Author Topic: Heart Touching Songs - हृदयस्पर्शी एवं सामाजिक मुद्दों पर आधारित उत्तराखण्डी गीत  (Read 45853 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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जात-पात और धर्म समाज की चक्की मैं पिसने वाले दो प्रेमी कैसे एक दुसरे से अपने प्यार का हिजहार करते हैं वो भी एक बटोई के द्वारा ये वैरी ज़माना भी उन दोनों मिलने की इजाजत नहीं देता है जिससे की वे एक दूसरे का दर्द बाँट सके,इस गाने मैं नेगी जी ने दो प्यार करने वालों कैसे मिलाने का प्रयास किया है वो भी एक बटोई के द्वारा !


झगूली कंठयाली घास- घसेरी,झगूली कंठयाली घास- घसेरी हे
बटोई - झगूली कंठयाली घास- घसेरी,झगूली कंठयाली घास- घसेरी हे
झगूली कंठयाली हे !
तेरु मायादार मिली मैं बाटा,रौनु थौ लठयाली हे, तेरु मायादार मिली मैं बाटा,रौनु थौ लठयाली हे
रौनु थौ लठयाली हे!!

घस्यारी - थालु लायो रांसों रेबार्य बटवे,थालु लायो रांसों रेबार्य बटवे, हे
थालु लायो रांसों लो !थालु लायो रांसों लो !
बाटा-घाटा नि रौनु बोल्याला वेकु,कू फोंजालू आसूं लो
कू फोंजालू आसूं लो,कू फोंजालू आसूं लो !!

बटोई-  काटी कुलाई कैल घास-घसेरी,काटी कुलाई कैल घास-घसेरी,हे
काटी कुलाई कैल घास-घसेरी,काटी कुलाई कैल !
याखुली क्या कदी यख, जा वखी  सौंजाडया का गैल हे
वखी जा सौंजाडया का गैल हे, जा ,वखी  सौंजाडया का गैल हे !!

घस्यारी - पाणी पीनी छालु रेबार्य बटोई पाणी पीनी छालु लो !
पाणी पीनी छालु लो !
मैं बांद्युं पिंजरों को पंछी छौं कु खोलालू तालू लो
कु खोलालू तालू लो रेबार्य बटोई,कु खोलालू तालू लो !!

बटोई - अटेरी त तेल घास-घसेरी अटेरी त तेल हे
अटेरी त तेल घास-घसेरी अटेरी त तेल हे !
ना झूर तुमु द्वी झाणों को मैं मिलोलू मेल हे
मैं मिलोलू मेल घास -घसेरी मैं मिलोलू मेल हे !!

घस्यारी - हातू का कँगन रे रेबार्य बटोई,हातू का कँगन लो
हातू का कँगन रे रेबार्य बटोई,हातू का कँगन लो !
कने होण मेल बीच हमारा जाति कु बंधन  लो
जाति कु बंदन रेबार्य बटोई जाति कु बंधन लो !

बटोई - लगूली की झाली घास-घसेरी लगूली की झाली हे
लगूली की झाली घास-घसेरी लगूली की झाली हे !
फूर उडी जाण पंछी से चार दूनियाँ देखदी राली हे
फूर उडी जाण पंछी से चार दूनियाँ देखदी राली हे
दूनियाँ देखदी राली हे घास-घसेरी दूनियाँ देखदी राली हे !!

घस्यारी - पिंडालू कु पात रेबार्य बटवे  पिंडालू का पात हे
पिंडालू का पात लो  !
 निर्दयी निगोरी हिन् दूनियाँ मा मैं जनानी जात लो
मैं जनानी जात लो रेबार्य बटवे मैं जनानी जात लो !

झगूली कंठयाली घास- घसेरी,झगूली कंठयाली घास- घसेरी हे
बटोई - झगूली कंठयाली घास- घसेरी,झगूली कंठयाली घास- घसेरी हे

