिजाज, क्वै बांद न हो तख धैरी
चुप ठट्ठ न कर भै द्यूरा, सन त नी छन तेरा भैजी
हट ठट्ठ न कर भै द्यूरा, सन त नी छन तेरा भैजी

छौं आस में कबि त ल्यालि, मेरि खुद तौं खैंची – खैंची

हे दिल्ली वाळा द्यूरा
तेरा भैजी भी देखिन्दानि रे, कबि आन्दा – जान्दा
तेरा भैजी भी देखिन्दानि रे, कबि आन्दा – जान्दा

फिकर नि कर ओ पन्छी, कख जालो घोल छोड़ी ?…… २
बाटो बिरड़्यु च भैजी, ऐ जालो त्वैमां बोड़ी
च्योंठी मां तिल वाळि बौजी, काटे नि तिन भि दिन-यखुलि रुन्दा-रुन्दा

हे दिल्ली वाळा द्यूरा- हे दिल्ली वाळा, हे दिल्ली वाळा द्यूरा
काटे नि तिन भि दिन- यखुलि रुन्दा – रुन्दा
काटे नि तिन भि दिन- यखुलि रुन्दा – रुन्दा
काटे नि तिन भि दिन- यखुलि रुन्दा – रुन्दा
काटे नि तिन भि दिन- यखुलि रुन्दा – रुन्दा
काटे नि तिन भि दिन- यखुलि रुन्दा – रुन्दा

हे दिल्ली वाळा द्यूरा-हे दिल्ली वाळा

.....कण लाग जी आप थे जरूर बतवा जी
उत्तराखंडी गीत अनुवाद किया है
उत्तराखंडी भाषा को बढ़वा देने के लिये
उत्तराखंड मनोरंजन
बालकृष्ण डी ध्यानी
-देवभूमि बद्री-केदारनाथ

अब भोळ भेंट हुली जी

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धार मां कु गेणुं पार देख ऐ गे
भावार्थ : युवक कहता है – देखो शाम ढलने लगी है और पहाड़ के पीछे से निकलते हुए तारे किसी गहने की तरह लग रहे हैं, सभी ग्वाले और उनके मवेशी घर के लिये निकल गये हैं बस तू ही इस खतरनाक जंगल में अकेली रह गई है।

लछी नाम की महिला अपने साथी ग्वाले से अनुनय कर रही है कि वो गाय मिल जाने तक उसका साथ दे और उसे अकेला छोड़ कर ना जाये।

लछी कह रही है – मैं सारे जंगल में उस गाय को ढूंढते-ढूंढते परेशान हो गई हूँ, देखो मेरे हाथ पैरों में कितने कांटे चुभ गये हैं. हाय! अब तो अन्धेरा छाने लगा है, मैं कैसे अब उस गाय को ढूंढू?

युवक उसे चिढाते हुए कहता है – सभी ग्वाले जब मवेशियों पर नजर रखते हुए उन्हें चराते हैं तब तो तुम जंगली फल खाने में लगी रहती हो. जानवरों पर ध्यान देने की बजाय तुम पेड़ों की छाया में आराम फरमाती हो, अब गाय की चिन्ता छोड़ो और जल्दी घर चलो, रात घिरने लगी है।

लछी चिन्तित होकर कहती है – यदि गाय नहीं मिलेगी तो मैं घर जाकर ससुराल के लोगों को क्या जवाब दूंगी? मैं यही रह जाउंगी, तुम मेरे ससुरालियों से कह देना कि लछी जंगल में मर गई है।

लछी को ज्यादा परेशान देखकर अन्त में वह युवक यह बता ही देता है कि साथ के ग्वालों ने उसके साथ शरारत की है। वह कहता है- अरे लछी तू तो खेल-खेल मैं जान देने के लिये तैयार हो गई। चिन्ता मत कर लड़के तेरी गाय को हांककर पहले ही तेरे घर पहुंचा चुके हैं। अब फटाफट घर को चल, देख अंधेरा होने लगा है।

धार मां कु गेणुं पार देख ऐ गे

धार मां कु गेणुं पार देख ऐ गे…. ग्वैर चली गेनी तू याखुली रे गे…
ओ ए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे-ओए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे..
धार मा कु गेणु पार देख ऐ गे, ग्वैर चली गेनी तू याखुली रे गे..
ओए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे-ओए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे

जागि जा रे ग्यैल्या- मि ना छोड़ी जै, जागि जा रे ग्यैल्या- मि ना छोड़ी जै…

सेरा बोण हेरी गौरु नि मिलीनि, हाथ खुट्युं म्यारा कांडा बैठी गे नि.. २
कख जू खुज्योलू रात पोड़ी गे, जागी जा रे ग्येल्या- मि ना छोड़ी जै…
ओ ए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे-ओए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे..

