Author Topic: Heera Singh Rana - हीरा सिंह राणा उत्तराखंड के प्रसिद्ध कवि एव गायक  (Read 58271 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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प्रयाग पाण्डे आ लिली बाकरी लिली छ्यू छ्यू |
 आ लि लि लि लि ......छ यू छ यू |
 बाकरी ऐजा उज्याड न खा , जोडनूँ तिहांडी हाता ,
 त्योरो - म्योरो कलि पटवै गुस्याणी तीन पिडिक सरादा |
 सभापति ज्यू कैंल रपोटा , बात मान तू - तू -
 ज्यांणी छ कती आली जब , एती परतिम चबकारी |
 त्यर भी लगाली मेंकणी कच्याली , गाड़ी बे ल्वेकी धारी |
 जब लागैली धन्तरैकि , पै भाजैली टू ... टू ....
 ते बाकरी बाग लि जो रे त्विल उज्याड खाय |
 ओये बाकरी त्यर कारणा काव जै म्यर आय ,
 लट्ठ लिबेर ऐ  गो पधाना  अब कथां हणी जूं .........जूं ..
 त्विल नी खांण पय बाकरी धान युं पधानु का ,
 मैं भाजुनुं तल गध्यारा टू बुज हना लुका ,
 त्विल अपणी चिरि लधोड़ी क्या मैं टिकें खूं....खूं ...
 ध्यौ कें जाबेरा आज मैं बौं लै मर्चे धूप दिणी |
 ओ रे  "हिरुवा " आज का दिना आगेछ तेरी निहुणी |
 मार पडैली एसी हो रामा याद एँला बू ........... .बू ...........
 जब नि खया मैल बुधुवा मेरि बाकरिल गोव |
 ग्वेल्देराणी द्वि डबला भेंट चढौला भोव |
 हम ग्वलों की त्वी छै देवी और कै छै कूं............कूं............|
 
                                        -हीरासिंह राणा

 

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