कुंमाँऊनी लोक गीत ------
कै करूँ सासू लम चरयो लै रेवती बौज्यू बुड |
चपल पैरछी चुड , चुडे चल मेरी दुकाना ,चपल पैरछी चुड |
खुकुरी को म्याना , जोगी बैठी ध्याना |
च्याल वालौं का च्याला. जीरौं , फकतों की जाना |
कैकी करूँ मनवसी , कैकी अभिमाना |
नानछिना की पिरीति की त्वे नि रूनी फामा |
करी गेछे वो खडयूँणी रुख डावा चाणा |
चपल पैरंछी चुड , चुडे चल मेरी दुकाना ,चपल पैरछी चुड |
कै करूँ सासू ठुल कुडैलै रेवती बौज्यू बुड |
मडुवे की मानी , जतिये की कानी ,
जैकि हूँ फोसडी खोरी पापिणी उ धिनाली नी खानी |
जनम सबूं ले लियो छ पापिण करमै कि खानी |
चपल पैरछी चुड , चुडे चल मेरी दुकाना ,चपल पैरछी चुड |
केलडी को खाना , धुरी पाको आमा |
नानछिना की पिरीति की त्वे धरिये फामा |
चपल पैरछी चुड , चुडे चल मेरी दुकाना ,चपल पैरछी चुड |
कै करूँ सासू लम चरयो लै रेवती बौज्यू बुड |
कै करूँ सासू ठुल कुडैलै रेवती बौज्यू बुड |
भावार्थ
क्या करूँ सास जी , लम्बे मंगल सूत्र से रेवती के पिता जी अर्थात :मेरे पति तो बूढ़े हैं |
चप्पल पहनोगी या चूडियाँ , चलो मेरी दुकान में चलो |
चप्पल पहनोगी या चूडियाँ , चलो मेरी दुकान में चलो |
खुकुरी की म्यान , योगी ध्यान - मग्न बैठा है ,
सन्तान वालों के पुत्र चिरजिंवी हों , और कुवारे दीर्घायु हों |
किस - किस की मर्जी पूरी करूँ और किस पर घमंड करूँ |
तुम्हें तो तुम्हारी वल्यापन की प्रीति याद ही नहीं रहती |
बुरा हो तेरा , मुझे तो तू बिलकुल एकांकी छोड़ गई |
चप्पल पहनोगी या चूडियाँ , चलो मेरी दुकान में चलो |
सास जी , मैं क्या करूँ इस बड़े मकान से , रेवती के पिता जी तो बूढ़े हैं |
मडुवा का भूसा , भैसे के कंधे ,
जिसका भाग्य ही रुखा हो उसे दही - दूध क्या मिलेगा ?|
जन्म तो सभी ने लिया है , पर तुम तो भाग्य की खान जन्मी हो |
चप्पल पहनोगी या चूडियाँ , चलो मेरी दुकान में चलो |
केले के वृक्ष का ताना , बगिया में आम पक गए ,
हमारी बचपन की प्रीति को याद रखना तुम |
चप्पल पहनोगी या चूडियाँ , चलो मेरी दुकान में चलो |
क्या करूँ सास जी , लम्बे मंगल सूत्र से मैं , ओ सास जी , रेवती के पिता जी तो बूढ़े हैं |
सास जी , मैं क्या करूँ इस बड़े मकान से , रेवती के पिता जी तो बूढ़े हैं |