Uttarakhand > Music of Uttarakhand - उत्तराखण्ड का लोक संगीत
Folk Songs on Market,Fairs & Jeeja Saali etc - बाजारों, मेलो एव जीजा साली पर गीत
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
केकु बाबाजीन मिडिल पढायो
इंटरनेट प्रस्तुति -भीष्म कुकरेती
केकु बाबाजीन मिडिल पढायो
केकु बाबाजीन मिडिल पढायो
केकु बाबाजीन राठ बिवायो
बाबाजीन देनी सैंडल बूट
भागन बोली झंगोरा कूट ।
बाबाजीन दे छई मखमली साड़ी
सासू नी देंदी पेट भर बाड़ी ।
जौं बैण्योंन साड़ी रौल्यों क पाणी
वा बैणि ह्वे गए राजों क राणी ।
जौं बैण्योंन काटे रौल्यों को घास
वा भूली गै राजों का पास ।
मै छंऊ बाबा राजों का लेख
तब मी पाए सौंजड्या बैख ।
दगड्या भग्यानो की जोड़ी सौंज्यड़ी
मेरी किस्मत मा बुड्या कोढ़ी ।
बांठा पुंगड़ा लड़बड़ी तोर
नी जैन बुड्या संगरादी पोर ।
बाबाजीन दे छई सोना की कांघी
सासू ना राखी छै मैना राखी ।
(गीत संकलन : डा कुसुम नौटियाल , गढ़वाली नारी : एक लोकगीतात्मक पहचान)
By - Bhishma Kukreti
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Mahi Singh Mehta
9 hrs ·
नन्द हटवाल जी किताब 'चाचड़ी झुमाको' से यह बहुत पुराना चाचरी (लोक गीत) है! मै बचपन में अपने गाव में इस गीत को लोगो को स्थानीय मेले में गाते हुए सुनता था!
इंटरनेट प्रस्तुति - एम एस मेहता
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माछी न बगनि, दादू लफटना
हँसिया पराणी, मेरी लफटना !!
रई न सकनी, दादू लफटना !
ओ दोलकी कमाक, भुलु गावरला !
खुट कान छना बुडा, भुलु गावरला !!
यो छोड़ि छ कामक, भुलु गावरला!
पड़ि झन फुटा, दादु लफटना !
राम लक्ष्मण, कसी लफटना !
जोड़ी झन टूटी, दाज्यू लफटना !!
तू हे कुलो उँछ, कटे लफटना !
तुमुली क पात, भुलु गावरला !
संग हैजा सोवती, का गावरला !!
लम्बी है जो रात, भुलु गावरला !
सूपा भरी धान, दादु लफटना !
झिट घडी, झिट घडी लफटना !!
चाचरी में ध्याना, दादु लफटना !
सानंड़ की राउळी, भुलु गावरला!
भोलू पोरियु बटी, भुलु गावरला !!
कौनो जै के रौली, भुलु गावरला !
ईसाई के रेट रेट, भुलु गावरला !
ईसाई के रेट रेट, भुलु लफटना !!
काक तुमि काक, हमि लफटना !
आज है रे भेट, दाज्यू लफटना !!
इंटरनेट प्रस्तुति - एम एस मेहता - साभार-नन्द हटवाल जी किताब 'चाचड़ी झुमाको'
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
ए संज्या झुकि गेछ भगवान , नीलकंठ हिवाला |
ए संज्या झुकि गेछ हो रामा, अगास रे पताला|
ए संज्या झुकि गेछ भगवाना ,नौ खंडा धरति मांझा|
नौ खंडा धरति हो रामा , तीन हो रे लोका |
के संज्या झुकि गेछ भगवाना ,के संज्या झुकि गेछ |
के संज्या झुकि गेछ रामा ,कृष्ण ज्यु की द्वारिका |
हो के संज्या झुकि गेछ हो रामा , यो रंगीली वेराटा|
के संज्या झुकि गेछ भगवाना , यो पंचवटी मांझा |
के संज्या झुकि गेछ हो रामा ,रामाज्यु की अजुध्या |
के संज्या झुकि गेछ भगवाना , कौरवुं को बंगला |
के संज्या झुकि गेछ हो रामा ,यो गेली समुन्दरा|
के संज्या झुकि गेछ भगवाना ,पंचचुली का धुरा |
के संज्या झुकि गेछ हो रामा ,हारीहरा हरिद्वारा|
के संज्या झुकि गेछ भगवाना ,सप्ता रे सिन्धु ,पंचा रे नंदा |
ए संज्या झुकि गेछ हो रामा ,सुनै की लंका धामा ||
(कुमांऊँ का लोक साहित्य से ) - Internet Presentation - Prayag Joshi
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कुंमाँऊनी लोक गीत ------
कै करूँ सासू लम चरयो लै रेवती बौज्यू बुड |
चपल पैरछी चुड , चुडे चल मेरी दुकाना ,चपल पैरछी चुड |