दगड़ा का छोरो न गोरु चरेनी, तिन डाल्यूं मां भमोरा बुखैनी.. २
गोरु नि देखि नि छेलु बैठीं रे, ओए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे…
जागी जा रे ग्येल्या- मि ना छोड़ी जै, जागी जा रे ग्येल्या- मि ना छोड़ी जै…

गौरु नि मिलला मिन घोर नी आंण, सेसुरियों तै मुख कनु के दिखाण.. २
जा तू जा रे ग्येल्या मी तैं छोड़ी दे, लछि मोरी ग्याई डेरा बोली दे.. .
ओ ए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे-ओए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे…

ना रो लछि त्यारा गौरु चलि गे नी, ग्वैरू छोरों न डेरा हके ऐ नी.. २
तू त खेलूँ मा मौरन बैठी गे,ओए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे…

जागी जा रे ग्येल्या- मि ना छोड़ी जै.
ओ ए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे…
जागी जा रे ग्येल्या- मि ना छोड़ी जै.
ओ ए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे…
धार मां कु गेणुं पार देख ऐ गे

.....कण लाग जी आप थे जरूर बतवा जी
उत्तराखंडी गीत अनुवाद किया है उत्तराखंडी भाषा को बढ़वा देने के लिये
उत्तराखंड मनोरंजन अनुवाद किया है उत्तराखंडी भाषा को बढ़वा देने के लिये
बालकृष्ण डी ध्यानी

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बिजी जा दी लाटी

.....कण लाग जी आप थे जरूर बतवा जी

भावार्थ – लाटी (प्यार भरा सम्बोधन) जल्दी से उठ, तुझे बहुत दूर अपनी ससुराल पहुंचना है, उठ और अपने बाल संवार ले। बेटी! झट से उठ, गुस्सा मत कर। तेरे आलस के कारण निकलने में देर हो गई तो तुझे अपने ससुराल पहुंचते-पहुंचते रात घिर आयेगी। जदी उठ, हाथ पैर धोकर तैयार हो जाओ, मौसम का भी कोई भरोसा नहीं है। रास्ते में भले ही तू थोड़ा आराम करने के लिये बैठ जाना लेकिन रास्ते में मिलने वाले लोगों से बातचीत ही करते न रह जाना। तुझे अकेली जाना है, इसलिये अपना ध्यान रखना और आराम से जाना।यदि भगवान की कृपा से सब कुशल-मंगल रहा तो अगले साल फिर तुझे मायके बुलाऊंगा। तू आकर कौतिक के महीने में एकाध महीने रहेगी और फिर मैं तुझे कुछ भेंट, दान-दहेज देकर विदा करूंगा।

बिजी जा दी लाटी, बिजी जा दी लाटी, पैठ दूर- च सैसुर, गाड स्युंदी पाटी
बिजी जा दी लाटी….
खड़ हो बेटि पैट लेदि, खिजेणुं नि खाणुं – खड़ हो बेटि पैट लेदि, खिजेणुं नि खाणुं
पेटद-पेटद त्वैकु रात पोड़ि जाणुं
बिजी जा दी लाटी, पैठ दूर- च सैसुर, गाड स्युंदी पाटी
बिजी जा दी लाटी……….
सल्पट्ट कैर झट्ट, हाथ खुट्टि ध्वै ले – सल्पट्ट कैर झट्ट, हाथ खुट्टि ध्वै ले
डाण्ड अफारि बथों छ्वारि, सिनकोळि जै ले
बिजी जा दी लाटी, पैठ दूर- च सैसुर, गाड स्युंदी पाटी
बिजी जा दी लाटी……….
बिसोंण बिसेलि बाटा, छुयुं मां ना रेईं – बिसोंण बिसेलि बाटा, छुयुं मां ना रेईं
यकुलि छे डेरि ना ब्वै, ठण्डु -माठु जेईं
बिजी जा दी लाटी, पैठ दूर- च सैसुर, गाड स्युंदी पाटी
बिजी जा दी लाटी……….
सुख राल हैंका साल त्वै मैत बुलोंलु – सुख राल हैंका साल त्वै मैत बुलोंलु
कौतिक ए मैनाध रे, दौंण दैज दयोलु
हुनु नु नु न अ पैठ दूर- च सैसुर, गाड स्युंदी पाटी
हुनु नु नु न अ बिजी जा दी लाटी……….हुनु नु नु न

.....कण लाग जी आप थे जरूर बतवा जी
उत्तराखंडी गीत अनुवाद किया है उत्तराखंडी भाषा को बढ़वा देने के लिये-बालकृष्ण डी ध्यानी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 गंगा जी को औत (बाजूबन्द गीत) / गढ़वाली

........कण लाग जी आप थे जरूर बतवा जी

गंगा जी की औत
तराजू ना तोली लेणा, कैकी माया भौत
तराजू ना तोली लेणा, कैकी माया भौत
तराजू ना तोली लेणा, हो.....

झंगोरा की घांण, झंगोरा की घांण
जैकी माया घनाघोरा, आंख्यूं मा पछ्याण
जैकी माया घनाघोरा, आंख्यूं मा पछ्याण
जैकी माया घनाघोरा हो.....

सड़का की घूमा, सड़का की घूमा
सदानि नि रैंद सुवा, जवानी की धूमा
सदानि नि रैंद सुवा, जवानी की धूमा
सदानि नि रैंद सुवा हो......

भिरा लीगे भिराक, भिरा लीगे भिराक
तरुणी उमर सुवा, बथौं सी हराक
तरुणी उमर सुवा, बथौं सी हराक
तरुणी उमर सुवा हो.........

घुघुती को घोल,घुघुती को घोल
मनखि माटू ह्वे जांद, रई जांदा बोल
मनखि माटू ह्वे जांद, रई जांदा बोल
मनखि माटू ह्वे जांद हो.........

गौड़ी कू मखन, गौड़ी कू मखन
दुनिया न मरि जाण, क्या ल्हिजाण यखन
दुनिया न मरि जाण, क्या ल्हिजाण यखन
दुनिया न मरि जाण, क्या ल्हिजाण यखन
दुनिया न मरि जाण हो.........

गढ़वाली गीत अनुवाद किया है गढ़वाली भाषा को बढ़वा देने के लिये
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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