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Jhoda Chachari Baaju Band - चाचारी झोडा बाजु बन्द: लोक संस्कृति की पहचान

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

मुझे याद है.. हमारी एक नानी यह चाचरी गाती थी.

    पुरूष :   तिवे कैले दियना छ झनका फुना

  महिलाये :  इजू ले दियना छ झनका फुना.

    पुरूष :    जो तेरा इजू ओह मेरी सासु, तिवे कैले दियना छ झनका फुना

  महिलाये :  बाजू ले दियना छ झनका फुना

   पुरूष :    जो तेरा बाजू ओह मेरी सासु, तिवे कैले दियना छ झनका फुना..

इस तरह से यह चाचरी बदती जाती है.. गोस्वामी जी ने भी इस चचारी को गाने के रूप मे गाया है.

पंकज सिंह महर:
छपेली -


कुमाऊँ का सबसे अधिक चहेता नृत्य गीत छपेली नृत्य है । इस नृत्य में पुरुष हुड़का-वादक गाता हुआ नृत्य करता है और महिला नर्तकी गीतों के भावों के अनुकूल नाचती रहती है । दृश्य एवं श्रव्य गुणों का अद्भुत मेल छपेली नृत्य में दिखाई देता है । छपेली नृत्य में गीत और नृत्य में यौवन का उल्लास छलकता हुआ मिलता है ।

वास्तव में 'छपेली' प्रेमियों के नृत्यगीत हैं । इस नृत्य शैली में जोड़ा बनाकर नृत्य किया जाता है । प्रेमी तथा प्रेमिका के एक हाथ में रुमाल और दूसरे हाथ में दपंण रहता है ।

'छपेली' नृत्य में नृत्य की गति तीव्र होती है । यह प्रेमी-प्रेमिका के सन्दर्भ में रुढ़ हो गया है । 'छपेली' गीतों की एक पंक्ति टेक होती है जिसे गायक (नायक) दो पंक्तियों के अन्तर के बाद दोहराता है । यह स्थायी पंक्ति गीत विशेष की 'थीम' कही जा सकी है -

ओ हो न्योला न्योला न्योला मेरी सोबना,
दिन-दिन यो यौवन जाण लाग्यो

पंकज सिंह महर:

भगनौल -

उक्तिपरक सौन्दर्य गीत 'भगनौल' कहे जाते हैं । इन गीचों के साथ प्राय: नृत्य नहीं होता परन्तु 'भगनौले' खड़े होकर किसी आलंबन को इंगित कर गाये जाते हैं या संकेत कर गाये जाते हैं । ऐसी भाव दशा में एक प्रकार का भाव प्रधान नृत्य होने लगता है ।

पुरुष गायक का साथी, जिसे 'होवार' कहते हैं, वह नायक के स्वरों को विस्तार देता है । संकेत या इंगित किये गये व्यक्ति की यदि वहाँ पर उपस्थिति रहती है तो वह भी प्रत्युत्तर में 'भगनौल' गाता है । एक प्रसिद्ध भगनौल इस प्रकार है -

जागेश्वर धुरा बुर्रूंशी फुलिगे
मैं के हूँ टिपुं फूला, मेरी हँसा रिसै रे ।

'भगनौल' में प्रयुक्त होने वाली उक्तियाँ गायकों की अपनी विरासत होती हैं । गायक की कुशलता इसी में देखी जाती है कि वह अपने द्वारा प्रयुक्त उक्तियों को किस प्रकार चुटीली पंक्तियों में जोड़ता है । उन पंक्तियों को जोड़ कहा जाता है । 'भगनौल' का पूर्व आकार या कोई निश्चित स्वरुप नहीं होता । यह गायक की अपनी विशिष्ट सूझ-बूझ, वाक्-चातुर्य और यादद्श्त पर निर्भर करता है कि वह कैसा चुटीला 'भगनौल' कह सकता है ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

This is one of the oldest Jhoda. If any has similar jhoda kindly put it here.


--- Quote from: M S Mehta on April 15, 2008, 08:40:09 PM ---
देवी भगवती माता पर बना यह प्रसिद्ध झोडा..

ओह हो .. खोली दे माता खोली भवानी
धार मे किवाडा ...

ओह हो .. खोली दे माता खोली भवानी
धार मे किवाडा ...

--- End quote ---

पंकज सिंह महर:
झोड़ा नृत्यः-

कुमाऊँ का सबसे प्रचलित नृत्य झोड़ा है। नृत्य समूह में किया जाता है। इसमें लोग एक दूसरे के बाँह मे बाँह डाले हुड़के की आवाज (थाप) पर तीन कदम आगे तथा एक कदम पीछे थिरकतें हुए गोल घेरे में लय ताल से घूमते हैं। यह नृत्य धार्मिक, सामाजिक अथवा प्रेम आदि विषयों पर आधारित होता है।

कुमाऊँ के अधिकांश भाग में यह थोड़ी थोड़ी भिन्नता के साथ आयोजित किया जाता है, परन्तु इसके नृत्य में कदमों की ताल समान रहती है। इस नृत्य को कुमाऊँ के विभिन्न भागों में अलग- अलग नामों से पुकारा जाता है।

1. पिथौरागढ़ में यह खेल कहलाता है।
2. मुनरचारी – दुसका
3. दानपुर – चौचरी
4. सालम – भेनी

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