खुकुरी को म्याना , जोगी बैठी ध्याना |
च्याल वालौं का च्याला. जीरौं , फकतों की जाना |
कैकी करूँ मनवसी , कैकी अभिमाना |
नानछिना की पिरीति की त्वे नि रूनी फामा |
करी गेछे वो खडयूँणी रुख डावा चाणा |
चपल पैरंछी चुड , चुडे चल मेरी दुकाना ,चपल पैरछी चुड |
कै करूँ सासू ठुल कुडैलै रेवती बौज्यू बुड |
मडुवे की मानी , जतिये की कानी ,
जैकि हूँ फोसडी खोरी पापिणी उ धिनाली नी खानी |
जनम सबूं ले लियो छ पापिण करमै कि खानी |
चपल पैरछी चुड , चुडे चल मेरी दुकाना ,चपल पैरछी चुड |
केलडी को खाना , धुरी पाको आमा |
नानछिना की पिरीति की त्वे धरिये फामा |
चपल पैरछी चुड , चुडे चल मेरी दुकाना ,चपल पैरछी चुड |
कै करूँ सासू लम चरयो लै रेवती बौज्यू बुड |
कै करूँ सासू ठुल कुडैलै रेवती बौज्यू बुड |
भावार्थ
क्या करूँ सास जी , लम्बे मंगल सूत्र से रेवती के पिता जी अर्थात :मेरे पति तो बूढ़े हैं |
चप्पल पहनोगी या चूडियाँ , चलो मेरी दुकान में चलो |
चप्पल पहनोगी या चूडियाँ , चलो मेरी दुकान में चलो |
खुकुरी की म्यान , योगी ध्यान - मग्न बैठा है ,
सन्तान वालों के पुत्र चिरजिंवी हों , और कुवारे दीर्घायु हों |
किस - किस की मर्जी पूरी करूँ और किस पर घमंड करूँ |
तुम्हें तो तुम्हारी वल्यापन की प्रीति याद ही नहीं रहती |
बुरा हो तेरा , मुझे तो तू बिलकुल एकांकी छोड़ गई |
चप्पल पहनोगी या चूडियाँ , चलो मेरी दुकान में चलो |
सास जी , मैं क्या करूँ इस बड़े मकान से , रेवती के पिता जी तो बूढ़े हैं |
मडुवा का भूसा , भैसे के कंधे ,
जिसका भाग्य ही रुखा हो उसे दही - दूध क्या मिलेगा ?|
जन्म तो सभी ने लिया है , पर तुम तो भाग्य की खान जन्मी हो |
चप्पल पहनोगी या चूडियाँ , चलो मेरी दुकान में चलो |
केले के वृक्ष का ताना , बगिया में आम पक गए ,
हमारी बचपन की प्रीति को याद रखना तुम |
चप्पल पहनोगी या चूडियाँ , चलो मेरी दुकान में चलो |
क्या करूँ सास जी , लम्बे मंगल सूत्र से मैं , ओ सास जी , रेवती के पिता जी तो बूढ़े हैं |
सास जी , मैं क्या करूँ इस बड़े मकान से , रेवती के पिता जी तो बूढ़े हैं |
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
बीणा नि आंयां मांजी दिब डंडा ओर
रात घनाघोर माँजी रात घनाघोर
बीणा नि आंयां मांजी दिब डंडा ओर .... २
पुंगड़्यूं ब्यूं चा हे मांजी पुंगड़्यूं ब्यूं चा …२
मैं बुल्वों को मांजी जंवाई अयुं चा …२
रात घनाघोर माँजी रात घनाघोर
बीणा नि आंयां मांजी दिब डंडा ओर .... २
मरो च मलेयु मांजी मरो च मलेयु .... २
मत्नडा नि जाणा मांजी ना बनों कलेयु .... २
रात घनाघोर माँजी रात घनाघोर
बीणा नि आंयां मांजी दिब डंडा ओर .... २
मारी जाली फाल हे मांजी मारी जाली फाल … २
जंवाई नि आई मांजी मि कू आई काल .... २
रात घनाघोर माँजी रात घनाघोर
बीणा नि आंयां मांजी दिब डंडा ओर .... २
चिलमि को पिच हे मांजी चिलमि को पिच … २
मि मारियाली मांजी अदा राति बिच… २
रात घनाघोर माँजी रात घनाघोर
बीणा नि आंयां मांजी दिब डंडा ओर .... २
रोटी की टुकुड़ी हे मांजी रोटी की टुकुड़ी .... २
कनके देखलू मांजी तेरि मुखुड़ी .... २
रात घनाघोर माँजी रात घनाघोर
बीणा नि आंयां मांजी दिब डंडा ओर .... २
बीणा नि आंयां मांजी दिब डंडा ओर .... ३
उत्तराखंडी गीत बीणा नि आंयां मांजी दिप डंडा ओर
उत्तराखंडी भाषा को बढ़वा देने के लिये
उत्तराखंड मनोरंजन
बालकृष्ण डी ध्यानी
-देवभूमि बद्री-केदारनाथ
अब भोळ भेंट हुली जी
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