Author Topic: Heera Singh Rana - हीरा सिंह राणा उत्तराखंड के प्रसिद्ध कवि एव गायक  (Read 58485 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पंकज सिंह महर

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हीरा सिंह राणा जी का शराब के ऊपर व्यंग्य सुनें....

http://www.youtube.com/watch?v=DY0WI4sOKpg

ये अनुभव दा की किरपा से मिला है... अनुभव दा बहुत अच्छा काम किया है आपने ये इंटरव्यू लेकर कोटे-कोटि धन्यवाद

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Mahar Ji,

Rana Ji bahut bade kavi hai, jhahir hai unike vichar bahut hi acchhe hoge..

M S Mehta

हीरा सिंह राणा जी का शराब के ऊपर व्यंग्य सुनें....

http://www.youtube.com/watch?v=DY0WI4sOKpg

ये अनुभव दा की किरपा से मिला है... अनुभव दा बहुत अच्छा काम किया है आपने ये इंटरव्यू लेकर कोटे-कोटि धन्यवाद

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Rana Ji, jitene acche gayak hai utne achhe kavi bhi hai.

पंकज सिंह महर

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हीरा सिंह राणा जी की लोकप्रिय कविता जो उत्तराखण्ड आन्दोलन के दौरान हम सभी के लिये एक प्रेरणा थी

लश्का कमर बांधा,हिम्मत का साथा फिर भुला उज्याली होली,
कां लै रौली राता लश्का कमर बांधा.....
य नि हूनो ऊ नि होनो,कै बै नि हूंनो के ,
माछी मन म डर नि हुनि चौमासै हिलै के
कै निबडैनि बाता धर बै हाथ म हाथा, सीर पाणिक वै फुटैली जां मारुलो लाता
लश्का कमर.....
जब झड़नी पाता डाई हैं छ उदासा, एक ऋतु बसंत ऐछ़ पतझडा़ का बाद
लश्का कमर बांधा........

हलिया

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पंकज जी इसे ’प्ले’ करने का कोई लिंक है तो दीजिये प्लीज।

हीरा सिंह राणा जी की लोकप्रिय कविता जो उत्तराखण्ड आन्दोलन के दौरान हम सभी के लिये एक प्रेरणा थी

लश्का कमर बांधा,हिम्मत का साथा फिर भुला उज्याली होली,
कां लै रौली राता लश्का कमर बांधा.....
य नि हूनो ऊ नि होनो,कै बै नि हूंनो के ,
माछी मन म डर नि हुनि चौमासै हिलै के
कै निबडैनि बाता धर बै हाथ म हाथा, सीर पाणिक वै फुटैली जां मारुलो लाता
लश्का कमर.....
जब झड़नी पाता डाई हैं छ उदासा, एक ऋतु बसंत ऐछ़ पतझडा़ का बाद
लश्का कमर बांधा........


Dinesh Bijalwan

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Raju daju  aap hi ho na  jisne mujhe itne acchi website ka link diya.  Aab batao mai naatak pandera ke khuch photo load karna chaata huin kaise karun.


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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राणा जी का एक गीत. ..

स्वर्ग तारा जुनाली रात
को सुनालो तेरी मेरी बात
स्वर्ग तारा ... ..

दूसरा गाना..

घाम पूजो धार मा
विखुली का तारो मा
मेरो ही घर आयो .. मेरो ही घार आयो.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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एक और गाना..

बहुत ही मधुर गाना राणा जी का .

फूल फटना है सुवा जियूनी ला रे...
यो परदेश मा तेरी याद आ रे ....

पंकज सिंह महर

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राणा जी के वैसे तो सभी गाने मधुर हैं, लेकिन जो मुझे सबसे ज्यादा अच्छे लगे, वह हैं
१- रंगीली बिन्दी घाघरी काई, धोती लाल चुनर वाई
   हाय-हाय, हाय रे मिजात, ओहो हाय रे मिजाता...।
२- आजकल है रे ज्वान मेरी न्योली पराण......।

 

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