प्रयाग पाण्डे
हो नी काटो , नी काटो झुमरयाली बाँज , बंजानी धुरा ठंडो पानी |
ठंडो पानी , ठंडो पानी , बाँज बंजानी धुरा ठंडा पानी |
नैपाल की धनपुतली , कमर खुकुरी |
बरमा जानी धनपतली ,कमर खुकुरी |
ठंडो पानी , ठंडो पानी , बाँज बंजानी धुरा ठंडो पानी |
हो नी काटो , नी काटो झुमरयाली बाँज , बंजानी धुरा ठंडो पानी |
म्हैना आयो चैत को हो कोई न कोई आलो |
जैको भाई , चाई रौली , गत भिटौली ल्यालो |
ठंडो पानी , ठंडो पानी , बाँज ,
बंजानी धुरा ठंडो पानी|
हो नी काटो , नी काटो झुमरयाली बाँज , बंजानी धुरा ठंडो पानी |
यो दिन यो बार मेरी ऊमर की बात |
भुलुलो , भुलुलो कुंछी , बांकी उन्छी याद |
ठंडो पानी , ठंडो पानी , बाँज बंजानी , धुरा ठंडो पानी |
हो नी काटो , नी काटो झुमरयाली बाँज , बंजानी धुरा ठंडो पानी |
(कुमाऊ का लोक साहित्य से साभार )
भावार्थ :
मत काटो काटो मत , इस नुकीली घनी पत्तियों वाले बाँज को , बाँज के वन का जल बहुत शीतल होता है |
शीतल , बहुत शीतल जल , बाँज के वन में बहुत शीतल जल होता है |
नेपाल का धनपुतली नामक व्यक्ति कमर में खुकुरी बांधे है |
धनपुतली वर्मा जा रहा है , कमर में खुकरी बंधी है |
शीतल बहुत शीतल जल , बाँज के वन में बहुत शीतल जल है |
मत काटो काटो मत , इस नुकीली घनी पत्तियों वाले बाँज को , बाँज के वन का जल बहुत शीतल होता है |
चैत का महीना आ रहा है , कोई न कोई अवश्य आवेगा |
जिन बहिनों के भाई हैं वे भाई की राह देखती होंगी कि कब भिटौली लेकर भाई आ जावे |
शीतल , बहुत शीतल जल , बाँज के वन में बहुत शीतल जल है |
मत काटो काटो मत , इस नुकीली घनी पत्तियों वाले बाँज को , बाँज के वन का जल बहुत शीतल होता है |
वह दिन , वह वार जीवन भर मेरी स्मृति में रहा |
जितना इसे भुलाने की चेष्टा की , उतना ही अधिक याद आया यह |
शीतल , बहुत शीतल जल , बाँज के वन में बहुत शीतल जल है |
मत काटो काटो मत , इस नुकीली घनी पत्तियों वाले बाँज को , बाँज के वन का जल बहुत शीतल होता है |