Uttarakhand > Music of Uttarakhand - उत्तराखण्ड का लोक संगीत

Lets Find Out Other Folk Singers - आईये खोजे अन्य लोक गायकों को

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Anubhav / अनुभव उपाध्याय:
Sure we will promote Nennath ji wherever we can.


--- Quote from: Rajneesh on October 28, 2007, 11:58:00 AM ---Anubhav bhai AaP SE Request hai ki Delhi aur NCR me jitne bhi Program aapki jankari me hote pls aap vanha par Nennaath Rawal ji naam jarur recommend kare inkey geeto aur jagar ki cd aapko ITO me mil jaegi......
aur agar inkey bare me koi aur jankari jese Ph no aur baaki ki jaankari ke liye mujse cont kar sakte hai...



--- Quote from: Rajneesh on October 28, 2007, 12:17:04 AM ---मेरी यादास्त के अनुसार श्री नेननाथ रावल और हिरा सिह राणा दो ऐसे उत्तराखंडी कलाकार है जिन्होंने आज भी
कुमाऊ के लोक गीतों को जिंदा बचा कर रखा है....
नेंननाथ रावल को कुमाऊ का मोहमद रफी कहां जाता है

--- End quote ---

--- End quote ---

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Rajneesh JI,

Very good topic you have started. In fact there several folk singers of UK who have not yet got their right dues. I remember a lot of such names whom people have forgotten. As i had earlier mentioned about one of the forgotten folk singer of Uttarakhand Kabotri Devi who used to sing song in Akaswani. If we talk about her today hardly anybody knows about her. She is leading a unknown life today.


As regards of new generation singer. After nobody is able to retain form.  After a few hit album,they disappear from the market. I am sure if their quality of songs is good, they will remain there.

It should be our endeviour to promote the singers of village levels also whose talent remain latent due to financial problem or good exposure.

M S Mehta



--- Quote from: Rajneesh on October 27, 2007, 10:32:04 PM ---दोस्तों लोककला, लोक संस्कृति और लोक गीत हर देश हर राज्य की पहचान होती है?  और आज भी हर जगह हर देश हर राज्य की संस्कृति को बढाने के पीछे लोकगीतों का बहुत बड़ा हाथ है,  मराठी, कोंकडी, भोजपुरी, हिमाचली, बंगाली और राजस्थानी जेसे सभी राज्यों में आज भी बड़ी मात्रा पर लोक गायक है जिनको वंहा की सरकार और वंहा के लोगों द्वारा भी प्रोह्त्सान मिलता रहता है जिसके कारण भोजपूरी, मराठी और south  सिनेमाँ ने आज अपनी बहुत बड़ी पकड़ बनाईं है..

मुझे लगता है की आज की Date में   सिर्फ  नरेन्द्र सिंह नेगी जी, ही मात्र ऐसे गायक है जिन्होंने लोकगीत परम्परा को जिंदा रखा है जेसे आज तक स्व श्री गोपाल बाबुगोस्वामी  का  खाली स्थान कोई नहीं भर पाया है जो की अपने आप में बहुत ही खतरनाक संकेत है..
इससे पहले की आने वाली पीढी को हमारे पास अपनी संस्कृति के बारे में बताने के लिए कुछ ना रहे हम उन सभी छोटे बड़े लोक कलाकारों को दूँड़ कर प्रोहोत्साहित करते हैं जो कंही गुमनामी के अँधेरे में खो गए है..
आप सभी लोगों से निवेदन है की अपने गाँव के उन सभी लोककलाकारो को प्र्होत्सहित करे, लोगों को बताएं और अपने होने वाले उन सभी कार्यकर्मो में उनका प्रोह्त्सान बढाए जो की समय समय पर आप लोग करते है ताकि वो खुद की कीमत समझ  सके....

--- End quote ---

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
लोहाघाट शरदोत्सव में सड़कों पर उतरा भारत का सांस्कृतिक स्वरूपOct 30, 02:05 am

लोहाघाट(चम्पावत)। लोहाघाट में पांचवें शरदोत्सव समारोह का सोमवार को आकर्षक झांकियों व मार्च पास्ट के साथ आगाज हो गया। नगर के मुख्य मार्गो से गुजरी झांकियों को देखने के लिए प्रात: से ही अपार जन समूह छतों व सड़कों के दोनों ओर एकत्रित होना शुरू हो गया। अनेकता में एकता को दर्शाने वाली भारत के विभिन्न प्रांतों की लोक संस्कृति का दिलकश नजारा इन झांकियों में देखने को मिला। छोलिया व डांडिया नृत्य, नंदा सुनंदा डोला, नंदा राज जात, लखिया भूत, कलश यात्रा तथा देवडांगरों की प्रस्तुति झांकियों के प्रमुख आकर्षण रहे।

प्रात: 10:30 बजे हथरंगिया से शुरू हुई झांकी मीना बाजार, डाग बगला रोड, मोटर स्टेशन तथा खड़ी बाजार होते हुए रामलीला मैदान पहुंची। झांकी के सबसे आगे एसएसबी के जवान व पूर्व सैनिक मार्च पास्ट करते हुए चल रहे थे। कुमाऊं की लोक संस्कृति के नजारे के साथ महर्षि विद्यामंदिर की कलश यात्रा, प्राथमिक विद्यालय का नंदा-सुनंदा डोला, राजीव नवोदय का डांडिया नृत्य, केन्द्रीय विद्यालय का भारत की प्रगति को दर्शाने वाली झांकी, ओक लैण्ड की हिलजात्रा, डीएवी का नंदा-सुनंदा डोला, आदर्श विद्यामंदिर व मल्लिकार्जुन, सीमांत मान्टेसरी की देव डांगरों का उत्सव तथा पर्यावरण प्रेम को दर्शाने वाली झांकियों के अलावा नंदा-सुनंदा नृत्य व गायन संग्रह लोहाघाट द्वारा प्रस्तुत गढ़वाली व कुमाऊंनी संस्कृति के दृश्य तथा हास्य क्लब द्वारा पालीथिन उन्मूलन पर निकाली गयी झांकी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।



Risky Pathak:
Heera Singh Rana....
Chandra Singh Raahi
Nainaath rawal...

NainNath Rawal Ki Gagnath Jagar ki kya Baat Kehni... Awesome.....

--- Quote from: Rajneesh on October 28, 2007, 12:17:04 AM ---मेरी यादास्त के अनुसार श्री नेननाथ रावल और हिरा सिह राणा दो ऐसे उत्तराखंडी कलाकार है जिन्होंने आज भी
कुमाऊ के लोक गीतों को जिंदा बचा कर रखा है....
नेंननाथ रावल को कुमाऊ का मोहमद रफी कहां जाता है

--- End quote ---

Risky Pathak:
Padm Kumauni

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