यम यस जाखी

Teru mayadar-Salana Syali -Narender Singh Negi

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मथि पहाड़ बटी , निस गंगाडू बटी मथि पहाड़ बटी , निस गंगाडू बटी
स्कूल ,दफतर , गोऊ , बाज़ार बटी
मन्खियु की डार धारू-धारू बटी 
हिटण लगिया छन , हिटण लगिया
हिटण लगिया छन  बैठण लगा नि  बाटा भरा छन सड़क यु मा जगा नि
हे जी कख जाणा ..................
हे जी कख जाणा छा तुम लोग
.co.......उत्तराखंड आन्दोलन मा
सभी कख जाणा छा तुम लोग
 co ........उत्तराखंड आन्दोलन मा
दीदी कख जाणा छा तुम लोग
co ........उत्तराखंड आन्दोलन मा
                         भूख न तीस न डर न फिकर चा
                         मुठ बोटी छन कसी कमर चा
                         हथ म मुछियला आँखों म अंगार
                         खुटा धरती म आकाश नजर चा
                         हिटण लगिया छन , हिटण लगिया
                         हिटण लगिया छन  बैठण लगा नि
                         बाटा भरा छन सड़क यु मा जगा नि
                         हे जी कख जाणा छा तुम लोग
                         .co.......उत्तराखंड आन्दोलन मा
काका भी दादा भी नाती सड़क मा
एक ह्वेनी सभी जाती सड़क मा
माँ बहिनों कू दुःख सड़कों मा
दुखी लाचार बुढाप सड़कों मा
बेरोजगार जवानी सड़कों मा
हिटण लगिया छन , हिटण लगिया
हिटण लगिया छन  बैठण लगा नि
बाटा भरा छन सड़क यु मा जगा नि
हे जी कख जाणा छा तुम लोग
.co.......उत्तराखंड आन्दोलन मा
सभी कख जाणा छा तुम लोग
 co ........उत्तराखंड आन्दोलन मा 
             

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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म्यारू प्यारु गढ़वाल थेकी कैकि नज़र लग गयाई
हसदा छा जख मन्खी ये रोये कख बटे आयी
म्यारू प्यारु ———————————
दुध बगदू छा जख धारू कख बटे आयी
यौ शांति का बाटा मा कलह क्यों ले आयी
छोड़ीकी अपड़ा ,प्यारु गढ़वाल
कख जाणा भुलों, कख जाणा दगडियो
म्यारू प्यारु ————————-
कुड़ो मा लगना ताला,पुगाड़ो मा जमडा घास
आलु मयारू नोऊनु ,बोडी लगाड़ी च आस
बाट दिखदा -दिखादा मा का आँख थक गैनी
म्यारा नोना जया परदेस क्याकू वापस नि एनी
म्यारू प्यारु ———————————
चुचों अपड़ा प्यारु गढ़वाल म तुमन क्या नी पाई
कूड छ पुगंडी छा ,क्याकू रास नि आयी
सब कुछ त छई तुममा क्या नि छाई
क्याकू अपणु प्यारु गढ़वाल छोड़ीकी ,मंन्खी भेरा ग्येंनी
म्यारू प्यारु गढ़वाल थेकी कैकि नज़र लग गयाई
हसदा छा जख मन्खी ये रोये कख बटे आयी
म्यारू प्यारु गढ़वाल थेकी ये केकी नज़र लग गयी .

By - (MAHENDRA PRASAD)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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भारत छोड़ो आन्दोलन के समय ‘प्रताप सिंह बोरा’ का लिखा
एक ज़ज्बाई गीत

हिटो हो ददा भुलियों आज कसम खौला,
हम आपणी जान तक देषा लिजी द्यौंला।
यो माटी मां पाई पोशी यैं हम हयां जवान,
यो माटी मा मिली जाणे दहम तुमलैं निदाना।
रणभूमि में उई मरनी जैल करा दाना,
अधिला को मरौंछ हिते हम होड़ा लगौंला।
तब क्या कौला जब हैं जालो यो मुलुकी विराणी,
फिर आपणी कालि मुखड़ी क्या हुण तुकौणीं।
रजपूतों का च्याला छा तुम षान दिखें जाणी,
भारत का सपूतों नाम धरि शहीदा हैं जाणी।।

(Source - Regional Reporter Magazine )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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‘आत्माराम गैरोला’ की
एजेन्सी महिमा
बरा-बेगार से गढ़वाल व टिहरी में लोग बहुत तंग थे। इस
समस्या के निदान के लिए जब गढ़वाल में कुली एजेन्सी
की स्थापना हुई, वहीं टिहरी रियासत में यह शोषणकारी
प्रथा जारी रही। वहां भी यह स्थापित हो सके इसके उस
काल कवि आत्माराम गैरोला ने पौड़ी की ऐजेन्सी पर
‘कुली एजन्सी महिमा’ शीर्षक नाम से एक लम्बी कविता
लिखी थी- कुछ अंश
एजेन्सी जब बातचीत लग्दे, तब्बातु की याद मा
औन्देन सब रीझ-बूझ मन की, छोटी-बड़ी बात मा।
एजेन्सी तू वजीर का हृदय मा बैठक थोड़ी घड़ी
धर देई टिहरी प्रजा कू सुख मा
ओ छन सुघडं़ईं घड़ी।।
एजेन्सी टिहरी प्रजा छः गढ़ मा अन्धी विचारी इनी
ना खान्दी इनि छ,घर मा लड़दी, चितौन्दे बि नीं।
तू जाईक सुधर ली, सुधरली या मा क्वी बात नीं
देखली गढ़वाल की सुमहिमा, दुयौं कि सुन्दर्बणी ।।
एजेन्सी!
पर जाइली व इनि जै सब की पियारी वणी।
क्योंकि छन महाराज बालक,
अभि इन्साफ करन्या भिनी।।
जो छाः ध्ीर, सुबीर, सुन्दर कला कौशल्हि का पुतला।
श्री राजा सर कीर्तिशाह जी बिना टिहरी छः हत्याभागिनी।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बागेश्वर की घटना पर

‘गोर्दा’ की कविता

बागेश्वर में 1921 को मकर संक्रान्ति के अवसर
पर कुली बेगार के विरोध पर को लेकर कुमाऊँ
के प्रसि( कवि गौर्दा की लिखी कविता-
“कानून म्हाती करि है विचार
पाप बगै हैछ गंगज्यू की धार
अब जन धरि आपणां रूबार
निकाली नै निकला दिलदार
बागेश्वर है नी ग्या भार
कार्तिक देखि रया कीतिकार
मिनटों में बन्द करो छ उतार
हाकिम रै गया हाथ पसार
चेति गया तब त जिलेदार
बद्री दत्त जैसा हुन च्याल चार
तबै हुआ छन मुल्क सुधर
कारण देश का छोड़ि रूजगार”

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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‘सत्यशरण रतूड़ी’ की

उठा गढ़वालियों

कविता

सत्यशरण रतूड़ी द्वारा 1905 में गढ़वाली पत्र में
प्रकाशित इस कविता में गढ़वासियों से जागृत
होने का आह्वाहन किया गया था जिससे राजशाही
की त्योरियां चढ़ गई थीं-
उठा गढ़वालियों! अब त वक्त यो सेण को नी छः
तजा ईं मोह-निद्रा कू, अजौं तैं जू पड़ीं ही छः।
अलो! अपणा मुलुक की यीं छुटावा दीर्घ निद्रा कू
सिरा का तुम इनि गहरी खड्डा मा जीन गेरयाल्यैं।।
अहो तुम भैर त देखा, कभी से लोग जाग्यां छन
जरा सि आंख त खोला, कनों अब घाम चमक्यूं छः।
स्वदेशी गीत कू एक दम गुंजावा स्वर्ग तैं भायों
भला डौंरू कसालू की कभी तुमकू कमी नी छः।।
बजावा ढोल, रणसिंघा सजावा थौÿ कू सारा
दिखावा देश-वीरत्व, भरी-पूरी सभा बीच।
उठा ला देश का देवतौं सणी थांका भड़ूं कू भी
पुकारा जोर से भायौं, घणा मण्डाण का बीच।।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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नेगी जी ने इस गीत में प्यार का वर्णन किया है की किसकी माया ज्यादा है नेगी जी के इन बोलों मैं ओ मिठास है जिसको सुनकर ,दो दिलों की तार झनझनाते है , यही है दो दिलों की दास्तान ,इन बोलों को अपने सुरीली आवाज दी है नरेंद्र सिंह नेगी और रेखा धस्माना ने

हे गंगा जी की औत हे गंगा जी की औत ,
तराजू न तौली लेण ,कैकी माया भौत
तराजू म तौली लेण हो

हे झंगौरा की घाण, जैकी माया घनघोर
अंखियों मा पछाण, जैकी माया घनाघौर हो

हे सड़कों का घूमा ,हे सड़कों का घूमा ,
सदानी नि रेंदू सुवा ,
सदानी नि रेंदू सुवाजवानी की धुमा , सदानी नि रेंदुं सुवा हो

भैरा रींगी भैराक भैरा रींगी भैराक
तरूणी उमर सुवा ,बथोंसी हराक,
तरूणी उमर सुवा हो
हे घुघूती कु घोल , घुघूती कु घोला ,
मनखी माटु हेवे जांदू रही जांदा बोल ,
मनखी माटु हेवे जांदू हो
हे गौडी कु मखानम हे गौडी कु मखान
दुनिया न मरी जाण दुनिया न मरी जाण,
क्या लिजाण यखान, दुनिया न मरी जाण हो

हे गंगाजी की औन्त , कैकी माया घनाघौर,
तराजू म तौली लेन कैकी माया भौत
तराजू म तौली लेन... हो

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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[यह गढ़वाली लोकगीत सन् 1951 की सतपुली की भीषण त्रासदी का वर्णन प्रस्तुत करता है।]


द्वी हजार आठ भादो मास,सतपुली मोटर बगीन खास।
औडर आई गये कि जाँच होली,पुर्जा देखणक इंजन खोली।
अपणी मोटर साथ मां लावा,भोल होली जाँच अब सेई जावा।
सेई जोला भै बन्धो बरखा ऐगे,गिड़-गिड थर-थर सुणेंण लैगे।
सुबेर उठीक जब आयाँ भैर,बगीक आईन सादंन खैर।
गाड़ी का भीतर अब ढुंगा भरा,होई जाली सांगुड़ी धीरज धरा।
गाड़ी की छत मां अब पाणी ऐगे,जिकुड़ी डमडम कांपण लेगे।
अपणा बचण पीपल पकड़े,सो पापी पीपल स्यूं जड़ा उखड़े।
दगड़ा का भै बन्धो तुम घर जाला,सतपुली हालत जिया ब्वे मुं लाला।
शिवानन्दी कु छयो गोवरधन दास,द्वै हजार रुपया छै जैका पास।
डाकखानों छोड़ीक तैन गाड़ी लीने,तै पापी गाड़ीन कनो धोका दीने।
हे पापी नयार कमायें त्वैकू,मंगसीरा का मैना ब्यो छायो मैकू।
काखड़ी मुंगरी बूति छाई ब्वैन,राली लगी होली नी खाई गैंन।
जैंक वैंक बोलण रोण नीच वैक,आंख्यू न फूटण कैल देण त्वेक।
 
संकलन – ए.पी. ‘घायल’
भावार्थ: 2008 के भाद्रमास में सतपुली में मोटर बही। आर्डर आया कि अपनी मोटर की जाँच कराओ। इंजन खोलकर पुर्जे दिखलाओ। अपनी मोटर को साथ में लाओ। कल होगी जाँच अभी सो जाओ। भाई बंधु सो गये तो वर्षा ऐसी आई, गड़गड़ना और थरथराना सुनाई देने लगा। सुबह उठकर जब बाहर आए तो देखा कि नदी में सादण और खैर के पेड़ बहकर आ रहे हैं। हांक लगाई कि गाडि़येां के भीतर पत्थर भरो, बचाव हो जायेगा, धीरज धरो। पर गाड़ी की छत तक ही पानी आ गया। जिगर डम-डम काँपने लगा जो अपने को बचाने पीपल के पेड़ की डाली थामी, पर वो पापी पीपल का पेड़ तो जड़ समेत उखड़ गया। साथी भाई तुम अब घर जाओगे और सतपुली के हाल अपनी माँ को सुनाओगे। बताना कि शिवानन्दी का गोवर्धन भी वहाँ था, जिसके पास दो हजार रुपये थे। डाक खाने की नौकरी छोड़ उसने गाड़ी ली तो उस पापी गाड़ी ने उसे धोखा दे दिया।
हे पापी नयार क्या मैने तेरे लिए कमाया। मंगशीर के महीने में मेरा ब्याह तय था। माँ ने ककड़ी, मूली बोई थी जो हुई होगी तो उनको खाने वाला नहीं रहा। माँ की आँखे चली गयी अब तेरे को कौन देगा।
 
सतपुली की वह भीषण बाढ़ !
अनुसूया प्रसाद ‘घायल’
 
जनपद पौड़ी की नयार घाटी की चौंदकोट जनशक्ति सड़क, दगलेखर, दुधारखाल व सतपुली, बाघाट, घंडियाल कांसखेत मोटर मार्ग समेत कई सड़कें बीते वर्ष सितम्बर की अतिवृष्टि से बर्बाद होने के बाद इस एक वर्ष भी ठीक नहीं हो सकी हैं और इस जुलाई-अगस्त में नई आफत पैदा कर दी है। नेशनल हाइवे-119 सतपुली से ज्वालपाधाम पाटीसैंण तक कई स्थानों पर आवाजाही लायक नहीं रह गया है। जनता के श्रमदान से बना चौंदकोट जनशक्ति मोटर मार्ग सतपुली से तीन किमी दूर चौंदकोट प्रवेश द्वारा जमरिया तोक में 16 अगस्त से वाहनों के लिये ठप्प है। इस कारण जिले के एकेश्वर, पोखड़ा, पाबौ, बौरीखाल, धुलीसैंण विकासखंडों के सैकड़ों गाँवों में राशन, कैरोसीन, एलपीजी आदि की आपूर्ति प्रभावित हुई है। यह सड़क पूर्वी गढ़वाल को एक ओर कोटद्वार दिल्ली एन.एच से तो जोड़ती है तो दूसरी ओर रामनगर के रास्ते कुमाऊँ जाने का शॉर्टकट भी है। लाखों रु. खर्च होने के बाद भी 200 मीटर तक धँसी इस सड़क का उपचार नही हो सका है। नयार नदी की मनियारस्यूँ पट्टी के सैकड़ों गाँवों में पैदल आवाजाही के लिये बना पुल पिछले वर्ष पूर्व नयार नदी की बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुआ था। इस बार यह 17 अगस्त से फिर बंद पड़ा है। आपदा प्रबंधन के मद से चार लाख रु. की धनराशि मिलने के बावजूद काम न होने से यह विकट स्थिति आई है। नयारघाटी सतपुली क्षेत्र की अनेक सड़कें भूस्खलन व दरकती चट्टानों की जद में हैं। क्षेत्र के दर्जनों सिचाई गूलें, स्कूल भवन, निजी मकान प्राकृतिक आपदा की भेंट चढ़ चुके हैं। गौरतलब है कि सूबे के आपदा प्रबंधन मंत्री त्रिवेन्द्र रावत नयारघाटी के खैरासैंण के मूल निवासी हैं तो आपदा प्रबंधन अनुश्रवण समिति के उपाध्यक्ष तीरथ सिंह रावत असवालस्यूँ पट्टी के सीरौं गाँव के।
सतपुली में 62 वर्ष पूर्व पूर्वी नयार नदी की बाढ़ में बही 22 मोटर गाडि़यों व तीस ड्राइवर, कंडक्टरों की जलसमाधि की घटना आज भी लोकगीतों के रूप में इस क्षेत्र के जनमानस में ताजा है। 14 सितम्बर 1951 को सतपुली कस्बे में बाईस मोटर गाडि़याँ नयार नदी में बह गई थीं। उस दौर में यह एक बड़ी आपदा मानी गई। इन लोगों की याद मे गढ़वाल मोटर ट्रांसपोर्ट यूनियन ने साठ के दशक में एक शिलालेख सतपुली के निकट सिमराली तोक में स्थापित किया था। वर्ष 1975 तक यूनियन के लोग प्रति वर्ष 14 सितम्बर को यहाँ आकर इन शहीदों को याद करते थे। फिर यह परंपरा जाती रही।


(source-http://www.nainitalsamachar.in/garhwali-folksong-on-satpuli-tragedy/)

Risky Pathak

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Mohan Singh ReethaGadi's Song

Rupaya Kadyuni Chwani Koooo Rooooo... Roooo.. <How much rupees... Its 25Paise>
Hookoori Ka Mensaa... Baata Soo Rooo.... Rooo.... <People of Hookooriii>

O Meri Ladili Baina Kooo Roooo Roooo.. <O My loving sister>
Me Lhe Jaa Chhu Desha Bata Sooo Roo... <Let me go to city>

Me Teri Blaya Lhyunoo Koooo Roo Roooo... <Affectionate Term i.e. Blaya Lhyuno>
Me Lhe Jaa Chhu Desha Bata Sooo Roo... <Let me go to city>

Hapoora Bajaani Dhooraa Koo roo Roooo... <A musical instrument "hapoora" playing at some top of hill>
Baanje Ki Hawaa Chho... Bata Sooo Roo Roooo... <Wind flowing thorugh Oak trees....>

Aaj Kaa Jaaeyaa Bethe koo Roo roo.. <Leaving today.. u take care>
Kabe Ki Aawe Chho Bata Soo Roo Roo... <When will you come back>

O Mera Ladilaa Dada Koo Roo rooo.. <O my dear elder brother>
Kabe Ki Aawe Chho... Bata Sooo Rooo.... rooo... <When will you come back>

Baansuri Ka Beena Baata Koo Rooo Rooo... <The pipe of Bansuri(Musical Instrument)>
Baanjh Ki Hawaa Chho... Baata Soo Roooo... <Wind flowing thorugh Oak trees....>

Aankhi Ko Soorma Huno... Kooo Rooo roooo.. <If its been Kajal of eyes..>
Tu Posiye Jhanaa..... Baataaa Soo roo rooo... <You please dont wipe of your tears...>


However english meaning can depicts the real sense of this song....

 

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